________________
• विचारणीय भगवान महावीर की जन्मभूमि कुण्डपुर एक वास्तविक तथ्य
- आर्यिका चन्दनामती इस युग के प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव की तीर्थकर परम्परा में अन्तिम चौबीसवें तीर्थकर भगवान महावीर के 2600 वें जन्मजयन्ती महोत्सव के सन्दर्भ में प्राचीन जैनसिद्धान्त एवं पुराणग्रन्थों के अनुसार महावीर स्वामी का शोधपूर्ण वास्तविक परिचय यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है__ लगभग दो हजार वर्षपूर्व श्रीयतिवृषभआचार्य द्वारा रचित "तिलोयपण्णत्ति" ग्रन्थ में वर्णन आया है कि
सिद्धत्थरापियकारिणीहिं, णयरम्मि कुंडले वीरो। उत्तरफग्गुणिरिक्खे, चित्तसियातेरसीए उप्पण्णो।५४९॥ पृ. 210
अर्थात् भगवान महावीर कुण्डलपुर जिला नालन्दा (बिहार, प्रदेश) में पिता सिद्धार्थ और माता प्रियकारिणी से चैत्रशुक्ला त्रयोदशी के दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में उत्पन्न हुए।
षट्खण्डागम के चतुर्थ खण्ड एवं नवमी पुस्तक की टीका में श्रीवीरसेनाचार्य ने भी कहा है कि"आषाढ जोण्ण पक्ख छट्ठीए कुण्डलपुर णगराहिव णाहवंश सिद्धत्थं णरिन्दस्स तिसिला देवीए गब्भमागंतणेसु तत्थ अट्ठादिवसाहिय णवमासे अच्छिम चइत्त सुक्ख पक्ख तेरसीए उत्तराफग्गुणी गब्भादो णिक्खंतो।"
वर्तमान समय से 2599 वर्ष पूर्व बिहार प्रान्त के नालन्दा जिले में स्थित "कुण्डलपुर" नगर में जब भगवान महावीर ने जन्म लिया तो जन्म से 15 महीने पूर्व से ही माता त्रिशला के आँगन में रत्नवृष्टि हुई थी। इस रत्नवृष्टि के विषय में "उत्तरपुराण" नामक आर्षग्रन्थ में श्रीगुणभद्रसूरि कहते हैं