Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text ________________ 250 ] [ सूत्रकृतांगसूत्र-द्वितीय श्रुतस्कन्ध 0 646 लिग Hill door रायगिह 842 लावग 668,710, 713 रायपुर 746 लावगलक्खणं राया लिंग रायाभियोगेण 803 लुक्खे रालयं लूहचरगा रिद्धिस्थिमितसमिद्ध लहाहारा रुइला (ले) (रुचिर) 643, 663 रुक्ख (रुक्ख-वृक्ष) 660, 713, 723, 726 लेए 843 730 लेच्छइपुत्ता (लिच्छविपुत्र) रुक्खत्ताए 723, 726 लेच्छई (लिच्छवि) रुक्खजोणि 723, 724, 736 लेण (लयन) 688, 660, 708, 710 रुक्खजोणिय 723, 724, 721 / लेणकाले 688,710 रुक्खवक्कमा 723, 724 लेयस्स रुक्खसंभवा 723, 724 लेलूण (लेष्टु) 676, 704, 753 लेसणि (श्लेषणी) 708 रुप्प 745 लेसाए रुयए 746 लोए 765, 800, 837 रुहिरवुट्ठि 708 लोग 645, 760 रूव 668, 683, 713, 714, 766 लोभ 783, 774, 8.46 रूवमएण 703 लोभवत्तिए 664, 706 रूवगसंववहारामो 713 लोमपक्खीण 737 रोइयं 870 लोमुक्खणणमातं 676, 753 रोएमि 870 लोय 645,835, 836 रोएहि 871 लोलुवसंपगाढे 830 रोगातं (यं) क 666, 672, 673 लोहित (य) पाणि 713, 822 लपंडसाईणो (लगण्डशायी) 714 लोहिते 646 लग्गा 836 लोहियक्खे 746 लट्ठि 710 751 लद्धपुन्वं 672 वइगुत्त 707,714 लद्धावलद्ध-माणावमाणणाओ 714 वइरे लयाए 745 704 लवालवा वइवत्तिए 748 लवावसक्की 762 वइसमित (य) 707,714 लहुए 646 वग्घारियसोणिसुत्तगमल्लदामकलावे 710 लहुन्भूया 714 वच्चा (उक्त्वा) 636, 718 लावियं 686 लाभमदेण 703 वज्भ (वध्य) 783 55 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847