________________
तडओ वग्गो
-
तृतीय वर्ग
प्रस्तावना
(१०)
जइ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स दोच्चस्स वग्गस्स अयमट्ठे पण्णत्ते । तच्चस्स णं भंते! वग्गस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? भावार्थ - जम्बू स्वामी, श्री सुधर्मा स्वामी से पूछते हैं कि - हे भगवन्! श्रमण भगवान् महावीर स्वामी ने अंतगडदशा नामक आठवें अंग के दूसरे वर्ग का यह प्रतिपादन किया है तो तीसरे वर्ग के क्या भाव कहे हैं?
• तेरह अध्ययनों के नाम
-
Jain Education International
एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स तच्चस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा १ अणीयसेणे २ अणंतसेणे ३ अजियसेणे ४ अणिहयरिउ ५ देवसेणे ६ सत्तुसेणे ७ सारणे ८ गए & सुमुहे १० दुम्मुहे ११ कूवए १२ दारुए १३ अणादिट्ठी ।
भावार्थ - श्री सुधर्मा स्वामी, जम्बू स्वामी से कहते हैं कि - हे जम्बू ! श्रमण भगवान् महावीर स्वामी ने आठवें अंग अंतगडदशा सूत्र तीसरे वर्ग में तेरह अध्ययनों का वर्णन किया है। वे इस प्रकार हैं - १. अनीकसेन २. अनन्तसेन ३. अजितसेन ४. अनिहतरिपु ५. देवसेन ६. शत्रुसेन ७. सारण ८. गज ६. सुमुख १०. दुर्मुख ११. कूपक १२. दारुक और १३. अनादृष्टि ।
www & 115; DRES
प्रथम अध्ययन भाव- पृच्छा
जड़ णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं तच्चस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा- अणीयसेणे जाव अणादिट्ठी ।
पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स अंतगडदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ।
27
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org