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TET
ETC
પ્રય જીર્ણોદ્ધાર
-: સંયોજક :શ્રી આશાપૂરણ પાર્શ્વનાથ જૈન જ્ઞાનભંડાર શા. વિમળાબેન સરેમલ જવેરચંદજી બેડાવાળા ભવના હીરાજૈન સોસાયટી, સાબરમતી, અમદાવાદ-૩૮૦૦૦૫. - મો. ૯૪૨૬૫ ૮૫૯૦૪ (ઓ.) ૦૭૯-૨૨૧૩૨૫૪૩ ;
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“અહો શ્રુતજ્ઞાનમ” ગ્રંથ જીર્ણોધ્ધાર ૧૧૫
પ્રાચિન લેખ સંગ્રહ ભાગ-૧
: દ્રવ્ય સહાયક:
પૂજ્ય બાપજી મ.સા.ના સમુદાયના પૂ. સાધ્વીજી શ્રી પૂર્ણભદ્રાશ્રીજી મ.સા.ની પ્રેરણાથી ખારાકુવાની પોળ, રીલીફ રોડ, અમદાવાદના શ્રાવિકા ઉપાશ્રયના જ્ઞાનખાતાની ઉપજમાંથી
: સંયોજક : શાહ બાબુલાલ સરેમલ બેડાવાળા
શ્રી આશાપૂરણ પાર્શ્વનાથ જૈન જ્ઞાન ભંડાર શા. વીમળાબેન સરેમલ જવેરચંદજી બેડાવાળા ભવન હીરાજૈન સોસાયટી, સાબરમતી, અમદાવાદ-380005
(મો.) 9426585904 (ઓ.) 22132543 સંવત ૨૦૬૭ ઈ.સ. ૨૦૧૧
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"Aho Shrut Gyanam"
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અહો શ્રુતજ્ઞાનમ્ ગ્રંથ જીર્ણોદ્ધાર – સંવત ૨૦૬૫ (ઈ. ૨૦૦૯) સેટ નં-૧
ક્રમાંક
પુસ્તકનું નામ
કર્તા-ટીકાકા-સંપાદક
001
002
003
004
005
006
007
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011
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020
021
022
023
024
025
026
027
श्री नंदीसूत्र अवचूरी
श्री उत्तराध्ययन सूत्र चूर्णी
श्री अर्हद्गीता - भगवद्गीता
श्री अर्हच्चूडामणि सारसटीकः
श्री यूक्ति प्रकाशसूत्रं
श्री मानतुङ्गशास्त्रम्
अपराजित पृच्छा
शिल्प स्मृति वास्तु विद्यायाम् शिल्परत्नम्भाग-१
शिल्परत्नम्भाग - २
प्रासादतिलक
काश्यशिल्पम्
प्रासादमञ्जरी
राजवल्लभ याने शिल्पशास्त्र
शिल्पदीपक
वास्तुसार
पर्णव उत्तरार्ध
જિનપ્રાસાદમાર્તણ્ડ
जैन ग्रंथावली
હીરકલશ જૈનજ્યોતિષ
न्यायप्रवेशः भाग - १
दीपार्णव पूर्वार्ध
अनेकान्त जयपताकाख्यं भाग-१
अनेकान्त जयपताकाख्यं भाग २
प्राकृत व्याकरण भाषांतर सह
तत्त्पोपप्लवसिंहः
शक्तिवादादर्शः
पू. विक्रमसूरिजीम. सा.
पू. जिनदासगणिचूर्णीकार
पू. मेघविजयजी गणिम. सा.
पू. भद्रबाहुस्वामीम. सा.
पू. पद्मसागरजी गणिम. सा.
पू. मानतुंगविजयजीम. सा.
श्री बी. भट्टाचार्य
श्री नंदलाल चुनिलालसोमपुरा
| श्रीकुमार के. सभात्सवशास्त्री
श्रीकुमार के. सभात्सवशास्त्री श्री प्रभाशंकर ओघडभाई
श्री विनायक गणेश आपटे
श्री प्रभाशंकर ओघडभाई
श्री नारायण भारतीगोंसाई
श्री गंगाधरजी प्रणीत
श्री प्रभाशंकर ओघडभाई
श्री प्रभाशंकर ओघडभाई
શ્રી નંદલાલ ચુનીલાલસોમપુરા
श्री जैन श्वेताम्बरकोन्फ्रन्स
શ્રી હિમ્મતરામમહાશંકર જાની
श्री आनंदशंकर बी. ध्रुव
श्री प्रभाशंकर ओघडभाई
पू. मुनिचंद्रसूरिजीम. सा.
श्री एच. आर. कापडीआ
श्री बेचरदास जीवराजदोशी
श्री जयराशी भट्ट बी. भट्टाचार्य
श्री सुदर्शनाचार्य शास्त्री
પૃષ્ઠ
238
286
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| क्षीरार्णव
| श्री प्रभाशंकर ओघडभाई 029 वेधवास्तुप्रभाकर
श्री प्रभाशंकर ओघडभाई | 030 શિલ્પપત્રીવાર
| श्री नर्मदाशंकरशास्त्री 031. प्रासाद मंडन
पं. भगवानदास जैन 032 | શ્રી સિદ્ધહેમ વૃત્તિ વૃતિ અધ્યાય પૂ. ભવિષ્યમૂરિનીમ.સા. 033 श्री सिद्धहेम बृहद्वृत्ति बृहन्न्यास अध्यायर पू. लावण्यसूरिजीम.सा. 034 | શ્રીસિમ વૃત્તિ ચૂક્યાસ અધ્યાય છે પૂ. ભાવસૂરિનીમ.સા. 035 | શ્રીસિમ વૃત્તિ ચૂદાન અધ્યાય (ર) (૩) પૂ. ભવિષ્યમૂરિનીમ.સા. 036 श्री सिद्धहेम बृहद्वृत्ति बृहन्न्यास अध्याय५ पू. लावण्यसूरिजीम.सा. વાસ્તુનિઘંટુ
પ્રભાશંકર ઓઘડભાઈ સોમપુરા તિલકમન્નરી ભાગ-૧
પૂ. લાવણ્યસૂરિજી 039 | તિલકમન્નરી ભાગ-૨
પૂ. લાવણ્યસૂરિજી 040 તિલકમઝરી ભાગ-૩
પૂ. લાવણ્યસૂરિજી સપ્તસન્ધાન મહાકાવ્યમ
પૂ. વિજયઅમૃતસૂરિશ્વરજી 042 સપ્તભીમિમાંસા
પૂ. પં. શિવાનન્દવિજયજી ન્યાયાવતાર
સતિષચંદ્ર વિદ્યાભૂષણ વ્યુત્પત્તિવાદ ગુઢાર્થતત્ત્વાલોક
શ્રી ધર્મદત્તસૂરિ (બચ્છા ઝા) 045 | સામાન્ય નિયુક્તિ ગુઢાર્થતત્ત્વાલોક | શ્રી ધર્મદત્તસૂરિ (બચ્છા ઝા). 046 | સપ્તભળીનયપ્રદીપ બાલબોધિનીવિવૃત્તિઃ
પૂ. લાવણ્યસૂરિજી 047 વ્યુત્પત્તિવાદ શાસ્ત્રાર્થકલા ટીકા
શ્રીવેણીમાધવ શાસ્ત્રી 048 | નયોપદેશ ભાગ-૧ તરકિણીતરણી પૂ. લાવણ્યસૂરિજી નયોપદેશ ભાગ-૨ તરકિણીતરણી
પૂ. લાવણ્યસૂરિજી 050 ન્યાયસમુચ્ચય
પૂ. લાવણ્યસૂરિજી 051 સ્યાદ્યાર્થપ્રકાશઃ
પૂ. લાવણ્યસૂરિજી દિન શુદ્ધિ પ્રકરણ
પૂ. દર્શનવિજયજી 053 | બૃહદ્ ધારણા યંત્ર
પૂ. દર્શનવિજયજી | જ્યોતિર્મહોદય
સં. પૂ. અક્ષયવિજયજી
041.
480
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પાદક | પૃષ્ઠ !
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અહો શ્રુતજ્ઞાનમ ગ્રંથ જીર્ણોદ્ધાર- સંવત ૨૦૬૬ (ઈ. ૨૦૧૦ - સેટ નં-૨ ક્રમ પુસ્તકનું નામ
ભાષા કર્તા-ટીકાકા(સંપાદક 055 | श्री सिद्धहेम बृहद्वत्ति बूदन्यास अध्याय-६
पू. लावण्यसूरिजीम.सा.
296 056 | विविध तीर्थ कल्प
पू. जिनविजयजी म.सा. 057 | भारतीय हैन श्रम। संस्कृत सने मना . पू. पूण्यविजयजी म.सा.
164 058 | सिद्धान्तलक्षणगूढार्थ तत्त्वलोकः
| सं श्री धर्मदत्तसूरि 059 व्याप्ति पञ्चक विवृत्ति टीका
श्री धर्मदत्तसूरि 0608न संगीत रामाका
| . श्री मांगरोळ जैन संगीत मंडळी 306 061 चतुर्विंशतीप्रबन्ध (प्रबंध कोश)
| श्री रसिकलाल एच. कापडीआ | 062 व्युत्पत्तिवाद आदर्श व्याख्यया संपूर्ण ६ अध्याय सं श्री सुदर्शनाचार्य
668 | 063 चन्द्रप्रभा हेमकौमुदी
पू. मेघविजयजी गणि
516 064 विवेक विलास
सं/J. | श्री दामोदर गोविंदाचार्य
268 065 | पञ्चशती प्रबोध प्रबंध
सं पू. मृगेन्द्रविजयजी म.सा. 456 066 सन्मतितत्त्वसोपानम्
|सं पू. लब्धिसूरिजी म.सा. 0676शमादा ही गुशनुवाई | गु४. पू. हेमसागरसूरिजी म.सा.
638 068 मोहराजापराजयम्
सं पू. चतुरविजयजी म.सा.
192 069 | क्रियाकोश
सं/हिं श्री मोहनलाल बांठिया
428 | कालिकाचार्यकथासंग्रह
सं/J. श्री अंबालाल प्रेमचंद | 071 सामान्यनिरुक्ति चंद्रकला कलाविलास टीका सं. श्री वामाचरण भट्टाचार्य |
308 072 | जन्मसमुद्रजातक
सं/हिं श्री भगवानदास जैन
128 073 | मेघमहोदय वर्षप्रबोध
सं/हिं श्री भगवानदास जैन
532 0748न सामुदिनi in jथो
J४. श्री हिम्मतराम महाशंकर जानी 0758न चित्र पदूम साग-१
४४. श्री साराभाई नवाब
374
420
070
406
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076 | જૈન ચિત્ર કલ્પવ્રૂમ ભાગ-૨
સંગીત નાટ્ય રૂપાવલી
077
079
078 ભારતનાં જૈન તીર્થો અને તેનું શિલ્પસ્થાપત્ય શિલ્પ ચિન્તામણિ ભાગ-૧ 080 બૃહદ્ શિલ્પ શાસ્ત્ર ભાગ-૧ 081 બૃહદ્ શિલ્પ શાસ્ત્ર ભાગ-૨
082 બૃહદ્ શિલ્પ શાસ્ત્ર ભાગ-૩
| 083 | આયુર્વેદના અનુભૂત પ્રયોગો ભાગ-૧
084
કલ્યાણ કારક
183 વિધઓપન જોશ
086
કથા રત્ન કોશ ભાગ-1
કથા રત્ન કોશ ભાગ-2
087
188 હસ્તસીવનમ્
089 એન્દ્રચનુવિંશતિકા
090
સમ્મતિ તર્ક મહાર્ણવાવતારિકા
ગુજ.
ગુજ.
ગુજ.
ગુજ.
ગુજ.
ગુજ.
श्री साराभाई नवाब
श्री विद्या साराभाई नवाब
श्री साराभाई नवाब
સં.
श्री मनसुखलाल भुदरमल
श्री जगन्नाथ अंबाराम
श्री जगन्नाथ अंबाराम
श्री जगन्नाथ अंबाराम
पू. कान्तिसागरजी
श्री वर्धमान पार्श्वनाथ शास्त्री
ગુજ.
ગુજ.
ગુજ.
सं./ हिं श्री नंदलाल शर्मा
ગુજ.
ગુજ.
સં.
સં.
श्री बेचरदास जीवराज दोशी
श्री बेचरदास जीवराज दोशी
पू. मेघविजयजीगणि
पू. यशोविजयजी, पू. पुण्यविजयजी
आचार्य श्री विजयदर्शनसूरिजी
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238
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श्री आशापूरण पार्श्वनाथ जैन ज्ञानभंडार
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संयोजक-शाह बाबुलाल सरेमल - (मो.) 9426585904 (ओ.) 22132543 - ahoshrut.bs@gmail.com
शाह वीमळाबेन सरेमल जवेरचंदजी बेडावाळा भवन
हीराजैन सोसायटी, रामनगर, साबरमती, अमदावाद-05. अहो श्रुतज्ञानम् ग्रंथ जीर्णोद्धार-संवत २०६७ (ई. 2011) सेट नं.-३ प्रायः अप्राप्य प्राचीन पुस्तकों की स्केन डीवीडी बनाई उसकी सूची।यह पुस्तके वेबसाइट से भी डाउनलोड कर सकते हैं। क्रम पुस्तक नाम
कर्ता/टीकाकार भाषा संपादक/प्रकाशक स्याद्वाद रत्नाकर भाग-१
वादिदेवसूरिजी
मोतीलाल लाघाजी पुना स्यादवाद रत्नाकर भाग-२
वादिदेवसूरिजी
मोतीलाल लाघाजी पुना स्यावाद रत्नाकर भाग-३
वादिदेवसूरिजी
मोतीलाल लाघाजी पुना स्यावाद रत्नाकर भाग-४
वादिदेवसूरिजी
मोतीलाल लाघाजी पुना स्यावाद रत्नाकर भाग-५
वादिदेवसूरिजी
मोतीलाल लाघाजी पुना पवित्र कल्पसूत्र
पुण्यविजयजी
सं./अं
साराभाई नवाब 97 समराङ्गण सूत्रधार भाग-१
| भोजदेवसं . टी. गणपति शास्त्री 98 समराङ्गण सूत्रधार भाग-२
भोजदेव
टी. गणपति शास्त्री 99 भवनदीपक
पद्मप्रभसूरिजी
सं. वेंकटेश प्रेस 100 गाथासहस्त्री
समयसुंदरजी
सं. सुखलालजी भारतीय प्राचीन लिपीमाला
गौरीशंकर ओझा हिन्दी मुन्शीराम मनोहरराम 102 शब्दरत्नाकर
साधुसुन्दरजी
हरगोविन्ददास बेचरदास 103 | सुबोधवाणी प्रकाश
न्यायविजयजी
सं./गु हेमचंद्राचार्य जैन सभा 104 लघु प्रबंध संग्रह जयंत पी. ठाकर
ओरीएन्ट इस्टी. बरोडा 105 | जैन स्तोत्र संचय-१-२-३
माणिक्यसागरसूरिजी
आगमोद्धारक सभा 106 | सन्मतितर्क प्रकरण भाग-१,२,३ सिद्धसेन दिवाकर
सुखलाल संघवी सन्मतितर्क प्रकरण भाग-४,५ सिद्धसेन दिवाकर
सुखलाल संघवी 108 | न्यायसार - न्यायतात्पर्यदीपिका सतिषचंद्र विद्याभूषण
एसियाटीक सोसायटी
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जैन लेख संग्रह भाग - १
जैन लेख संग्रह भाग - २
जैन लेख संग्रह भाग - ३ जैन धातु
जैन प्रतिमा लेख संग्रह
प्रतिमा लेख भाग-१
पुरणचंद्र नाहर
पुरणचंद्र नाहर
पुरणचंद्र नाह कांतिसागरजी
दौलतसिंह लोढा
विशालविजयजी
विजयधर्मसूरिजी
राधनपुर प्रतिमा लेख संदोह
प्राचिन लेख संग्रह - १
बीकानेर जैन लेख संग्रह
प्राचीन जैन लेख संग्रह भाग - १
प्राचिन जैन लेख संग्रह भाग-२
गुजरातना ऐतिहासिक लेखो - १
गुजरातना ऐतिहासिक लेखो -२
गुजरातना ऐतिहासिक लेखो -३
ऑपरेशन इन सर्च ऑफ संस्कृत मेन्यु. पी. पीटरसन इन मुंबई सर्कल-१
ऑपरेशन इन सर्च ऑफ संस्कृत मेन्यु. पी. पीटरसन इन मुंबई सर्कल-४
अगरचंद नाहटा
जिनविजयजी
जिनविजयजी
गिरजाशंकर शास्त्री
गिरजाशंकर शास्त्री
गिरजाशंकर शास्त्री
ऑपरेशन इन सर्च ऑफ संस्कृत मेन्यु. पी. पीटरसन इन मुंबई सर्कल
कलेक्शन ऑफ प्राकृत एन्ड संस्कृत इन्स्क्रीप्शन्स
विजयदेव माहात्म्यम्
पी. पीटरसन
जिनविजयजी
सं./ह
सं./हि
सं./ह
सं./हि
सं./ह
सं./गु
सं. गु
सं./ह
सं./हि
सं./ह
सं. गु
सं./गु
सं./गु
अं.
अं.
अं.
सं.
पुरणचंद्र नाहर
पुरणचंद्र नाहर
पुरणचंद्र नाहर
जिनदत्तसूरि ज्ञानभंडार
अरविन्द धामणिया
यशोविजयजी ग्रंथमाळा
यशोविजयजी ग्रंथमाळा
नाहटा धर्स
जैन आत्मानंद सभा
जैन आत्मानंद सभा
फार्बस गुजराती सभा
फार्बस गुजराती सभा
फार्बस गुजराती सभा
रॉयल एशियाटीक जर्नल
रॉयल एशियाटीक जर्नल
रॉयल एशियाटीक जर्नल भावनगर आर्चीऑलॉजीकल डिपार्टमेन्ट, भावनगर जैन सत्य संशोधक
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404
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400
320
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COOLDU
प्राचीन लेख संग्रह.
(भाग १ लो.)
संग्राहक
जगत्पूज्य स्वर्गीय शास्त्रविशारद - जैनाचार्य
श्री विजयधर्मसूरि महाराज
सम्पादक
मुनिराज श्री विद्याविजयजी महाराज.
प्रकाशक
फूलचंदजी वेद
सेक्रेटरी, श्रीयशोविजय जैनग्रंथमाळा
भावनगर.
वीर सं. २४५१
मूल्य बे रुपया
धर्म सं. ७
इ. स. १९२९
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२०१२७
वडोदरा - श्री लहाणामित्र स्टीम प्रि. प्रेसमा ठक्कर अंबालाल विठ्ठलभाईए
प्रकाशक माटे छापी प्रसिद्ध कर्यु. ता.
१०-६-१९२९.
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जगत्पूज्य-श्री विजयधर्मसूरिभ्यो नमः
प्रस्तावना.
इतिहासनो विषय जेटलो कठिन छे, तेटलोन आवश्यकीय छे. कोई पण देश, जाति के समाजनी प्राचीन संस्कृति, सभ्यता, भाषा, व्यवहार, रीतरिवान विगेरेनुं ज्ञान इतिहासथीन थई शके छे, आवो शृंखलाबद्ध इतिहास तो त्यारेज लखी शकाय के ज्यारे पहेलां तेनी सामग्री एकठी करवामां आवे. सामग्री विना-साधन विना साध्य नथी साधी शकातुं. परन्तु इतिहासनी सामग्रीने भेगी करवी, ए शुं स्हेलु काम छे ? भारतवर्षनो-खास करीने जैनसमाजनो साचो इतिहास तो आजे धूळना ढगलाओमां, इंट-पत्थरनी दिवालोमां अने कीडाओना खाद्य एवा जर्नरित थयेला कागळोनां पृष्ठोमां समाएलो छे. आमाथी साचा इतिहासने तारवी काढवो एटले शुं ? संक्षेपमां कहीए तो इति. हासनी सामग्री एकठी करवी, एटले धुळधोयानो धंधो करवो. परन्तु आ धंधो करेज छूटको छे. भले सवा खांडीनी महेनतना परिणामे छटांक पण साचुं तत्त्व नीकळे. ए तत्त्व काढेज छूटको छे. एवा छूटा छूटा प्रयत्नोथी छटांक छटांक करतां घणुं तत्त्व भेगुं थई शकशे. अने एज संग्रहित कराएलं तत्त्व जैनधर्म अने जैनजातितुं मुख उज्ज्वल करशे. एटलुन नहिं परन्तु भारतवर्षनी प्राचीन संस्कृतिमां म्होटो प्रकाश पाडशे, कारण के, मले आजे जैनसमाज, भारतवर्षमां आटामां लूण बराबरनी हस्ती धरावती होय; परन्तु ए तो कोईपण इतिहासज्ञथी हवे अजाण्युं नथीन रह्यु के-भारतवर्षनो इतिहास, ए जैन इतिहासना अभावमां अपूर्णज रहेवानो. कोई पण भारतीय इतिहास लेखकने, जैन
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इतिहास उपर दृष्टि अवश्य नाखवीज पडशे. जैन इतिहासनो आश्रय लेवोन पडशे. अनेक जैन राजाओ अने जैन मंत्रीओ भारतवर्षना गौरवने जाळवी गया छे. अनेक जैन आचार्यो थई गया छे के-जेओनो न केवळ धार्मिक इतिहासमांज फाळो छे, बल्के जेमनां जीवनोनो संबंध एक या बीनी रीते भारतीय अजैन रानाओ साथे पण जोडायेलो हतो. अनेक भारतीय प्राचीन नगरीओ, यद्यपि जैन इतिहासमां उल्लेखाएली होवा छतां, एनो संबंध भारतना इतिहासनी साथे रहेलो छे. भारतीय साहित्य, भारतीय शिल्पकला, इतिहासोपयोगी शिलालेखो अने एवी सेंकडो बाबतो छ, के जेनुं रक्षण जैनोना हाथे वधारे थयु छे. अने एनुन ए कारण छे के-अत्यारे भारतवर्षना एक साचा-तटस्थ निष्पक्षपाती अने भारतना गौरवप्रेमी इतिहासकारने ए वस्तुस्थितिनुं साचुं ब्यान करवुन पडे छे. ___एक फ्रेंच विद्वान् डॉ. ए. गेरिलोटे, पोताना एक लेखमां (के जे 'जैनशासन ' नामक पत्रना विशेषांकमां प्रकट थयो छे ) लख्युं छे:
" ते शिलालेखोनो तथा जैनोना व्यावहारिक साहित्यनो अभ्यास, भारतवर्षना इतिहासमुं ज्ञान कराववामां सहाय रुप थई शकशे. "
इ. स. १९११ मां इतिहासना प्रखर विद्वान् महामहोपाध्याय पंडित गौरीशंकर हीराचंद ओझाए “ भारतवर्षना प्राचीन इतिहासनी सामग्री " ए नामर्नु एक पुस्तक लख्युं छे. तेमां तेमणे केटलाक जैनग्रंथोनां नाम आपी, ए ग्रंथो भारतीय इतिहासने माटे विशेष प्रकारे उपयोगी बताव्या छे.
गुजरातना स्वर्गीय साक्षर श्रीयुत मणिलाल बकोरभाई व्यासे, पोताना — विमल प्रबंध ' नी प्रस्तावनामां लख्यु छः
" राजतरंगिणी, कीर्तिकौमुदी के कान्हडदेप्रबंध जेवा अपवादने
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बाद करीए तो, आ काळना ब्राह्मणवर्गना विद्वानोने हाथे ऐतिहासिक रचना कई थई नयी, एम कहीए तो चाले. जैनसाधुओए ए दिशामां ब्राह्मणो करतां घणुं वधारे कर्यु छे. चावडा अने सोलंकी वंशना इतिहासने माटे आपणे जैनसाधुओना आभारी छीए विद्योत्तेजक महाराजा भोजनी कीर्ति आपणा सुधी पहोंचाडवा माटे पण जैनसाधुओनोज आपणे आभार मानवो पडशे. मुसलमानी राज्यकाळ पूर्वेनी गुजरातनी लोकस्थिति जैनसाधुओनी नोंधोथी आपणने प्रत्यक्ष थाय छे.” विगेरे.
उपर्युक्त कथनधी हवे स्पष्ट समजाय तेम छे के भारतवर्षीय इतिहासनो जैन इतिहासनी साथे घनिष्ट संबंध छे. अथवा एम कहेवू जोईए के जैन इतिहास, ए भारतीय इतिहासन अंग छे. आ एक अंग तैयार करवा माटे सौथी पहेलां तेनां साधनो तैयार करवां जोईए. आवा इतिहासने माटे जे साधनो छे ते आ छे:
१ प्राचीन ग्रंथोपरनी प्रशस्तिओ. २ प्राचीन मंदिरो संबंधी म्होटा शिलालेखो. ३ ऐतिहासिक रासाओ. ४ ताम्रपत्रो, दानपत्रो विगेरे. ५ जूना सीक्काओ. ६ एवा न्हाना न्हाना लेखो, के जे धातुनी मूर्तियोनी पाछळ
___ खोदेला होय छे. विगेरे विगेरे. ___ आ साधनो जेटला जेटला अंशमां बहार आवतां जाय, प्रकाशित थतां जाय, तेटला तेटला अंशमां जैन इतिहास लखवानो मार्ग सरळ थतो जाय, ए निश्चित वात छे.
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स्वर्गस्थ जगत्पूज्य गुरुदेव श्रीविजयधर्मसूरीश्वरजी महाराजने, बनारस छोड्या पछी, एटले लगभग १६-१७ वर्षनी वात उपर, आवां ऐतिहासिक साधनो एकत्रित करी, भविष्यमा एक जैन इतिहास तैयार करवानी इच्छा उत्पन्न थइ हती. अने ते इच्छाने बर लाववा, गुरुदेवे एवां साधनो एकत्रित करवां शरु को हता, पूज्यपाद आचार्यश्री विजयेन्द्रमूरि महाराज (ते वखतना उपाध्याय इंद्रविजयनी महाराज) नो तो इतिहासनो खास विषय ज हतो. गमे तेवा विकट पहाडोमां प्रवेश करीने पण इतिहासनी सामग्री हाथ करवी, ए एमना मन, जीवननुं ध्येय प्राप्त करवा जेवू लागतुं-लागे छे परिणामे अनेक प्राचीन भंडारोमांथी हजारो ग्रंथोपरनी प्रशस्तिओ, सेंकडो प्राचीन सिक्काओ, अने केटलाए हजारनी संख्यामां न्हाना म्होटा शिलालेखोनो संग्रह थई शक्यो. बीनी तरफथी इतिहासोपयोगी जैन रासाओनुं सम्पादन कार्य पण आरंभापुं. जेना परिणामे स्वर्गीय गुरुदेवे ऐतिहासिक रास संग्रहना ३ भागो अने देवकुलपाटक एम चार ऐतिहासिक ग्रंथो बहार पडाव्या. ते उपरान्त ऐतिहासिक राससंग्रहनो चोथो भाग पण, आ पंक्तियोना लेखके सम्पादन करेलो बहार पड्यो छे. ___ जे वखते जैन लेखकोमा इतिहासना विषय तरफ बहुज अल्प प्रवृत्ति हती, ते वखते आ अगत्यना विषय तरफ स्वर्गीय गुरुदेवे अने पूज्य आचार्यश्री विजयेन्द्रसूरि महाराजे प्रवृत्ति आदरी हती. आ प्रवृत्तिना फलरुप जे कार्यो बहार आव्यां, एनो उदार साक्षरोए सारो आदर को हतो. अने 'देवकुलपाटक' जेवा एक नानकडा परन्तु इतिहासोपयोगी पुस्तक उपर एक लांबी समालोचना 'बॉम्बे क्रोनोकल' मां प्रकाशित थई हती.
स्वर्गीय गुरुदेवना अने पूज्य आचार्य श्रीविजयेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज, तथा मुनिराज श्री जयन्तविजयनी आदिना सतत प्रयत्नथी
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एकत्रित कराएली अतिहासिक सामग्रीनो जोइए तेटलो उपयोग अमाराथी हजु सुधी नथी थई शक्यो, ए खरेखर दुःखनो विषय छे. अने एनां कारणो पण स्पष्ट छे. गुरुदेवनी बीमारी, ते पछी स्वर्गवास अने ते पछी चोक्कस संस्थाओने स्थायीरुप आपवाना उपदेशमां अमारी साहित्य प्रवृत्ति लगभग साव शिथिल थइ छे, ए मारे दुःखी हृदये कहेवू पडे छे. परन्तु हवे पाछा अमे अमारी पूर्वीय साहित्य प्रवृत्तिमां, गुरुदेवनी कृपाथी, आववा भाग्यशाली थइशं. एवी आशा राखवामां आवे छे. अस्तु. ___ए पहेलांज कहेवामां आव्युं छे के स्वर्गीय गुरुदेव अने आचार्य श्रीविजयेद्रसूरि महाराजे, सामग्री भेगी करी छे. एमां केटलाए हजार न्हाना म्होटा शिलालेखो पण छे. ए शिलालेखो जुदा जुदा गामोनां मंदिरो अने जुदां जुदां स्थानोमांथी लेवामां आवेला छे. ए हजारो शिलालेखोमांथी पांचसो शिलालेखोनो एक भाग जनताने सादर करवामां आवे छे. आ लेखो ते पूज्यपादोना संग्रहित करेला होवाथी आ पुस्तकनुं सर्वाधिकश्रेय तेओश्रीओनेज छे. एम कहेवानी आवश्यकता छे शं?
