Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ सूत्रकृतांग-नवम अध्ययन-धर्म गन्ध, माल्य, स्नान, दन्त-प्रक्षालन, बस्तु-परिग्रह (संग्रह), हस्तकर्म, औद्दशिक आदि दोषयुक्त आहारसेवन, रसायन-सेवन, मर्दन ज्योतिषप्रश्न सांसारिक बातें, शय्यातरपिण्ड ग्रहण, द्यूतक्रीड़ा, धर्मविरुद्ध कथन, जूता, छाता, पंखे से हवा करना, गृहस्थ पात्र-वस्त्र-सेवन, कुर्सी-पलंग का उपयोग गृहस्थ के घर में बैठना, उनका कुशल पूछना, पूर्वक्रीड़ितस्मरण, यश-कीर्ति, प्रशंसा, वन्दन-पूजन, असंयमोत्पादक अशन-पान तथा भाषादोष साधु के संयम धर्म को दूषित करने वाले आचार व्यवहार के त्याग का उपदेश है। - उद्देशकरहित इस अध्ययन की कुल 36 (चूणि के अनुसार 17) गाथाएँ हैं। . यह अध्ययन सूत्रगाथा 437 से प्रारम्भ होकर 472 पर समाप्त होता है / 0000 3 (क) सूयगडंग सुत्तं (मूलपाठ टिप्पण) पृ० 76 से 84 तक का सारांश (ख) जनसाहित्य का बृहद् इतिहास भाग 1 पृ० 146-150 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org