Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ विषयानुक्रमणिका [द्वितीय श्रु तस्कंध : अध्ययन 1 से 7 तक] पोंडरीक : प्रथम अध्ययन : पृष्ठ 1 से 51 सूत्रांक मना सूत्र परिचय अध्ययन परिचय पुष्करिणी और उसके मध्य में विकसित पुण्डरीक का वर्णन 639-42 श्रेष्ठ पुण्डरीक को पाने में असफल चार पुरुष 643 उत्तम श्वेत कमल को पाने में सफल : निस्पृह भिक्षु 644-45 दृष्टान्तों में दान्तिक की योजना 646-47 धर्मश्रद्धालु राजा ग्रादि के मस्तिष्क में अन्यतीथिकों द्वारा स्वधर्मप्रवेश का तरीका 648-53 प्रथम पुरुष : तज्जीव तच्छरीरवादी का वर्णन 654-58 द्वितीय पुरुष : पाञ्चमहाभूतिक : स्वरूप विश्लेषण 659-62 तृतीय पुरुप : ईश्वर कारणवादी : स्वरूप और विश्लेषण ईश्वर कारणवाद का मन्तव्य : ग्रात्माद्वंत बाद का स्वरूप : प्रात्मात वाद-युक्तिविरुद्ध 663-66 चतुर्थ पुरुष : नियतिवादी : स्वरूप और विश्लेषण 667-76 भिक्षावृत्ति के लिए समुद्यत भिक्षु के लिए वैराग्योत्पादक परिज्ञान सूत्र 677-78 गृहस्थवत् आरभ-परिग्रह युक्त श्रमण-माहन और इन दोनों से मुक्त निर्ग्रन्थ भिक्षु 679-93 पंचम पुरुष : अनेक गुण विशिष्ट भिक्षु 25 क्रियास्थान : द्वितीय अध्ययन : पृष्ठ 52 से 105 52-53 54 प्राथमिक परिचय संसार के समस्त जीव तेरह क्रियास्थानों में [क्रियास्थान : परिभाषा, दण्डसमादान : क्रियास्थानों द्वारा वर्णवन्ध] प्रथम क्रियास्थान : अर्थदण्ड प्रत्यायिक द्वितीय क्रियास्थान : अनर्थदण्ड प्रत्ययिक तृतीय क्रियास्थान : हिसादण्ड प्रत्ययिक चतुर्थ क्रियास्थान : अकस्माद् दण्ड प्रत्ययिक पंचम क्रियास्थान : दष्टि विपर्यास दण्ड प्रत्यायिक छठा क्रियास्थान : मृपावाद प्रत्यायिक सप्तम क्रियास्थान : अदत्तादान प्रत्ययिक 699 700 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org