शिलालेखो ए इतिहासने माटे खरेखीं अपूर्व साधन छे. शिलालेखोमांथी आचार्योनी परंपराओ, जातियो, वंशो, गच्छो, अने एवी अनेक बाबतोनो इतिहास तारवी शकाय छे. ज्यां सुधी मारो ख्याल छे, आवा शिलालेखो संबंधी एक सारामां सारं काम सौथी पहेलां ( इ. स. १९०८ मां ) फ्रेंच विद्वान् डॉ. ए गेरीनाटे बहार पाडयु हतुं. एमां तेमणे इ. स. १९०७ सुधीमां प्रसिद्धिमां आवेला ८५० शिलालेखोनू संक्षेएमां पृथक्करण कर्यु तुं. डॉ. गेरिनोटना ए संग्रहमां इ. स. पूर्वे २४२ थी लइने इ. स. १८८६ सुधीना-एटले लगभग २२०० वर्षनी अंदर अंदरना शिलालेखोनो समावेश करवामां आव्यो छे,
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छेल्लां केटलांक वर्षोथी केटलाक जैन साक्षरोनी प्रवृत्ति पण आ दिशा तरफ वळी छे, अने तेनी साक्षी रुपे श्रीमान जिनविजयजीना लेखसंग्रहना भागो, श्रीयुत पूर्णचंद्रजी नाहारना भागो अने स्वर्गीय
आचार्य श्रीबुद्धिसागरसूरिजीना भागो छे. न्यूनाधिक अंशे, आ बधाये लेखसंग्रहो खरेखर इतिहासने माटे उपयोगी छे. तेमां श्रीजिनविजयजीना संग्रहोमां वधारे शोधखोळ अन उहापोह थयेलो जोवाय छे. ___अमारा आ लेखसंग्रहमा एकंदर ५०० लेखो आपवामां आव्या छे. अने ते बारमा शतकथी शरु करीने सोळमा शतकना मध्यकाल सुधीना आप्या छे. आ अधाये शिलालेखो अमुक संख्याना अपवाद रुप बाद करीने धातुनी मूर्तियो उपरना न्हाना शिलालेखो छे. आवा न्हाना लेखोमांथी वधारे हकीकत न मळी शके, ए वात खरी छे; परन्तु घणा लेखोनो संग्रह थवाथी एमांथी घj घणुं तारवी शकाय. अने ए तारवणी इतिहासने माटे घणी उपयोगी थई शके, एम मारु मानवं छे. आ वातनी खातरी आमां आपेली जुदी जुदी अनुक्रमणिकाओ उपरथी थई शकशे, यद्यपि आ अनुक्रमणिकाओ, ए अनुक्रमणिका मात्रथीन वधारे उपयोगी थई शके तेम नथी. तेना उपर विस्तृत नोटोनी जरुर छे. ते ते गच्छो, ते ते शाखाओ, प्रशाखाओ, ते ते जातियो अने ते ते आचार्यो- साधुओनो इतिहास तेनी साथे जरूर जोईए, अने तो न ते पेला बृहद् इतिहासने माटे उपयोगी थई शके. परन्तु आ कार्य खाप्त इरादापूर्वकज अधूरुं राखवामां आव्युं छे ____ वात एम छे के- स्वर्गीय गुरुदेवना संग्रहमां आटलाज नहिं, परन्तु केटलाये हजार शिलालेखो छे, अने ते शिलालेखो, आ संग्रहमां आपेला शतकोवाळा शिलालेखो छे. आ बधाये शिलालेखोने ५००५०० शिलालेखना एक एक भाग तरीके बहार पाडवानी अमारी योजना छे. प्रत्येक भाग आवीज रीने, एटले मूळ शिलालेखो अने
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तेमांथी नीकळतां नामोनी अनुक्रमणिकाओ साथे बहार पाडवो, एम बधाये भागो बहार पडी गया पछी, ए बधा भागोमां आवेला गच्छो, जातियो, शाखाओ, आचार्यो, गामो विगेरे उपर ऐतिहासिक प्रमाणो अने विवेचन साथे एक भाग बहार पाडवो. जो आ कार्य मात्र आ एकन भाग उपर करवामां आवे छे, तो बाकीना हजारो शिलालेखोमांथी मळनारी हकीकतोथी आपणे वंचित रहेg पडे छे. अर्थात् ए अंग अपूर्ण रही जाय छे अथवा जो प्रत्येक भागमां एज प्रमाणेनी नोटो अने विवेचनो आपवामां आवे छे, तो समय अने द्रव्यनो व्यर्थ व्यय कराववा जेवू थाय छे. अतएव नोटो अने विवेचनो लखवार्नु कार्य सौथी पाछळ एटले बधा शिलालेखो छपाइ गया पछी करवानुं राख्यु छे. अने ए छेल्लो माग न केवळ शिलालेखोना संबंधमांन उपयोगी थशे, परन्तु ते भाग केटलीये शताब्दियोना खासा इतिहासरूप थशे, ए वात, इतिहास प्रेमीयो कल्पना उपरथी पण समनी शकशे. ___ आटळु निवेदन कर्या पछी आ संग्रहना संबंधमां थोडुं निवेदन करी लउं.
आ संग्रहमा जे गामोना लेखो आवेला छे, तेमांना म्होटे मागे लेखो तो गुरुदेव अने पूज्यपाद आचार्यश्री विजयेन्द्रसूरि महागजे स्वयं लीधेला छे, ज्यारे केटलाक गामोना, दाखला तरीके कतारगाम, पूना, महेसाणा, राधनपुर, वीसनगरना लेखो स्वर्गीय साक्षर मणिलाल बकोरमाई व्यास अने न्याय-व्याकरणतीर्थ पंडित हरगोविंददास त्रिकमचंद शेठे लीधेला छे. अतएव तेओनो आभार मानवो आवश्यक समजुं छु.
जे जे लेखोमा मात्र संवत् छे. मास तिथि नथी. तेवा लेखो, ते सैकाना अंतमां आपवामां आव्या छे.
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जे जे लेखोमां ज्यां ज्यां अशुद्ध लखायुं छे, ते ते लेखोमां तेनी सहामे ( ) आम चिन्ह करी शुद्ध लखवामां आवेल छे. ज्यारे [ ] चिन्हनी अंदर आपेल अक्षरो - शब्दो स्वतंत्रताथी - विशेष समजवाने माटे मूकनामां आव्या छे.
शिलालेखो उपरथी केटलीये ज्ञातव्य बाबतो आपणी नजरे पडे छे. दाखला तरीके
केटलाक लेखोमां तीर्थकरना नामनी साथे जीवितस्वामी ' विशेषण आपवामां आवेलं होय छे. आनो अर्थ ए नथी के ते तीर्थंकरनी विद्यमानतामा ए मूर्ति भराववामां आवी हती. आमां आवेला लेखोमांज नहिं, परन्तु घणे स्थळे पाषाणनी के धातुमूर्तियो उपरना लेखोमां जीवितस्वामी श्री महावीर स्वामी, जीवितस्वामी श्री नेमिनाथ प्रभु इत्यादि लखवामां आवेलुं होय छे. आनुं कारण समजवुं कठिन छे. मने लागे छे के ' जयवंत ' ना अर्थमां कदाच जीवित अथवा 6 जीवंत ' शब्द मूकातो हशे .
(
अत्यारे गुजरातीमां तो नहिं, परन्तु हिंदीमां घणे भागे एवो रिवाज छे के जो एक शब्दने बे वार लखवानी जरुर पढे छे, तो तेने एकवार लखीने तेनी आगळ २ मूत्रवामां आवे छे. दाखला तरीके उसने मेरेको पूछ २ कर हैरान किया । ' पूछ' शब्दने बेवार नहिं खतां तेनी आगळ २ मूकवामां आवे छे. आ रिवाज कोइक अंशे सोळा शतकमां पण हतो, एम एक लेख उपरथी जणाय छे. जूओ ३४५ नंबरनो लेख. श्री २ श्रीमाल आ बगडो बीजीवारना 'श्री' ने सूचवे छे. प्राचीनलेखोमां आ प्रवृत्ति बहुज ओछी जोवाय छे.
लेख नं. ३३० अने ३३१ मां एक विचित्रता छे. ३३० नंबरना लेखमां ' माघ सुदि ३ सोमे ' छे, ज्यारे ३३१ नंबरना
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लेखमा 'माघ सु० ४ खौ' छे. त्रीजना दिवसे सोमवार, अने चौथना दिवसे रविवार, ए केम बनी शके ? संभव छे के कदाच वांचवामां गडबड थई होय. अथवा ए तिथि लखवामांज गडबड पहेलेथी होय.
आलेखसंग्रहना संबंधां बीजी घणी घणी बाबतोना उल्लेखनो अवकाश छे, दाखला तरीके कया कया गच्छोमांथी कई कई शाखाओ नीळी अने ते शा कारणथी ? विगेरे, परन्तु आ बधी बाचतो भविष्यना भागो उपर-बल्के तमाम लेखोनी तारवणीरूप सौथी छेला बहार पाडवाना भाग उपर राखी, हाल तुर्त तो आ लेखसंग्रहमां आपेली हकीकतो ऊपरथी - अनुक्रमणिकाओ ऊपरथीज इतिहास प्रेमियो यथायोग्य लाभ उठावे, एटलुं इच्छी शासनदेव हवे पछीना भागो बहु जलदी बहार पाडवानुं सामर्थ्य अर्पे एज इच्छी विरमुं हुं
शिवपुरी ( ग्वालियर ) ज्येष्ठ सु. १,२४५५ धर्म सं. ७
}
विद्याविजय.
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आ लेखसंग्रहमा आवेला लेखो जे जे गाममांथी लेवामां
आवेळा, ते ते गामोनी अनुक्रमणिका.
लेखाक.
नाम. अमदावाद ७६, ११०, १२३, २२३, ४६९. अमरेली
२८४,३०३ ३४१. आहह ( उदयपुर ) २११, उदयपुर ( मेवाड ) ६,८, २७, ३०,३८,४२, ४३, ४४, ५०,
५३, ६९, ७२, ७४, ७५, ७, ७८,७९, ८२, ९२, ९३,९७, १०१, १०३, १०६, ११३, ११७, १२१, १२४, १२६, १२८, १३३, १४७, १४८, १५१, १५५, १५९, १६९, १८०, १८३, १९०, २०३, २१२, २१५, २१९, २२०, २३३, २४०, २४६, २४८, २५०, २५६, २५७, २५८, २६०, २६९, २७२, २७४, २८१, २८८, २९७, ३१०, ३४८, ३५४, ३६१, ३६७, ३८५, ४२३, ४३६, ४४८, ४५१, ४५८, ४७८,
४८१, ४९३, ४९४. भोगणन कतारगाम ३६, ५२, ८३, १४५, १७४, २०४, २१७,
२४७, ३२२, ३२८, ३८१, ४०१, ४३४, ४९.
६८.
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घोघा
करेडा ३९, ४६, १३४, १७०, २०४, ३९२. कोरटा ( मारवाड) ३. कोलीयाक
२१०, २७९, ३४२, ३४९. गडकण
३९१, ४२६. घाणेराव
६६, १२९, १३१, १३७, २२७, २३४, २६१, २७७, २८७, २९६, ३००, ३०२, ३०६, ३२१, ३२४, ३३७, ३५१, ३६०, ३७०, ३८२, ३८३, ३८६, ४०५, ४०९, ४१६, ४२२, ४२४, ४.२५, ४४३, १७१,
४८२, ४८३. चित्तोड ९, १३, ८८, ३५०, ४९७.
१७६, ३८४, ४३७, ४५१,४७०, ४८५. जामनगर
१४१, १४६, १५०, १५४, १५८, १६१, १८४, १९२, १९४, १९५, २०७, २१३, २१६, २१८, २४३, २६५, २७१, २७३, २७५, २७८, २८५, २८९, २९५, ३०५, ३०९, ३१४, ३१८, ३२०, ३२३, ३२९, ३३०, ३३१, ३३३, ३३४, ३३५, ३३९, ३४३, ३४४, ३५३, ३६६, ३६९, ३७२, ३९३, ३९५, ३९७, ३९९, ४०२, ४०३, ४१०, ४१३, ४१४, ४१५, ४२७, ४२८, ४२९, ४३१, ४३२, ४३९, ४४६, ४५२, ४५४, ४५५, ४६०, ४६२, ४६३, ४६४, ४६५, ४६८, ४७२, ४८४, ४९०, ४९१,
जयपुर
५००.
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४१.
१२७,
जावर ( उदेपुर ) ११८, १४३. नुनागढ
२२४, २९९. जोटाणा ४८, ५१. डमोडा तलाजा
४४१, ४४७, ४९८. त्रापज
१०९, १८२, ३६४, ४७३. दसाडा देलवाडा (उदयपुर) ५६, १००, १०४, १०५, १०७, ११२,
११५, १३२, १३८, १३९, १५२, १५३,
१६०, १६७, १६८, १९८, १९९, २२१. नागदा ( उदेपुर ) १६३. नाडलाइ (मारवाड) ८७. नाडोल ( मारवाड ) ५, १८, २३, पाटडी
२९, ८५, ९८, १२०, १४०, १६६,
१८७, ३२७, ३३६, ३९८, ४१०. पाटण
१७२. पालीताणा १०८, २००, २२८, २८०, ३१७, ३१९,
३३२, ३५७, ३७९, ४०८, ४३५, ४४२. ४९, ५७, ८१, ८९, ९०, ११४, ११९, १२२, १६५, १८६, १८८, २०८, २४९, २५४, २८२, ३०१, ३०८, ३३८, ३५२, ३५८, ३८०, ४२०, ४४५, ४५६, ४७४,
४७५, ४७७. पेरवा ( मारवाड ) २८. प्रांतीज
१९३, २३१, ३६२.
पूना
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४५९.
बोटाद
बोया
१११.
फलोधि ( पार्श्वनाथ ) २०. बजाणा
२३५.
१४, २६. भंडारिया महुवा
१४२, १५७, २५९, ३१५, ३९४, ४८९. महेसाणा ६५, १९६, १९७, २२२, २७०. मांडल
१२, ६४, ७१, १०२, १३०, १३६, १४४, १५६, १७३, १७५, १७७, १७८, २०२, २२६, २३०, २३२, २५२, २५५, २६८, २८३, २९१, २९३, ३०४, ३११, ३४०, ३१३, ३७५, ३७६, ३७८, ३९०, ४०४,
४ १२, ४३८, ४८०. राणकपुर ४०, ६१. राधनपुर
२२, ८६, १४९, १६२, २०५, २०९, ३०७, ३१६, ३२६, ३४६, ३४७, ४००, ४१८, ४२१, ४९५. २३७. ३४, ४५, ६५, ७३, ८४, ९१, ९६, ११६, १८९, २२५, २४१, २५३, २७६,
३५६, ३७७, ४ १७. लींबडी ३१, ६०, ७०, ९९, १६४, १७९, २३६,
२३८, २६७, २९०, ३१०, ३२९, ३६५, ३७३, ३८८, ४०७, ४४४, ४५३, ४ ६१, ४६६, ४७९.
लक्कडवास
लींच
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वडनगर
८०, ४०६. वडाली
३३. वडोदरा (न्हाना ) ३५५, ४ ११. वढवाण केप ६२, ४८६. वढवाण शहेर २, ४, ७, १०, ११, १५, २१, २४, २५,
३२, ५५, ६७, २९८, ३१२, ३८९. वळा
३७, ९४, १३५, १९१, २८६. वाघपुर
९५. वीझोवा (मारवाड) १. वीरमगाम १२५, २९२, ३४५. वीसनगर ३८७. वेरावळ
२५१. शीहोर
२३९, २६६,४६७. सादडी ( मारवाड ) १९,४७, ६३. १७१, ३५९, ३७४, ४९७. सूरत
१७, ५४, २१४, २२९, २४६, २१२, २६४, ३९८, ३७१, ३९६, ४१९, ४३३,
४५७, १७६. ४८८, ४९९. हरखजीना मुवाडा २९४, ४४०. हिम्मनगर ५८, २०१, २०६, २६३, ४३०.
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शिलालेखोमां आवेली अटको.
परि० = परिख, पारेख. सं० = संघवी, संघपति. 30 = ठक्कुर, ठभर. श्रे० = श्रेष्ठि, शेठ. महं० = मा० = शाह, साहू.
व्यवहारी. साधु = शाह, साहू. मं० = मंत्रि, दो० = दोसी. महाजन, महाननी.
आ लेखसंग्रहमां आवेल राजाओनां नामो.
लेखनो नंबर
<७
नाम वणवीरदेव (चाहमान) रणवीरदेव , मोकलदेव मोकल कुंभकर्ण मोकलपुत्र
लेखनो संवत १४४३ १४४३ १४७८
१४९४
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आ लेखसंग्रहमां आवेल जाति, वंश, कुलनी
अनुक्रमणिका.
लेखाङ्क
नाम १ ओसवाल-ओस- ५९, ६८, ७३, ८३, ८४, ८६,९०, ९१, उसवाल-उस- ९३, १०३, १०५, १०९, १११, ११९, उपकेश-ऊकेश- १२२, १२४, १२८, १३२, १३३, १४०, उएस-ओएस. १४२, १४३, १५१, १५३, १६३, १६४,
१६७, १७०, १७४, १७६, १७७, १८२, १८४, १८९, १९०, १९३, २०३, २१२, २१७, २१९, २२०, २२४, २२६, २२९, २३३, २३७, २४०, २४३, २४५, २४७, २५१, २५२, २५६, २५८, २६४, २६६, २७३, २७८, २८१, २८५, २८६, २९१, २९५, २९७, ३०३, ३०५, ३०८, ३१२, ३१८, ३३३, ३३५, ३४०, ३४२, ३४८, ३५४, ३६ १, ३६४, ३७१, ३७२, ३७३, ३७७, ३७८. २८४, ३९२, ३९७, ४०२, ४०४, ४ ११, ४ १८, ४१९, ४२३, ४२५, ४ ३२, ४३४, ४३६, ४३७, ४४५, ४४९, ४५८, ४५६, ४०९, ४ ६०, ४ ६ ६ ४६८, ४७८, ४७१, ४७२, ४८४, ४९२, ४९३, ४९४.
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७ नागर
२ कपोल
४९९. ३ गुर्जर १००, ४८८. ४ जामणकीय ३४. ५ डीसावाल-देसावाल ५१, ३५३, ४६१, ४७३. ६ घरकट ४३, ५०.
१८६, २१४, ३४७, ४५७. ८ नीमा ५७, २२५. ९ पल्लीवाल ६५, ७५, २६१. १० प्राग्वाट-पोरवाड २०, ४१, ६९, ७८, ७९, ८३, ८५, १९,
९६, ९७, १०१, १०८,११०, ११७, ११८, १२१, १२५, १२६, १३४, १४७, १४८, १४९, १५९, १६०, १६६, १७९, १८०, १९७, १९८, १९९, २००, २०१, २०६, २१५, २१६, २३६, २३९, २४२, २४४, २४६, २५०, २५९, २६०, २७२, २७९, २८, २९२, २९८, ३०१, ३०७, ३१०, ३१९, ३२७, ३३६, ३५२, ३५५, ३५६, ३५८, ३६३, ३६७, ३७०, ३७४, ३७५, ३७९, ४२२, ४५१, ४५४, ४५५, ४७४,
४७८, ४८०, ४८१. ११ मोढ २१, ३२, ६०, ६७, ७६, २६९. १२ वीर १३ श्रीमाल ४५, ४८, ६२, ७०, ७१, ७२, ७७, ८१,
८८,९४, ११५, १६१, १६२, १६५, १६८, २०४, २४९, २७७, २८२, ३१५,
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________________
१५ श्रीश्रीमाल
३२८, ३४३, ३५९, ३८०, ३९३, ३९५, ३९६, ४२०, ४५२, ४९८. ५२, ९२, ९५, ९८, ९९, १०२, १०४, ११६, १२०, १२७, १२९, १३०, १३१, १३५, १३६, १३७, १४१, १४४, १४५, १४६, १५०, १५४, १५६, १५७, १५८, १७२, १७३, १७५, १७८, १८१, १८५, १८७, १९१, १९२, १९४, १९५, २०२, २०५, २०७, २०८, २०९, २१०, २१३, २१८, २२३, २२७, २२८, २३०, २३१, २३२, २३४, २३५, २४ १, २९३, २५४, २५५, २६२, २६३, २६५, २५७, २६८, २७०, २७१, २७५, २७६, २८३, २८४, २९०, २९३, २९४, २९६, २९९, ३००, ३०२, ३०६, ३०९, ३१३, ३१४, ३१६, ३१८, ३२०, ३२१, ३२२, ३२३, ३२५, ३२९, ३२९, ३३०, ३३१, ३३२, ३३४, ३३७, ३३८, ३३९, ३४१, ३४४, ३४९, ३४६, ३४९, ३५१, ३६७, ३९०, ३०५, ३६६, ३६८, ३६९, ३७६, ३८१, ३८२, ३८३, ३८८, ३८९, ३९०, ३९१, ३९४, ३९८, ३९९, ४००, ४०१, ४०३, १०५, ४०१, ४०७, ४०८, १०९, ४१०, ४१२, ४१३, ४१४, ४१५, ४१६, ४१७, ४२४, १२५, ४२७, ४२८, ४२९, १३०, ४३१,
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________________
१५ श्रीश्रीवंश
१६ हुंबड
२१
४३३, ४३५, ४३८, ४३९, ४४०, ४४१, ४४२, ४४३, ४४६, ४४७, ४६७, ४७९, ४८२, ४८३, ४८६, ४८९, ४९१, ४९५, ४९६, ४९७, ५००.
३०४, ३११, ३५०, ३८५, ३८६, ४२१, ४४४, ४६२, ४३, ४६४, ४६५, ४९० . ३३, ३६, ११६, २४८, ३६२, ४६९.
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________________
नोटो.
१ जुदा जुदा लेखोमां ओपवाल, ओस, उकेश, उपकेश, इत्यादि
नामो आवे छे, परन्तु आ वधांये नामो एकज नातिनां सूचक
होवाथी वधां एक साथे आपवामां आव्यां छे. ५ पाछळना त्रण शिलालेखोमा ' डीसावाल ' छे, न्यारे ५१
नंबरना लखमां देसावाल ' छे परन्तु 'डीसावाल , अने
' देसावाल ' ए एकज ज्ञाति छे. १० प्राग्वाट अने पोरवाड ए एकज ज्ञातिनां वे नामो छे, माटे
साथे आप्यां छे. १४-१५ श्रीश्रीमाल अने श्रीश्रीवंश ए बन्ने संभव छे के कदाच एकज
होय, परन्तु अत्यारे प्रायः ' श्रीश्रीवंश ' ज प्रसिद्ध होवाथी बन्नेने जुदा गणवामां आव्या छे.
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________________
आ लेखसंग्रहमां आवेल गोत्र, शाखा, अन्वयनी
अनुक्रमणिका.
लेखाङ्क
१२३. ४७५. २४१, ३०४. ३५४.
नाम १ इटोदरा २ उटप ३ उकेश ४ कउडी ६ कछारा ६ कटारिया ७ काकिला ८ काला-परमार ९ कुपर्द १० कुर्कट ११ कोडिया १२ खटवड
३०५.
४ , ० rror
० ० ०
२०३. ४७९. २२४, २९७, ३३५, ३९७, ४४८.
१३ खयरज १४ खांटहड १५ खीवल्या १६ गादहीया १७ गोलबछा १८ चांडु
२५८. १०३. ४७२.
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________________
२३३.
२१२. १७७, ३५९. २३७. १७०, ४७८. १४२. ४६८.
२२९. १३८, १५२, १५३, १६३.
१९ चिपड २० जापवासुता २१ ठक्कुर २२ डांगी २३ ताहट २४ तिनावि २५ दरडा २६ दोसी २७ धरकट २८ धाकड २९ नवलक्ष ३० नांदेचा ३१ नावर ३२ नाहट ३३ नाहर ३४ नाहि ३५ पल्हवट ३६ पीहरेचा ३७ भंगाणिया ३८ भणमाली ३९ मरहठ ४० मर्तृपुरीय ४१ मांजिय ४२ भाटिया ४३ मंकुआणा
१०४. २१३. ५०, ३९२. ४२३.
३८०. २५१.
२९६.
१००.
२१९. ३९.
१६८.
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________________
४४ मल्हण
४९ महाजन - महाजनी
४ ६ राहूआ
४७ रावल
४८ लघुश्रेष्ठ
४९ लघुसंतानी (ओसवाल )
५० लाडउलि
५१ लालण
५२ लुंकड
५३ लुहिणी
१४ लोढा
५५ वडावाणिया १६ वर्धमान
५७ विणवट
५८ विमल
५९ वीसलीया
६० वैद्य
६१ श्रेष्ठ
६२ संखवाल
६३ सपाव
६४ सांखुला १५ सिंखाडिया
६६ सिद्ध
६७ सीसोदिया
६८ सुधा
६९ सुराणा
४
૨.
३४६.
३०८, ३७१.
३४७.
११३.
३०८.
३१२.
२४९.
३३३.
३१३.
४०.
८६, १७४, २६४.
१८९.
२२४.
७४.
२८१.
४६३, ४६५.
१६५.
३४०.
४४९.
४६६.
१६९, ४५८.
४८५.
१३०.
४७०.
२२६.
१८३, ४५३.
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________________
नोटो.
३ 'ऊकेश. ' ए नाम जाति तरीके ( ओशवाल ) प्रसिद्ध छे,
परन्तु ४७५ नंबरना शिलालेखमा स्पष्ट रीते ऊकेशगोत्रे
लखवामां आवेल छे. १२, १३, १४, १५ मूळ शिलालेखोमां षटवट, पयरन, षांटहड अने
पीवल्या लखेल छे, 'ख' ना स्थानमा 'प' लखवानो प्राचीन समयमां बहुधा रिवाज हतो. अमे तेने सुधारी ष नो
'ख' लखेल छे. २९ नवलक्ष-नवलखा, एनो कोइ स्थळे गोत्र तरीके उल्लेख छे,
ज्यारे कोइ स्थळे 'शाखा ' तरीके. आ उपरथी समजाय छे के — गोत्र , नो उपयोग कोइपण जातिनी 'शाखा ,
तरीके पण करवामां आवे छे. ३२-३३ ' नाहट ' अने ' नाहर ' ए बन्ने एक हशे, एवी कल्पना
तरफ कोइए न जवू. कारण के आ बन्ने गोत्रो जुदां जुदां छे. मुर्शिदाबाद अने कलकत्तामां नाहर-नाहार गोत्रनां केटलांक कुटुंबो छे. लश्कर, आगरा, बीकानेरमा केटलांक
कुटुंबो नाहट-नाहटा गोत्रनां छे. आ बन्ने गोत्रो जुदां जुदां छे. ५० लाडउलि लाडोली लाडोलना रहेवासी, एम पण बनी शके.
अमुक गामना नाम उपरथी पडेली ए अटक पण होय. ६४ ' सांखुला ' ए अत्यारना ' सांखला ' नुं मूळ रुप हशे.
सांकला-सांखला गोत्रना अत्यारे शिवपुरी अने बीजा गामोमां घणा मारवाडी गृहस्थो छे.
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________________
२७
६७ राजपूतोनी एक जातिनुं नाम ' सीसोदिया ' तो प्रसिद्ध छे, परन्तु ओशवाल- उपकेश ज्ञातिमां ' सीसोदिया नामनुं गोत्र हतुं, ए ४७० नंबरना लेख उपरथी स्पष्ट थाय छे. जे राजपूतो जैनाचार्यना उपदेशथी जैन थया, तेओनांज गोत्रो अत्यार सुधी ओशवाल ज्ञातिमां रहेलां छे, तेमांनुं एक ' सीसोदिया ' गोत्र पण हतुं. ए नक्की छे. आ गोत्रना अत्यारना वाणिया, ए उदयपुर महाराणाना सगोत्रीय कहेवाय.
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________________
आ लेखसंग्रहमा आवेल गच्छोनी
अनुक्रमणिका.
लेखाङ्क
नाम १ अंचलगच्छ ९१, १२९, १८२, २०९, २२८, २३४
२४१, २४४, २६१, २८५, २८६, २९१ ३०४, ३११, ३३३, ३४९, ३५०, ३६५ ३७७, ३७८, ३८५, ३८६, ४०१, ४१९ ४२१, ४३२, ४३४, ४४२, ४४४, ४५० ४५१, ४६२, ४ ६३, ४६४, ४६५, ४७६
४८४, ४९०, ४९८. २ अड्डालिनीयगच्छ २, १०, २१, ३२. ३ आगमिक गच्छ ९४, १२०, १३५, १६२, २०८, २३२
२६०, २८७, २९२, ३३०, ३४६, ३७० ३८८, ४०३, ४०५, ४०९, ४१३, ४३५,
४४६, ४६७, ४८२, ४९६. ४ उढव गच्छ ८९. ५ उपकेश गच्छ ९०, १०३, १२८, २०३, २३३, २५१
२५२, २९५, ३०८, ३४८. ६ कछोलीवालगच्छ १६०. ७ कृष्णपिंगच्छ १७४, २३७. ८ कूवड गच्छ ११०. ९ कोरेंटक गच्छ ६३, १०१, २२६, ३०५, ३७१,३७३,४५६
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________________
१० खंडेरवालगच्छ ४७०.
११ खरतर गच्छ
१२ चंद्रगच्छ १३ चैत्रगच्छ
२९
८८, १०४, १०५, ११२, ११९, १३८ १३९, १४२, १४३, १५१, १५२, १५३ १६३, १६५, १७०, २४३, ३१७, ३४० ३५९, ३६४, ४२३, ४३७, ४४९, ४६० ४६८, ४७२, ४७९, ४८७.
३३.
३९, ५०, २३०, २३५, २८४, ३१५ ३१६, ३४६, ३६६, ४१४, ४२८, ४२९ ४३६.
१४ जामाणकीय
३४.
१५ जाल्योधरगच्छ ६७, ७६.
१६ जीरापल्लीगच्छ १११, ३०३. १७ ज्ञानकीय गच्छ १७७, ४४५. १८ तपागच्छ
१०८, १०९, ११८, १२९, १३२, १३३ १४०, १४७, १४८, १४९, १५५, १९९ १६६, १६७, १७९, १८०, १८६, १९० १९७, १९८, १९९, २००, २०१, २०४ २०६, २११, २१३, २१४, २१५, २१६ २१७, २२१, २२५, २३६, २३८, २४० २४२, २४९, २४७, २५०, २९४, २५७ २५८, २९९, २६३, २७९, २८०, २८२ २९३, २९४, ३०१, ३०७, ३१०, ३१९ ३२३, ३२७, ३३६, ३४२, ३५३, ३५५ ३५६, ३५८, ३६१, ३६२, ३६७, ३७२
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________________
30
३७४, ३७९, ३७९, ३८४, ३८७, ३९८ ४०४, ४०८, ४२०, ४२२, ४२४, ४३३ ४५४, ४५५, ४५७, ४५९, ४६१, ४७१ ४७३, ४७४, ४८०, ४८१, ४८८, ४८९
४९९, ५००. १२ द्विवंदनिकगर छ २७४, ३१२. २० धर्मघोष गच्छ ४६, ६५, ७४, ८६, ११३, ११४, १६९
__१८३, २२४, २८८, २९७, ३३५, ४५८. २१ नागेन्द्रगच्छ ३६, ६८, ९२, ९३, ९९, १३७, १४५
१७५, २२७, २६२, २८३, २९६, ३२४ ३२८, ३३४, ३४३, ३९५, ३९९, ४००
४०७, ४९१. २२ निवृत्तिगच्छ १०६. २३ पल्लीवालगच्छ २२९. २४ पिप्पलगच्छ ७३, ८५, ११६, १२९, १४६, १५४
१७२, १८५, १९१, १९४, १९५, २१० २१८, २३१, २५५, २६५, २७१, २८९ ३०६, ३०९, ३१३, ३४१, ३५१, ३६९
३८२, ३८३, ३८९, ४१५, ४१६, ४४३ २५ पूर्णिमागच्छ ७१, ९७, ११७, १३१, १४४, १५७,
१५८, १८१, १८७, १९३, १९६, २०२ २०५, २२२, २४६, २६७, २७०, २७५ २७७, २९०, २९९, ३०२, ३१४, ३२० ३२१, ३२२, ३२५, ३२६, ३२९, ३३१ ३३२, ३३७, ३६७, ३६८, ३७६, ३८१
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________________
२६ वृहद्गच्छ
३९१, ३९३, ४१०, ४११, ४१२, ४२७ ४३०, ४३१, ४३८, ४३९, ४४०, ४४१, ४४७, ४५२, ४८३, ४९२, ४९४, ४९५, ४९७. ३, १८, ३५, ४५, ८७, ११९, १२२, १३३, १७६, ३८०, ४०२, ४८५. १९, २२, ५२, ७०, ८२, ९८, १३६, १६१, १७८, १८८, २०७, २६८, २८१, २९८, ३००, ३१८, ३३८, ३३९, ३६०,
२७ ब्रह्माणगच्छ
२८ भावडारगच्छ १९२, २७२, २७३, ४७८. २९ मड्डाहडगच्छ ४९, १२४, १२६. ३० मधुकरगच्छ १०२, २२३, ३९४. ३१ मलधारीगच्छ ६२, ७८, ३४७. ३२ रुद्रपल्लीयगच्छ ८१, २६४, ३९२. ३३ वायटीयगच्छ ३७. ३४ विद्याधरगच्छ २६९. ३५ विधिपक्ष ३४४. ३६ षंडेरकगच्छ १, ५, १४, २३, २६, १८९, २१२,
२२०, २७८, ३५४, ४९३. ३७ सरवालगच्छ ४, ७, ११, १५. ३८ सिडानीगच्छ ४०६. ३९ सिद्धान्तीयगच्छ ८४. ४० सेषुरगच्छ १२३.
