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- छठं अज्झायणं - छठा अध्ययन
धृतिधर गाथापति एवं धितिहरे वि गाहावई, काकंदी णयरी सोलस वासा परियाओ जाव विपुले सिद्धे।
भावार्थ - इसी प्रकार धृतिधर गाथापति का भी वर्णन है। ये काकन्दी नगरी के रहने वाले थे। भगवान् के पास दीक्षा ले कर सोलह वर्ष तक चारित्र-पर्याय का पालन किया और अन्त में विपुल-गिरि पर सिद्ध हुए।
|| छठे वर्ग का छठा अध्ययन समाप्त॥
सत्तमं अज्झयणं - सप्तम अध्ययन
___ कैलाश गाथापति __एवं केलासे वि गाहावई णवरं सागेए णयरे बारस वासाइं परियाओ। विपुले सिद्धे।
भावार्थ - इसी प्रकार कैलाश गाथापति का चरित्र है। ये साकेत नगरी के थे। दीक्षा ले कर बारह वर्ष तक चारित्र का पालन किया और विपुलगिरि पर सिद्ध हुए।
॥ छठे वर्ग का सातवाँ अध्ययन समाप्त॥
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