Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 782-85 कतिपय निषेधात्मक आचारसूत्र 786 जिनोपदिष्ट प्राचारपालन में प्रगति करे 163 प्रार्द्रकीय : छठा अध्ययन : पृष्ठ 164 से 183 प्राथमिक 787-92 भगवान महावीर पर लगाये गये आक्षेपों का प्राकमुनि द्वारा परिहार 793-800 गोशालक द्वारा सुविधाबादी धर्म की चर्चा : पाक द्वारा प्रतिवाद 801-4 भीरु होने का प्राक्षेप और समाधान 805-11 गोशालक द्वारा प्रदत्त वणिक की उपमा का आद्रक द्वारा प्रतिवाद 811-28 बौद्धों के अपसिद्धान्त का आर्द्रक द्वारा खण्डन एवं स्व-सिद्धान्त का मंडन 829-31 पशुवध समर्थक मांसभोजी ब्राह्मणों को भोजन का फल 832-37 सांख्यमतवादी एकदण्डिकों के साथ तात्विक चर्चा 838-40 हस्तितापसों का विचित्र अहिंसामत : पाक द्वारा प्रतिवाद 841 दुस्तर संसार-समुद्र को पार करने का उपाय : रत्नत्रय रूप धर्म 167 170 171 174 178 176 नालन्दकीय : सप्तम अध्ययन : पृष्ठ 184 से 217 187 प्राथमिक 842-44 नालन्दानिवासी लेप श्रमणोपासक और उसकी विशेषताएं 845 उदक निग्रन्थ की जिज्ञासा : गणधर गौतम की समाधानतत्परता 846-47 उदक निर्ग्रन्थ की प्रत्याख्यान विषयक शंका : गौतमस्वामी द्वारा स्पष्ट समाधान (गपति चोर विमोक्षण न्याय : (उदक निम्रन्थ की भाषा में दोष) 848-50 उदक निग्रन्थ द्वारा पुन: प्रस्तुत प्रश्न और गौतमस्वामी द्वारा प्रदत्त सटीक उत्तर 851-52 उदक की आक्षेपात्मक शंका: गौतम का समाधान 853-55 निग्रंथों के साथ श्रीगौतम स्वामी के संवाद 856-66 दष्टान्तों और युक्तियों द्वारा श्रमणोपासक प्रत्याख्यान की निविषयता का निराकरण 867-73 कृतज्ञताप्रकाश की प्रेरणा और उदक निग्रन्थ का जीवनपरिवर्तन परिशिष्ट 188 192 194 196 201 214 गाथाओं को अकरादि अनुक्रमणिका विशिष्ट शब्दसूची अर्थसहयोगी सदस्यों की शुभ नामावली 223 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org