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________________
४१ स्माणीगच्छ १२७. ४२ हरसउरगच्छ ४४८. ४३ हस्तीकुंडीगच्छ ४३. ४४ हारिजगच्छ १६४, १८४, २६६, ४ १८. ४५ हीरापल्लीगच्छ ८०. ४६ हुंडगच्छ ६६, ४१९.
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________________
नोटो.
' कछोलीवालगच्छ ' आ गच्छनुं नाम मात्र १६० नंबरना शिलालेखमांज छे. त्यां पण कछोलीवालगच्छे पूर्णिमापक्षे एम लखवामां आव्युं छे. संभव छे के- पूर्णिमागच्छनी शाखा होय, अने तेने गच्छनुं नाम आप्युं होय.
२९ ' भीमपल्लीय 'ए पूर्णिमा - पूनमीया गच्छनी शाखा छे. ३३ ' मेदूरीय ' ए उपकेशगच्छनी शाखा छे.
9
३४ ' रत्नपुरीय ए मड्डाहडगच्छनी शाखा छे, एम ४९ अने १२४ नंबरना शिलालेख उपरथी जणाय छे. ज्यारे २५६ नंबरना शिलालेखमा 'रत्नपुरीगच्छे' एम करी 'रत्नपुरीय ' एगच्छ बतावेल छे. एक गच्छनी शाखा, ए - धीरे धीरे " गच्छ ' तरीके प्रसिद्ध थाय, एमां आश्चर्य नथी.
३८ प्रसिद्धिमां तो ' अंचलगच्छ ' नुं बीजं नामज ' विविपक्ष ' छे, परन्तु आ संग्रहमा जेटला लेखो अंचलगच्छना आव्या छे, ते बधामां ' अंचलगच्छ ' नुं ज नाम छे, ज्यारे ' विधिपक्ष ' ना नामना उल्लेखवाळो एकज लेख ३४४ नंबरनो छे. आ लेखमां प्रतिष्ठापकनुं नाम 'श्रीजय केसरसूरि ' लखवामां आव्युं छे. ज्यारे अंचलगच्छना बीजा बधा शिलालेखोमां आ नामने मळतुंज नाम श्रीजयकेसरिसूरि आप्युं छे. विधिपक्षवाळो शिलालेख १९२० ना चैत्रनों छे, ज्यारे तेज संवत्ना वैशाखनो शिलालेख पण छे के जे जयकेसरिसूरिनी प्रतिष्ठानो छे. आ बधा साम्य उपरथी एम जरुर समजी
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________________
३४
शकाय छे के आ लेख पण अंचलगच्छीय ' श्रीजय के सरिसूरि' नो ज छे. अने अत्यारे 'अंचलगच्छ' भने ' विधिपक्ष ' एक गणाय छे. ते पण आ उपरथी साचुं सिद्ध थाय छे.
४१ सिड्रानी गच्छ ए वांचवामां कदाच भूल देखाय छे. 'मिद्धान्त' अथवा 'सिद्धान्ती' ने सिद्धानी वंचायुं हशे . कारण के सिद्धान्तीय - सिद्धान्ती - सिद्धान्त एवा गच्छनुं नाम पण छे. जुओ तेनी नीचेनो एटले ४२ नंबरनो गच्छ.
'
"
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________________
जुदा जुदा गच्छान्तर्गत शाखाओ.
गच्छतुं नाम.
शाखा नाम.
लेखाङ्क.
उपकेशगच्छ
मड्डाहडगच्छ पिप्पलगच्छ
मेदुरीय शाखा रत्नपुरीय शाखा त्रिमविया शाखा
१२८. ४९, १२४, २५६. १३०, १४६, १७२, १८५, १९४, १९५,
२.१०.
महुकरगच्छ चैत्रगच्छ
तलध्वनीय शाखा ४१६. चतुर्दशीपक्ष २२३. धारणपद्रीय २३०, २८४, ३१२,
३१६, ३६६, ४ १४. चांद्रसमीय सलखणपरा ४२९. साधुपूर्णिमा भीमपल्लीय २७०, ३२०, ३२१,
पूर्णिमागच्छ
२४६.
३२९.
प्रधान शाखा वटप्रद्रीय वृद्धशाखा बोकडीयावट
द्विवंदनीकगच्छ बृहद्गच्छ
४९५. २७४. ४०२.
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________________
तपागच्छ
वृद्धतपा-बृहत्तपा
१७९, २००, २०४, २१७, २५४, २६३, २७९, ३०७, ३२३, ३६२, ३७५, ३९८, ४०८, ४२०, ४३३, ४५७, ४७१, ४८९. ३८७.
कच्छोलीवालगच्छ
कोरंटा पूर्णिमापक्ष(द्वितीय शाखा)
१६०.
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________________
आ लेखसंग्रहमां आवेल आचार्यो, साधुओनी
अनुक्रमणिका
लेखाङ्क
३.
८४.
नाम
गच्छ १ अजितदेवसूरि बृहद्गच्छ २ अजितसूरि सिद्धान्तीय ३ अभयचंद्रसूरि ४ अभयचंद्रसूरि पिप्पलगच्छ ५ अभयदेवसूरि रुद्रपल्लीय ६ अमररत्नसूरि आगमगच्छ
७७.
३०९.
८१ ४०३, ४.५, ४१३,
७ अमरसिंह आगमगच्छ ९४, १२०, १३५, ८ आनंदप्रभसूरि आगमगच्छ २८७, ४०९, ४८२. ९ उदयचंद्रसरि जीरापल्लीयगच्छ ३०३. १० उदयदेवसूरि नागेन्द्रगच्छ ९२, १४५. ११ उदयदेवसूरि पिप्पलगच्छ २५५, २६५, ३५१, ३८२. १२ उदयनंदिसूरि तपागच्छ ११८, २४५, २५८. १३ उदयप्रभसूरि मड्डाहडगच्छ १२६. १४ उदयप्रभसूरि स्माणीगच्छ १२७. १५ उदयप्रभसूरि ब्रह्माणगच्छ २८१. १६ उदयमंडणगणि तपागच्छ ४२३. १७ उदयवल्लभसूरि तपागच्छ ४२३. १८ उदयसागरसूरि तपागच्छ
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________________
१९ उदयानंदसूरि पिप्पलगच्छ ८५. २० ककुदाचार्य उपकेशगच्छ ९०, २०३, २५२, २९५. २१ कक्कमूरि कोरेंटकगच्छ ६३, ३०५, ३७१, ३७३. २२ कक्कमरि उपकेशगच्छ २०३, २३३, २५१, २५२,
२९५, ३०८, ३४८. २३ कमल चंद्रमरि उढवगच्छ ८९. २४ कमलचंद्रसूरि नागेन्द्रगच्छ ३९९, ४०७. २५ कमलप्रभसूरि पूर्णिमागच्छ २९०, ३०२, ३९१. २६ कमलपभसूरि चंद्रगच्छ ३३ २७ कमलाकरसूति २८ कालिकाचार्य भावडारगच्छ १९२, २७२, ४७८. २९ गुणचंद्रमूरि धर्मबोषगच्छ ४६. ३० गुणचंद्रसूरि चैत्रगच्छ ३१ गुणचंद्रसूरि ३२ गुणतिलकसूरि पूर्णिमागच्छ ३६७, ४८३. ३३ गुणदेवसूरि चैत्रगच्छ २३५. ३४ गुणदेवसरि पिप्यगच्छ ३०६, ३६९. ३५ गुणदेवसरि नागेन्द्रगच्छ ३२४, ३९५, ४००. ३६ गुणधीरसूरि पूर्णिमागच्छ ३२५, ३२६. ३७ गुणनिधानसूरि हरसउरगच्छ ४४८. ३८ गुणप्रभसूरि
७२. ३९ गुणप्रभसूरि ४० गुणरत्नमरि पिप्पलगच्छ २३१, ३१३, ३८३, ४१६, ४१ गुणरत्नसूरि पूर्णिमागच्छ ४९७. ४२ गुणसमुद्रमरि पूर्णिमागच्छ १५८, २०५, २६७, ४३८,
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________________
७२.
४३ गुणसमुद्रसूरि नागेन्द्रगच्छ १७५, २२७, २६२, २९६,
३२४, ३२८, ३३४, ४००. ४४ गुणसागरसूरि ४५ गुणसागरसूरि बहद्गच्छ १३३. ४६ गुणसागरसूरि नागेन्द्रगच्छ १४५, २९६, ३२४. ४७ गुणसागरसूरि पिप्पलगच्छ ३१३, ३८३, ४१६. ४८ गुणसुंदरसूरि मलधारीगच्छ ३४७. ४९ गुणसुंदरसूरि पूर्णिमागच्छ २०२, २२२, २७७, ३६८,
३८१.
५० गुणसुंदरसूरि ५१ गुणसुंदरसूरि ५२ गुणसेणसूरि ५३ चंद्रप्रभसूरि ५४ चंद्रसिंहसूरि ५५ चंद्रसूरि ५६ जयकीर्तिसूरि ५७ जयकेसरसूरि ५८ जयकेसरीसूरि
हरसउरगच्छ ४४८. नागेन्द्रगच्छ ३६. पिप्पलगच्छ ३०६, ३६९, ४ ४३. जाल्योधरगच्छ ६७.
अंचलगच्छ १२९, १८२. विधिपक्ष ३४४. अंचलगच्छ २०९, २२८, २३४, २४१,
२४ ४, २६१, २८५, २८६, २९१, ३०४, ३११, ३३३, ३४९, ३५०, ३६५, ३७७, ३७८, ३८१, ३८६, ४०१, ४१९, ४२१, ४३२, ४३४, ४४२, ४४४, ४५०, ४५१, ४६२, ४६३, ४६४, ४६५,
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--------------------------------------------------------------------------
________________
५०
५९ जयचंद्रसूरि तपागच्छ ११८, १९८, १९९, २०१,
२०६, २१९, २१३, २१५,
२१, २२५, २८०. ६० जयचंद्रसूरि पूर्णिमागच्छ १९३, २७०, ३२०, ३९१,
३७१, ४९४. ६१ जयतिलकसूरि तपागच्छ १४०. ६२ जयतिलकसूरि पूर्णिमागच्छ १६१. ६ ३ जयप्रमसूरि पूर्णिमागच्छ ३१४, ३२९. ६४ जयरत्नसूरि पूर्णिमागच्छ ४९४. ६५ जयशेखरसूरि कृष्णर्षिगच्छ २३७. ६६ जयसिंहसूरि कृष्णपिगच्छ २३७. ६७ जयानंदसूरि आगमगच्छ १६२, ४३५. ६८ जिनकीर्तिसूरि तपागच्छ ११८. ६९ जिनकुशलसूरि ७० जिनचंद्र (पं० ) ३३. ७१ जिनचंद्रसूरि ७२ निनचंद्रसुरि खरतरगच्छ १०४, १३८, १३९, १५२,
१५३, १६३, १६५, १७०,
५६.
७३ जिनचंद्रसूरि
७४ जिनदेवसुरि ७५ जिनदेवसूरि ७६ मिनदेवसूरि ७७ निनप्रबोधसूरि
खरतरगच्छ । ३४०, ३५९, ४३७, ४४९,
४ ६०, ४६८, ४७२.
१०७. चैत्रगच्छ चैत्रगच्छ
५६.
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________________
खरतरगच्छ
७८ जिनभद्रमूरि खरतरगच्छ १४२, २४३, ३४०, ३५९,
४६८, ४७२.. ७९ जिनरत्नसूर तपागच्छ २००, ३०७, ३६२, ४२०,
४५७, ४७१. ८० जिनराजसूरि रुद्रपल्ली ३९२. ८१ जिनराजसरि खरतरगच्छ ८८, १४२, १६३, २४३. ८२ जिनवर्धनसूरि खरतरगच्छ १०५, १०७, ११२, ११५,
१३८, १५२, १५३, १६३,
१६५, १७०, ३६४. ८३ जिनसमुद्रसूरि खरतरगच्छ ४८७. ८४ जिनसागरसूरि खरतरगच्छ १४३, १५१, १५२, १५३,
१६३, १६५, १६८, १७०,
८५ जिनसुंदरमूरि तपागच्छ ११८. ८६ जिनसुंदरसूरि खरतरगच्छ ३६४. ८७ जिनहर्षसूरि खरतरगच्छ ३६४, ४२३, ४७९. ८८ जिनेश्वरसूरि चैत्रगच्छ ३९. ८९ जिनेश्वराचार्य सरवालगच्छ ४, ७, ११, १५. ९० जिनोदयसरि रुद्रपल्लीगच्छ ३९२. ९१ जीवदेवसूरि वायटीयगच्छ ३७. ९२ जीवदेवाचार्य अड्डालिजीयगच्छ २. ९३ ज्ञानचंद्र धर्मघोषगच्छ ८६. ९४ ज्ञानदेवसूरि चैत्रगच्छ ४१४, ४२८, ४२९. ९५ ज्ञानसागरमूरि तपागच्छ ३७९, ३९८, ४२४. ९६ तपोरत्न तपागच्छ ३८७.
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________________
४२
धर्मघोषगच्छ २९७. उपकेशगच्छ १०३. उपकेशगच्छ १२८. उपके शगच्छ ९०. वृहदगच्छ ११९. नागेन्द्रगच्छ ९३.
९७ तिलकमरि ९८ देवगुप्तमूरि ९९ देवगुप्तमूरि १०० देवगुप्तमूरि १०१ देवचंद्रसूरि १०२ देवप्रभमरि १०३ देवप्रभसूरि १०४ देवपद्रसूरि १०५ देवरत्नसरि १०६ देवसुंदरसूरि १०७ देवसुंदरसरि १०८ देवसुंदरसूरि १०९ देवमूरि ११० देवसरि १११ देवमरि ११२ देवमूरि ११३ देवाचार्य ११४ देवाचार्य ११५ देवाचार्य ११६ देवानंदसूरि ११७ देवेन्द्रसूरि ११८ देवेन्द्रसूरि ११९ धणचंद्र १२० धनचंद्रसूरि १२१ धनदेवसूरि
२७, ४०. आगमगच्छ २९२, ३७०, ३८८, ४३५. तपागच्छ १०८, ११८, १३२. रुद्रपल्लीगच्छ २६४. पूर्णिमागच्छ ४९५. चंद्रगच्छ ३३. जाल्योधरगच्छ ६७.
८, १२. वृहद्गच्छ १८, वृहद्गच्छ ११९.
६९. अड्डालिनीय
२५.
१०.
८३.
पंडेरगच्छ २६. रत्नपुरीयगच्छ १२४. कूवडगच्छ ११०.
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________________
१२२ धनप्रभसूरि महकरगच्छ २२३, ३९४. १२३ धनेश्वरसरि ज्ञानकीयगच्छ ४४५. १२४ धर्मघोषसूरि मड्डाहडगच्छ ४९. १२५ धर्मचंद्रसूरि रत्नपुरीयगच्छ १२४, २५६, १२६ धर्मचंद्रसूरि बृहद्गच्छ १२७ धर्मचंद्रसूरि बृहद्गच्छ ४०२. १२८ धर्मतिलकसूरि पूर्णिमागच्छ ९७. १२९ धर्मशेखरसुरि पिप्पलगच्छ १३०, १४६, १७२, १९१,
१९४, १९५, २१०. १३० धर्मशेखरसूरि पूर्णिमागच्छ ३९३, ४३०. १३१ धर्मसुंदरसूरि पिप्पलगच्छ १८५. १३२ नन्नसरि कोरटकगच्छ ६३. १३३ नन्नसूरि कोरेंटकेंगच्छ १०१. १३४ नयचंद्रमरि कृष्णर्षिगच्छ १७४. १३५ नरचंद्रोपाध्याय
२८. १३६ नरसिंहमूरि पूर्णिमागच्छ ७१. १३७ पद्मचंद्रगणि वृद्गच्छ १३८ पद्मचंद्रसूरि धर्मघोषगच्छ ११३. १३९ पद्मचंद्रसूरि नागेन्द्रगच्छ ३४३. १४० पद्मशेखरसूरि धर्मघोषगच्छ ११४, १६९, १८३, ४५८. १४१ पद्माकरसूरि पूर्णिमागच्छ ११७, १४२ पद्माणंदसूरि नागेन्द्रगच्छ १३७, २८३. १४३ पद्माणंदमूरि धर्मघोषगच्छ ४५८. १४४ पद्माणंदमूरि १४६ पद्माणंदसूरि
४७७.
१५३.
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________________
४४
१४६ पासचंद्रसूरि पूर्णिमागच्छ ३२०, ३२१, ३७६. १४७ पुण्यचंद्रसूरि पूर्णिमागच्छ २४६. १४८ पुष्यरत्नसरि पूर्णिमागच्छ ४३८, ४३९, ४४०, ४४१. १४९ पूर्णचंद्रसूरि बृहद्गच्छ ११९, १२२. १५० पूर्णचंद्रसूरि
३८. १५१ पूर्णचंद्रसूरि ब्रह्माणगच्छ २८१. १५२ पूर्णदेवसूरि १५३ प्रद्युम्नसूरि ब्रह्माणगच्छ १८८. १५४ प्रद्युम्नसूरि ब्रह्माणगच्छ १९, २२. १५५ बुद्धिसागरसूरि ब्रह्माणगच्छ ७०, २९८, ३००. १५६ भद्रेश्वरसूरि कछोलीवालगच्छ १६०. १५७ भवनानंदसूरि नागेन्द्रगच्छ ४४३. १५८ मावदेवसूरि भावडहरगच्छ ४७८. १५९ मावदेवसुरि १६० भावशेखरसुरि कूवडगच्छ १६१ भुवनसुंदरसूरि तपागच्छ ११८. १६२ मल्यचंद्रसरि
९६. १६३ मलयचंद्रसूरि पूर्णिमागच्छ १५७. १६४ मलयचंद्रसूरि बृहद्गच्छ ४०२. १६५ मलयचंद्रसूरि चैत्रगच्छ ३४६. १६६ महेश्वरसूरि हारिजगच्छ १६४, १८४, २६६, ४१८. १६७ मानतुंगसुरि धर्मघोषगच्छ ६५. १६८ मानतुंगसूरि बृहद्गच्छ १६९ मानदेवसूरि बृहद्गच्छ १७० मुनिचंद्रसूरि
३३.
११०.
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________________
१७१ मुनिचंद्रसूरि
ब्रह्मानगच्छ ९८, १६१, १७८, २६७,
४८६.
१७२ मुनिचंद्रसूरि धर्मघोषगच्छ ४६. १७३ मुनितिलकसूरि पूर्णिपागच्छ ३३२. १७४ मुनिरत्नमूरि आगमगच्छ ४८२. १७५ मुनिशेखरसूरि मलधारीगच्छ ७८, ७९. १७६ मुनिशेखरसूरि पूर्णिमागच्छ १९६, १७७ मुनिसिंहसूरि
१५०. १७८ मुनिसुंदरसूरि तपागच्छ ११८, १८०, १८६, १९०,
२८०, ३४२. १७९ मेरुतुंगसूरि अंचलगच्छ ९१. १८० मेरुनंदनोपाध्याय
१०७. १८१ मेरुप्रभसूरि वृहद्गच्छ ३८०, ४८५. १८२ यशश्चंद्रसूरि १८३ यशोदेवसूरि पल्लीवालगच्छ २२९. १८४ यशोगद्रसूरि पंडेरकगच्छ २६. १८५ यशोमद्रसूरि
५३. १८६ यशोभद्रसरि हेरकगच्छ २२०, ४९३. १८७ रत्नदेवसूरि पिप्पलगच्छ ३६१, ३८२, ३८९. १८८ रत्नदेवसूरि १८९ रत्नप्रभसूरि १९० रत्नप्रभसूरि १९१ रत्नप्रभसूरि कछोलीवाल १६०. १९२ रत्नप्रभसूरि बृहद्गच्छ १७६. १९३ रत्नशेखरसुरि नागेन्द्रगच्छ ९३.
७५.
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________________
४६
तपागच्छ
१९४ रत्नशेखरसूरि तपागच्छ ११८, २२१, २३६, २३८,
२४०, २४२, २४५, २४७, २५०, २५७, २५९, २८०, २८२, २९३, २९४, ३०१, ३१०, ३१९, ३२७, ३३६, ३४२, ३५३, ३५८, ३७२,
३७४, ३७९, ४२२, ४६१. १९५ रत्नशेखरसूरि पिप्पलगच्छ २८९. १९६ रत्नसागरसूरि पूर्णिमागच्छ ७१. १९७ रत्नसिंहमूरि तपागच्छ १४०, १७९, १९७, २०४,
२१४, २१७, २५४, २६३,
२७९. १९८ रत्नाकरसरि १९९ रत्नाकरसूरि ब्रह्माणगच्छ ८२. २०० रत्नाकरसूरि बृहद्गच्छ ३८०. २०१ राजतिलकसरि पूर्णिमागच्छ २७५, ३३२. २०२ राजशेखरसूरि मलधारीगच्छ ६२. २०३ लक्ष्मीदेवसूरि चैत्रगच्छ २३०, २८४, ३१५, ३१६,
३६६. २०४ लक्ष्मीदेवसूरि
२५३. २०५ लक्ष्मीप्तागरसूरि तपागच्छ ११८, २४५, ३१०, ३१९,
३२७, ३३६, ३४२, ३५३, ३५५, २५६, ३५८, ३६१, ३६७, ३७२, ३७४, ३७९, ३८४, ४०४, ४२२, ४५४,
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________________
४५५, ४५९, ४६१, ४७३, ४७४, ४८०,४८१,४८८,
४९९. २०६ लक्ष्मीसागरसूरि चैत्रगच्छ ३४६. २०७ लक्ष्मीसागरसूरि
३६३. २०८ ललितचंद्रसूरि पिप्पलगच्छ १५४. २०९ ललितप्रभसूरि जाल्योधरगच्छ ७६. २१० वयरसेणसुरि
५८. २११ वर्धमानसूरि चंद्रगच्छ ३३. २१२ वासुदेवसुरि हस्तिकुंडीगच्छ ४३. २१३ विजयचंद्रसूरि धर्मघोषगच्छ १६९, १८३. २१४ विजयदेवसूरि पिप्पगच्छ २१८, २७१, ३४१, ४१५. २१५ विजयप्रभसूरि विद्याधरगच्छ २६९. २१६ विजयरत्नसूरि तपागच्छ ४०८. २१७ विजयसिंहसूरि बृहद्गच्छ ३. २१८ विजयसेनसूरि
४२. २१९ विद्यासुंदरसूरि पूर्णिमागच्छ ४४७. २२० विनयचंद्रसूरि बृहद्गच्छ ८७. २२१ विनयप्रभसूरि नागेन्द्रगच्छ ६८. २२२ विनयप्रभसूरि नागेन्द्रगच्छ २८३. २२३ विबुधप्रभसूरि
५३. २२४ विबुधप्रभसूरि जाल्योधरगच्छ ६७. २२५ विमलसरि ब्रह्माणगच्छ ३२६ विमलसूरि ब्रह्माणगच्छ २०७, २९८, ३००, ३३८,
३३९.
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________________
६७.
२२७ विवेकरत्नपुरि खरतरगच्छ ३१७. २२८ विशालराजसूरि तपागच्छ ११८, २११. २२९ विशालराजसूरि पूर्णिमागच्छ ३९३, ४३०. २३० वीरचंद्रसूरि हीरापल्लीगच्छ ८०. २३१ वीरचंद्रसूरि चैत्रगच्छ ४३६. २३२ वीरदेवसूरि पिप्पलगच्छ ७३. २३३ वीरप्रभसूरि २३४ वीरप्रमसूरि पूर्णिमागच्छ १८१. २३५ वीरसूरि ब्रह्माणगच्छ १३६, ३१८, ३६०. २३६ वीरसूरि मावडारगच्छ १९२, २७२, २७३. ३३७ वीरसुरि २३८ शांतिप्रभसूरि बृहद्गच्छ ३५. २३९ शांतिसूरि पंडेरगच्छ १ २४० शांतिसूरि नागेन्द्रगच्छ ९९. २४१ शांतिसरि सेषुरगच्छ १२३. २४२ शांतिसूरि ज्ञानकीयगच्छ १७७. २४३ शांतिसूरि पंडेरकर्गच्छ १८९, २१२, २२०, २७८. २४४ शालिभद्रसरि जीरापल्लीगच्छ १११. २४५ शालिभद्रसूरि घडेरकगच्छ ५, १४. २४६ शालिसूरि षंडेरकगच्छ २७८, ३५३, ४६६, ४९३. २४७ शालिसूर संडेरवालगच्छ ४७०. २४८ शीलकुंरजगणि हुंबडगच्छ ४६९. २४९ शीलरत्नसूरि
१५०, २७६. २५० शीलसागर तपागच्छं २५१ संघदत्तसूरि हुंबडगच्छ
४३३.
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________________
२५२ सत्यशेखरगणि तपागच्छ ११८. २५३ सर्वदेवसूरि हुंबडगच्छ ६६. २५४ सवदेवसरि
२४८. २५५ सर्वदेवसूरि तपागच्छ ३८७. २५६ सर्वसूरि
२१९. २५७ सर्वाणंदसूरि धर्मघोषगच्छ ७४. २५८ सर्वाणंदसूरि कछोलीवालगच्छ १६०. २५९ सर्वानंदसूरि जाल्योधरगच्छ ६७. २६० सर्वानंदसूरि
२४८. २६१ सागरचंद्र पंडेरकगच्छ २६. २६२ सागरचंद्रसूरि धर्मघोषगच्छ ८६. २६३ सागर तिलकसूरि पूर्णिमागच्छ ३२२, ३५७. २६४ साधुरत्नसूरि पूर्णिमागच्छ १४४, १९६, २९९, ३३१,
३३७, ४५२. २६५ साधुरत्नसुरि धर्मघोषगच्छ २२४, २८८, ३३५. २६६ साधुसुंदरसूरि पूर्णिमागच्छ ३३१, ३३७, ४१०, ४१२,
४२७, ४३१, ४५२. २६७ सालिभद्रसूरि पिप्पलगच्छ ३४१, ४१५. २६८ सावदेवसूरि कोरंटकगच्छ २२६, ३०५, ३७१, ३७३,
आगमगच्छ ४६७. आगमगच्छ २६०.
२६९ सिंघदत्तसूरि २७. सिंहदत्तसूरि २७१ सिंहदेवसूरि २७२ सिंहसेनसूरि २७३ सिद्धसूरि
द्विवंदनिकगच्छ २७४, ३१२.
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________________
२७४ सिद्धसेनसुरि २७५ सिद्धाचार्य उपकेशगच्छ १२८. २७६ सिद्धान्तसागरसूरि अंचलगच्छ ४८४, ४९०, ४९८. २७७ सुमतिमाधुसूरि तपागच्छ ४९९, ५००. २७८ सुमतिसूरि षंडेरकगच्छ २३, २६ २७९ सुरसुंदरगणि तपागच्छ ११८. २८० सूरिचंद्र पंडेरकगच्छ २८१ सोमकीर्तिसूरि चैत्रगच्छ २८२ सोमचंद्रसूरि पिप्पलगच्छ ११६, २६५. २८३ सोमचंद्रसूरि सिडानीगच्छ ४०६. २८४ सोमदेवगणि तपागच्छ ११८. २८५ सोमदेवसूरि मड्डाहडगच्छ ४९. २८६ सोमदेवसुरि तपागच्छ ३५५, ३६१. २८७ सोमसुंदरसूरि तपागच्छ १०९, ११८, १२५, १३२,
१३४, १४७, १४८, १४९, १५५, १५९, १६६, १६७, १९८, २११, २२१, २३८, २४२, २५०, २५९, २८०, २९४, ३८४, ४८०, ४८१,
५००. २८८ सोमसुंदरसूरि रुद्रपल्लीगच्छ २६४. २८९ सोमसूरि
३३. २९० सोमोदयगणि तपागच्छ ११८. २९१ हंसराजसूरि धर्मघोषगच्छ ६५. २९२ हरिभद्रसूरि जाल्योधरगच्छ १७.
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________________
२९३ हेमचंद्रसूरि
१७. २९४ हेमतिलकसरि ब्रह्माणगच्छ ८२. २९५ हेमरत्नसूरि आगमगच्छ १३५, २०८, २३२, ३३०, २९६ हेमरत्नसूरि नागेन्द्रगच्छ ३९९, ४९१. २९७ हेमविमलसूरि
२३९. २९८ हेमसूरि चंद्रगच्छ ३३. २९९ हेमहंससूरि ब्रह्माणगच्छ २८१.
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________________
नोटो.
११ आ उदयदेवमूरि सोमचंद्रसूग्निा पट्टधर छे. जूओ ले.
नं. २६५. २१ आ कक्कसूरि ए नन्नसूरिनी पाटे थया छे, अने ते पना गुरुनी __मूर्ति उपरनो आ लेख छे. जूओ ले. ६३ २३ आ कक्कसूरि अने २१ नंबरना कक्कसूरि, बन्न एकज गच्छना
छे, परन्तु ते बन्ने छे जूदा जूदा. २९ गुणचंद्रसूरि ए मुनिचंद्रसूरिना शिष्य छे. जुओ ले नं ४६. ३५ आ गुणदेवसूरि गुणसमुद्रसूरिना पट्टधर छे. जूओ ले. नं.४०० ३७ आ गुणनिधानसरि गुणसुंहरसूरिना पट्टधर छे. जूओ ले. ___नं. ४४८ ३८ आ गुणप्रभसूरि गुणसागरसूरिना शिष्य थाय छे. कदाचित्
३९ नंबरना गुणप्रभसूरि अने आ एकन होय. बन्नेमां
गच्छनां नाम नथी लख्यां. ४६ आ गुणसागरसूरि ए उदयदेवसूरिना पट्टधर थाय छे. जुओ
ले. नं. १४५. ४७ आ गुणसागरसूरि, ए गुणरत्नसूरिना पट्टधर छे. जूओ
__ले. नं. ३८३ ५०-५१ आ बन्ने गुणसुंदरसूरि कदाच एकज होय, कारणके बन्नेना
लेखोमां संवत् लगभग पासे पासे छे. परन्तु एकमां गच्छर्नु नाम नहिं आपवाथी अने विशेष खातरीवाळू प्रमाण नहिं मळवाथी जूदा भाप्या छे.
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________________
५३
५३ आ चंद्रप्रभसूरि, ए गुणदेवसूरिना पट्टधर छे. जुओ ले. नं. ३०६
५४ आ चंद्र सिंहसूरि, ए हरिभद्रसूरिना शिष्य छे. जुओ ले.
