Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text ________________ द्वितीय परिशिष्ट : विशिष्ट शब्दसची ] [231 854 732 0 0 6 GGG 0 0 675 उवचरगभावं (उपरवभाव) 706 एत्ताव उवचरित्त 706 एत्थं उवजीवणिज्जे 710 एलमूयत्ताए (एलमूकत्व) 706, 712, 861 उवजोवंति 718 एवंगुणजातीयस्स 748 उवधारियाणं 870 एसकालं 832 उवलद्धपुण्णपावा 715 एसणासमित (य) 707,714 उववन्ना(ण्णा) णं 846, 847, 851, 852 एसियं 688 उदबाइए 646 प्रोयणं उसिणे 646 प्रोयं (प्रोजस्) 732, 733 उसिणोदगवियडेण 704 अोलोइए 820 उसु (इषु) 668 अोलंबितयं (अवलम्बित) उस्सणं ओवणि हिता उस्सासनिस्सासेहि 714 ओवतणि ग्रोसहभेसज्जेणं ऊसविय (उच्छित्य) 666 प्रोसहि 710, 726, 726, 731 ऊसितफलिहा (उच्छितफलका) ओसहिजोणियाणं ऊसिया ओसा एककारसमे 705 प्रोसोवणि 708 एगखुराणं 734 मोहयकंटक 646 एमच्चा 714,715, 860 ओहयमणसंकप्पे एगजाया 714 ओहयसत्त 646 एगट्ठा 664, 848 अकडुया 714 एगदेसेणं 732, 733 अंके 745 एगपाणाए 852 अंग 708 एगपाणातिवायविरए 841 अंजणं 681 एगंतचारी 787 अंज 677, 766 एगंतदंडे 747, 746, 752 अंड 733, 735 एतबाले 747, 746, 752 अंडए 714 एगंतमिच्छे 710,712,713, 716 अंतचरगा 714 एगंतमेव 789 अंतजीवी 714 एगतयं 760 अंतद्धाणि 708 एगतसम्मे 714, 715,716 अंतरदीवगाणं 732 एगंतसुत्ते 747, 746, 752 अंतरा 636, 640, 641, 643 एतारूव 714, 854, 855 अंतलिक्खं 708 एताव 657 अंताहारा 714 एतावया (एतावता) 806 अंतिए 661,866, 872, 873 702 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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