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अन्तकृतदशा सूत्र 来来来来来来来来来来来*******本来来来来来来来来来来来来来来来来来来来来来******
१. सूचना देने वाली दासियों का दासत्व दूर किया और उनको विपुल आजीविका दी। २. नगर को सुगंधित कराया, कैदियों को बंधन मुक्त किया और तोलमाप की वृद्धि की।
३. दस दिन के लिये कर मुक्त किया और गरीबों तथा अनाथों को राजा ने मुक्त हाथ से दान दिया। दस दिन तक राज्य में आनंद महोत्सव हुआ।
४. बारहवें दिन राजा ने विपुल भोजन बनवा कर मित्र, ज्ञाति, राज्य-सेवक आदि के साथ खाते-खिलाते हुए आनंद-प्रमोद का उत्सव मनाया फिर उनका वस्त्राभूषण आदि से सत्कार सम्मान . कर माता-पिता ने कहा कि - हमारा यह बालक गज के तालु के समान कोमल व लाल है इसलिये इसका नाम 'गजसुकुमाल' होना चाहिये, ऐसा कह कर पुत्र का नाम 'गजसुकुमाल' रखा। ___इस प्रकार मेघकुमार के जन्मोत्सव का विस्तृत वर्णन यहां भी समझना चाहिये, विशेषता यह है कि वहां अकाल मेघ (बादल) का दोहद होने से 'मेघकुमार' नाम रखा था। यहां गज तालु के समान कोमल बालक होने से माता-पिता ने यथानाम तथा गुण के अनुसार 'गजसुकुमाल' नाम रखा।
सोमिल की पुत्री सोमा
(३१) तत्थ णं बारवईए णयरीए सोमिले णामं माहणे परिवसइ अढे रिउव्वेय जाव सुपरिणिट्ठिए यावि होत्था। तस्स णं सोमिलस्स माहणस्स सोमसिरी णामं माहणी होत्था, सुकुमाला। तस्स णं सोमिलस्स माहणस्स धूया। सोमसिरीए माहणीए अत्तया सोमा णामं दारिया होत्था। सुकुमाल जाव सुरूवा, रूवेणं जाव लावण्णेणं उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा यावि होत्था। ____ कठिन शब्दार्थ - माहणे - ब्राह्मण, परिवसइ - रहता था, अड्ढे - आढ्य-धनधान्यादि से समृद्ध, रिउव्वेय - ऋग्वेद, सुपरिणिट्ठिए - सांगोपांग ज्ञाता, माहणी - ब्राह्मणी, धूया - पुत्री, अत्तया - आत्मजा, दारिया - कन्या, लावण्णेणं - लावण्य से, उक्किट्ठा - उत्कृष्ट, उक्किट्ठसरीरा - उत्कृष्ट शरीर वाली।
भावार्थ - उस द्वारिका नगरी में सोमिल नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह धनधान्यादि से समृद्ध था और ऋग्वेद, यजुवेद, सामवेद, अथर्ववेद - इन चारों वेदों का सांगोपांग
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