Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 824
________________ 242 ] [ सूत्रकृतांगसूत्र-द्वितीय श्र तस्कन्ध नियम 682 पडिपुण्णुकोसकोट्ठागाराउहधरे नियलजयलसंकोडियमोडियं 713 पडिपुण्णं 714, 713, 854, 856, 865 नियं 779 पडिपेहित्ता 710 निरए 651 पडिबद्धसरीरे 710 निरालंबणा 714 पडिबंध निरावरणं 714 पडिमट्ठादी (प्रतिमास्थायी) 714 निरूवलेवा 714 पडिरूव 638, 640, 641, 642, निरंतररायलक्खणविरातियंगमंगे 643, 811, 842 निलयबंधणं 713 पडिलेहाए निव्वाघातं 714 पडिलंभो 785 निव्वाण 689, 717 पडिविरत (य) 683, 852, 859 निव्वाणमग्गं 854 पडीणं 646, 865 निवेसए 765-781 पडुच्च निम्विगतिया 714 पडुप्पण्णा (ना) 680, 707 निवितिगिछा (निर्विचिकित्सा) 715 पढमसमए 707 निवेहलियत्ताए पणगत्ताए 730 निसणे 641,642 पण्ण 388, 792, 805 निसम्म 845, 854, 869 पण्णत्तारो 647 निस्संकिता 715 पण्णवर्ग (प्रज्ञापक) 748, 846 निहयकंटकं 646 पण्णा 751 निहयसत्तू 646 पण्णामदेण (प्रज्ञामदेन) नेरइए 710 पतत्ताए नेव्वाणं 645 पत्तिय 870, 871 पइण्णं 846 पत्तेयं 674, 749, 750 पउमवरपोंडरीय 638-643, 692 पदाणं 270 पक्कमणि (प्रक्रमणी) 708 पदुद्दे सेणं पक्खी (पक्षी) 834 पदेसे पगाढ 713 पन्नगभूतेणं पच्चक्खाणकिरिया 747 पभाए पच्चस्थिमाओ 641 पभूतं पच्छा (पश्चात्) 732 पमाणजुतं पच्छामेव 862 पयाणे 718, 719 पज्जत्तगा 751 पयलाइयाणं पट्टणधायंसि 699 पयह पडिकोसह 848 पयाहिणं (प्रदक्षिण) 873 पडिग्गह 652, 707 पयं 657 ANG X KKA 687 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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