नं. ६७
५५ आ चंद्रसूरि ए पूर्णचंद्रसूरिना शिष्य के. जुओ ले. नं. ३८
५७-५८ आ बन्ने एकन होई शके. कारण के अंचलगच्छनुं बीजुं नाम ' विधिपक्ष' पण छे, एम कहेवाय छे. आ संबंधी जुओ गच्छो उपरनी नोट नं. ३८
१९. आ जयचंद्रसूरि ए सोमसुंदरसूरिना शिष्य छे, जुओ ले. नं १९८
६० आ जयचंद्र, ए पाश्चचंद्रना पट्टधर छे, अने भीमपल्लीय छे. जुओ ते नंबरोवाळा लेखो
६४ आ जयरत्न, ए जयचंद्रसूरिना शिष्य छे. जुओ ले. नं.
४९.४.
६९ आ जिनकुशलसुरि, ए जिनचंद्रसूरिना शिष्य छे जुओ ले. नं. ५६
७२–७३ आ बन्ने जिनचंद्रो जुदा जुदा छे. ७२ नंबरवाळा जिनवर्धनसूरिना पट्टधर, तो ७३ नंबरवाळा छे निनभद्रसूरिना पट्टधर. ७५ आ जिनदेवसूरि, ए जिनेश्वरसूरिना शिष्य छे जुओ ले. नं. ३९
७६ आ जिनदेवसूरि, ए गुणदेवसूरि संतानीय छे. संभव छे ७५ नंबरना अने आ बन्ने एक होय.
७८ मा भिनभद्रसूरि ए मिनराजसूरिना पट्टधर छे. जूओ ले. नं.
२४३.
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________________
५४
८४ आ भिनसागरसूरि ए जिनचंद्रसूरिना पट्टधर छे. जूओ ले. नं. १६५.
८६ आ जिनसुंदरसूरि, ए जिनसागरसूरिना पट्टधर छे. जओ ले. नं. ३६४.
८७ आ जिनहर्ष, ए जिनसुंदरसूरिना पट्टधर छे. जूओ ले. नं. ३६४.
९० जिनोदेवसूरि, ए जिनराजसूरिना पट्टधर छे. जुओ ले नं. ३९२ ९९ - १०० पहेला देवगुप्तसूरि, ए सिद्धाचार्यसंतानमां, मेदुरीयशाखामां थया छे, ज्यारे १०० नंबरना देवगुप्तसूरि ककूदाचार्य संतानमां थया छे.
-
१०१ आ देवचंद्रसूरि देवाचार्य संतानीय छे. जूओ ले. नं. ११९. १०.२ आ देवप्रभसूरि रत्नशेखरसूरिना पट्टधर छे. जुओ ले. नं. ९३ १०५ आ देवरत्नसूरि जयानंदसूरिना पट्टधर छे. जओ ले. नं. ४३५ ११० आ देवसूरि सर्वानंदसूरि संतानीय छे. जूओ ले. नं. ६७. ११७-११८ आ बन्ने देवेन्द्रसूरि जुदाज लागे छे. कारण — बन्नेना संवतोमा ६९ वर्षनुं अंतर छे. वळी जुदा जुदा गच्छनी पद्धति प्रमाणे पहेला देवेन्द्रसूरिनी करावेली प्रतिष्ठाना लेखमां देवेन्द्रसूरीणामुपदेशेन ( जेवी रीते के अंचलगच्छ निगेरेना आचार्योनी प्रतिष्ठाना लेखोमां होय छे.) लखवामां आवेल छे. ज्यारे बीजा देवेन्द्रसूरिना लेखमां देवेन्द्रसूरिभिः एम लखवामां आवे छे.
१२६-१२७ आ बन्ने धर्मचंद्रसूरि, यद्यपि एकज गच्छना छे, परन्तु छे बन्ने जूदा जूदा. जूओ बन्नेना शिलालेखो .
१३२-१३३ आ बन्ने नन्नसूरि एकज गच्छना होवा छतां जुदा जुदा छे. पहेला नन्नसूरिनी तो मूर्ति उपरनो ते लेख छे. अने ते
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________________
५५
मूर्ति तेमना शिष्य कक्कसूरिए स्थापित करावी छे. जेनो संवत् १३९३ छे, एटले नन्नसूरि तो ते पहेलां थइ गयेला होय, ए स्वाभाविक छे. बीना नन्नसूरि पोते एक भगवान्नी मूर्त्तिनी प्रतिष्ठा करे छे, जेनो संवत् १४६६ छे.
१३६ आ नरसिंहसूरि रत्नसागरसूरिनी पाटे थया छे. जूओ ले. नं. ७१
१३७ पद्मचंद्रगणि, ए देवसूरिना शिष्य छे. ले. नं. १८ १४९ आ पूर्णचंद्रसूरि, ए देवचंद्रसूरिना पट्टधर छे. जूओ ले. नं. ११९
१५३-१५४ यद्यपि बन्ने प्रद्युम्नसूरि एकज गच्छना छे, परन्तु बन्ने जुदा छे. १५४ नंबरवाळानो सं. १२१९ नो छे, तो पहेलानो १५०१ नो छे.
१८० मेरुनंदनोपाध्याय, ए जिनदेवसूरिना शिष्य छे. जूओले. नं. १०७ १८४-१८५-१८९ आ त्रणे यशोभद्र जुदा जुदा समयमां थयेला छे. त्रणेना संवतो जोवाथी खातरी थशे.
१८७ आ रत्नदेवसूरि, ए उदयदेवसूरिना पट्टधर छे जुओ ले. नं. ३८२
१९४ आ रत्नशेखरसूरि, ए श्रीसोमसुंदरसूरिना शिष्य थाय छे. जूओ ले. नं. २९४
१९८-१९९ आ बन्ने रत्नाकरसूरि कदाच एकज होय, परन्तु एकमां गच्छनुं नाम नहिं होवाथी जुदा बताववामां आव्या छे. २०१ आ राजतिलकसूरि मुनितिलकसूरिना पट्टधर छे. जुओ ले. नं. ३३२
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५६
२०९ आ लक्ष्मीसागरसूरि ए रत्नशेखरसूरिना पट्टधर छे. जूओ तेमना लेखो.
२०६ आ लक्ष्मीसागरसूरि मलयचंद्रसूरिना पट्टधर छे जूओ ले. नं. ३४६
२१३ आ विजयचंद्रसूरि पद्मशेखरसूरिना पट्टवर ले. नं. १६९ २१७ आ विजयसिंहसूरि अजितदेवमूरिना शिष्य छे जुओ ले नं. ३ २१८ आ विजयसेनसुरि पूर्णदेवसूरिना शिष्य छे जूओ ले. नं. ४२ २२० आ विनयचंद्रसूरि धर्मचंद्रसूरिना पट्टधर छे जूओ ले. नं. ८७ २२१-२२२ बन्ने विनयप्रभसूरि जुदा जुदा छे कारण के बन्नेना संवतोमा १११ वर्षनुं आंतरु छे, बीजा विनयप्रभ, ए पद्मानंद सूरिना पट्टधर छे.
२२३ आ विबुधप्रभसूरि, ए यशोभद्रसूरिना शिष्य छे जुओ ले. नं. ५३
२२५-२२६ बन्ने विमलसूरि जुदा जुदा छे, लगभग दोढसो वर्षनुं बन्नेमां आंतरु छे. बीजा विमलसूरि ए बुद्धिसागर सूरिना पट्टधर छे. जुओ ले. नं. ३००
२५३-२५४ आ बन्ने सर्वदेव यद्यपि हुंबडगच्छीय छे, परन्तु बन्ने जुदा छे कारण के बन्नेनां संवतोमां लगभग सो उपर वर्षोनुं अंतर छे.
२६१२ आ सागरसूरि ए ज्ञानचंद्रसूरिना पट्टधर छे. जुओ ले. नं. ८६ २६४ आ साधुरत्नसूर मुनिशेखरसूरिना पट्टधर छे जूभो ले. नं. १९६
२६ आ साधुसुंदरसूरि ए साधु रत्नसूरिना पट्टधर छे जूओ ले. नं. ३३७
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५७
२६८ आ सावदेवसूरि, कक्कसूरिना पट्टधर छे. जूओ ले. नं. ३०५ २६९-२७० एकनुं नाम सिंघदत्तसूरि लख्युं छे, अने बीजार्नु सिंहदत्त
सूरि. बन्ने आगमगच्छीय छे. अने समयमां पण लांबो फरक नथी. तेथी अमने तो बन्ने एकन लागे छे. 'सिंह' अने
सिंघ ऐ लखवा मात्रमा फरक छे. २७२ आ सिंहसेनसूरि ए देवभद्रसूरिना शिष्य छे. जूओ ले.नं.१६ २८३ आ सोमचंद्रसरिने ' सिड्रानीगच्छ ' ना बताव्या छे. परन्तु
लेख वांचवामां गडबड थएली छे. सिद्धान्ती किंवा 'सिद्धान्त
गच्छ ' होवू जोइए. २८५ सोमदेवसुरि, ए धर्मघोषमूरिना पट्टधर छे, जूओ ले. नं. ४९ २९४ हेमतिलकसूरि, ए रत्नाकरसूरिना पट्टधर छे. जूओ ले.नं.८२ २९६ हेमरत्नसुरि, ए कमलचंद्रसूरिना पट्टधर छे. जूओ ले.नं.३९९ २९८ आ हेमसूरि, ए सुप्रसिद्ध कुमारपाल प्रतिबोधक हेमचंद्राचार्य न
जणाय छे. कारणके गुरुर्नु नाम देवसूरि आप्युं छे. अने
गच्छ पण चंद्रगच्छ बतान्यो छे. २९९ आ हेमहंससूरिने उदयप्रभसरि तथा श्रीपूर्णचंद्रसूरिना पट्टधर
बताववामां आव्या छे. जूओ ले. नं. २८१.
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आ लेख संग्रहमां आवेल गामोनी
अनुक्रमणिका.
नाम
लेखाङ्क
१ अजमेर
३१४.
२ अणहिलपुर
५.
३ अणिया
३६७.
४ अहमदावाद २१३, ३५५,
३७२, ३९३, ४३९,
४४०, ४५९, ४८४.
३९८.
३२५.
७ आत्रसुंबा
१६९
८ आद्रीयाणा ३१४, ३४६,
४१३.
५ अहमदनगर
६ आडी सर
९ आस्यापुली
१० ईडर - इलदुर्ग ४७४, ४७५.
११ उपलोआसर
४००.
१२ करहेक
१७०.
१३ कर्केरा
३६१.
४५५.
७५.
३५६.
१४ काकर
१५ काछोली
१६ कायथा
लेखाङ्क
४६७.
२४२.
४१२.
२३८.
२१ गंधार ३०१, ३९६,
४०८, ४३३, ४८३,
४८८, ४८९.
नाम
१७ काही आणा
१८ कुणगिरि
१९ कोच डा
२० खयरवाडा
२२ गहूआ
२३ गोबहल
२४ गोलग्राम
२५ घुंघणि ३०३. २६ घोघा
३८३.
३४१.
३३६.
४६४.
१४१, २९६,
३२१, ४१६, ४२४,
४४७.
२७ चित्रकूट
२८ चूडा
२९ जसघण
३० जांबू
३१ जाखुरा
२०, ४८७.
३००.
२०७.
३३२.
४५७.
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नाम
लेखाङ्क
नाम
लेखाङ्क
३२ जाल उर ४८१. ५३ पत्तन ५६, २५५, ३३ जालहर २६५. २९३, २९४, ३७६, ३४ जाल्योधर ३०९. __३७७, ३७८, ४०२, ३५ झझूवाटक ३४५, ४९५. ३६ डहरवाला ३६५. ५४ पलसुंड २१०. ३७ तलाडा
२६२. ५५ पल्लिका ३८ तिलसाणा १३५, ४४६. ५६ पालविणि
४६२. ३९ तेद्रोसणलि ४१४. ५७ पुणसुरा ३२८. ४० दांत्रेटीय ४११. ५८ प्रभादित्यपुर ४१ दाठा ३८२. ५९ प्रांहतीन ३६२. ४२ दीघडिया २९०, ६० फलवर्धिका ४३ दीधसिरि ३५१. ६१ बजाणा ४४ देवकुलपाटक १०४,१६३, ६२ बलासर २३९. २४०, ६३ बहीयल
४८६. ४५ द्राआ १२०. ६४ नासपा २१७. ४६ धंधुका-धंधुकपुर २०८, ६५ बीबीपुर
४०५. ६६ बेट ३४९, ४७ धीणुज ३५८. ४८ धीव्यरनडी ४२७. ६७ बोरसिद्ध ३२२, ४९ नडुलाइ ८७. ६८ भावहिर ३०६. ५० नायका २७८. ६९ मेहावसु ३१८. ५१ नोबडासण ३८७. ७० मंगलपुर ५२ पंचाण १५१. ७१ मंडपदुर्ग ३४२.
३३१.
س
३७५.
ه
ه
ܝܘ
ه
س
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नाम
लेखाङ्क
doc
१८.
२६८
س
नाम
लेखाङ्क ७२ महिसाणा १५४. ९८ वारांहि ७३ महूआ ३९४. ९९ विराटपुर २०१. ७४ मइया १५०. १०० विराडा ७५ मांकाग्राम ३३९. १०१ वीडूवाडा ७६ मांडल २३२. १०२ वीरपुर
२२५. ७७ मांडलि-शीतापुर ४२६. १०३ वीरमगाम २३६, ३२७. ७८ माहीग्राम ४५१. १०४ वीसलनगर १४७, १९७. ७९ मूंडहटा ३८७. १०५ सत्यपुर ३४८. ८० मूली
४८२. १०६ सबारी ८१ मोरवाडा ४२९ १०७ समी ३१५, ३१६. ८२ मोरीया
५४. १०८ सलखणपुर ३३८. ८३ रणासण
५९. १०९ सहुआला २००. ८४ रनला
४०९. ११० सांबुरी २९९. ८५ राणपुर ३६९. १११ सिंघासर-उबडी ८६ राधनपुर ३३७. ११२ सिणुरा ८७ रोहीसा ४१७. ११३ सिरीयाद्र ८८ लोलीआणा ४४३. ११४ सीहुन ८९ वडली ४९४. ११५ सुंद्रियाणा ९० वडावली २५३. ११६. सुनेघ ९१ वणुद्र ३६०. ११७ सुरपत्तन
२९५. ९२ वरिआनगर ३०५. ११८ सोबडा २३१. ९३ वर्धमानपुर ४, ७, १५. ११९ सोलग्राम ४०३. ९४ वसन
२१७. १२० स्तंमतीर्थ २५४, २५९, ९५ वाटापल्ली
४३५, ४७६. ९६ वाडीज
२७४. १२१ हुदडाग्राम ३८६, ९७ वामइया २१६.
or
or
as
३७९. १८५. १८८.
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नोटो.
१२ 'करहेटक ' ए अत्यारनुं करेडा छे. 'करेडा पार्श्वनाथ 'ना ____तीथ तरीके प्रसिद्ध छ. उदयपुरनी पासे छे. ३२-३३ जालउर अने जालहर ए बन्ने कदाचित एक होय 'जालहर'
ए अक्षरो वांचवामां फर्क होय. 'उ' नो 'ह' वंचायो होय.
जालउर एज जालोर छे. ३५ झींझूवाटक ए अत्यारना ' झींझूवाडा ' नुं नाम छे. ६७ बोरसिद्ध ए अत्याग्नु । बोरसद ' छे. ७३ ७४ महुआ अने महया ए बन्ने एकज होय एम समवे छे. घणा
शब्दोमां केटलाक 'आ' लखे छे तो केटलाक 'या' खे छे. एकुंज आमां बन्यु होय. परन्तु आ ' महआ ' ए अत्या
रनुं ' महूवा छे के केम ? ए शोधवानुं रहे छे. ९५ ' वाटापल्ली , ए अत्यारनी ' वडाली ' छे, एम केटलाकोनुं
मानवं छे. १०५ सत्यपुर, ए अत्यारनुं ' साचोर 'छे. सच्चउर-सत्यपुर साचोर,
एम अनुक्रमे बन्युं छे.
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शुद्धिपत्र.
पृष्ठ लेख नं.
५० १६९ ७३ २४८ ७४ २५२
९९ ३४१ १०८ ३७१ १०९ ३७३ १११ ३८१ १२६ ४३३ १४० ४८३ १४४ ४९३
अशुद्ध
शुद्ध सूरिचन्द्रसागर चन्द्र सूरिचन्द्र सागरचन्द्र साषुला
सांषुला (सांखुला) १४०९
१५०९ कुक्कदाचार्य कक्कुदाचार्य श्रीशुणसमुद्रसूरिभिः श्रीगुणसमुद्रसूरिमिः विष्फ(प्प)ल पिष्फ(प्प)ल श्रीसालदेवसूरिभिः श्रीसावदेवसूरिभिः श्रीपा(भा)वदेवसूरिभिः श्रीसावदेवसूरिमिः प्र० श्रीउरप
श्रीउदय श्रीगुगतिलक श्रीगुणतिलक श्रीजशोभद्रसूरि श्रीज(य)शोमद्रसूरि
प(पक्षे)
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104
शान्तमूर्तिश्रीवृद्धिचन्द्रगुरुभ्यो नमः
प्राचीन लेखसंग्रह.
(भाग १ लो . )
(मारभा शतना ) ( १ )
संवत् ११२३ चैत्रशुदि ८ सोमे
श्रीखंड रेक संताने लषमादेजिनालये ।
शांतिसूरेर्गिरा वीरः सगोष्ट चकारि मुक्तये ॥ १ ॥ सं० १२५८ वर्षे महं वील्हणेन परिकरजीर्णोद्धार[:]कृतः
(૧) વીઝાવાના દેરાસરમાં મૂલનાયકજીના પરિકર નીચેના આ લેખ છે. વમાનમાં મૂત્રનાયક શ્રીપાર્શ્વનાથજી છે. હેની પ્રતિષ્ઠાને સ. ૧૬૪૪ ના છે. આથી અને પરિકર નીચેના લેખથી માલૂમ પડે છે ઃ–પહેલાં આ પરિકરમાં મૂલનાયકજી મહાવીરસ્વામી હતા.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(२)
संवत् ११३६ फाल्गुनवदि ४ श्रीअड्डालिजीयगच्छे श्रीजीवदेवाचार्यसंताने कुंभानाजप्रतिबद्धसोढसुताशांतिना स्वस्वश्रेयोर्थ श्रीशांतिनाथप्रतिमा कारापिता
संवत् ११४३ वैशाखसुदि ३ बृहस्पतिदिने श्रीवीरनाथदेवस्य श्रावको नाम । जरुकः कारयामास सह्येवं ...देवि मनातु । श्रीअजितदेवाख्यसूरिशिष्येण सूरिणा श्रीमद्विजयसिंहेन जिनयुग्मं प्रतिष्ठितम बृहद्गच्छे
संवत् ११७४ फाल्गुनवदि ४ श्रीसरवालसंस्थितगच्छप्रतिपालकश्रीजिनेश्वराचार्य श्रीवर्द्धमानपुरे परि० महणसुत...कनेन ...देवश्रेयोर्थ श्रीसीतलदेवप्रतिमा कारिता
અને પાછળથી પાર્શ્વનાથ પ્રભુને પધરાવેલ છે. આ ગામ, મારવાડમાં આવેલ રાણી સ્ટેશનથી ૧૫ ગાઉ અને વરકાણું તીર્થથી
અડધે ગાઉ દૂર છે. (२) पढवाय श२ ॥ डा। शस२॥ प२ि४२नी नाये। लेप, ( 3 ) १२साना, ऋषभदेव खामीन माहिरमा समीया ५२नी सेम.
આ ગામ શિવગંજ (એરિણપુરા)થી લગભગ ૮માઇલ ઉત્તરમાં છે. (૪) વઢવાણ શહેરના મોટા દેરાસરમાં ભમતીની અંદર પરિકરની ની
એને લેખ.
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भाग १ सो.
(५) संवत् ११८१ आशाढसुदि १० शुक्रे श्रीषंडेरकगच्छे श्री(अ)णहिल्लपुरीयश्रीशान्तिनाथचैत्ये सं० धवल तत्सुत छेमुदेव तत्पुत्र षाढाकेन श्रीवष्णादिपुत्रयुतेन निजमाता सत्यहामा निजपुत्र सेतुकनिमित्तं श्रीधर्मनाथबिंबं मोक्षार्थ च कारितमिति श्रीषा(शा)लिभद्रमरिणा प्रतिष्ठितं
(१) संवत् ११६३ राजश्रीश्राविका (कया) श्रीमहावीरप्रतिमा कारापिता
(७) संवत् ११६४ माघशुदि ६ भू(भौ)मे श्रीवर्द्धमानपुरे श्रीसरवालगच्छे श्रीजिनेश्वराचार्यसंताने ठ० देवानंदेन स्वमातुः सज्जणिश्रेयोर्थ श्रीविमलनाथप्रतिमा कारापिता
(८) संवत् ११६६ माघसुदि १२ गुरौ सहजमत्या स्वश्रेयोर्थ श्रीऋषभनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीमदेवसूरिभिः ॥
(૫) નાડેલના બજારમાં વિદ્યાશાળાની હામેના દેરાસરમાં ભૂલનાય
કચ્છના પરિકર નીચે આ લેખ છે. આ ગામ મારવાડના રાણું સ્ટેશનથી ત્રણ ગાઉ દૂર છે. અને તે મારવાડની હેટી પંચતી
થમાંનું એક તીર્થ ગણાય છે. (૬) ઉદેપુરના ગેડીના ભંડારની ધાતુની મૂર્તિ ઉપરને લેખ. (૭) વઢવાણ શહેરના મોટા દેરાસરમાં પરિકરની નીચે લેખ. (૮) ઉદેપુરના શીતલનાથના દેરાસરની ધાતુની મૂર્તિ ઉપરને લેખ.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(तेरभा शतना)
(ख)
सं० १२०१ वैशाखसुदि ६ रखौ माणिकनिमित्र ( त्तं ) पुनाकेन चतुर्विंशतिजिन प्रतिमा प्रतिष्ठापिता
(१०)
॥ संवत् १२०७ चैत्रवदि ५ स (श) नौ श्रीअड्डालिजीयगच्छे श्रीदेवाचार्य संताने श्रे० सांति दुहिता स्रामी सांपी स्वश्रेयोर्थं श्री अजितनाथ जनयुगलं कारापितं || मंगलं महाश्री ॥
(११)
संवत् १२०८ ज्येष्ट (ठ) शु० २ बुधे श्रीसरवालगच्छे श्रीजिनेश्वराचार्य संताने बोहा सुतवता नेमिकुमारेण भार्या लक्ष्मी आत्मश्रेयोर्थं प्रतिमा कारिता
(१२)
सं० १२१० माघशु० ८ गुरौ श्रीशांतिबिंबं प्रतिष्ठितं श्री - देवसूरिभिः कारितं सलषूश्राव (वि) कया स्वश्रेयोर्थं ।
( ૯ ) ચિત્તોડના ગઢ ઉપર નવા મંદિર પાસે યતિની કાટડીમાં, ચાવીશીના ગટ્ટાની પાછળના લેખ.
( ૧૦ ) વઢવાણ શહેરના મ્હોટા મંદિરમાં ગભારામાં પેસતાં એ મૂર્તિ थे। उली छे, ते उपरनो सेम.
( ૧૧ ) વઢવાણ શહેરના મ્હોટા દેરાસરમાં પરિકરની નીચેના લેખ.
( ૧૨ ) માંડલના શ્રીપાર્શ્વનાથના દેરાસરમાં ધાતુની મૂર્તિ ઉપરના લેખ.
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ભાગ ૧ લે.
(१३) संवत् १२१० ज्येष्ठसुदि १३ गुरा (रौ) वोसरि पुत्र वीसेलव भ्रातृश्रेयोर्थ श्रीपार्श्वनाथप्रतिमा कारितेति ।।
(१४) संवत् १२ - - फागुणसुदि ११ सोमे श्रीषंडेरकगच्छे लुशापाठकचैत्ये श्रीशालिभद्राचार्यैः सकलगोष्ठियुतैः श्रीनेमिनाथमूलनायक[स्य] । प्रतिमा कारिता ॥ प्रतिष्ठिता श्रीशालिभद्रसूरिभिः॥
(१५) संवत् १२१२ माघशुदि ११ श्रीवर्द्धमानपुरे श्रीसरवालगच्छे श्रीजिनेश्वराचार्यसंताने आमचंउसुतेन वोसिना मातुः मोहिणिश्रेयोर्थ.....श्रीवास(सु)पूज (ज्य)प्रतिमा कारिता ॥
(१६) संवत् १२१३ आपाढवदि १ रवौ श्रीपल्लिकायां श्रीऋपभदेवचैत्ये भं देदा सोमदेव तील्हणसहितया मदनिकाश्राविकया स्वश्रेयोर्थ श्रीपार्श्वनाथप्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता भ पूज्यपादेवभद्रसूरिशिष्यैः सिंहसेनमूरिभिः
(૧૩) ચિત્તોડ ગામના શ્યામ ઋષભદેવના દેરાસરમાં ધાતુની પ્ર
તિમા ઉપરને લેખ. (૧૪) બેયાના દેરાસરમાં ડાબા હાથના પરિકરની નીચે લેખ.
આ ગામ મારવાડમાં. વાલીથી ૩ ગાઉ ઉપર છે. (૧૫) વઢવાણ શહેરના મોટા દેરાસરમાં પરિકરની નીચેને લેખ. (૧૬) ઘાણે રાવના બીજા ન્હાના ઋષભદેવના મંદિરમાં મૂલનાયક
જીની નીચે લેખ. આ ગામ મારવાડની મોટી પંચતીર્થીમાંનું એક તીર્થ ગણાય છે.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(१७) ॥ सं १२१५ माघवदि ४ शुक्रे । सागरतनुजयशोभद्र नामा श्रीपार्श्वनाथजिनपिंप(बिंबं) । पुत्र यशःपालच्छिरदेवीभार्या सप्तं चक्रे ॥ श्रीहेमचंद्रमूरि[णा] प्रत्रि(ति)ष्टि(ष्ठितं ॥
(१८) ___ संवत् १२ १५ वैशाखसुदि १० सोमे विसाडास्थाने श्रीमहावीरचैत्ये समुदायसहितैः देवणाग नागड जोगडसुतैः देल्हा जवरण जसचंद्र जसदेव जसधवल जसपालैः श्रीनेमिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं वृहद्गच्छीयश्रीमद्देवसु(सू)रिशिष्येन पं० पद्मचंद्रगणिना प्रतिष्ठितं
__ (१८) संवत् १२१६ माघवदि ५ उसभसुत -बशांतेः स्वपितु -षिकायाः स्वमातुश्च श्रेयोर्थं श्रीसजाधपवास्तव्ये (व्यैः)श्रीब्रह्माणकगच्छसंव(व)द्धैः। सहदेव । सर्वदेव । यशोदेवैः चतुर्वि(वि)शतिजिनपट्टः कारितः श्रीप(प्र)द्युमन(म्न)मूरिभिः प्रतिष्ठिता(तः)
(२०) ॥ संवत् १२२१ मार्गसिरसुदि ६ श्रीफलवर्द्धिकायां देवाधिदेवश्रीपार्श्वनाथचैत्ये श्रीप्राग्वाटवंसीय रोपि मुणि भं० दसाढाभ्यां
आत्मश्रेयोर्थ श्रीचित्रकूटीय सिलफटसहितं चंदको प्रदतः(त्तः सु(शुभ भवत् (तु)॥ ( ૧૭ ) સુરત, તાલાવાળાની પિોળમાં સીમંધરસ્વામીના મંદિરની ધાતુ
'नो भूति परन सेभ. (૧૮) નાડલના પદ્મપ્રભુના દેરાના ગભારામાં પેસતાં કાઉસગીયા
નીચેના લેખ. ( १८) साह (भा२१)ना महिनी घातुनी भूति ५२ सेम. ( २० ) भेउतानी पासेना सोधिपाव नायना शस२ महिला
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मा १ सो.
(२१) ॥ संवत् १२२८ फाल्गुनवदि ५ भो(भौ)मे श्रीअडालिजगच्छे श्रीमोढवंशे श्रे० धांधू भार्या । चडवश्राविकया आत्मश्रेयोर्थ श्रीश्रेयांसप्रतिमा कारिता ॥
(२२) । सं १२३५ फागणशुदि ३ रवौ भा० सा उयेत वधू नंदोर्याः श्रेयो) श्रीमहावीरबिंब कारितं प्रतिष्ठितं ब्रह्माणगच्छीयश्रीप्रद्युम्नसूरिभिः ॥ छ ।
(२३) संवत् १२३७ फागुणसुदि २ भौमे श्रीपंडेरकीयगच्छे ...द पाल्हणपुत्र देवकुमार जसवीर वीलण जगदेव जसदेव... कारितं श्रीसुमतिसूरिभिः प्रतिष्ठापितं
(२४) सं १२४३ वर्षे कार्तिकवदि ५ भो(भौ)मे श्राविका पांदीवात्मश्रेयोर्थ महावीरबिंब कारापितं ॥
(૨૧) વઢવાણ શહેરના મોટા મંદિરમાં પરિકરની નીચે લેખ. (૨૨) રાધનપુરના શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુની મૂર્તિ ઉપરનો લેખ. (૨૩) નાડેલના પદ્મપ્રભુના મંદિરમાં, જમણા હાથની કેટડીની
અંદરને લેખ. (૨૪) વઢવાણ શહેરના મહેટામંદિરમાં, કલ્પવૃક્ષ સાથેની પ્રભુમતિની
નીચેને લેખ.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(२५) ॥ संवत् १२४६ वर्षे ज्येष्ट(ष्ठ)शुदि १० बुधे श्रे० दादू सुता रत्नी तस्याः स्वपत्न्याः श्रेयोर्थ श्रे० छाहडेन श्रीनेमिनाथविवं (बिंब ) कारितं श्रीदेवानंदसूरिभिः प्रतिष्ठितमिति ।
(२६) संवत् १२५१ ज्येष्ट(४)शुदि ६ शुक्रे श्रीषंडेरकगच्छे श्रीयशोभद्रसूरिसंताने पंन्यास देव म० सूरिचन्द्रसागर चन्द्र ...देवधणचन्द्रप्रमुखसहितैः श्रीरि(ऋषभनाथबिंब कारापितं श्रीसुमतिमूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥ लूंषाकाचैत्ये
(२७) संवत् १२५६ ज्येष्ठ(ठ)शुदि १० रवौ श्रे० चाडसीहेन निजकुटुंबसहितेन पार्श्वनाथ० [:] कारितः प्रतिष्ठितः श्रीदेवभद्रसूरिभिः ।।
(२८) ___ सं० १२६१ ज्येष्ठसुदि० १० बृहस्पतिदिने श्रीनरचंद्रोपाध्यायैः पं० कुलचंद्रसाधुगुणचंद्रविणयचंद्र ......चंद्रबहुचंद्रवीरचंद्र महाराजपुत्रश्रीदेवसीहपुत्रिका श्रीदेवडी सिरयादेवि कारापिता प्रतिष्ठिता श्रीनरचंद्रोपाध्यायेन......
