Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 838
________________ 730 WWW 0 . xKM 256] [सूत्रकृतांगसूत्र-द्वितीय तस्कन्ध संघायं 664 ससुद्ध 854 संजए (ते) 786, 854 हडिबंधणं (हडिबन्धन) 713 संजमजातामातावुत्तियं (संयम यात्रा मात्रा वृत्तिका) हढत्ताए (हठत्व) 688 हत्था संजमेण 714-854 हत्थच्छिण्णयं 713 संजलण 704 हत्थिजामे (हस्तियाम) संजूहेणं (संयूथेन) हयलक्खणं संजो(यो)गे 732, 724 हरतणुए (हरतनुक) संडासगं (संदंशक) हरिए(ते)हि संडासतेणं हरियजोणियाणं 731 संतसार हरियाण(ण) 727, 726, 731 संता संतिमगं (शान्तिमार्ग) हरियाले 745 हव्वाए 636,640 संतिविरति संदमाणिया (स्यन्दमानिका) हस्समंता 667 हारविराइतवच्छा संधिच्छेदगभावं 714 हालिद्दे 646 संधी संपराइयं हिंगुलए 747 संपरायंसि हिंसादण्डवत्तिए 667 संपहारेत्थ हिंसादंडे 664, 667 818 हिमए (हिमक) 736 संभारकडेण हियइच्छितं 710 संवच्छरेण 838-840 हिययाए संवरे ওও हिययुप्पाडिययं 713 संवसमाणे 704 हिरण 668, 713 संबडस्स 706 हीणे संसठ्ठचरगा 714 हीलणाग्रो 714 संसठ्ठ 732 हेउ 676, 746, 807 संसार 835 हंता( = हन्ता) संसारकंतारं 720 हंता (हन्त !) 853-855 संसारिया (सांसारिक) 846, 851, 852 हंसगब्भ 745 संसारियं 718 ह्रस्समंता (हस्ववत्) 646, 664, 711 संसारे 776 हस्से (ह्रस्व) 746 .9 Purpurur U19 murror संभवो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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