Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text ________________ 230 ] [ सूत्रकृतांगसूत्र-द्वितीय श्रुतस्कन्ध इरियासमित (य) 706, 714 उदगपोक्खले इसि 663, 826 उदगबुब्बुए इसोयं 650 उदगसाला 844 इस्सरकारणिए 656, 662 उदगसंभवा 726, 730 इस्सरियमद 703 उदय (उदक) 636, 640, 641, 645 उक्कापाय 708 726, 730, 731, 740 उक्कंचण 713 741,748 उक्खित्तचरगा 714 उदय 806.810 उक्खित्तणिक्खित्तचरगा 14 उदय (पेढालपुत्रः) 845, 847,848 उक्खूतो 650 851, 870-873 उदयट्ठी 805,806 उग्गमुप्पायणेसणासुद्धं 688 उदर 675 उग्गह (हि) ए 714 उदसी 650 उग्गा उदाहडं उच्चागोता (या) 646, 667,664 / / उदीण उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिट्ठावणिया- उदीरिया 707 समित (य) 706, 714 उदय उच्चावया 714 उद्दिभत्तं 823, 826 उज्जया उद्धियसत्तू 646 उज्झिउं उद्धियकंटक उठाए 854 उन्निक्खिस्सामि 636-641, 643 उड्ढभागी 736 उन्निक्खेय (त) व्वं 640, 641, 642 उड्ढसालाग्रो 643 उड्ढाण 710 उप्पणि उड़द 800, 817 उप्पायं उण्णिविखस्सामो 642, 643 उब्भिज्जमाणे 635, 733 उत्तरपुरस्थिमे 842, 844 उत्तरातो उरप्परिसप्पथलचरप्पचिदियतिरिक्ख जोणियाणं उदग (= उदक) 713, 726, 740, 741 742 उरपरिसप्पाणं 736, 737 उदग (पेढालपुत्रः) 847, 848, 852, उरभिए 706 867-866 उरभियभावं 706 उदगजाए उरब्भं (उरभ्र) 823 उदगजोणिय 726, 730, 740, 741 / / उरालमाहारं 742 उलूगपत्तलहुया 705 उदगतलमतिवतित्ता 713 उल्लंविययं 713 उदगत्ताए 730, 740, 741 उवकरणं 667 708 642 0ii Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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