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अन्तकृतदशा सूत्र 來來來來來小小******************来来来来来来来**************************
- विवेचन - गर्भकाल सहित नौ वर्ष यानी लगभग सवा आठ वर्ष की अवस्था में माता पिता ने उन्हें अध्ययन के लिए कलाचार्य - गुरु के पास भेजा। गुरु ने उन्हें सूत्र, अर्थ और प्रयोग रूप से बहोत्तर कलाओं में निष्णात कर माता पिता को वापस सौंपा।
को लेकर
विवाह और सुखोपभोग
तएणं तं अणीयसेणं कुमारं उम्मुक्कबालभावं जाणित्ता अम्मापियरो सरिसियाणं सरिसव्वयाणं सरिसत्तयाणं सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वणगुणोववेयाणं सरिसेहितो कुलेहितो आणिल्लियाणं बत्तीसाए इन्भवरकण्णगाणं एगदिवसेणं पाणिं गिण्हावेंति।
कठिन शब्दार्थ - उम्मुक्कबालभावं - बालभाव से मुक्त, सरिसियाणं - सरीखी, सरिसव्वयाणं - समान वय वाली, सरिसत्तयाणं - समान त्वचा वाली, सरिसलावण्णरूव-जोव्वणगुणोववेयाणं - समान लावण्य, रूप, यौवन, शालीनता, कुलीनता, सुशीलता आदि गुणों से युक्त, सरिसेहितो - समान, कुलेहितो - कुलों से, आणिल्लियाणं- लायी हुई, बत्तीसाए इन्भवरकण्णगाणं - इभ्य सेठों की बत्तीस कन्याओं के साथ, एगदिवसेणं - एक दिन में।
भावार्थ - अनीकसेन कुमार को यौवनावस्था से युक्त देख कर उसके माता-पिता ने समान वय, समान त्वचा और समान लावण्य, रूप यौवन एवं सुशीलता आदि गुणों से युक्त तथा अपने सदृश्य कुलों से लाई हुई, इभ्य-सेठों की बत्तीस कन्याओं के साथ, एक दिन में विवाह कर दिया।
तएणं से णागे गाहावई अणीयसेणस्स कुमारस्स इमं एयारूवं पीइदाणं दलयइ, तं जहा - बत्तीसं हिरण्णकोडिओ जहा महब्बलस्स जाव उप्पिं पासायवरगए फुडमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ।
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