Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________ 428 प्राथमिक मिच्छा, तहक्कार आदि) की शिक्षा लेता है, वह शिक्षाशिष्य कहलाता है। शिष्य की तरह आचार्य या गुरु भी दो प्रकार के होते हैं-दीक्षागुरु और शिक्षागुरु / अतः इस अध्ययन में मुख्यतया यह बताया गया है कि ग्रन्थ-त्यागी शिक्षा शिष्य (शैक्षिक) और शिक्षागुरु कैसे होने चाहिए? उन्हें कैसी प्रवृत्ति करनी चाहिए? उनके दायित्व और कर्तव्य क्या-क्या हैं ? इन सब तथ्यों का 27 गाथाओं द्वारा इस अध्ययन में निरूपण किया गया है। // यह अध्ययन 580 सूत्रगाथा से प्रारम्भ होकर सूत्र गाथा 606 पर समाप्त होता है। 00 (क) सूत्रकृतांग शीलांक वृत्ति पत्रांक 241 (ख) जैन साहित्य का वृहद इतिहास भा० 1 पृ० 154 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org