Book Title: Anandghan ka Rahasyavaad
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 15
________________ रहस्यवाद : एक परिचय मार्गदर्शक से अधिक महत्त्व की प्रतीत नहीं होती। उपर्युक्त परिभाषाओं रहस्यवाद के किसी क्रियात्मक (साधनात्मक) पहलू पर चिन्तन किया गया है। अतः इन व्याख्याओं के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ये व्याख्याएँ एकांगी हैं। उक्त पाश्चात्य विद्वानों के अतिरिक्त कुछ अन्य पाश्चात्य चिन्तकों ने भी रहस्यवाद की परिभाषाएँ देने की चेष्टा की है। उनमें से एक डब्लू० ई० हाकिंग (W. E. Hokcing) हैं, जिन्होंने रहस्यवाद को साधन के रूप में स्वीकार किया है। ___"रहस्यवाद ईश्वर के साथ व्यवहार करने का एक मार्ग है।'' दूसरे शब्दों में, वह ईश्वर की उपासना का एक प्रकार मात्र है। चार्ल्स बेनेट रहस्यवाद को जीवन पद्धति के रूप में स्वीकार करते हुए लिखते हैं"रहस्यवाद का अर्थ कभी विचारप्रधान रहस्यवाद किया जाता है और उसे एक ऐसा दार्शनिक मत मान लिया जाता है जो परमात्मतत्त्व की मात्र एकता का तथा विभिन्न जीवात्माओं और सीमित पदार्थों के उसमें विलीन हो जाने का प्रतिपादन करता है। परन्तु ऐसे सिद्धान्तों के साथ हमारा सम्बन्ध नहीं है । हम रहस्यवाद को जीवन की एक ऐसी पद्धति के रूप में देखते हैं जिसका मुख्य अंग ईश्वर का अव्यवहित अनुभव कहा - जा सकता है ।"२ 1. Mysticism is a way of dealing with God. The Meaning of God in Human Experience (New ___Haven, 1912), p. 355. 2. By Mysticism is sometime meant speculative mysti cism a metaphysical doctrine which proclaims the abstract unity of the Godhead and the obliteration in it of the particularity of individual souls and finite objects. With this doctrine we are not concerned but with mysticism as a way of life, in which conspicuous element is the immediate experience of God. Philosophical Study of Mysticism, Bennet C, p. 7 (New Haven, 1923).

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