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अन्तकृतदशा सूत्र ********************************************************* अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म संसारभउविग्गा भीया जम्मणं-मरणाणं मुंडा जाव पव्वइया।
कठिन शब्दार्थ - संसारभउविग्गा - संसार के भय से उद्विग्न, भीया - भयभीत, जम्मणं-मरणाणं - जन्म-मरण से।
भावार्थ - हे देवानुप्रिये! हमारा रूप, उम्र आदि एक समान होने के कारण तुम्हारे मन में शंका उत्पन्न हुई है। इसका समाधान यह है कि - हम भद्दिलपुर नगर निवासी नाग गाथापति के पुत्र एवं सुलसा के अंगजात हैं। हम रूप, लावण्य आदि से समान और सौन्दर्य में नलकूबर के समान छह सहोदर भाई हैं। हमने भगवान् अरिष्टनेमि से धर्म सुन कर, हृदय में धारण कर और संसार के भय से उद्विग्न हो कर, जन्म-मरण से छुटकारा पाने के लिए प्रव्रज्या ग्रहण की है।
तए णं अम्हे जं चेव दिवसं पव्वइया तं चेव दिवसं अरहं अरिट्ठणेमि वंदामो - णमंसामो वंदित्ता णमंसित्ता इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हामो-इच्छामो णं. भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणा जाव अहासुहं देवाणुप्पिया! तएणं अम्हे अरहया अरिट्ठणेमिणा अब्भणुण्णाया समाणा जावजीवाए छठें छट्टेणं जाव विहरामो। तं अम्हे अज छट्ठक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए जाव अडमाणा तव गेहं अणुप्पविट्ठा। तं णो खलुं देवाणुप्पिए! ते चेव णं अम्हे, अम्हे णं अण्णे। देवइं देवीं एवं वयइ, वइत्ता जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगया।
कठिन शब्दार्थ - अभिग्गहं - अभिग्रह को, अभिगिण्हामो - धारण किया है, जामेवजिस, दिसं - दिशा से, पाउन्भूए - आए, तामेव - उसी, पडिगए - लौट गये।
भावार्थ - हमने जिस दिन प्रव्रज्या ग्रहण की, उसी दिन से भगवान् की आज्ञा प्राप्त कर के यावज्जीवन बेले-बेले पारणा करने की प्रतिज्ञा की है। उसी प्रतिज्ञानुसार हम बेले-बेले पारणा करते हैं। हम सब के आज बेले का पारणा है, इसलिए पहले प्रहर में स्वाध्याय और दूसरे प्रहर में ध्यान करने के बाद तीसरे प्रहर में भगवान् की आज्ञा प्राप्त कर के हम तीन संघाड़ों से निकले। ऊंच-नीच-मध्यम कुलों में सामुदायिक भिक्षा के लिए घूमते हुए संयोगवश हम तीनों संघाड़े तुम्हारे घर आ गये हैं। इसलिए हे देवानुप्रिये! हम वे ही मुनि नहीं हैं, जो पहले आये
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