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रहस्यवाद : एक परिचय
"मानवीय प्रकृति का एक सतत अभ्यास सिद्ध करना चाहते हैं जिसका परिणाम आध्यात्मिक तत्त्व की उपलब्धि है।"१ अन्यत्र भी उन्होंने कहा है कि "हिन्दू धर्म एक विचारधारा की अपेक्षा एक जीवन पद्धति है। जहां विचार के क्षेत्र में, वह स्वतन्त्रता प्रदान करता है, वहीं व्यवहार के क्षेत्र में वह कोई कठोर आचारसंहिता भी निर्दिष्ट कर देता है ।"२ ___ उपर्युक्त दोनों परिभाषाएँ रहस्यवाद को धार्मिक अथवा आध्यात्मिक क्षेत्र तक ही सीमित रखती हैं । डा० एस० एन० दासगुप्ता के अभिमतानुसार "रहस्यवाद कोई बौद्धिकवाद नहीं है, यह मूलतः एक सक्रिय, रूपात्मक, रचनात्मक, उन्नायक तथा उत्कर्षप्रद सिद्धान्त है।............इसका अभिप्राय जीवन के उद्देश्यों तथा उसके प्रश्नों को, उससे कहीं अधिक वास्तविक और अन्तिम रूप से आध्यात्मिक रूप में ग्रहण कर लेना है जो कि शुष्क तर्क की दृष्टि से कदापि सम्भव नहीं कहा जा सकता है........ रहस्यवादपरक विकासोन्मुख जीवन का अर्थ, आध्यात्मिक मूल्य, अनुभव तथा आदर्शों के अनुसार कल्पित सोपान द्वारा क्रमशः ऊपर चढ़ते जाना है। इस प्रकार, अपने विकास की दृष्टि से यह बहुमुखी भी है और यह उतना ही समृद्ध होता है जितना स्वयं जीवन के लिए कहा जा सकता है। इस दृष्टिकोण से देखने पर रहस्यवाद सभी धर्मों का मूल आधार बन जाता है और यह विशेषतः उन लोगों के जीवन में उदाहत होता दीख पड़ता है जो वस्तुतः धार्मिक होते हैं।"३ यद्यपि डा० दासगुप्ता की 2. Discipline of human nature leading to a realization
of spiritual. Counter Attack from the East-C. E. M. Joad.
p. 149. 3. Hinduism more a way of life than a form of thought
which it gives absolute liberty in the world of thought it enjoins a strict code of practices The Hindu view of Life, p, 77 (Allen and Unwin, 1931) Mysticism is not an intellectual theory; it is fundamentally an active, formative, creative, elevating and ennobling principle of life.......Mysticism means a spiritual grasp of the aims and problems of life in a much more real and ultimate manner than is
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