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२-६ अज्ायणाणि __ दो से छह तक पांच अध्ययन जहा अणीयसेणे एवं सेसा वि अणंतसेणे अजियसेणे अणिहयरिऊ देवसेणे सत्तुसेणे छ अज्झयणा एगगमा। बत्तीसाओ दाओ वीसं वासाई परियाओ, चोद्दसपुव्वाइं अहिज्जंति, जाव सेत्तुंजे सिद्धा। छ?मज्झयणं समत्तं।
भावार्थ - जैसा अनीकसेन कुमार का अध्ययन है, वैसा ही अनन्तसेन, अजितसेन, अनिहतरिपु, देवसेन और शत्रुसेन नामक अध्ययनों का वर्णन है। इन छहों अध्ययनों का वर्णन एक समान है। इनके माता-पिता भी एक ही थे। ये छहों कुमार नाग गाथापति के पुत्र एवं सुलसा के अंगजात थे। बत्तीस-बत्तीस करोड़ का दहेज मिला था। सभी ने ऋद्धि-सम्पत्ति को छोड़ कर दीक्षा अंगीकार की थी। बीस वर्ष दीक्षा पर्याय पाली। चौदह पूर्वो का अध्ययन किया। एक मास की संलेखना करके शत्रुजय पर्वत पर सिद्ध-बुद्ध-मुक्त हुए।
॥ तीसरे वर्ग के छह अध्ययन समाप्त॥
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