(૨૫) વઢવાણ શહેરના મોટા મંદિરમાં પરિકરની નીચે લેખ. (२६) योया ( भा२०१७ ) ना महिमा ५६२४२नी नायना नेम. (૨૭) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુની મૂતિ ઉપરને લેખ. (२८) रा ( भावा)ना महिमानी मे है परन सेम.
આ ગામ એરણપુરા સ્ટેશનથી લભભગ ૧૦ માઈલ થાય છે.
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ભાગ ૧ લો.
(२८) ।संवत् १२६१ आपाढवदि ८ शनो(नौ) श्रे० पासदत भार्या वेलिसिरिसहसा स्वश्रेयसे श्रीरि (ऋ)पभनाथविवं कारितं
(३०) सं १२६२ फागु(ल्गु)णशुदि १० रवौ श्रे० पूनदेवसुतवीरा पासदेवश्रेयोर्थ का० प्र० श्रीसी(सिं)हदेवमारिभिः
(३१) सं० १२ (?) ७० वर्षे फा०व० २ प्रा० व्य० वीजा भार्या वीन्हश्रेयसे सु० सोमाकेन श्रीअजितनाथविंबं का० प्र० ३० श्री भावदेवसूरिभिः
(३२) ॥ संवत् १२७३ वर्षे कार्तिकवदि ५ सोमे श्रीमोढ...श्रीअड्डालिजगच्छीय श्रे० आसादेवसुत श्रे० शांतिपुत्रेण व्य० उदयपातेन श्रे० षोहिणि स्वश्रेयो) श्रीमल्लिनाथजिनविवं ( विंबं ) कारितमिति
(૨૯) પાટડીના દેરાસરની ધાતુની મૂર્તિ ઉપરનો લેખ, (૨૦) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુની મૂર્તિ ઉપરનો લેખ. (૩૧) લીંબડીના જૂના દેરાસરની ધાતુની મૂર્તિ ઉપર લેખ. (૩૨) વઢવાણ શહેરના મોટા મંદિરની ભમતીમાં પરિકરની
નીચેના લેખ.
Page #83
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(33)
संवत् १२७५ वर्षे वैशाखशुदि ४ शु
૧૦
श्रीमच्चंद्रकुले नभोवद्तुले सज्जीवकाव्यालये भास्वत्सोममुनींद्र मंगल बुधोत्ताराविशाखोदये । जातो मोहतमोपही दिनमणिः श्रीवर्धमानाभिधः
सूरिर्भूरिगुणप्रतोषितसुरो भव्यांबुजोद्बोधकः । १ तत्पट्टे श्रीदेवसूरिः हेमसूरिस्ततोभवत् । जज्ञे श्रीयशचंद्रसूरिः सूरिशिरोमणिः || [२] सूरिश्रीमुनिचंद्राहो विश्व ( श्व) विद्यामहोदधिः । ततः श्रीकमलप्रभसूरिः काममदापहः || ३ तत्संताने गुणाधाने हुंबट | न्वयशालिना । श्रीसंघसमुदायेन मोक्षसंगमकांक्षिणा ॥ ४ सौधपांक्तनि (वि) निर्जितविबुधविमानावल्यां वाटापल्यां श्रियोवत्यां नगर्या न्यायभूपतेः ॥ ५ श्रीमतः शांतिनाथस्य त्रिलोकीशांतिकारिणः ॥ बिंबोद्धारः शुभाकरश्चक्रे प्राणप्रणाशनः || ६ प्रतिष्ठितः श्रीसोमसूरिभिः || मंगलमस्तु || कर्मस्थाने कारापकः पंडितजिनचंद्रः ॥ इति ॥ छ ॥ छ ॥ छ ॥
( ૩૩ ) વડાલીના, શાંતિનાથના દેરાસરમાં ભમતીના ઢાબા પડખે ખીજી કાટડીમાં પખાસહુની નીચેના લેખ.
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लाग १ से..
( ३४ )
ज्येष्ट (ष्ठ ) शुदि ३ रवौ जामाणकीय पूनाकेन भ्रातृवीरदेवश्रेयसे श्रीनेमि -
संवत् १२८५ वर्षे
व्य० यशोधवल सुत व्य० नाथप्रतिमा कारिता
૧૧
( 34 )
संवत् १२६० वर्षे माघसुदि ५ शुक्रे श्रे० वढपाल श्रे० जगदेवाभ्यां श्रेयोर्थं पुत्रसाभदेवेन भ्रातृपूनसिंहसमेतेन चतुर्विंश - तिपट्ट[:] कारितः । प्रतिष्ठित[:] बृहद्गच्छीयैः श्रीशांतिप्रभसूरिभिः
( ३९ )
सं १२६२ ज्येष्ट (ष्ठ) सुदि १५ गुरौ भावयजापुत्रवीजाभ्यां पार्श्वनाथबिंबं कारितं । प्रतिष्ठित (तं) श्रीनागेंद्र गच्छे श्रीगुणसेणसूरिभिः ॥
·
(30)
सं० १२६८ वैशाषवदि २ खौ श्रीवायटीयगच्छे श्रीजीवदेवसूरिसंताने पितराजसी (सिं ह श्रेयोर्थ सुतसाद्दलणेन श्रीपार्श्वनाथः कारितः ॥
( ૩૪ ) લીંચના દેરાસરની ધાતુની મૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ.
( ૩૫ ) રાણકપુરના મંદિરમાં ભોંયરાની અંદરની ચાવીશીના પટ્ટ ઉપરના લેખ.
( ૩ ) કતાર ગામના લાડુઆ શ્રીમાલીના નાના મ ંદિરની ધાતુમૂ ઉપરના લેખ. આ ગામ સૂરતની પાસે છે.
( 39 ) वजा ( अडीयावाड ) ना हेरासरखी धातुभूर्ति उपरनो सेम.
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૧૨
પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(३८) सं० १२६६ वैशाषसु० १४ श्रे० गोसलभार्या-णिश्रेयोर्थ वसुसिंहेन विवं कारितं प्र० पूर्णचंद्रसूरिशिष्यैः श्रीचंद्रसूरिभिः॥
(न्योहमा शतना.)
(36) संवत् १३०३ वर्षे चैत्रवदि ४ सोमदिने श्रीचैत्रगच्छे श्रीभद्रेश्वरसंताने भर्तृपुरीयवत्सश्रे० भीम अर्जुन कडवट श्रे० चूडा पुत्र श्रे० वयजा धांधल पासड उवादिभिः कुटुंबसमेतैः .... प्रतिमा कारिता । प्रति० श्रीजिनेश्वरसूरिशिष्यैः श्रीजिनदेवमूरिभिः॥
(४०) सं० १३०४ जेष्ट (ज्येष्ठ)सुदि के (?) लूणपालो (लेन)का (?) लूणहीगोत्र (त्रेण) श्रीपारस (पार्श्व) नाविबं कारितं प्रतिष्टि (ष्ठि) तं श्रीदेवभद्रमूरिभिः ॥
(४१) ॥६०॥ संवत् १३०५ ज्येष्ट(ठ) शुदि ११ सोमे प्राग्वाटज्ञातीय ठ० सांगाभार्या ठ० सलषणदेव्या श्रीरोहिणीबिंब कारितं॥ ६ छ ॥ ३ ॥ छ । प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीरत्नप्रभसूरिभिः ।।
(૩૮) ઉદેપુરના ગેડીના ભંડારની ધાતુમૂર્તિ ઉપરના લેખ. (૩૯) કરેડાના મંદિરની ભમતીની ઓરડીમાંની મૂર્તિ ઉપરનો લેખ. આ ગામ ચિત્તડથી ઉદેપુર આવતાં રસ્તામાં આવે છે. અને તે કરેડા પાર્શ્વનાથ ના તીર્થ તરીકે પ્રસિદ્ધ છે. (૪૦) રાણકપુરના મંદિરમાં ભાંયરમાંની ધાતુની મૂર્તિ ઉપરનો લેખ. (४१) सोडा (माया-प्रांताr साधन) ना भरिमा मे
પાષાણની મૂર્તિ છે. બે બાજાએ શ્રાવક-શ્રાવિકાની હાની મૂર્તિ છે. મધ્યમાં ભગવાનની મૂર્તિ છે. પરિકર પણ છે. અને હેની નીચેને આ લેખ છે.
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133
भाग १ से.
(४२)
संव० १३२३ माघशुदि ६ भो (भौ ) मे सरेत्य (?) भां० सलखूश्रेयसे पूर्वप्रतिमोद्धारणार्थं श्रीनेमिनाथप्रतिमा कोनाकसंतानीय भांडा० मूलदे वचोवाल्या पु० वीरपालनीहडाभ्यां कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं ....आचार्यश्रीपूर्णदेवसूरिशिष्य श्रीविजयसेन सूरिभिः ||
૧૩
( ४३ )
॥ सं० १३२५ वर्षे फाल्गुन सुदि ८ भो (भौ ) मे श्रीहस्तिकुंडीयगच्छे घरकटवंशीय ..... ... पुत्र नेजाकेन मातृ.... श्रेयोर्थं श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवासुदेवसूरिभिः ॥
(88)
सं० १३३८ वर्षे चैत्रवदि - शुक्रे महं० हीराश्रेयोर्थं महं० सुतदेवसिंहेन श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ।।
(४५)
| सं० १३३६ फागु (ल्गु) सु० ८ श्रीवृहद्गच्छे श्री श्री मालवंशे सा० सादा भार्या माकू पुत्र धणसी (सिं) हभार्या चांपल पुत्र भीम अर्जुन भीमभार्या नीनू पितृश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं प्र० माण (न) देवसूरिभिः ॥
(૪૨ ) ઉદેપુરના ગેડીજીના ભંડારની ધાતુપૂત્તિ ઉપરના લેખ.
( ૪૩ ) ઉદ્દેપુરના ખાખેલાના મંદિરમાં આદીશ્વરની મૂત્તિ ઉપરના લેખ. (૪૪) ઉદેપુરના ગાડીજીના ભંડારની ધાતુમૂર્તિ ઉપરના લેખ. (૪૫) લીંચના મંદિરમાં ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ,
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१४
પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(४६) ॥संवत् १३३६ वर्षे फागु(ल्गु)णसुदि ८ शनौ नांदेचान्वये साधु पउमदेव सुत साधुश्रीपासदेव भार्या पेढी पुत्राश्चत्वारः सा० वेहड सा० काजल रउलू काहड पौत्र जिणदेव दिवधरप्रभृतिभिः देवकुलिकासहितं श्रीसुमतिनाथबिंबं का० प्र० वादींद्रश्रीधर्मघोषसरिगच्छे श्रीमुनिचंद्रसूरिशिष्यैः श्रीगुणचंद्रसूरिभिः
(४७) सं० १३४१ ज्येष्ठ(ठ) शुदि १५ रवौ श्रे० धांधलश्रेयो) भार्या झांझलदेव्या श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं । प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः
(४८) सं० १३४५ श्रीमालज्ञातीय ठ० सूमलप्रभृतिश्राविकासमुदायेन श्रीवासुपूज्यबिंब कारापितं
(४८) सं० १३५० वर्षे माहवदि ६ सोमे......काकेन भ्रातृरा....... निमित्तं श्रीपार्श्वबिंब का० प्र० मड्डाहडगच्छे रत्नपूरीयश्रीधर्मघोषसूरिपट्टे श्रीसोमदेवमूरिभिः
( ४६ ) ४२ाना माहिती समतीमा मा२९ीभाना सम. ( ४७ ) साडीना महिनी घातुभूति ५२नो सेम. (४८ ) लेटना माहिरनी मे दानी भूक्ति ५२न। सेम. (૪૯) પૂનાના આદિનાથના મંદિરમાંની મૂર્તિ ઉપરને લેખ.
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भाग १ से.
( ५० )
संवत् १३५२ वर्षे फागु ( ल्गु ) सुदि १ बुधे श्रीचैत्रगच्छीय धर्कटवंशे नाहरगोत्रे सा हापा सुत सा विजयसीहन भ्रातृ धारसी (सिं)ह सुपास सु० माणकेन श्रीवास (सु) पु (पू) ज्यबिंबं कारितं प्रति [0] श्री गुण चंद्रसूरि .....
( ५१ )
सं० १३५३ वैशाषवदि ६ गुरौ श्री देसावालज्ञातीय श्रे० साऊ सुत ० धारा सुत पाल्हण सुत झांझरणवीडाकेन माता जासल श्रेयोर्थं श्रीधर्मनाथ[बिंबं] प्रति [ ] श्रीकमलाकरसूरि [भिः]
(५२)
सं० १३५७ वर्षे वैशाखवदि ५ शुक्रे श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० देपालेन पितृभ्रातृण (तृणां श्रेयोर्थ श्रीमहावीर बिंबं कारित (तं) । प्रतिष्टि (ष्ठितं श्रीविमलसूरिभिः
( ૧૦ ) ઉદયપુરના શીતલનાથના મ ંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ' ઉપરના લેખ.
(૫૧) જોટાણાના મદિરમાં એ કાઉસગિયા છે. આ કાઉગિયાની નીચે એક તરફ શ્રાવક પાહુણ અને ખીજી તરફ શ્રાવિકા જાસલની મૂર્તિયેા છે. અન્ને કાઉસગિયા નીચે ઉપરના લેખ છે. ક માત્ર એજ છે કે એક ઉપર माता जासलश्रेयोर्थं श्रीधर्मनाथ भ्यु छे. य्हारे भीन्न उ५२ पिता (तृ) थेयोर्थ श्रीनेमिनाथः सच् छे.
( પર ) કતારગામના લાડૂઆ શ્રીમાલીના ન્હાના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ,
(५३) ॥ सं० १३६१ ज्येष्ट(ठ)सुदि ६ बुधे श्रे० आसपाल सुत अजोसंह तद्भार्या वीलणदेवि तयोः सुत काह्नडपूनाभ्यां पितृव्य लूणीश्रेयसे श्री ५ श्रीयशोभद्रसूरिशिष्यैः श्रीविवुधप्रभसूरिभिः
(५४) ___सं. १३६६ वैशाखसुदि ६ मोरीयावास्तव्य श्रे० ज्यसा भार्या लालू पुत्र देवड हरिपाल । ली (?) श्रीशांतिनाथविवं कारि० श्रीदेवेंद्रसूरीणामुपदेशेन
(५५) सं० १३७१ वर्षे माहसुदि १४ सोमे भाजा भार्या लक्ष्मी तयो [:] पुत्र सेगा भार्या तिजलसुत साहाकन (केन ) भ्रातृ....श्रेयसे श्रीआदिनाथविवं कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीमूरिभिः ॥ श्रीः ॥
(५६) ६० ॥ सं० १३८१ वैशाषवदि ५ श्रीपत्तने श्रीशांतिनाथविधिचैत्ये श्रीजिनचंद्रसूरिशिष्यैः श्रीजिनकुशलमूरिभिः श्रीजिनप्रबोधसूरिमूर्तिः प्रतिष्ठिता ॥ कारिता च सा० कुमरपालरत्नैः सा० महणसिंह सा० देपाल सा० जगसिंह सा० मेहा सुश्रावकैः सपरिवारैः स्वश्रेयोर्थ ॥ छ ।
(૫૩) ઉદેપુરના ગોડીજીના ભંડારની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ. (૫૪) સૂરત, નવાપુરાના શાંતિનાથના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૫૫) વઢવાણ શહેરના નાના મંદિરની મૂર્તિ ઉપર લેખ. (૫૬) દેલવાડા (ઉદેપુર) ના ખરતરવસહી મંદિરની આચાર્યની મૂર્તિ
ઉપરને લેખ.
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भाग १ से.
( १७ )
सं० १३८२ वर्षे आषाढ वदि ६ नीमावंशे सा० काला । भार्या वीझं पुत्र षीहाकेन पिता (ट) माता (तृ) श्रेयोर्थं श्रीपार्श्वनाथ [ : ] श्री वीरप्रभ सूरि (रीणामुपदेशन प्रतिष्ठित [:] सूरिभिः
૨૭
(१८)
सं १३८८ वैशाषी १५ श्रे० छाडा भा० कर्मिणि पु० मोटणेन पित्रोः श्रेयसे श्रीमहावीरविं[बं] का० प्र० अउढवेत्य श्रीवयरसेणसूरि [भिः]
(पस)
सं १३८६ व० चैत्र वदि ५ ( ? ) बुधे ओसिवालज्ञातीय ० भीमा सुत झांझा भा० बिडसीह भा० ललतू सुत हरपाल मा० गुरीदेविनिमित्तं श्रेयोऽर्थ ( र्थं ) सुत कालाधरणित्याभ्यां श्रीचतुर्विंशतिपट्टक [:] कारित [:] प्रतिष्ठितं (तः) श्री सूर (रि) - भिः ||| रणासणवास्तव्य (व्यो) |
( १० )
स (सं)० १३६२ वर्षे माघ शुदि ५ गुरौ मोढज्ञातीय ठ० भड भार्या बाइ भांवलश्रेयोर्थं श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंबं सुत ठ० रामेन (ण) कारापितं प्रतिष्टि (ष्टि)तं श्रीगुणचंद्रसूरिभिः
3
( ૧૭ ) પૂનાના ઓસવાલાના મંદિરની ધાતુમૃત્તિ ઉપરનો લેખ, ( ૧૮ ) હિમ્મતનગરના મ્હોટા મદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ' ઉપરના લેખ. (१८) (ग़पुर, गोडीला भंडारी धातुमूर्ति उपरनो सेम. (૬૦) લીંબડીના મ્હોટા મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ' ઉપરના લેખ,
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
सं० १३६२ माघ व० १ श्रे० समरा भार्या संसारदे पुत्र कडूयाकेन पित्रोः श्रेयसे श्रीधर्मनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठि(ष्ठितं श्रीसद्गुरुभिः
(१२) सं० १३६३ पोष व० ५ श्रीमालवंशे ठ० जयदा यशोद्भवेन म० आल्हाकेन पितृव्ययो....श्रीपार्श्वनाथबिंब का[0]प्र० मलधारीगच्छे श्रीराजशेखरसूरिभिः
(६३) सं० १३६३ वर्षे फागु(ल्गु)ण सु० ८ सोमे श्रीकोरेंटकगच्छे श्रीनन्नाचार्यसंताने श्रीनन्नसूरि(री)णां पट्टे श्रीकक्कमूरिभिर्निज गुरुमूर्ति [:] कारिता
(६४) स(सं० १३६४ वैशाप ७ श्रीनाण...श्रेष्टि देदा भा[0]जह... केन मातृपितृश्रेयसे श्रीशांतिनाथविवं (विंबं) का० प्र० श्रीसिद्धसेनसूरिभिः
(૬૧) રાણકપુરના દેરાસરના ભોંયરામાંની ધાતુની મૂર્તિ ઉપરને લેખ (१२) १४ापना माहिती धातुभूति ५२ना वेभ, (3) साहीना मारिनी भायाय नी भूति उपरना बेम, (१४) भisen पार्श्वनाथना माहिती पातुभूति ५२नो सेभ.
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ભાગ ૧ લે.
(१५)
संवत् १३६७ माघ शु० १० शनौ पल्लीता(वा)लज्ञातीय ठ० छाडा भा० नायकि सुतश्रेयसे श्रीमहावीरबिंब कारितं प्र० श्रीधर्मघोषगच्छे श्रीमानतुङ्गसूरिशिष्यैः श्रीहंसराजसूरिभिः ।
(६६) सं[.]१३६८ वर्षे माघ शुदि ६ रवौ हुंबडगच्छे हुंबडजातीय झाझा सुत पालाश्रेयोर्थ भ्रातृ सांगाकेन श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठितं श्रीसर्वदेवमूरिभः॥
(१७) ।। ६०॥ (सं)० १३६- वैशाख शुदी (दि)३ मोढवंशे श्रे पाजान्वये व्य० देवी सुत व्य० मुंजालभाया (ययों) व्य० रत्नदिव्या आत्मश्रेयोऽर्थ श्रीनेमिनाथबिंब कारितं प्रतिष्टौष्टिीत श्रीजाल्योद्धरगच्छे श्रीसर्वाणंदसु(सू )री(रि)संताने श्रीदेवसूरी रि पट्टभूषणमणिप्रभु श्रीहरी(रि)भद्रसूरीरि शिष्य सुविहितनामधेयभट्टारकश्रीचंद्रसिंहसूरीरि पट्ट(ट्टा)लंकरण श्रीविबुधप्रभसूरीणां "श्रीपीजाब सहीकायां/भद्रं भवतु
नयावासन
( ૫ ) મહેસાણાના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ. (११) बोधानासा पार्श्वनाथना सनी धातुभूति ना लेभ.. (१७) १४ा। शहरमा यतिन उपाश्रयमा मे पत्थर घटसो छे. ते (Refine
ઉપરનો આ લેખ છે. આ લેખ “સંસ્થાન વઢવાણની હકીકત
નામના પુસ્તકમાં છપાયો છે. તેમાંથી ઉતાર્યો છે. नायल२ वय ५iजार (Land w)
॥ ॥44.in
॥
॥
स
२
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7
.
પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(५४२मा शतना)
। संवत् १४०२ आषाढ सुदि २ सोमवासरे ओशवंशे सा० रणसी भार्या रयणादे पुत्र राउल पितृपुण्यार्थं श्रीविमलनाथबिंब कारितं प्रति[ष्टि]तं श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीविन[य]प्रभमूरिभिः।
(६८)
सं० १४०४ वर्षे वैशाख शुदि १- श्रीश्रीप्राग्वाटज्ञातीय पितृश्रे० भोतू मातृ माल्हणदेविश्रेयसे सुत मोकलेन श्रीपार्श्वनाथबिंब का० प्र० श्रीदेवाचार्य श्रीरत्नाकरसूरिभिः]
(७०)
सं० १४०५ वर्षे वैशाष शुदि २ सोमे श्रीमालज्ञातीय श्रेष्टि(ष्ठि) लउसी भा० नीमलदे पु० श्रे० -- सुत देपाकेन श्रीशांतिनाथविंबं कारितं ब्रह्माणगच्छे श्रीबुद्धिसागरसूरी(रि)णा प्रतिष्टि(ष्ठि)तं
( १८ ) सोश (ममहापा) न रासनी तुभूति ५२ना २५. (१८) सीयता मरिनी धातुभूति परना सम. (૭૦) લીંબડીના જૂના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ ઉપર લેખ.
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૧
ભાગ ૧ લા.
(७१)
सं० १४०५ वर्षे वैशाष शुदि २ सोमे श्रीश्रीमाल ज्ञा० व्य० वेला व्य० साजण व्य० अरसीह सा० गेला समस्तगोत्रपूर्वज संताने व्य० सामल व्य० सोना व्य० सांगा सा० वाच्छा व्य० मेहा व्य० नाना व्य० बाता सु० ऊदा समस्तगोत्रिभिः मिलित्वा निजगोत्राभ्युदयाय पूर्वजानां श्रेयसे श्रीशांतिनाथगोत्र - वं श्री पूणिमापक्षीय श्रीरत्नसागरसूरिपट्टे श्रीनरसिंहसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्टि (ष्ठि)तं श्रीसूरिभिः ॥ श्रीः ॥ ७४ ॥
(192)
सं[०] १४०८ वैशाष वदि ४ रवौ श्रीमालज्ञातीय पितामह उदयसी (सिं)ह पितृ लपरासी (सिं) हश्रेयसे सुत घोषाकेन श्रीश्रादिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीगुणसागरसूरिशिष्यैः श्रीगुणप्रभसूरिभिः ॥
( ७३ )
सं[०] १४१४ वर्षे वैशाष उप० वयरसी भा० षीमिणि सु० आल्हा भा० आल्हणदे पति श्रेयसे श्री आदिनाथबिंबं कारितं प्रति [0] पिप्पलाचार्य श्री वीरदेवसूरिभिः
( ૭૧ ) માંડલના પાર્શ્વનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ. ( ૧૨ ) ઉયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૃત્તિ ઉપરના લેખ.
( ૩ ) લીચના દેરાસરની ધાતુની મૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ,
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ,
(७४) सं० १४१५ विणवटगोत्रे सा० तीपूणजी० तिहुणश्री पु० मोपटेन आत्मपूर्वजानिमित्तं चंदप्रभविवं का० प्र० धर्मघोषगच्छे श्रीसर्वाणंदमूरिभिः
(७५) मं० १४२२ वर्षे वैमा(शा)प शुदि ११ बुधे पागवाट ज्ञा० कच्छोली वास्तव्य श्रेष्टि चिहुणा भा० चाहणि सुत सेगाकेन पितृमातृश्रे० श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं प्र. श्रीरत्नप्रभसूरिभिः
(७६) सं० १४२३ वर्षे फा० शु० ६ मोढज्ञानीय श्रे० गणा भा० व० लाडी सुत सामलेन मा० पितृश्रे० श्रीशांतिनाथबिं० का० प्र० जाल्योधरग० प्र० श्रीललितप्रभसूरिभिः ।।
(७७) सं० १४२३ फागुण शुदि ६ सोमे श्रीमाल व्य० मोहण भा० माल्हणदे सुत आल्हापाल्हाभ्यां पितव्य आसपाल भ्रात मालो द्वाभ्यां श्रेयसे श्रीवासुपूज्यबिंब कारितं श्रीअभयचंद्रसूरीणामुपदेशेन
(૭૪) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુની મૂર્તિ ઉપરને લેખ. ( ૭૫ ) ઉદયપુરના શ્રી શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. (૭૬) અમદાવાદ, ઝવેરીવાડના ચામુખજીના દેરાસરની ધાતુપ્રતિમા
ઉપરને લેખ. (૭૭) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ.
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माग सो.
(७८) सं० १४२७ ज्येष्ठ व० १ प्राग्वाट ठ० दउलसी(सिं)हेन पित्रोः ठ० पूनसी(सिं)ह ठ० प्रमलदेव्योः श्रे० श्रीचंद्रप्रभबिंब का० प्र० मलधारी श्रीमुनिशेष(ख)रसूरिभिः
(७८)
सं० १४२७ ज्येष्ठ व० १० प्राग्वाट ठ० गोवलधीणिगाभ्यां पित्रोः ठ० पूनसी(सिं)ह बा० प्रीमलदेव्याः श्र० (श्रे०) श्रीआदिनाथबिंब का० प्र० मलधारि श्रीमुनिशेखरसूरिभिः
(८०)
संवत् १४२६ वर्षे माघ वदी ७ दी(दि)ने............श्रीआदिनाथबिंबं प्रतिष्ठितं श्रीहीरापल्लीगच्छे श्रीवीरचंद्रसूरिभिः
(८१) सं०१४३२ वर्षे फागुण सुदि २ शुक्रे श्रीमालज्ञाती[य] श्रेष्ठि सोमा भार्या सूमलदे पु० तेजाकेन मातृपितृश्रेयोर्थ पंचायतन श्रीशांतिनाथबिंब का० प्र० श्रीरुद्रपल्लीयगच्छे श्रीअभयदेवसूरिभिः
( ૭૮ ) ઉદયપુરના ગોડીજીના ભંડારની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. ( ૭૯ ) ઉદયપુરના ગોડીજીના ભંડારની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. ( ૮ ) વડનગરના આદીશ્વરના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. ( ૮૧) પૂનાના આદીશ્વરના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ.
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२४
પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
सं० १४३७ वर्षे द्वि० वैशाष व० ११ भौमे ओश० व्य० नरा भा० मेघी पु० भीमसी(सिं)हेन पित्रोः श्रेयसे श्रीविमलनाथबिंब का० प्र० ब्रह्माणीय श्रीरत्नाकरसूरिपट्टे श्रीहेमतिलकसूरिभिः
(८७) संवत् १४३८ वर्षे वैशाख शुदि ३ प्रा........ा भार्या मयणली पुत्र कम(म)सी(सिं)ह भार्या लष्माद पितृमातृश्रेयो) श्रीमहावीरबिंब कारित(तं) प्रतिष्ठ(ष्ठि)तं श्रीदेवेंद्रसूरिभिः
(८४) सं० १४३६ पौष वदि ६ रवौ ऊकेशज्ञा० ०० नरसिंह भार्या नागलदेश्रेयसे सुत समरसी(सिंहेन श्रीपार्श्वनाथाविवं का० प्र० सिद्धांतीय श्रीअजितसूरिभिः ।
(८५) ___ सं० १४४० वर्षे पोश सुदि १२ बुधे प्राग्वाटज्ञातीय । मंत (त्रि) सिंह मातृ रूपी सुत तेजाकेन पित्रोः श्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्र० पिप्पलाचार्य श्रीउदयानंदमूरिभिः
(૮૨) ઉદયપુરના ગેડીજીના ભંડારની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. ( ૮૩) તારગામના લાડુઆ શ્રીમાલીના ન્હાના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ
ઉપરને લેખ. ( ८४ ) दीयना शिसरना धातुभूति' परनो सेप. (८५) ५डीन शसनी धातुभूति ५२ना देण.
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२५
ભાગ ૧ લે.
(८६) संवत् १४४० वर्षे फागुण सुदि ८ सोमे अनंतरंनभ्यां (?) तिथौ उपकेशवंशे लोढागोत्रे सा० जसदेव भार्या सु० धानी पुत्र सा० कमला भार्या छाडू पुत्र सा० आका सा० धरण सा० सिवराजद्भिः पितृपितृव्य सा० कालूश्रेयोर्थ श्रीशांतिनाथः (थेन) सहिता पंचतीर्थी कारिता । प्र० श्रीधर्मघोषगच्छे श्रीज्ञानचंद्रसूरिपट्टे श्रीसागरचंद्रसूरिभिः । श्रीप्रतिष्टि(ष्ठि)तं ॥छ।।
(८७) ॥६० ॥ स्वस्ति श्रीनृपविक्रमसमयातीत सं० १४४३ वर्षे कार्तिक वदि १४ शुक्रे श्रीनडूलाईनगरे चाहमानान्वयमहाराजाधिराजश्रीवणवीरदेव सुतराज श्रीरणवीरदेवविजयराज्ये अतुच्छस्वच्छश्रीमबृहद्गच्छनभस्तलदिनकरोपमश्रीमानतुङ्गसूरिवं - शोद्भवश्रीधर्मचन्द्रसूरिपट्टलक्ष्मीश्रवणो उत्प(णोत्प)लायमानै [:] श्रीविनयचंद्रमारभिर[न]ल्पगुणमाणिक्यरत्नाकरस्य यदुवंशशृङ्गारहारस्य श्रीनेमीश्वरस्य निराकृतजगद्विषादः प्रासादः समुद्दधे आचन्द्रार्क नन्दतात् ।
( ८६ ) राधनपुरना श्रीशान्तिनाथन माहिरनी धातुभूतिना सेम. ( ८७ ) Husensit गिरनार पर्वत ५२ना महिनी मरना यां
मा ५२ सेम.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ,
(८८) संवत् १४४४ वर्षे श्रीमाली दातामड पुत्र सा० वयरसिंहेन भ्रातृ लापमसीगिरयुत (तेन) श्रीआदिनाथविवं कारितं । स्वपुण्यार्थं प्रतिष्ठितं खरतरगच्छे श्रीजिनराजसूरिभिः
(८८) सं० १४४६ वैशाख वदि ३ सोमे प्राग्वाटज्ञाती [य] ज्ञा० श्रे० सावठ भार्या पाल्हश्रेयो) सुत जगडेन श्रीअजितनाथबिंब कारितं प्र० श्रीउढवगच्छे श्रीकमलचंद्रसूरिभिः
(८०) ___ सं० १४४६ वर्षे वैशाष वदि ३ सोमे उपकेश ज्ञा० उघुट गोत्रे सा० ऊदा भार्या अणुपम पुत्राभ्यां सा० रामा-लाषाभ्यां पितुः श्रे० श्रीशांतिनाथबिंबं का० प्र० उपकेशगच्छे श्रीककुदाचार्य संताने श्रीदेवगुप्तसूरिभिः
(८१) ॥संवत् १४४६ वर्षे जेठ(ज्येष्ठ)वदि ३ सोमे श्रीअंचलगच्छेशश्रीमेरुतुंगसूरीणामुपदेशेन ऊकेशवंशे सा० रामा सुतेन सा० काजाकेन पितृश्रेयसे श्रीनमिनाथविंबं कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं च श्रीसूरिभिः॥
( ૮૮ ) ચિત્તોડ ગામના શ્યામઋષભદેવના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપ
રને લેખ. ( ૮૯) પૂનાના આદીશ્વરના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. (८० ) पूनाना पोरवालाना भारी धातुभूति 8५२ना ले५, ( ૯૧ ) લીંચના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ.
