Book Title: Antkruddasha Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 220
________________ वर्ग ८ अध्ययन ३ - महाकाली आर्या १६५ ****************本來來來來來來來來來來 來 來******************* __भावार्थ - एक परिपाटी में छह महीने और सात दिन लगे। जिससे पारणे के तेतीस दिन और तपस्या के पांच मास और चार दिन हुए। इस प्रकार महाकाली आर्या ने चार परिपाटी की, जिसमें दो वर्ष और अट्ठाईस दिन लगे। इस प्रकार महाकाली आर्या ने लघुसिंह-निष्क्रीड़ित लुप की सूत्रोक्त विधि से आराधना की। तत्पश्चात् महाकाली आर्या ने अनेक प्रकार की फुटकर तपस्याएं की। अन्त में संथारा कर के सम्पूर्ण कर्मों का क्षय करके मोक्ष प्राप्त हुई। विवेचन - महाकाली आर्या ने लघुसिंह निष्क्रीडित तप की आराधना की। छोटा सिंह का बच्चा कुछ कदम आगे जाता है फिर पीछे हटता है। इस प्रकार आगे-पीछे, बढ़ते घटते के समान यह तप इस प्रकार होता है - क्रं. तप क्रं. तप क्रं. तप क्रं. तप १. उपवास ६ चौला १७ अठाई २५ चार २ बेला १० छह १८ . नव २६ - पांच ३. उपवास ११ पांच १६ सात २७ तेला ४ तेला १२ सात २० अठाई २८ चोला ५ बेला . १३ छह २१ छह २९ बेला ६ . ' चौला . १४ . अठाई : २२ सात ३० . तेला ७ तेला. १५ सात २३ पांच ३१ उपवास ८ पचोला १६ नव . २४ छह ३२ बेला __ ३३ उपवास रत्नावली, कनकावली तप की तरह इसकी भी चार परिपाटियां होती हैं। एक परिपाटी में छह माह व सात दिन लगते हैं। चारों परिपाटियों में २ वर्ष २८ दिन लगे। दस वर्ष दीक्षा पाल कर महाकाली रानी सिद्ध, बुद्ध, मुक्त हुई। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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