Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 828
________________ [सूत्रकृतांगसूत्र-द्वितीय श्रु तस्कन्ध वहिया 842,844 बुइय 638, 645 814, 821, 828 816 768 677, 754 682, 714 806 803 671, 619, 704, 713 اللهم To 853 671, 666, 704, 713 716 647 647 बहुउदगा 638 बुद्धिमंता बहुजणबहुमाणपूतिते 646 व्य बहुजणस्स 843 बोहीए बहुजण्णमत्थं 788 बंधणपरिकिलेसातो बहुतरगा 852, 856, 858, बंधे 862-864 बंभचेर वहुदासी-दास-गो-महिस-गवेलगप्पभूते 646 बंभचरेवासं 843 भवति बहुपडिविरया 706, 861 भएणं वहुपुक्खला 638 भगिणी बहुसेया 638 भगिणीमरणाणं बहुसंजया 706,861 भग्गे बहूण भज्जा वाणेण 38 भज्जामरणाणं बादरकाए / 745 भट्टपुत्ता बारसमे 706 भद्रा बाल 640, 641,664,716, भत्तपाणनिरूद्धियं 746, 752, 824 भत्तपाणपडियाइक्खिया बालकिच्चा 803 भत्तीए बालपंडिते 716 भत्त बावीसं 714 भयए वाहा 675 भयं बाहिरगमेतं 671, 675 भयंतारो बाहिरिया 713, 842, 843, 844 भवित्ता बाहि 713 भव्य 707 भाइमरणाणं 688 भाइल्ले (भागिक) बीएहिं 731 भाईहिं बीओदग 765 भाणियव्व बीओदगभोति 766 भातीहिं बीयकाया 722 भाया बीयकायं 763, 794 भारोक्ता बीयजोणियाणं 731 भारंडपक्खी बीयाणं 723, 724 भासुरबोंदी 9 9 xmox बितीयसमए बिलं 753 647 856, 857, 865 ওওও 719 713 704 726, 736 666 671, 713 710, 714 714 714 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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