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ભાગ ૧ લે.
२७
(८२) संव[त्] १४४६ वर्षे वैशाष शुदि ३ सोमे श्रीश्रीमाल ज्ञा० पितृ षीमा मातृ घेतलदे श्रेयसे सुत वाछाकेन श्रीसंभवनाथबिंब कारि० प्रति० श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीउदयदेवमूरिभिः
(८३) सं० १४५० वर्षे फागुण वदि २ उपकेशज्ञातीय सा० षाषण भा० षीमसिरि तयोः श्रेयोर्थ सुत आल्हा उदा देवाकेन श्रीवासुपूज्यबिं० पंचती० का० प्र० श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीरत्नशेष[र] सूरिपटे (ट्टे) श्रीदेवप्रभसूरिभिः
(६४) सं० १४५१ वर्षे ज्येष्ट(ष्ठ) शुदि ४ रवौ श्रीमालज्ञातीय पितृ देदा भा० हीमी पुत्र धीणाकेन मातृपितृश्रेयसे श्रीशांतिनाथ बिंबं पंचतीर्थी का० आ० गच्छे श्रीअमरसिंम (ह) उप०
(८५) सं० १४५३ वैशाष सुदि ५ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा० ठ० मेलिग भार्या मालणदे सुत सांगा जेसाश्रेयसे श्रीपाश्व(व)नाथपंचतीर्थी स(सु)त मइंाकेन कारिता प्रतिष्ठिता श्रीगुणप्रभसूरिभिः ॥ ७४
(૯૨) ઉદેપુરના ગોડીજીના ભંડારની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ. (૯૩) ઉદેપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. (६४) १ महिनी धातुभूति ५२ २५. (८५ ) पाचY२ (Jशत)ना महिनी धातुभूति ५२ सेम.
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પ્રાચીનલેખસ’ગ્રહ.
(दह)
संवत् १४५७ वर्षे वैशाख शुदि ३ शनौ प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० डूंगर भार्या ना.... लीबाकेन पित्रो [:] श्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्टि (ष्ठितं श्रीमलयचंद (द्र) सूरिभिः
૨૮
(८७)
सं[०] १४५७ आषाढ सुदि ५ गुरौ प्रा० ज्ञा० व्यव[0] छाड भार्या मोषलदे पुत्र त्रिभुणाकेन पित्रो [:] श्रे० श्रीपार्श्वनाथबिंबं कारितं । साधु पू० प० श्रीधर्मतिलकसूरिभिः
(स्ट)
सं० १४५८ वैशाख वदि २ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीयं श्रे० लूणा भा० ललतादे सुत भादाकेन मातृपितृश्रेयोर्थ श्रीवास (सु )पूज्यबिंबं का० प्र० श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीमुणिचंद्रसूरिभिः || ||
(EE)
॥ सं० १४६१ वर्षे ज्येष्ट (ष्ठ ) सुदि १० शुक्रे श्रीश्रीमाल ज्ञातीय व्य० वसा भा[0] चालणदे सुत गोना मात्रि (तु) भ्रात्रि (तु) श्रेयोर्थं सुत खेता श्री । नमिनाथबिंबं कारापितं प्रतिष्टि (ष्ठि) तं० नागेंद्र गच्छे शं (शां) तिसूरि [भिः ]
1
( ૯૬ ) લીંચના મંદિરની ધાતુકૂત્તિ ઉપરના લેખ.
( ૯ ) ઉદેપુરના શ્રીશીતલનાથના મ ંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ.
( ૯૮ ) પાટડીના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ.
( ૯૯ ) લીંબડીના જજૂના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિના લેખ.
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लागतो.
(१००) ॥६०॥ सं० १४६४ वर्षे आषाढ]० शु० १३ गूर्जरज्ञातीय भणसाली लाषण सुत मं० जयतल सुत मं० सादा भार्या सूमलदे सुत मं० वरसिंह भ्रातृ मं० जेसाकेन भार्या शृंगारदे पुत्र हरिचंद्रप्रमुखसकलकुटुंबसहितेन स्वश्रेयसे प्रभुश्रीपार्श्वनाथप्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता श्रीसूरिभिः ॥
(१०१) संवत् १४६६ वर्षे वैशाख शुदि ३ सोमे प्राग्वाट ज्ञातौ मं० सोभित भा० लाऊलदेवि सु० भादेन पित्रोः श्रे० श्रीआदिनाथबिंब का० प्र० श्रीकोर(रें)टगच्छे नन्नसूरिभिः
___ (१०२) संवत् १४६८ वर्षे वैशाख वदि ३ शुक्रे श्रीश्रीमाल ज्ञा० पितृ सहज । मातृ सहजलदे पितृव्य लषमण सुत सहसा श्रेयोर्थ सुत लोलाकेन श्रीशांतिनाथपंचतीर्थी कारिता । प्रतिष्टि(ष्ठि)ता श्रीमूरिभिः ॥ मधुकरान्वये । शुभं भवत् (तु) ।
(१००) १९५४ (मेवाs)ना पाव नायना मरिना भूदानायी
ડાબી તરફના કાઉસગીયાની નીચે લેખ. (૧૦૧) ઉદેપુરના ગેડીઝના ભંડારની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. (૧૨) માંડલના શાતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપર લેખ.
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30
પ્રાચીનલેખસંગ્રહ,
(१०३) संवत् १४६८ वर्षे ज्येष्ट(ष्ठ) वदि १३ रवौ ऊकेशवंशे गादहीयागोत्रे सा० देपाल पुत्र आना भार्या भीमिणिश्रेयो) श्रीशांतिनाथबिंवं कारितं प्रति ०] उपकेशगच्छे श्रीदेवगुप्तमरिभिः ॥
(१०४) ६० ॥ स्वस्ति सं० १४६६ वर्षे माघ सुदि ६ रवौ श्रीमालवंशे नावरगोत्रे ठ० ऊहडसंताने श्रीपुत्रमंत्रि करम०सि श्रेयो) लघुभ्रातृ ठ[ 0] देपालेन भ्रातृव्य ठ० भोजराज ठ० नयणसिंह भार्या माल्हदेसहितेन श्रीआदिनाथबिंब कारितः(तं) प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनचंद्रसारिभिः देवकुलपाटके
(१०५) संवत् १४६६ वर्षे माघ सुदि ६ दिने ऊकेशवंशे सा. सोषासंताने सा० सुहडा पुत्रेण सा० नान्हाकेन पुत्र वीरमादिपरिवारयुतेन श्रीजिनराजसूरिमूर्तिः कारिता प्रतिष्ठिता श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनवर्धनसारिभिः ।
(૧૦૩) ઉદેપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (૧૦૪) દેલવાડા (ઉદેપુર)ના આદિનાથજીના મંદિરના મૂલનાયકની
નીચેને લેખ. (૧૫) દેલવાડા (ઉદેપુર)ના શ્રી આદિનાથના મંદિરમાંની આચાર્યની
મૂર્તિ ઉપરને લેખ.
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मा १ स.
१
(१०६)
सं० १४६६ वर्षे फागुण वदि २ शुक्रे हूंबडजातीय ठ० देपाल भा० सोहग पु० ०० राणाकेन मातृपितृ श्रेयसे श्रीवासुपूज्यबिंब कारितं प्रतिष्ठितं निवृत्तिगच्छे श्रीसूरिभिः ॥ श्रीः ॥
(१०७)
सं० १४६६ वर्षे सा० रामदेव भार्यया मेलादेश्राविकया स्वभ्रातृस्नेहलया श्रीजिनदेवसूरिशिष्याणां श्रीमेरुनंदनोपाध्यायानां मूर्तिः कारिता । प्रतिष्ठिता श्रीजिनवर्धनसूरिभिः ॥
(१०८)
संवत् १४६- प्राग्वाटज्ञातीय सा. हाला भार्या हालू सुत सा० वीगेरेण श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं तपागच्छे श्रीदेवसुंदरसूरिभिः॥
(૧૦૬ ) ઉદેપુરના શ્રી શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપર લેખ.
(૧૦૭) દેલવાડા (ઉદેપુર)ના આદિનાથના મંદિરમાંની આચાર્યની
મૂર્તિ ઉપરને લેખ.
(૧૦૮) પાલીતાણાના બાબૂ માધવલાલજીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ
ઉપરનો લેખ,
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ,
(१०८) ॥ सं० १४७० वर्षे वै० शु० २ बुधे ऊकेशवंशीय सा० वयरा सुत सा० धणसी भा० भावलदे सुत सं० घडसिंहेन वृद्धभ्रातृ सं० देवराज सं० हेमराज भ्रातृज सं० जेसिंग सं० ह(हं)सादिकुटुंबमध्यगतेन भा० अछबादे भा० वल्ही सु० ईसरपाषादियुतेन स्वश्रेयोर्थ । श्रीशांतिनाथचतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितश्च तपागच्छनायक श्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥
(१०) सं० १४७१ वर्षे माघ शु० ६ शनौ प्रा० ज्ञा० मं० हदा भा० वाहणदे सु० रतना(त्ना) भा० रत्नादे सुत सुरासहितेन श्रेयसे श्रीशांतिबिंब का०प्र० कूवडगच्छे धणदेवसूरिसंताने भावशेखरसूरिभिः।।
(१११) ॥सं०] १४७२ वर्षे वैशाष शुदि १२ उसवाल ज्ञातीय व्य. लीबा भार्या मुंजी स० देवराज भार्या देवलदे पित्रि(तृ)मात्रि(तृ) श्र (श्रे)योर्थं श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्टि (ष्ठि)तं जीरापली (ल्ली) गच्छे श्रीशालिभद्रसूरिभिः ॥छ॥
( १०८ ) 14r (31514143) ना सरना धातुभूति परन . (૧૧૦) અમદાવાદ, ઝવેરીવાડામાંના ચૌમુખજીના દેરામાંની ધાતુ
મૂર્તિ ઉપરના લેખ. (१११) सरीया(शीत) रासनी धातुभूति ५२ना ५.
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आग १ सी.
( ११२ )
33
॥ ६० ॥ संवत् १४७३ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ४ गुरुवारे सा० आंबा पुत्र सा० वीराकेन स्वमातृ अ (आंबा ? ) श्राविकास्त्रपुण्यार्थ ॥ श्रीचतुर्विंशतिजिनपट्टकः कारितः श्रीखरतरगच्छे प्रतिष्ठितं श्रीजिनवर्धनसूरिभिः ।
( ११३ )
॥ स(सं)० १४७३ वर्षे० ज्येष्ट (४) सुदि ५ शुक्रवारे ० रावल गोत्रे नरदेव पु० आल्हापाल्हामातृपितृश्रेयसे श्रीआदिनाथबिंबं कारापितं श्रीधर्मघोषग० श्रीपद्मचंद्रसूरिभिः
( ११४ )
सं [०] १४७४ व० मार्ग सा० पूना भा० गूजरि आ० श्रे० श्रीश्री आदिनाथबिंबं का० प्र० श्रीधर्मघोषगच्छे श्रीपद्मशेष(ख)रसूरिभिः
... ....
( ૧૧૨ ) દેલવાડા ( ઉદયપુર ) ના શ્રીઋષભદેવના મદિરની પાષાણુની મૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ.
(૧૧૩ ) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ.
( ૧૧૪) પૂનાના આદિનાથના મંદિરની ધાતુમુર્ત્તિ ઉપરના લેખ,
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૩૪
પ્રાચીનલેખસંગ્રહ. ( ११५ )
॥६०॥ संवत् १४७५ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ७ गुरुवारे श्रीमाल - ज्ञातीय मंत्रि णं प्रासुत नंदिगेसा सुत पुत्र सा० आसासुश्रावण श्रीपार्श्वनाथवित्रं स्त्रपुण्यार्थे ( थे) कारितं श्री खरतरगच्छे श्रीजिनवर्धनसूरिभिः प्रतिष्ठितं ।।
( ११६ )
....
सं० १४७६ वर्षे चैत्र वदि १ शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० भीम भा० भरमादे सु० राम भार्या रांभल श्रेयसे सुत भोटाकेन श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रति ० पिष्पलगच्छे श्रीसोमचंद्रसूरिभिः
( ११७ )
सं० १४७७ व० मार्ग्र(र्ग ) ० ० ४ र[वौ ] ० प्रा० श्रे० नरसिंह भा० सारु पुत्र रामाकेन स्वपित्रोः श्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्र० पूर्णिमापक्षी [य] श्रीपद्माकरसूरिभिः
( ११५) हेलवाडा ( हेपुर ) ना श्रीपार्श्वनाथना हेरासरभां भूझनायકની જમણી તરફ કાઉસગીયાની નીચેના લેખ.
( १११ ) सींगना हेरासरनी धातुभूर्ति उपरनो क्षे.
( ११७ ) ५२ना, धर्म शाजाना भहिरनी धातुभूर्ति उपरने। सेम
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ભાગ ૧ લો.
(११८) संवत् १४७८ वर्षे पौष शु० ५ राजाधिराजश्रीमोकलदेवविजयराज्ये प्राग्वाट सा० वाना भा० रु- [पी?] सुत सा० रतन भा० लावू पुत्रेण श्रीशत्रुजयगिरिनाराबुदजीरापल्लीचित्रकूटादि तीर्थयात्राकृता श्रीसंघमुख्य सा० धणपालेन भा० हासू पुत्र सा० हाजा भोजा धाना वधू देऊ भाऊ धाई पौत्र देवा नरसिंग पुत्रिका पूनी पूरी मरगद चमकू प्रभृतिकुटुम्बपरिवृतेन श्रीशांतिनाथप्रासादः कारितः प्रतिष्ठितस्तपापक्षे श्रीदेवसुंदरसूरिपट्ट पूर्वाचलदिननायकतपागच्छनायकनिरुपममाहमानिधानयुगप्रधानसमानश्रीश्रीश्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥ भट्टारकपुरंदरश्रीमुनिसुंदरसूरि श्रीजयचंद्रसूरि श्रीभुवनसुंदरसूरि श्रीजिनसुंदरसूरि श्रीजिनकीर्तिसूरि श्रीविशालराजसूरि श्रीरत्नशेखरसूरि श्रीउदयनंदिसूरि श्रीलक्ष्मीसागरसूरि महोपाध्यायश्रीसत्यशेखरगणि श्रीसूरसुंदरगाणि श्रीसोमदेवगणिकलंदिकाकुमुदिनीसोमोदय पं० सोमोदयगणिप्रमुखप्रतिदिनाधिकाधिकोदयमानशिष्यवर्गः ॥ चिरं विजयतां श्रीशांतिनाथचैत्यं कारयिता च ।
(११८) सं० १४७८ वर्षे फागुण वदि ८ रवौ उ० ज्ञा० श्रेष्ठि वीरड स० सा० गोणाल भा० सुहडादे पु० नोडा भा० नायकदेसहितेन पित्रो[:] श्रे० श्रीश्रेयांसः का० प्र० श्री० श्रीदेवाचार्यसं[.] श्रीदेवचंद्रसूरिपट्टे भ० श्रीपूंन पुण)चंद्रमूरिभिः
(११८) १५२ (Gay२ ) ना मरना भगायैत्य उपना बेभ. (૧૧૯) પૂનાના આદિનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિ ઉપર લેખ.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(१२०) संवत (न् ) १४७८ वर्षे वैशाप शुदि ३ गुरौ द्राआ वास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्टि(ष्ठि) सरवण भार्या श्रीयादे तयोः सुतौ श्रेष्टि(प्टि) कर्मा भार्या कामलदे सु० लापा लूणाभ्यां शांतिनाथबिंब कारापितं श्रीआगमगच्छीय श्रीअमरसिंहमूरीणा उ(मु)पदेशेन प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीसूरिभिः श्रीः ॥
(१२१) संवत् १४७८ वर्षे प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० नरदेव भार्या गांगी पुत्र श्रे० झाबटेन भा० कडू पुत्र वरणादियुतेन स्वपितृव्य चांपा श्रेयोर्थ श्रीचंद्रप्रभवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः ।।
( १२२ ) सं० १४७६ वर्षे पोस(पौप) वदि ५ शुक्रे श्रीउ स० वंसी(शी)य महं सांगा भार्या सीणलदेवि सुत महं सांडण भार्या वाइ साजणि आत्मश्रेयोर्थ श्रीवासुपूज्यबिंबं कारितं श्रीबृहद्गच्छीय श्रीपूर्णचंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्री ॥ श्री ॥ श्री ॥ श्री ॥
(१२3 ) सं० १४८० वर्षे फा० शु० १० बुधे उल्टपगोत्रे सा० मलयसी(सिं)ह पु० डीडा आल्हू पु० लूणाकेन गोपालकस्य श्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंब का० प्र० श्रीसेषुरगच्छे श्रीशांतिमूरिभिः
( १२० ) 42डीना शसस्ती धातुभूत्ति । ५. (૧૨૧) ઉદપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપર લેખ. (૧૨૨) પૂનાના આદિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ. (૧૨૩) અમદાવાદ, ઝવેરીવાડામાં ચોમુખજીના દેરામાંની ધાતુમૂર્તિ
ઉપરનો લેખ.
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३७
मा सो.
( १२४ ) सं० १४८० वर्षे फा० सु० १० बुधे उप० ज्ञा० श्रे० कडूयट भार्या कुसमीरदे पु० गेहाकेन पित्रोः श्रेय० श्रीनमिनाथविंचं का० प्र० मड्डा० रत्नपुरीय भ० धण(न)चंद्रसूरि ५० श्रीधर्मचंद्रमूरि[भिः]
(१२५) सं० १४८१ माघ शु० १० प्रा० सा० धांगा भार्या धाराणि सुत सा० ताराकेन भा० पोमी सुत सोमा हेमादियुतेन स्वश्रेयसे श्रीसुविधिबिंब कारितं प्रतिष्ठितं च तपा श्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥
(१२६) संवत् १४८१ वर्षे वैशाख शुदि ३ शनौ प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० काला भार्या कोल्हणदे सुत सरवणेन पितृमातृश्रेयसे श्रीचंद्रप्रभस्वामिपंचतीर्थीबिंब कारितं प्रतिष्ठितं मडाहडगच्छे । श्रीउदयप्रभसूरिभिः ॥ श्रीः ॥
(१२७) सं[०] १४८१ वर्षे वैशाप वदि १२ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय व्यव[0] ऊधरण भा० ऊतिमदे पुत्र जसाकेन भा० नामलदे सहितेन आत्मश्रेयसे श्रीधर्मनाथ । बिंबं का० प्र० व्र० स्माणीगच्छे भ [0] श्रीउदयप्रभसूरिभि०.
(૧૨૪ ) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ, (૧૨૫) વિરમગામના શ્રીશાન્તિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ
6परना . (૧૨૬) ઉદેપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ. ( १२७ ) इसा (Isीयावा) ना माहिती धातुभूति ५२ सेम.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
( १२८ )
संवत् १४८१ वर्षे वैशाष वदि १२ रवौ उपकेशज्ञाती० सा कुंता भा० कउरदे पुत्र भडा भा० भावलदे पु० सायरसहितेन श्रीवासुपूज्यत्रिंवं का० प्र० उपकेशगच्छे सिद्धाचार्यसंताने भेदु - रीय श्रीदेवगुप्तसूरिभिः ।
३८
( १२८ )
॥ संवत् १४८४ वर्षे वैशाख शुदि ३ श्रीश्रीमालज्ञातीय मंत्रि सीहा भार्या चमकू सुत नरसिंह भार्या लहकुभ्या [मा] त्मश्रेयसे श्रीसुमतिनाथबिंबं का० श्रीअंचल गच्छे श्रीजयकीर्त्तिमूरीणामुपदेशेन ॥ ( १30 )
॥ स्वस्ति ।। संवत् १४८४ वर्षे वैशाष सुदि ८ शुक्रे सिद्धशाखायां श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० सामल भार्या संसारदे सुत श्रे० पूर्णसिंहेनात्मश्रेयोर्थं श्रीपद्मप्रभदेवबिंबं कारितं पीपलगच्छे त्रिभवीया श्रीधर्मश (शे) खरसूरिभिः प्रतिष्टि (ष्ठि) तं ॥ शुभं भवतु ॥ छ ( १३१ )
संवत् १४८५ वर्षे माघ शुदि १० शनौ श्रीश्रीमाल ज्ञातीय मं० वसिल भार्या वीकमदे सुत रामा राणा श्रेयोर्थ मं० मालकेन श्रीचंद्रप्रभ - वंवं (बिंबं ) कारापितं श्री पूणिमापक्षीय श्रीजयतिलकसूरिभिः प्रतिष्ठितं
(૧૨૮ ) ઉદેપુરના શીતલનાથજીના મંદિરની ધાતુપૂર્તિ ઉપરના લેખ. (૧૨૯) ધેાધાના સુવિધિનાથજીના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ. (૧૩૦) માંડલના શ્રીશાંતિનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ. ( ૧૩૧) ધાઘાના નવખંડા પાર્શ્વનાથના ભેયરમાંની ધાતુમૂર્તિ ઉપરના લેખ.
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लाग १ से.
( १३२ )
सं० १४८५ वै० शु० ३ ऊकेशवंश (शे) सा० वाच्छा भार्या राणादे पुत्र सा० वीसल पत्न्या सा० रामदेव भार्या मेलादे पुत्र्या सं० खीमाई नाम्न्या पुत्र सा० धीरा दीपा हासादियुतया श्रीनन्दीश्वरपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः तपागच्छे श्रीदेवसुंदरसूरीशष्य श्री सोमसुंदरसूरिभिः स्थापितः तपा श्रीयुगादिदेवप्रासादे ॥ सूत्र
धार नरबदकृतः
32
( १33 )
संवत् १४८५ वर्षे ज्येष्ट (ठ) सुदि १३ सोमे उपकेशज्ञातीय सा० घेता भा० रांकुं पुत्र सलषा भा० राजलदे स० पितृमातृश्रे० श्रीआदिनाथबिंबं का० श्रीबृहद्गच्छे प्रतिष्ठितं श्रीगुणसागरसूरिभिः ॥ श्रीः
(938)
सं० १४८५ ज्ये० शु० १३ प्राग्वाट सा० कालू भा० कामलदे पुत्र सा० घेताकेन भा० भादू पु० हरभायुतेन श्रीमुनि - सुव्रतस्वामिबिंबं का प्रतिष्ठितं तपाश्री सोमसुंदरसूरिभिः ॥
( १३२ ) हेलवाडा ( भेवाड ) ना श्रीपार्श्वनाथना महिना आयशમાંની મૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ.
( ૧૩૩) ઉદેપુરના શ્રીગાડિજીના ભંડારની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ. ( ૧૩૪) કરેડાના શ્રીપાર્શ્વનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ,
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
( १३५) ॥ संवत् १४८५ वर्षे ज्येष्ट (8) मासे कृष्णपक्षे तिलसाणा वास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० देवड भार्या देवलदे सुत चांपा स्वश्रेयसे श्रीआगमगच्छेशश्रीअमरसिंहसूरिपट्टे श्रीहेमरत्नसरीणामुपदेशेन श्रीचंद्रप्रभस्वामिचतुर्विशतं (ति) पढें कारितं । प्रतिष्टि(ष्ठितं विधिना
( १७६) ॥ संवत् १४८६ वर्षे माघ सुदि १३ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० सिंघा भा० रतू पु. पांचाकेन पितृमातृश्रेयोर्थ श्रीपार्श्वनाथविंबं कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीवीरसरिभिः॥
(१३७) सं [०] १४८६ वे (वै), सुदि १० बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० वाघा भा० पाल्हणदेवि सु० मेहाजल माला महिपा सामल सर्वैः मातृपितृस्वगोत्रश्रे० श्रीसुमतिनाथविवं कारा० प्र० श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीपद्माणंदमूरिभिः
(१३८) संवत् १४८६ वर्षे ज्येष्ठ वदि ५ दिने नवलक्षशाखीय सा० रामदेव भार्यया मेलादेव्या श्रीजिनवर्धनसूरिमूर्तिः कारिता प्र० श्रीजिनचंद्रसूरिभिः
( १३५) माता महिनी धातुभूति परनो सेप. (૧૩૬) માંડલના શ્રી પાર્શ્વનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. (૧૩૭) ગેધાના નવખંડા પાર્શ્વનાથના દેરાસરમાં આવેલા શ્રીસુવિધિ
નાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ. ( १७८) सवा ( भेवा ) ना श्रीपाश्वनाथना महिमानी माया.
ર્યની મૂર્તિ ઉપરને લેખ,
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ભાગ ૧ લે.
(१३६) संवत् १४८६ वर्षे ज्येष्ठ वदि ५ सा० रामदेवभार्या मेलादेव्या श्रीद्रोणाचार्यगुरुमूर्तिः कारिता प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनचंद्रमुरिभिः ॥
(१४०) संव० १४८७ वर्षे माघ वदि २ शनौ ओसवालज्ञातीय सा० विजेसी भार्या वउलदे सु० सा० अदा गुणीश्रा सा० अदा भार्या अणपमदे सु० भोजाकेन निज ॥ भ्रातृ नाथाश्रेयोऽर्थं स (च) पितृश्रेयोर्थ श्रीश्रेयांसनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रति० श्रीतपापक्षे श्रीजयतिलकसूरीणां पट्टे श्रीरत्नसिंहमूरिभिः ॥ छ ।
(१४१) सं० १४८७ वर्षे माध वदि ८ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय घोघा वास्तव्य दो० मूंजा भार्या माल्हणदे पुत्र मणोरभार्यया सं० अंबडअहिवदेव्योश्च पुत्र्या अमकूनाम्न्या श्रीवासुपूज्यबिंबपंचतीर्थी कारिता । प्रतिष्टि(ष्ठि)ता श्रीमरिभिः॥ १
(१४२) ॥८॥ सं० १४८६ वर्षे माघ सुदि १० शुक्रे ऊकेशवंशे दरडागोत्रे सा० हरिपालसंताने आसा सुत पाल्हाझांटाभ्यां गोविंद रतनपाल हरषराजप्रमुखकुटुंबसहिताभ्यां श्रीमहावीरबिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं खरतरगच्छे श्रीजिनराजसूरिपट्टे श्रीजिनभद्रसूरिभिः।। (૧૩૯) દેલવાડા (મેવાડ) ના શ્રી પાર્શ્વનાથના મંદિરની આચાર્યની
મૂર્તિ ઉપરને લેખ. (१४०) पाडीना शसनी धातुभूति पत्नी सम (૧૪૧) જામનગરના શ્રી આદીશ્વરના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. (૧૪૨) મહુવાના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(१४३)
संवत् १४८६ फा० शु० ३ दिने ऊकेशज्ञातीय सा० पद्मा भार्या पदमसदे पुत्र गोइंद भार्या गउरदे सुत सा० आबा सा० सांगण सहदेव तन्मध्ये सा० सहदे भार्या पोई पुत्र श्रीधर ईसर पुत्री राजिप्रभृतिकुटुंबयुतेन भ० कान्हाकारितप्रासादे स्वश्रेयो) श्रीसुपार्श्वजिनयुतदेवकुलिका कारिता प्रतिष्ठिता श्रीखरतरगच्छाधीशेन श्रीजिनसागर........॥
(१४४) ___ सं० १४८६ वैशाख शुदि ३ श्रीश्रीमाली श्रे० देपाल हीरू पुत्र गहगाकेन भा० गंगादे पुत्र डाहादिकुटुंबयुतेन निजपितृश्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतबिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीमरिभिः ॥ श्रीः पूर्णिमापक्षी श्रीसाधुरत्नसरिः]
(१४५) ___ सं० १४८६ वर्ष ज्येष्ठ शुदि १२ शनौ श्रीश्रीमाल ज्ञा० व्यव [.] चीबा भार्या चांपलदे सुत जेसिंग पितृमात्र[श्रेयोथ श्रीधर्मनाथाबिंब कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीउदयदेवसूरिपट्टे श्रीश्रीगुणसागरसूरिभिः ॥०॥
(१४३) on५२ ( उद्देपुर ) ना मे शिसना मनी अदना देण. (૧૪૪) માંડલના શાતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. (૪૫) કતારગામના મોટા મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ.
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ભાગ ૧ લે.
( १४६ ) ॥सं० १४८६ वर्षे ज्येष्ठ(ष्ठ)शुदि १२ शनौ श्रीश्रीमाल ज्ञातीय माहाजनी वीकम भा०वीकमदे मातृपितृश्रियोर्थ पुत्र डुंगरेण श्रीशांतिनाथविबं कारितं प्रति[-] पिप्पलगच्छे त्रिभवीआ श्रीधर्मशेष(ख)रमूरिभि[:]।
(१४७) संवत १४८६ वर्षे ज्ये० व ११ प्राग्वाट दो० सूरा भा० पोमी सुत दो० आसाकेन भा० रूपिणि सुत राउल माणिकलाल जोगादिकुटं(९)वयुतेन स्वभ्रातृ गोला स्वसुत सारंगश्रेयोर्थ श्रीपार्श्वनाथचतुर्विंशतिपट्टः का० प्र० तपागच्छनायकभट्टारकप्रभुश्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥ श्रीरस्तु ॥ वीसलनगरवास्तव्यः ।
(१४८)
१४८६ माग्वाट व्य० केला ऊमी सुत सूराकेन भा० नीण भ्रा. चांपा सुत सादा पेथा पदमाकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीकुंथुबिंब का० प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरिश्रीभिः
(१४६) सं० १४६० वर्षे वै० शु० ३ दिने प्राग्वाट व्य० मांडण भा० सरसइ सुत व्य० आलाकेन भा० आल्हणदे सुत सुगाल गोविंद गणपतियुतेन श्रीपार्श्वः कारितः प्रति० तपाश्री सोमसुंदरसूरिगुरुभिः॥ श्री: (૧૪૬) જામનગરના શ્રી આદિનાથ ભગવાનના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ
ઉપરના લેખ. (૧૪૭) ઉદેપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. (૧૪૮) ઉદેપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ (૧૪૯) રાધનપુરના શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ.
