Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text ________________ [253 हित्तीय परिशिष्ट : विशिष्ट शब्दसूची] सद्द 664 समं न) 523 सणिचिदिया 751 समाउमा (समायुष्का) सण्णं 765,781 समादाए 746-750 सतंता 656 समाहि (समाधि) 841, 842 सत्तमे 700 समाहिजुत्ता सत्थपरिणामितं (शस्त्रपरिणमित) 688 समाहिपत्ता 715 सत्यातीतं 688 समित (य) 707, 747, (746), 804, सत्थारो (शास्तारः) 757 समियाचारा 784 सदा जते 747 (746) समुक्कसे 703 643, 668, 683, 713 समुग्गपक्खीणं (समुपक्षी) 737 सद्धि (सार्द्ध म्) 666, 704 समुदाणचरगा 714 सनिमित्त 644 समुद्द 820, 841 सन्निवेसघायंसि 837 सपडिक्कमणं 872, 873 सयण 688, 660, 708,710, 713 सपरिग्गहा 677, 678 सयणकाले 688, 710 सपुवावरं 710 सरडाणं (स सप्पि 732, 734 सरथाण 736 सपिप्पलीयं सरलक्खणं 708 सप्पुरिसेहि 764 सरीरजोणिया 746 सभागतो 788 सरीरवक्कमा 746 समएणं 842 सरीरसमुस्सएणं 750 समठे 750,855 सरीसंभवा 745, 746 समण 644, 647, 693, 706, 710, सरीराहारा 746 719, 787, 790, 792,795, सरीरे 768, 805, 806,846, 847, सल्ल 855, 857, 867, 869, 873 सल्लकतणं 854 समणक्ख (समनस्क) 748 सवाय 840, 845-848, 851, 852 समणगा सव्वजीव 852 समणमाहणपोसणयाए 696, 699 सव्वजोणिया 752 समणमाहणवत्तियहेउं सव्वत्ताए समणव्वतेसु 840 सव्वदुक्ख 720, 721, 783, 854 समणोपासग 846, 851, 852. 853 सव्वपाण ___ 852, 854, 865 856-865 सव्वपाण-भूत-जीव-सत्त हिं 706, 865 समणोवासए (श्रमणोपासक) 843, 847 सवपयाणुकंपी 811 समणोवासगपरियागं सव्वप्पणताए 723 समत्तरूवो सव्वप्पणाए 723 समत्त सव्वफासविसहा 714 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847