Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ प्राथमिक 0 अथवा इस अध्ययन की प्रथम गाथा में 'आहत्तहियं' (यथातथ्य) शब्द का प्रयोग हुआ है, इस आदिपद को लेकर इस अध्ययन का नाम 'याथातथ्य' दिया गया है।' / प्रस्तुत अध्ययन में 23 गाथाओं द्वारा साधुओं के गुण-दोषों की वास्तविक स्थिति पर प्रकाश डाला गया है। - यथातथ्य व्याख्यान और तदनुसार आचरण से साधक को संसार सागर पार करने योग्य बनाना इस अध्ययन का उद्देश्य है। 0 प्रस्तुत अध्ययन सूत्रगाथा 557 से प्रारम्भ होकर 576 पर समाप्त होता है / 1 (क) सूत्रकृतांग नियुक्ति गा० 122 से 126 तक (ख) सूत्रकृतांग शीलांक वृत्ति पत्रांक 230-231 (ग) जैन साहित्य का वृहद् इतिहास भा० 1 पृ० 153 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org