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४४
પ્રાચીનલેખસંગ્રહ,
( १५०) सं. १४६१ वर्षे का० शुदि ५ गुरौ श्रीश्री० श्रे० महदे भा० साहगदे तयोः सुताः श्रे० भरमा श्रे० पोपट श्रे० लाला श्रे० हला तैः स्वापतृश्रेयोर्थ श्रीसुविधिनाथस्य बिंबं श्रीमुनिसिंहसूरीणामुपदेसे(शे)न कारापितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीशीलरत्नसरिभिः श्रीः॥ महूयावास्तव्यः।
(१५१) सं० १४६१ वर्षे माघ सुदि ५ बुधे ओसवंसे (शे) पंचाणे वा[0] सा वस्ता भार्या लीलादे पुत्र ऊगाकेन सपरिवारेण स्वपुण्यार्थं श्रीअजितनाथविं का० प्र० खरतरग० श्रीजिनसागरसूरिभिः ॥
(१५२) संवत् १४६१ वर्षे माह सुदि ५ बुधे नवलक्षगोत्रे सा० सहणपालेण(न) स्वपुण्यार्थे(थ) श्रीजिनवर्धनसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरीणां मूर्तिः प्र० श्रीजिन[सागरसूरिभिः ।।
(૧૫) જામનગરના શ્રી આદિનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ. (૧૫૧) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ.
(૧પર) દેલવાડા (મેવાડ) ના શ્રી પાર્શ્વનાથના મંદિરમાંની આચાર્યની
મૂર્તિ ઉપરને લેખ.
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ભાગ ૧લો.
૪૫
(१५3) ।। संवत् १४६१ वर्षे माघ वदि ५ दिने बुधे ऊकेशवंसे (शे) नवलखा गावि (गोत्रे) साधु श्रीरामदेव भार्या मेलादे तत्पुत्र साधुश्रीसहणपाले[न] भार्या नारिंगदे पुत्र रणमल्लादिसहितेन देवकुलपाटके पूर्वाचलगिरौ श्रीशत्रुजयावतारे मोरनागकुरिका सहिता प्रति० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनवर्धनसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरि तत्पट्टे श्रीजिनसागरसूरिभिः
( १५४) सं[0]१४६१ व० फाग[] वदि २ सोमे महीसाणावास्तव्य श्रीश्रीमाल ज्ञातीय श्रे० वीरपाल ........पूना श्रेयसे श्रीसंभवनाथबिंब कारितं पिप्फ(प्पलीयगच्छे श्रीललितचंद्रसूरिभिः प्रतिष्टि(ष्ठि)त।। श्री
(१५५) संवत (त्) १४६१ वर्षे वैसाष(शाख) सुदि ६ गरे (गुरौ) व० धरणा भा० पूनादे सुत हासाकेन भा० हीरादे पुत्र श्रीस्या(शां)तिनाथबिंबं श्रीसोमसुंदरसूरि[भिः] प(प्र)तिस्टंत(तिष्ठितं) सु०
(१५६) सं० १४६२ पोस (पौष) वदि १३ शुक्रे श्रीश्रीमाल ज्ञाती [य] मं० नासण भा० रूडीबाइ पुत्र हेमाकेन पितृमातृश्रेयसे श्रीशांतिनाथविबं कारितं श्रीपू०श्रीगुणसुंदरसूरी।णामुपदेशेन विधिना श्राद्धै [:] ॥ श्रीरस्तु (१५३) सास ( भेवा ) ना श्रीमानायना महिनी मरना सम. (૧૫૪) જામનગરના રાજશી શેઠના શ્રી શાંતિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ
ઉપરને લેખ. (૧૫૫) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. (૧૫૬) માંડલના શ્રી ઋષભદેવ ભગવાનના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ,
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(१५७)
संवत् १४९२ वर्षे चैत्र वदि ८ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय ठ [०] हादा सु० [०] प्रतापसी ( सिंह भा० नागझनू सु० ठ [0] आवा लापा लींबा भा० ललतादे भा० बालू द्वि [0] भा [0] भावलदे लूगा भा० जसमादे पूर्वजश्रेयसे श्री आदिनाथबिंबं चतुर्विंशतिजिनसंयुतं कारापितं प्रतिष्टि (ष्ठि) तं श्री पूणिमापखी(क्षी) य श्रीमलय चंद्रसूरिभिः || शुभं भव[तु]
૪૬
( १५८ )
सं० १४६२ वर्षे वै० शु० ३ गुरौ श्रीश्रीमाल श्रे० मूलू भा० माल्हणदे सुत झांझणेन भा० देल्हणदे युतेन निजश्रेयसे श्रीधर्मनाथबिंबं कारितं प्रति पूर्णिमापक्षे श्रीगुणसमुद्रसूरिभिः
(१५८)
सं० १४६२ वर्षे ज्ये० व० ११ प्राग्वाट सा० अरसी भा० आल्हणदे सुत चाचाकेन भा० चाहरणदे सुत लालावाल सुहडा राणी पांचादियुतेन स्वसुत डोसाश्रेयसे श्रीनमिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपाश्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥ श्रीः
(૧૫૭) મહુવાના શ્રીજીવિતસ્વામીના મ ંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ. (૧૫૮) જામનગરના શ્રીઆદિનાથના દેરાસરની ધાતુમૃત્તિ ઉપરના લેખ. (૧૫૯) ઉદૃયપુરના શ્રીશીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ.
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ભાગ ૧ લે,
(१६०) ॥६०॥ संवत् १४६३ वर्षे वैशाख वदि ५........यवडप्रासादगौष्ठिक प्राग्वाटज्ञातीय व्यव[ ०] झांझा भा० लाछि पुत्र देपा भार्या देवलदे पुत्र ७ व्यव[0] .... कुंरपाल सिरिपति नरदे धीणा पंडित लषमसीआ स्वश्रेयोर्थ श्रीपार्श्वनाथजिनयुगल[लं] कारापितः(तं) प्रतिष्ठितः(तं) कछोलीवालगच्छे पूर्णिमापक्षे द्वितीयशाखायां भट्टारकश्रीभद्रेश्वरसूरिसंताने तस्यान्वये भ० श्रीरत्नप्रभसूरि तत्पट्टे भट्टारकश्रीसर्वाणंदसूरीणां शिष्य लषमसी(सिं)हेन आत्मश्रेयोर्थ कारापितः(तं) प्रतिष्ठितः(तं) भ० श्रीसर्वाणंदसूरीणामुपदेशेन । मंगलं भूयात् ॥
(१६१) सं० १४६३(?) वर्षे वैशाप(ख) व० ११ भौमे पाइवा....श्रीमाल ज्ञा० पितृ वीसल भा० वीझलदे० द्वि० वीकमदे श्रेय० सुत मेहागेन कारितं । श्रीवासुपूज्यबिंबि] प्रति० व्रमा(ब्रह्मा)णगच्छे श्रीमुनिचंद्रसूरिभिः ॥
(१६२) ॥ सं० १४६४ वर्षे माघ शुदि ५ गुरौ श्रीमालज्ञातीय श्रे० पापद भार्या धरधति पुत्र्या श्रे० परबत पन्या श्रा० प्रीमीनाम्न्या आगमगच्छे श्रीजयानंदसूरीणमुपदेशेन श्रीसंभवनाथादिपंच तीर्थीबिंब कारितं । प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीमूरिभिः ॥ श्रीः ॥
(१९०) सपा (पुर ) न! श्रीपाव नायना माहिरमांना मोटा
પત્થરના કાઉસગીયા નીચેને લેખ. (૧૬૧) જામનગરના રાજશી શેઠના શાંતિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ
ઉપરના લેખ. (૧૬૨) રાધનપુરના શ્રી શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ.
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પ્રાચીનલેખસ ંગ્રહ.
( १६३)
॥ संवत् १४६४ वर्षे माघ सुदि ११ गुरुवारे श्रीमेदपाटदेशे श्रीदेवकुलपाटकपुरवरे नरेश्वरश्रीमोकलपुत्र श्रीकुंभकर्णभूपतिविजय राज्ये श्री उससे (शे) श्रीनवलक्षशापमंडन सा० लक्ष्मीधर सुत सा० लाधू तत्पुत्र साधुश्रीरामदेव तद्भार्या प्रथमा मेलादे द्वितीया माल्हणदे । मेलादेकुक्षिसंभूत सा० श्रीसहणपाल । माल्हणदे कुक्षिसरोजहंसोपमजिनधर्मकर्पूरवातस्य धीनुक सा० सारंग । तदंगना हीमादे लखमादेप्रमुखपरिवारसहितेन सा० सारंगेन (ए) निजभुजोपाजितलक्ष्मी सफलीकरणार्थ निरुपममद्भुतं श्रीमह्तु श्रीशांतिजिनवरबिंबं सपरिकरं कारितं । प्रतिष्ठितं श्रीवर्धमानस्वाम्यन्वये श्रीमत्खरतरगच्छे श्रीजिनराजसूरिपट्टे श्रीजिनवर्धनसूरित(स्त) त्पट्टे श्रीजिनचंद्रसूरि त (स्त) त्पट्टपूर्वाचल चूलिकासहश्र (स्र)करावतारैः श्रीमज्जिनसागरसूरिभिः ॥
४८
सदा वंदते श्रीमद् धर्ममूर्त्तिउपाध्यायाः
घटितं सूत्रधार मदन पुत्र धरणावीकाभ्यां आचंद्रार्क नंद्यात् ॥ श्रीः ॥ छ
(१६४)
सं० १४६४ वर्षे वै० सुदि शुक्रे उसवाल ज्ञा० श्रे० नरसी (सिंह भा० नामलदे सु० महिपाल भा लालू सुत अजउ उटा पितृव्य नरपाल उटानिमितं (त्तं) पित्रो [ : ] श्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंबं श्रीहारीजगच्छे श्रीमहेश्वरसूरिभिः ॥ प्र० ।।
(१६३) नागही ( हेपुर - मेवाड ) ना शान्तिनाथ, } नहेने अहम કહેવામાં આવે છે, હૅની ઉપરના લેખ.
(૧૬૪) લીંબડીના મ્હોટા મંદિરની ધાતુમૃત્તિ ઉપરના લેખ.
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भाग १सी.
४८
(१६५) सं० १४६४ वर्षे ज्येष्ठ शुदि १४ बुधे श्रीमालवंशे वैद्यगोत्रे सा० हाला भार्या ऊदी पुत्र सा० भीमाकेन स्वपुण्यार्थं श्रीपद्मप्रभबिंब का० प्र० श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनवर्धनसूरि श्रीजिनचंद्रसूरि श्रीजिनसागरसूरिभिः
(१६९) ॥ सं० १४६४ वर्षे प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० रत्न भा० माऊ सुत श्रे० ताल्हा भा० सारू सुत श्रे० वेलाकन भा० वानू प्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीश्रेयांसबिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं तपा श्रीसोमसुंदरसूरिभिः ॥
(१६७) १४६४ ऊकेश सा० वाच्छा राणी पुत्र वीसल खीमाई पुत्र धीरा पत्नी सा० राजा रत्नादे पुत्री माहल्लणदे का० आदिबिंबं प्र० तपा श्रीसोमसुंदरसूरिभिः
(१६८) सं० १४६५ ज्येष्ठ सुदि १४ बुधे श्रीवमलनाथबिंब कारितं भानसिरिश्राविकया । प्र[.]। श्रीजिनसागरसूरिभिः। श्रीमालज्ञातीय भांझियागोत्रे
(૧૬૫) પૂનાના શ્રી આદિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ. (१६६) 42ीना मारिनी धातुभूति ५२ना २५. (૧૭) દેલવાડા (મેવાડ) ના શ્રી પાર્શ્વનાથના મંદિરના ભોંયરામાંના મૂલ
નાયકજીનો લેખ. (१९८) ३०१७ (भा3) ना श्रीव नायना महिनी मरना से५.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ,
(१६६) सं [0] १४६५ ज्येष्ठ सुदि १४ बुधे साघुला गोत्रे सा छीहिल पु० चांपा भार्या चापलदे पु० लाषाकेन भ० लषमादे स्वपुण्यार्थं श्रीशांतिनाथबिंब का० प्र० श्रीधर्मघोषगच्छे पद्मशेखरसूरिपट्टे भ० श्रीविजयचंद्रसूरिभिः॥
(१७०) ॥६० ॥ संवत् १४६६ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ३ बुधवारे श्रीऊकेशवंशे ताहटशाषा(खा)यां मात (?) ण पुत्र सा० कणवीर पुत्र सा० भीमा। वीसल....पाल प्रमुख गोत्रादिपरिवारसहितेन श्रीकरहेटक गते (ग्रामे ) श्रीपार्श्वनाथभुवने श्रीविमलनाथदेवस्य देवकुलिका कारापिता । प्रतिष्ठिता श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनवर्धनसूरीणामनुक्रमे श्रीजिनचंद्रसूरिपट्टकमलमार्तंडमंडलैः श्रीमज्जिनसागरमूरिभिः । शिवमस्तु । --वरसग देवराज प्र-यः । ( ? )
(१७१) सं० १४६६ ज्ये० शु० १० वा० ज्ञा० पं० लींबा भा० वाळू सुत सं० हरपतिना भा० मटकुयुतेन ज्येष्ट(ठ)भ्रातृ सं० कर्मण भा [0] देमतिश्रेयोर्थ श्रीशांतिनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारि० प्रतिष्टि(ष्ठि)तः श्रीसूरिभिः
(૧૬૯) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ. (૧૭૦) રહેડાના મંદિરની ભમતીમાંની એક ઓરડીમાંને લેખ. (१७१) साडी (भा२५॥) ना माहिती यातुभूति ५२ सेम.
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૫૧
ભાગ ૧ લે. (१७२)
सं० १४६७ वर्षे वैशाख वदि ५ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० मेला व्य० जेसा भा० मेखू सु० लाखाकेन मातृश्रेयसे जीव(वि)तस्वामिश्रीआदिनाथबिंब का० [प्र०] त्रिभवीयागच्छे श्रीधर्मशेखरसूरिभिः ॥
(१७३)
सं[0] १४६८ व [0] माह(घ) शुदि ४ शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्टि(ष्ठि) जगसी(सिं)हगृहे पितामहप्रमुख पीत्रीउ पीत्राही गोत्री पुत्र पौत्र मातापिता मुह गोत्रमं बंबि जिको पीडा उपद्रव करतु हते शांति करियो श्रीआदिभूवनि तेह निमित्त श्रीशांतिनाथबिंबि(बं) कारापितं प्रतिष्टि(प्ठि)तं श्रीसूरिभिः श्रीः ।
(१७४)
सं० १४६८ वर्षे फागुण व० १० सोमे ऊशवंशे लोढागोत्रे सा० खीमसी पु० वडुआ भा० साकू आत्मपतिपुण्यादौ(थ) श्रीसुविध(धि)नाथबिंबं का० प्र० कृष्णर्षिगच्छे श्रीनयचंद्रमूरिभिः
(૧૨) પાટણના કનાસાના પાડાના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ. (૧૭૩) માંડલના શ્રીવાસુપુજ્યના મંદિરની ધાતુર્તિ ઉપરને લેખ.
(૧૪) કતારગામના (લાડૂઆ શ્રીમાળીના) ન્હાના મંદિરની ધાતુવૃત્તિ ઉપરને લેખ
20127
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ. (१७५)
संवत् १४६६ वर्षे माहा(घ) शुदि ५ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० लाला भाा लापणदे सुत वीसलकेन पितृमातृश्रेयोथ। श्रीकुथ(थु )नाथबिंब कारापितं प्रतिष्ठि(ष्ठि)तं श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीगुणसमुद्रमूरिभिः वडेवास्तव्यः।
(१७६)
सं० १४६६ वर्षे फाल्गुन वदि २ गुरौ श्रीऊपकेश ज्ञाती[य] श्रीधरकटगोत्रे सा० हरिराज प्रसिद्ध नाम सा० बगुला पुत्रेण सा० लाखा भार्या गजसीही पुत्र बलिराजयुतेन श्रीसंभवनाथबिंब का० प्र० श्रीवृहद्गच्छे श्रीरत्नप्रभमूरिभिः ।
(१७७)
सं० १४६६ वर्षे फागुण वदि २ गुरौ उपकेश ज्ञातीय ठकुर गोत्रे सा० आला भा० भरमादे पु० अर्जुन भा० चाहिणदे पु० ईसर १ हीरा २ नरभा देदा । अर्जुनेन पु० ईसरनिमित्तं श्रीपद्मप्रभबिंब कारितं । श्रीज्ञानकीयगच्छे प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीश्रीशांतिमूरिभिः ॥ छ ।
(૧૭૫) માંડલના શ્રી પાર્શ્વનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરનો લેખ. (૧૭૬) જયપુરના બાંડીયાના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપર લેખ. (૧૭૭) માંડલના શ્રીશાન્તિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપરને લેખ.
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मागसो.
५३
(सोलमा शतना.)
( १७८)
सं० १५०१ वर्षे माघ शु० ५ बुधे श्रीश्रीमाल ज्ञातीय श्रे० डाहा भार्या मलू सुत लालाकेन पितृमातृपितृव्यश्रेयोर्थ श्रीसंभवनाथबिंबिं(बं) का० प्रति० श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीमुनिचंद्रसूरिभिः।
(१७८ )
। संवत १५०१ वर्षे माघ शुक्ल १३ गुरौ प्राग्वाटज्ञातीय मं० वदा भा० रुजी सुत मं० ठाकुरसी(सिं)ह भा० फद मु० मं० परबतेन मातुः श्रेयसे श्रीशीतलनाथविंबं का० प्र० वृहत्तपापक्षे श्री. रत्नसिंहमूरिभिः ॥
( १८०)
सं० १५०१ माघ वदि ५ गुरौ प्राग्वाट व्य० धणसी भा० प्रीमलदे सुत व्य० लापा भा० लापणदे तेन व्य० पीमाकेन निजश्रेयसे श्रीसुमतिविवं कारि० प्र० तपाश्रीमुनिसुंदरसूरिभिः ।।
(૧૮) માંડલના શાન્તિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ ઉપર લેખ. (१७८) साम1-11 २९।८। १२:२२।। धातुभूति ७५२२॥ येष. (१८०) ४५२ना गाना '२नी धातुभूति परना बेम.
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૧૪
પ્રાચીનલેખસંગ્રહ ( १८१ )
संवत् १५०१ वर्षे फागुण सुदि द सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० चीत्रा भार्या चांपलदे सुत वस्ता गोयंद वस्ता भार्या सांपू सुत ऊंदाकेन पितृव्य गोयंदनिमित्तं श्रीचंद्रप्रभस्वामि [बिंबं ] कारापितं श्री पूणिमापक्षे भ० श्रीश्रीवीरप्रभसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्टि (ष्ठितं ॥
( १८२ )
॥ संवत् १५०१ वर्षे फाल्गुण सुदि १२ गुरौ श्रीअंचलगच्छे श्रीजयकीर्त्तिसूरीणामुपदेशेन ऊकेशवंशे मं० गोपा भार्या मेलू पुत्र मं० जावडश्रावकेण संपूरी भार्यासहितेन श्रीधर्मनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीसंघेन ॥ श्री ॥
( १८३ )
सं[०] १५०१ वर्षे फागुण सुदि १३ गुरौ सुराणागोत्रे सा० सोनपाल भा० तिहुणी पु० यि (जि) राजेन गुणराज दशरथ सहसकिरणसमन्वितेन स्वश्रेयसे श्रीसुमतिनाथबिंबं कारितं प्र० श्रीधर्मघोषगच्छे भ० श्रीपद्मशेखरसूरि प० भ० श्रीविजयचंद्रसूरिभिः
(૧૮૧) જામનગરના શ્રીઆદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપरनो सेम.
(१८२) त्रापन (अडीयावाड ) ना हेरासरनी धातुभूर्ति उपरन। सेम. (૧૮૩) ઉદ્દયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ ઉપરના લેખ.
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૫૫
भाग १ सो.
( १८४) सं० १५०१ वर्षे चैत्र वदि ७ श्रीहारीजगछे(च्छे) ऊपकेश ज्ञा० महं मांडण भा० लाडी सुत षोनाश्रेयसे भ्रातृ आसाकेन श्रीवासुपूज्यबिंब का० प्र० श्रीमहेस(श्व)रसूरिभिः॥
(१८५) ॥ सं० १५०१ वर्षे वैश(शा)ष शु० ३ शनौ श्रीश्रीमाल ज्ञातीय श्रे० साईया सु० लषमण भार्या लषमादे सु० मंऊलिककाह्राभ्यां निजपितृमातृश्रेयोर्थ श्रीवास(सु)पूज्यबिंब का० प्र० पिष्पलगच्छे त्रिभ० श्रीधर्मसुंदरसूरिभिः सुंद्रियाणाग्रामे ॥
(१८६) ___सं० १५०१ वैशाख शुदि ३ नागरज्ञातीय श्रे० वयरसी भा० कांऊ सुत सा० सामलेन भा० गोरीप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसंभवबिंब कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छेश श्रीश्रीमुनिसुंदरसूरिभिः श्री ॥ श्री ॥
(१८७) __सं० १५०१ वर्षे वै० शु० ५ गुरौ श्रीश्रीमाल श्रे० लोला भा० सांऊ पु० पहिराजेन पितृव्य हेमाश्रेयोर्थ श्रीविमलनाथबिंबं श्रीपूर्णिण० श्री........सूरीणामुपदेशेन कारितं प्रत(ति)ष्टि(प्ठि)तं च विधिना
(૧૮૪) જામનગરના શ્રી આદિનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૮૫) જામનગરના શ્રીવાસુપૂજ્ય સ્વામિના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૧૮૬) પૂનાના આદિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (१८७) पाटीना रासनी धातुभूतिना सेम.
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પ૬
પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(१८८) ॥ सं० १५०१ वर्षे वैशाख शुदि ७ बुधे श्रीब्रह्माणगच्छे व्य० गोगन भा० सुहागदे सुत गजाकेन भ्रातृ देदा लीबा भीमा पित्रो [:] श्रेयोर्थ श्रीश्रीश्री मा० श्रीमुनिसुव्रतबिंब का० प्र० श्रीप्रद्युम्नसूरिभिः ॥ सूनेघ वास्तव्य [:] ।
(१८८) ॥ सं० १५०१ ज्येष्ट (छ) सु० १० श्रीसंडेरगच्छे श्रीयशोभद्रसूरिसंताने ऊ० वडावाणीया गोत्रे सा० आल्हा भा० वील्ह पु० वेमा भा० रामी पु० काम्हाकेन भा० धर्मानिम(मि)त्तं श्रीशांतिनाथबिंबं का० प्रतिष्टि(प्ठि)तं संडेरगच्छे श्रीशांतिसूरिभिः
___ (१८०) संवत् १५०१ वर्षे ज्येष्ट(ष्ठ) व० ६ रवौ ओसवाल ज्ञा० पितृव्य मूलू पितृ शिवा मातृ खोनी भ्रातृ पद्माश्रेयोऽर्थ शान्तिनिमित्तं व्यव [0] आकाकेन श्रीवासुपूज्यमुख्यपंचतीर्थी कारिता तपा० श्रीमुनिसुंदरसूरिभिः प्र०
(१८१) ॥संवत् १५०३ वर्षे मार्ग[0] सु० २ शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० क्षिमा भा०............पितृमातृश्रेयसे बिंबं कारितं प्र [.] पिष्पलगच्छे भ० श्रीधर्मशेखर[ मूरिभिः ]
(१८८) पूनाना माहीवन। मारिनी पातुभूति'नो लेम. (१८८) सायना महिनी धातुभूति ना सेम. (૧૯૦) ઉદેપુરના ગોડીજીના ભંડારની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (१८१) १ना महिनी धातुभूतिना सम.
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भाग १ सो.
( १६२) सं० १५०३ वर्षे [0] मार्ग वदि २ शनौ श्रीभावडारगच्छे श्रीकालिकाचार्यसंताने श्रीश्रीमाल० सा० हेसा भा० हमीरदे पु०
आका भा० कोई पु० कर्मण धीरा ऊधरण नरभ्रमछांछाखपुण्याथं श्रीवास(सु)पूज्यबिंब कारितं प्र० श्रीवीरसूरिभिः
(१८3)
॥सं० १५०३ माघ व० २ शुक्रे ऊकेश ज्ञा० व्य० शिवा भा० संसारदे सुत व्य० हीराकेन भा० लींबा सुत आसधरादिस्वबंधु वीरा धीरा नर्बदप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वपितृश्रेयसे श्रीचंदप्रभविं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीजयचंद्रसूरिभिः । श्रीपूर्णिमापक्षे ॥:
(१८४)
सं० १५०३ वर्षे माघ व० ३ श्रीश्रीमालज्ञा० पितृ पूनसी(सिं)ह । मातृ पदमलदेवि ॥ भ्रातृ.... नरसी(सिं)ह । वप्तृ । श्रेयसे सुत वीकाकेन । श्रीविमलपंचतीर्थी का० प्र० पिष्पलग त्रिभवीआ श्रीधर्मशेखरसूरिभिः॥
(૧૨) જામનગરના શ્રી આદિનાથના દેરાસરની ધાતુતિને લેખ. (૧૯) પ્રાંતીજના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૧૯૪) જામનગરના શ્રીઆદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુતિને લેખ.
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૧૮
પ્રાચીનલેખસંગ્રહ
(१८५)
सं० १५०३ वर्षे माघ व० ३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञा० पितृ वाछा मातृ राजूश्रेयसे । सुत मोषा। वीरपाल वर्जा एतैः श्रीसुमतिनाथपंचतीर्थी का० प्र० पिष्पलग० त्रिभवीया श्रीधर्मशेखरसूरिभिः ॥
(१८६)
संवत् १५०३ ज्येष्ठ शुदि ७ सोम(मे) श्रीचंद्रप्रभाजनबिम्बं प्र० पूर्णिमा श्रीमुनिशेखरसूरिपट्टे साधुरत्नसूरिणा
(१८७) संवत् १५०३ वर्षे आषा० शु० २ गुरौ वीसलनगरवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय सं० सादा भा० सुत सं० वाछा भा० वीसलदे सुत सं० कान्हा राजा मेघा जगा अदा तत्र सं० मेघाभिधेन भार्या मीलणदे सुत सुरदासप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसुमतिनाथाबिंब कारितं प्रतिष्ठितं तपापक्षे श्रीरत्नसिंहसूरिभिः ।
(૧૯૫) જામનગરના રાજશીશાહના શ્રી શાંતિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂ
ત્તિને લેખ. (૧૯૬) મહેસાણાના સુમતિનાથજીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૧૯૭) મહેસાણાના આંબલી ચૌટાના શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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૫૯
भाग १ से.
(१८८)
:
सं० १५०३ वर्षे आषा० शु० ७ प्राग्वाट सा० आका भा० जासलदे चांपू पुत्र सा० देल्हा जेठा सोना षीमाद्यैः चतुवि(वि) शतिजिनबिंबपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीसोमसुंदरसूगिशिष्यैः श्रीजयचंद्रसूरिभिः ॥
(१८)
सं० १५०३ वर्षे आषा० शु० ७ प्राग्वाट सा० देपाल पुत्र सा० सुहडसी भा० सुहडादे सुत पीछउलिआ सा० करण भा० चतू पुत्र सा० धांधा हेमा धर्मा कर्मा हीरा हांसा का - ला सा० धर्माकेन भा० धर्मणि सुत सहसा सालिग सहजा सोना साजादिकुटुंबयुतेन ६६ जिनपट्टिका कारिता || प्रतिष्ठिता श्रीतपागच्छाधिराजश्रीसोमसुंदर सूरिशिष्य श्रीजय चंद्रसूरिभिः ॥
(२००)
॥ संवत् १५०३ वर्षे आसाट (वाढ) शुदि १० शुक्रे श्रीप्राग्वाटज्ञातीय श्रे० पी - भार्या लाषणदे तयोः पुत्रैः श्रे० वीरमधीराचांगाख्यैः मातृपितृश्रेयोर्थं श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंबं कारितं प्र० तपागच्छे वृद्धशाखायां श्रीजिनरत्नसूरिभि: । श्रीसहुआला
वास्तव्य
(૧૯૮) દેલવાડા ( ઉદેપુર ) ના શ્રીઆદિનાથના દેરાસરના ભોંયરામાંની એક મૂત્તિ ઉપરના લેખ.
(१८८) हेलवाडा ( हेपुर ) ना श्रीयार्श्वनाथना मंदिरमां अतीत - अनागतવર્તમાન તીર્થ કર–વિહરમાન અને શાશ્વત એમ ૯૬ પ્રતિમાના એક पट्टछे, ते उपरनो सेम.
(૨૦૦) પાલીતાણાના માધવલાલ બાબૂના દેરાસરની ધાતુમૂર્ત્તિના લેખ.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(२०१) संव० १५०४ वर्षे मा० व[.] रवौ प्राग्वाट ज्ञातीय पा० देवराज भार्या करमादे पुत्र सहसराजेन भार्या चमकू पुत्र सायर । रयणायर माणिक्य मांडण धर्मादिकुटुंवयुतेन स्वश्रेयोर्थ श्रीशांतिबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपगच्छाधिराज || श्रीजयचंद्रसूरिभिः ॥ श्रीः विराटपरे(पुर) वास्तव्य पौत्र हराज भला ठाकरसी
(२०२) ___सं० १५०४ वर्षे फागुण सुदि ८ सोमे श्रीश्रीमालशातीय मं० तलसी(सिं)ह भार्या जहेगलदे भ्रातृ वधामण भोजा भार्या माऊ सुत करमाकेन पितृमातृश्रेयोर्थ आत्मश्रेयसे श्रीचतुर्विंशतिपट्ट [6] श्रीश्रीशीतलनाथविवि (बिंबं) कारापितं । पूर्णिमापक्षीय प्र० श्रीगुणसु( सुं )दरसूरिउपदेशेन प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीसरिभिः ॥
(२०3) सं० १५०४ व० वैशाख शु [0] ६ शुक्रे श्रीउपकेशज्ञातौ कुर्कटगोत्रे सा० गेला भार्या देमाई पुत्र सा० वाघाकेन भा० वउलदेयुतेन पित्रोः पितृव्यश्रे० श्रीसुमतिनाथबिंबं का० प्र० श्रीउपकेशगच्छे श्रीककुदाचार्यसंताने श्रीकक्कसूरिभिः
(૨૦૧) હિંમતનગરના મહેટા મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (२०२) भांडताना पाव नायना महिनी पातुभूतिना म. (૨૩) ઉદેપુરના ગોડીજીના ભંડારની ધાતુમતિને લેખ.
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ભાગ ૧લો.
(२०४)
संवत् १५०४ वर्षे जेष्ट ( ज्येष्ठ ) सुदि १० सोमे श्रीमालज्ञातीय मं० जयता भा० जयतलदे सुत मं० झलाकेन भा० शाणी सुत मं० मेघा राजा भा० बहिन रमादेप्रमुखकुटं(९)बयुतेन स्वश्रेयसे श्रीचंद्रप्रभस्वामिचतुर्विंशतिपट्टः कारितः बृहत( त)पापक्षे श्रीरत्नसिंहमूरिभिः प्रतिष्टि( प्ठि )तः श्रीमभादित्यपुरे
(२०५)
॥ सं० १५०४ वर्षे ज्ये० व० ६ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० झलूया भा० चांगलदे सु० नरपतिनाम्ना स्वपितृमातृ श्रेयसे श्रीश्रेयांसबिंबं श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीगुण समुद्रसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना श्रीरस्तु
(२०६)
सं० १५०४ वर्षे आषाढ शु० २ प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० चांपा भार्या हमीरदे सुत पूराकेन भार्या मांजू सुत दलादिकुटुंबयुतेन भ्रातृ सायरस्वश्रेयोर्थ श्रीसुपार्श्वनाथबिंबं का० प्र० तपा श्रीजयचंद्रसूरिभिः॥ श्री ॥
(२०४) ॥२॥मना या आश्रीमान! -ali! महिनी यातुभूतिना दे. (२०५) राधनपुरना शान्तिनाथना माहिरनी चातुभूतिना ५. (२०१) हिम्मतनगरना मना महिनी धातुभूत्तिा से.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ. (२०७)
सं० १५०५ वर्षे पौष वदि ७ गुरो(रौ) श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० मेलिग सु० धा भार्या धांधलदे सु० धाराकेन स्वभा० लीवणि सु० स० हसा द्वाभ्या(द्वयोः) निमितं (तं) श्रीनमिनाथविव(बं) कारितं । प्र० ब्रम्हाणगच्छे श्रीविमलमूरिभिः । जसधण ग्रामे
(२०८) सं० १५०५ वर्षे माघ शु [ 0] शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० हापा भार्या हिमादेव्यादिकुटुंबयुतेन आत्मश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंब कारितं श्रीआगमगच्छे श्रीहेमरत्नसरिगुरूपदेशेन प्रतिष्ठितं धंधूका वास्तव्य । श्रीः
(२०८)
॥सं० १५०५ वर्षे फागुण सुदि २ शनौ कुपर्दशाखीयश्रीश्रीमालज्ञातीय प० आसपाल भा० तारू सुत सलहीयाकेन भा० फदकूसहितेन० श्रीअंचलगच्छेशश्रीश्रीश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन निजश्रेयोर्थ श्रीअभिनंदननाथबिंब कारितं प्रतिष्टि( ष्ठि )तं श्रसिंघेन ॥ श्रीः ॥
(૨૭) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (२०८) yaul मासावान मरिनी धातुभूतिना म. (૨૯) રાધનપુરના શ્રી શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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भाग १ से..
( २१० )
૩
॥ सं० १५०५ वर्षे वैशाख सुदि ३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० वीरा भा० धारू सुत सांडा भा० वानू आत्मश्रेयसे श्रीजीवितस्वामिश्रीकुंथुनाथबिंबं का० प्र० पिष्फ ( ( प ) लाचार्य त्रिभ० श्री धर्मशेखरसूरिभिः || पलसुंडग्रामे भवतु ||
(२११)
सं० १५०५ वैशाख शु० ५ सा० जगसी सुत रणसी सा० लल सुत सा० साहुलेन भा० वाल्ही सुत नरसिंग तथा सहकुटुम्बयुतेन ४१ अभ्युल्लसितश्रीजिनचतुर्विंशतिकां सधिकृते श्रीअभिनंदनबिम्बं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सोमसुन्दरसूशिरीष्यश्रीजयचंद्रसूरिभिः ॥ श्रीश्रीश्रीविशालराजसूरिप्रमुख परिवृतैः ।
कारयता
(२१२)
॥ सं० १५०५ वर्षे वैशाख सु० ६ सोमे श्रीसंडेर गच्छे ऊ० जापवासुता गोत्रे गरिगणपुत्र बेहा पु० चुलाकेन सा० गोगी पु० छांडा कुंभासहितेन स्वपुण्यार्थं श्रीशांतिनाथबिंबं का० प्र० श्रीशांतिसूरिभिः
(२१०) डेलीयाना ( अहीयावाड ) हेशसरनी धातुभूर्त्तिनो सेम.
(२११) भ्यालुङ (उहेपुर) ना छेदना महिरभांनी पाषाणुनी मूर्ति उपरना सेम.
(૨૧૨) ઉયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિના લેખ.
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પ્રાચીનલેખસંગ્રહ.
(२.१७) ॥ सं० १५०५ वर्षे वै० व० ६ अहम्मदावादवासि श्रीश्रीमाल व्य० ठाकरसी भा० रुपिणि पुत्र ठा० देवाकेन भा० फकूकेन श्रीविमलबिंब का० प्र० तपाश्रीजयचंद्रसूरिभिः॥
(२१४) ॥ सं० १५०५ वर्षे वैशाष नागरज्ञातीय दो। हीरा भार्या मेनू पुत्र दो ॥ राजाकेन भा० रमादे सुत विजायुतेन निजमातृपितृश्व(स्व)श्रेयसे श्रीशांतिनाथविंबं कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि )तं श्रीतपापक्षे श्रीरत्नसिंहमूरिभिवृद्धशाला ॥
(२१५) ॥ सं० १५०५ वर्षे प्रा० ज्ञा० सा० माला भा० भादा सुत सा. गोपाकेन भा० सातलदे पुत्र माल्हासीहादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयो) श्रीपदम(म)प्रभाबिंब कारि[0] प्रतिष्ठितं तपागच्छेन्द्रश्रीजयचंद्रमाभिः॥
(२१६) सं० १५०५ वर्षे वामईयावासि प्रा . व्य० देटा भा० सारू सुतया व्य० वयरा भा० फचकूनाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीश्रीशीतलनाथबिंब का० प्र० तपाश्रीजयचंद्रसूरिपादैः॥ ।
(૧૩) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૨૧૪) સુરતના નેમુભાઇની વાડીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૧૫) ઉદેપુરના ગેડીઝના ભંડારની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (ર૧૬) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ.
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ભાગ ૧ લો.
( २६७ ) सं० १५०६ माघ शुदि ५ रवौ श्रोऊकेश सा० वाछा भार्या चउलदे सु० सा० नगा भा० नामलदे सु० सिंघराजसहितया स्वमर्तु । श्रे० श्रीम० वृद्धतपा० श्रीरत्नसिंहमूरिभि
(२१८ ) ॥ संव० १५०६ वर्षे माघ सुदि ५ श [0] श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० कान्हा भार्या हांसू सुत देवा पितृमातृभ्रातृनिमित्तं महं । शिवा भार्या मानूं भ्रातृव्य हरदाससहितेन श्रीआदिनाथवि० चतुर्विंशतिपट्ट [:] कारि० प्र० पिप्पल ग० भ० श्रीविजयदेवमूरिभिः ॥
( २१८) सं० १५०६ मा० सु० ८ दिने उपकेशज्ञातौ भरहठगोत्रे सा० सहदेव भा० सुहवदे पु० सालिगेन पित्रोनिर्मितं (तं ) श्रीकुंथुनाथर्निवं का० प्रति० श्रीसर्वसूरिभिः
( २२०) ॥ सं० १५० वर्षे मा० ५० ५ दिने श्रीसंडेरगच्छे ऊ. ज्ञा० सा० आमा पु० साता भा० पेढी पु० पिथमा भा० धारु पु० भाषर भा० लाडी पु० पोमा स० स्वश्रेयसे श्रीसुविधिनाथबिंब का० प्र० यशोभद्रसूरिसंताने गच्छेशैः श्रीशांतिसूरिभिः
૨૧૭) કતારગામના ( લાડુઆ શ્રીમાલીના ) ન્હાના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
(૧૮) જામનગર શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૧૮) ઉદયપુરના શીતલનાથજીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (२२०) रायपुरना शहना मागना मरिनी चातुभूतिना म.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
( २२१ )
॥ सं० १५०६ फा० शुदि ९ श० सा. सोमा मा० रूडी सुत सा० समधरेण भ्रातृ फाफा सीधर तिहुणा गोविंदादिकुटुंबयुतेन तीर्थश्रीशत्रुनयश्रीगिरिनारावतारपट्टिका का० प्र० श्रीप्लोमसुंदरसूरिशिष्यश्रीरत्नशेखरसूरिभिः॥
(२२२ )
___ संवत् १५०६ चैत्र वदि ५ गुरौ श्रीशीतलनाथविवं कारितं प्र. पूर्णिमापक्षि(तो)यश्रीगुणसुंदरमूरिणा
(२२३)
सं० १५०६ वर्षे वैशाख शुदि ६ शुक्रे श्रीश्रीमाल ज्ञातीय पितृ मांकड मातृ मेलादे भ्रातृ गांगा गेलानिमित्तं सुत लालाकेन श्रीशांतिनाथविंचं का० चतुर्दशीपक्षे महकरगच्छे भ० श्रीधनप्रभसूरिभिः ।।
(૨૧) દેલવાડાના શ્રી પાર્શ્વનાથના મંદિરમાં પર્વતોના આકારના પટ
ઉપરને લેખ. (રરર) મહેસાણના શ્રી સુમતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૩) અમદાવાવાદ ઝવેરીવાડાના શ્રીસંભવજિનમંદિરની ધાત્મ
ત્તિને લેખ,
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ભાગ ૧ લે.
( २२४ ) सं० १५०६ वर्षे वैशाख शुदि ६ शुक्रे श्रीउसवाल ज्ञातीय श्रीवर्द्धमानशाखायां पटवडगोत्रे साहा हावा भार्या हांसल सुत सा० नाकर भा० गांगी पु० मा साकेन श्रीशांतिजिनबिंबं कारितं प्र० श्रीधर्मबोषगच्छेश भ० श्रीसाधुरत्नसूरिभिः ।
(२५) सं० १५०६ वर्षे वीरपुरवासि नीमा ज्ञातीय श्रे० धर्मसी भार्या नंबू पुत्र माईण भार्या षे(खे)तीप्रमुखकटं (कुटुं) बयुतेन श्रीसुमतिवि पारितं प्र० तपा । श्रीजयचन्द्ररिपादैः ॥
( २२६ ) ॥ संवत् १५०७ वर्षे मार्य (ग)• सु० ५ मो० उप० सुधा गो० म० तना भा० रूपी पु० म० नरमसेन आत्मश्रे० श्रीश्रेयांसर्विच का० प्र० श्रोकोरंटग० भ० श्रीसावदेवसूरिभिः ॥
( २२७ ) सं० १५०७ वर्षे माघ सुदि ११ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० महिपाल भार्या बूटीकस्याः भ्र(भ्रा, तृशेयो० आत्म० जीव(वि)तस्वामिश्रीविमलनाथवि० प्रति० नागेंद्रगच्छे श्रीगुणसमुद्रमूरिभिः बीरबलात
(૨૪) જૂનાગઢના શ્રી મહાવીરસવામીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (२१५) सायना माहिरनी धातुभूतिना सेम, (૨૨) માંડલના શ્રીશાન્તિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૨) ઘોઘાના મેટા મંદિરની હામેના શ્રી નેમિનાથજીના મંદિરની
ધાતુમૂર્તિનો લેખ.
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ખારીને લેખ સંગ્રહ,
(२२८ ) सं० ११०७ वर्षे माघ सुदि १३ शुक्रे श्रीश्रीमाल वंशे व्य० जींदा १ पुत्र व्य० जेताणंद २ पु० व्य० आसपाल ३ पु० व्य० अभयपाल ४ पु० व्य० वांका ५ पु० व्यवहारि श्रीवाउडि ६ पु० व्य० अणंत ७ पु० व्य० सहना ८ पु० व्य० धीधा ९ पु० व्य० राजा १० पु. व्य० देपाल ११ पु० व्य० साह नाना १२ पु० व्य० रामा १३ पु० व्य० भीमा भार्या मांक पुत्र साह रयणायर सुश्रावकेण(न) भा० गउरी पु० भुंभव पौत्र लाडण वरदे । भ्रातृ समधर सायर । भ्रातृव्य समरा करणाली पारंग वीकाप्रमुखसर्वकुटुंबसहितेन श्रीअंचलगच्छे श्रीगच्छेश श्रीजयकेसरिसुरीणामुपदेशात् स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन
श्रीभवतु
( २२८ )
संवत् १५०७ वर्षे फागुण बदि ३ दिने श्रीपल्लीवालगच्छे उपकेश धाकड गोत्रे सा० नाल्हा पु० साह करण मा० वाइ टहकू पुत्र शिवराजसहितेन पित्रो [:] श्रेयसे श्रीनमिनाथवि कारित(तं) प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीयशोदेवसूरिभिः
(૨૮) પાલીતાણાના ગામના મેટા દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
(२२८) सुरतना तलावापानी पाणना सीमधरस्वामिना भरिन
ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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ભાગ ૧ લે.
( २३०) सं० १५०७ वर्षे वैशाप (ख) सुदि ११ सोमे श्रीश्रीमाल ज्ञातीय मं० ठाकुरसी भा० नाणिकदे सु० गलानिमित्त (त) वेलागोलाभ्यां श्रेयसे श्रीकुंथ (थु) नाथवित्र का० प्र० चैत्रगच्छे धारणपद्रीय भ० श्रीलक्ष्मीदेवमूरिभिः
(२३१) सं० १९०७ वर्षे वैशाष(ख) वदि ४ सोमे श्रीश्रीमाली पितृ आंबा मातृ आलणदे सुत मूका भा० हरकू पित्रो [:] श्रेयसे आत्मन(निमितं तं) श्रीवासुपूज्यबिंब कारापितं पिप्पलगच्छे प्रतिष्ठितं श्रीगुणरत्नमूरिभिः ।। श्री सोवडा.
{ २३२ ) संवत् १५०७ वर्षे येष्ट (ज्येष्ठ) शु०९ श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० धनपाल भार्या फदू सुन करमाकेन कुटुंबयुतेन स्वपितृश्रेयोथै श्रीनमिनाथबिंब कारितं श्रीआगमगच्छे श्रीहेमरत्नसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्ठि(ष्ठि) तं मांडलिवास्तव्य ॥श्रीः॥
(२33) ॥ सं० १५०७ वर्षे जेष्ट (ज्येष्ठ) सु० १० उप० चिपडगोत्रे साः गवा० भा० जेठी सु० रडाकेन मातृपितृपुण्या० आत्मश्रे० श्रीशांतिनाथवि० का० उपके० कु० प्रति० श्रीककसरिभिः
(૨૩૦) માંડલના શ્રી શાન્તિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૩૧) પ્રાંતિજના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૩ર) માંડલના ટીપાશ્વનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૨૩૩) ઉદયપુરના શ્રી શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(२३४ ) ॥ सं० १५०७ वर्षे ज्येष्ट (ठ) वदि ५ गुरौ श्रीश्रीमाल वंशे मं० पर्वत भार्या लाडी पुत्र मं. भोजा सुश्रावकेण(न) भार्या भावलदे पुत्र मांडणमुख्यकुटुंबप्तहितेन श्रीअंचलगच्छनायकश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन-निनश्रेयसे श्रीशांतिनाथबिंब कारित(तं) प्रति. ष्टि(ष्ठि)तं श्रीसंवेन श्रीरस्तु।
(२५) संवत् १५० ८वर्षे मा(ग)सिर(शीर्ष) सुदि ३ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्ठि धर्मा भार्या हरवू सुत लाषाकेन भा० गेलीसहितेन द्वि० मा० छागूनिमित्तं श्रीशांतिनाथवि का० श्रीचैत्रगच्छे श्रीगुणदेवसूरिसंताने श्रीजिनदेवसूरीणामुप० प्रतिष्ठि०
सं० १५०८ वर्षे वै० सु० ३ प्राग्घाट श्रे. कडूआ भा० मटकू सुत श्रे० भलाकेन मा० फांतू....वेला माणिकादिकडं( कुटुं)बयुतेन शेयसे श्रीचंद्रप्रभव(बि)वं कारितं प्र? तपागच्छे श्रीरत्नशेप(ख)रसूरिभिः वीरमग्राम बास्तव्य
(२३७ ) ॥६॥ सं० १५०८ वर्षे वैशाप(ख) सुदि ५ सोमे ओसवालज्ञातीय । डांगीगोत्रे । साधु वाना भार्या वालहदे पु० साधु लालू भार्या ललतादे आत्मपुण्यार्थं श्रीशांतिनाथबिंब कारितं श्रीकृष्णार्षिगच्छे श्रीजयसिंघ(ह)सूरि प्र० श्रीजयशेष ख)रमूरिभिः ॥ शुभं भ०
(૨૩૪) ઘોઘાના શ્રીનવખંડાપાર્શ્વનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૩૫) બાટાદના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (२३९) डीना मोटा महिनी,धातुभूतिना म. (२३७) स (GY२ ) न भरिनी चातुभूतिना सम.
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भाग १ सो.
७१
( २३८ ) ॥ सं० १५०८ वै० शु० ५ खयरवाडा वासि श्रे० हांपा भार्या हांसू पुत्र पदमकेन.....युतेन श्रीश्रेयांसबिंब का० प्रति० तपा श्रीसोमसुंदरमूरिशिष्यश्रीरत्नशेखरमूरिभिः ॥
( २३८ ) ॥ सं० १६०८ वर्षे वैशाष(ख) शुदि १२ शुक्र प्राग्वाट ज्ञा० मं० रत्ना मा० रनाई पु० सं० सहस सहमकिरण भा० धरणु सुत वजा कुटं(टुं) बयुतेन श्रीकुंथुनाथबिंब कारापितं प्रतिष्टि(ष्ठितं श्रीहेमविमलमूरिभः(मिः) बलासर वास्तव्य |श्री।।
( २४० स (सं). १५०८ वै० ऊकेशे सा० बच्छराज सु० सा० हीरा भा० हेमादे हर्षमदे पु० सा० जग भा० फदूनाम्न्या निनमर्तृश्रेयसे श्रीशीतलविंचं कारितं प्रतिष्ठितं तपा श्रीरत्नशेखरमूरिभिः॥ देवकुलपाटक नगरे ।
( २४१ ) ॥ सं०] १९०८ ज्येष्ट(छ) शु० ७ बुधे श्रीश्रीमाल वंशे कउडिशाखायां लघुसंताने मं० धणपाल भा० क्षीमादे पु० मं० मूला सुश्रावकेण(न) भार्या जसू वृद्धभ्रातृ वाछा भ्रातृ० मुरामहितेन श्रीअंचलगच्छेश श्रीजयकेसरिमृरीणामुपदेशेन पितृश्रेयसे श्रीसुविधिदेवर्षि० का० प्र० श्रीसंघेन
(૨૩૮) લીંબડીના જૂના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૩) શહેરના મોટા દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૪૦) ઉદેપુરના બજારના વાસુપૂજ્યના મંદિરની ધાતુમૂર્તાિ લેખ. (૨૪૧) લીંચના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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७२
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(२४२) सं० १९०८ वर्षे ज्येष्ट(ठ) शु० १३ ब(बु)धे प्राग्वट ज्ञातीय श्रे[.] सोमा मा० धरमिणि सुत मालाकेन लाला० मा० गेलू रांभूयुतेन स्वश्रेयोथै श्रीवर्धमानबिंब कारित प्र० तपा श्रीसोमसुंदरसूरिशिष्यश्रीरत्नशेष(ख)रसूरिभिः ॥ कूणिगिरिव्य(वा)स्तव्य ।
(२४3 ) संवत् १५०९ वर्षे मार्गशीर्ष शुदि ६ दिने उकेशवंशे नाहट गोत्रे सा० धन पुत्र साजणेन भार्या सहनलदे पुत्र मूला गहा गेहा पौत्र हापा नगा भादायुतेन श्रीसुमतिबी(वि) कारि० प्रतिष्टि(ष्ठि). श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनराजसूरिपट्टेश्वरश्रीजिनभद्रसूरिभिः ।।
(२४४) संवत् १५०६ वर्षे माव सुदि ५ शुक्रे प्राग्व(ग्वा)ट वंशे सं० कर्मट भा० मानु पुत्र उधरणेन भार्या सोहिणी पुत्र आल्हा वीसा नीसासहितेन श्रीअंचलगच्छेशश्रीजयकेसरिसूरिउ( रीणामु )पदेशेन स्वश्रेयसे श्रीवासुपूज्यस्वामिबि कारितं प्र० श्रीसंघेन
(२४५ ) सं० १५०९ वर्षे माव शु० ५ उसवाल ज्ञा० दो० सामंत भा० सीतादेव्याः सुतेन दो० समराकेन भार्या जीविणि सुत सहजपाल नरपाल धणपालप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वमातृपितृश्रेयसे श्रीआदिनाथचतुर्विंशतिपट्ट[:] कारितः प्र० तपागच्छेशश्रीमत् श्रीरत्नशेखरसूरिभिः श्रीउदयनंदिसूरि श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिर्युतैः
(૨૪૨) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (ર૪૩) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (२४४) श्रीना भारिनी धातुभूत्तिना सेम. (૨૪૫) સૂરતના નેમુભાઈની વાડીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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ભાગ ૧ છે.
॥ संवत् १९०९ वर्षे माघ सुदि १० शनौ प्राग्वाट ज्ञातीय श्रेष्टि(ष्ठि)मांडण भार्या सलखू भीमाकेन भार्या सुलेमरिसहितेन आत्मश्रेयसे श्रीआदिनाथवि कारितं । प्र० साधुपूणिमापक्षीय श्रीपुण्यचंद्रमुरीणामुपदेशेन विधिना श्रावकैः
( २४७ ) सं० १५०९ माघ व० ५ ० सो० शिवा पुत्र सो० नांइया मा० सूहव सुत सा० माणिकेन सुत सहना राजादिकुटुंगयुतेन निजमा० सो० वीरा० श्रेयोथ श्रीकुंथुनाथविनं का० प्र० तपा रत्नशेखरमूरिभिः
(२४८ ) सं० १५०९ वर्षे फागुण य(व)दि २ बुधे हुंबडज्ञातीय भ्रातृ पातलश्रेयसे ठ० वीरमेन श्रीआदिनाथवि कारितं प्र० श्रीसर्वानंदसूरिसहितैः श्रीसर्वदेवमूरिभिः
(२४८) सं. १५०९ फा० व० १० लाडउलि श्रीमाल दो० आल्हा मा० पातू पुत्र दो० रत्नाकेन भा० जीविणि पुत्र सहसा गोपादिकुटुंबगुतेन स्वश्रेयोथै श्रीसुमतिविधि का प्रतिष्ठितं श्रीमूरिभिः
(૨૪૬) ઉદેપુરના શ્રીગેડીઝના ભંડારની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૪૭) કતારગામના ઑટા મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૨૪) ઉદયપુરના શ્રી શીતલનાથજીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૪૮) પુનાના આદિનાથજીના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ.
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LY
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(२५० ) सं० १५०९ चै० शु० ३ प्राग्वाट व्य० मेघा मार्या हीरादे पुत्र व्य० आसाडोडाभ्यां भा० कलु आला पुत्र शिखरादिव टुंचयुसाभ्यां स्वश्रेयोर्थ युगादिवि० का० प्र० तपा० श्रीसोमसुन्दरसूििशष्य श्रीरत्नशेखरमूरिभिः
(२५१) ॥ सं० १५०९ व० चैत्र व० ११ शुक्रे उपकेश ज्ञातीय पीहरेचा गोत्र सा० गोवल पु० पदमा भा० पदमलदे तया श्रीमुनिसुव्रतबिं० का प्र० श्रीउपकेशगच्छे श्रीकक(क)सूरिभिः
(२५२) ॥ संवत् १९०९ वर्षे वैशाष(ख) वदि ३ दिने । उसवालज्ञातीय श्रे० ठकुरसी भार्या रान पुवात्र) श्रे० देवमी भा० मापरि पुत्र साह वछू भार्या सरू भ्रा रा वीरामहितेन मातृपितृश्रेयसे श्रीसुविधिनाथबिंब चतुर्विशतिपट्ट[:] कारितः उपकेशगच्छे कुक्कदाचार्यसंताने ककमरिभिः प्रतिष्टि(ष्ठि)तं । श्रीः ॥
(२५3 ) संवत् १५०९ वर्षे ज्येष्ट'ठ) शुदि १२ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय संघवी भोजा भार्या साधू सुतौ मेलु मेदु धनु मेना भार्या धनी स्वपूर्वि(व)जभर्तृआत्मश्रि(श्रे)योर्थ श्रीआदिनाथवि कारितं प्रतिष्टि ष्ठि)तं श्रीलक्ष्मीदेवमूरिभिः । वडावलीवास्तव्य ।।
(૨૫) ઉદયપુરના શ્રી શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૫૧) વેર વળના શ્રીચિંતામણિ પાર્શ્વનાથ મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૫) માંડલના શ્રી પાર્શ્વનાથના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (२५३) सायना सरनी चातुभूतिना ५.
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७५
ભાગ ૧ સે.
( २५४) मं० १९०९ वर्षे ज्येष्ठ वदि ९ गुरौ । स्तंयतीर्थवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय सा० सालिग मा० टबकू सुत सा० गोईयाकेन भा० गुरदे पुत्र जीवण रतन महिराज पहिराजादियुतेन श्रीमुनिसुव्रतविवं का० प्रति० वृद्धतपा श्रीरत्नसिंहमूरिभिः
(३५५ ) संवत् १९०९ वर्षे ज्येष्ट(छ) वदि ९ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० षे(ख)ता भार्या पे खेतलदे भ्रातृव्य आसा पांचा भार्या डाही द्वि० भा० वाल्ही सुत जूठा शाणा निणदासैः सर्वपूर्वजश्रेयो) श्रीधर्मनाथप्रमुखचतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्टि(छि)तः पिप्पलगच्छे भट्टा० श्रीउदयदेवमूरिभि(भिः) शुभं भवतु ॥ श्रीः पत्तनवास्तव्य ॥
(२५६ ) सं० १५१० वर्षे मार्ग[ ० ]सुदि १० रवौ उ० ज्ञातीय कटारीया गोत्रे वु० हेमराज भा० हीमादे पु० चुडाडा मा० पीखी)मादे पु०---तम(मु)दाययुतेन पितृश्रेयसे श्रीधर्मनाथवि का. प्रतिष्ठितं रत्नपुरीय गच्छे भ० श्रीधर्मचंद्रसूरिभिः ।।
(२५७ ) सं० १९१० मार्ग[०] शु० १०............वसजवासि व्य० पी(ख)ममी भा० पांची सुत देवाकेन मा० देवलदे पुत्र पर्वत राउल कर्मणादिकुटुंबयुतेन श्रेयोऽयं श्रीविमलविवं का० प्र० तपा श्रीरतन(न)शेखरसूरिभिः ।। श्रीः
(૨૫૪) પુનાના પિરવાલોના મંદિરના ધાતુમૂત્તિને લેખ. (૨૫૫) માંડલના શાતિનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૨૫૬) ઉદેપુરના શેઠના બાગના મંદિરની ધાતુમત્તિો લેખ (૨૫૭) ઉદેપુરના ગોડીજીના ભંડારની ધાતુમૂર્તિને લેખ,
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(२५८) ॥ सं० १५१० ५० फा०] शु० १२ रवौ ऊकेश वंशे गोत्र पी(खी)वल्या सं० नरदे भा० गोगी सु० ५ हेमा गना सा• पदमा पा० २ हर्षु (खू) पु० सांई भ्रातृ सा० लाषा(खा)केन भा०वांदू सा० करमा पे(खे) ता मांझू सु० हीरा भ्रातृ कान्हड राना तेजा पी(खी) मादिकुटुंवयुतेन स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः तपा श्रीउदयनंदिसूरिभिः ।।
(२५८)
। १५१० फा० शु० १२ प्रावा(ग्वा)ट श्रे० लाषा(खा) भार्या मातृ पुत्र श्रे० करणाकेन मा० कर्मादे पुत्र महिरान कुंरा ठाकुर भ्रातृ श्रे० आका टबक पुत्र हेमा शिता श्रे० सायर धनादे पुत्र तेजा श्रे० राजा माणिकदे पुत्र थत्ता सहनादियुतेन श्रीमुनिसुव्रतस्वामि२४ पट्टः श्रेयसे कारितः प्रतिष्ठितः तपा श्रीसोमसुंदरसूरिशिष्यश्रीश्रीश्री रत्नशेखरमूरिभिः श्रीस्तंभतीर्थ....
(२९०) ॥ संवत् १५१० वर्षे फागुण वदि ३ शुके प्राग्वाटज्ञातीय श्रे० रतना मा० बाइ अमकू पुत्री देमइ तया स्वपत्युः श्रेयोथै श्रीविमलनाथवि कारितं प्र० आगमगच्छे श्रीसिंहदत्तसूरिभिः
(૨૫૮) ઉદેપુરના શેઠના ભાગને મંદિરની ધાતુમત્તિનો લેખ. (૨૫૮) મહુવાના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૨૦) ઉદેપુરના ગેડીઝના ભંડારની ધાતુમૂર્તિ લેખ
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ભાગ ૧ મે.
( २६१ )
॥ सं० १५१० वर्षे फागु० वदि ३ शुक्रे पल्लीवालज्ञातीय मं० मंडलिक भार्या शाणी पुत्र लालाकेन मार्या रंगी मुख्य कुटुंबयुतेन श्रीअंचलगच्छेश श्रीजय केसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीचंद्रप्रभवि कारितं
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( २१२ )
सं० १९१० वर्षे फा० व० १० शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञा० थे । घो ( खो ) ना भा० भोली सु० लखाकेन भ्रातृ सहिसाश्रेयोर्थ मा० माकू श्रीविमलनाथ कारितं प्रतिष्टि ( ष्ठि ) तं श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीग ( गुणसमुद्रसूरिभिः तलाडाग्रामे वीरवलाअडक ।
( २६३ )
सं० १९१० वर्षे ज्येष्ट ( ४ ) सु० ३ गुौ श्रीश्रीमाल ज्ञातीय श्रे० चांपा मा० लाछू सुत डोसाकेन भा० तिलु सु० मूंजायुतेन स्वमातुः श्रेयसे श्री सुविधिनाथत्रिबं कारितं प्रतिष्ठितं वृद्धतपागच्छनायकभट्टारक श्रीरत्न सिंहसूरिभिः ॥
( २६४ )
॥ संवत् १९११ वर्षे माघ सुदि १ श्रीउकेश लोढा गोत्रे सा० छाजू पुत्र सा० जसराज भार्या जसमादे पुत्र सा० कीत ( र्त्ति )पाल सा० सालिग सा० सदयवधैः निजमा० । पुः स्वश्रेयस्यार्थं (योर्थ) श्रीनमिनाथचिव का० प्र० रुद्रपल्लीयगच्छे श्रीदेवसुंदरसूरिपट्टे श्री सोमसुंदरसूरिभिः
(૨૬૧) ધાઘાના જીરાવલા પાર્શ્વનાથ દેરાસરની ધાતુકૂત્તિના લેખ. (૨૬ર) સૂરતના ઘેલાભાઇ અમીચ'દના મંદિરની ધાતુકૂત્તિના લેખ. (૨૬૩) હિંમ્મતનગરના મેાટા મદિરની ધાતુમૂર્ત્તિા લેખ. (૨૬૪) સૂરતના નવાપુરાના શ્રીશાન્તિનાથના મદિરની ધાતુકૂત્તિના લેખ.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ,
(२६५) संवत् १५११ वर्षे माघसुदि ९ गुरौ श्रीश्रीमालजा (ज्ञा ). पितृ पमरा भा० सूहवदे सुत बाछाकेन भा० प्र० कांऊ द्वि० जीवणि सु० कान्हा पितृ भा० पितृव्य मदा-श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंब का० प्र. पिष्प(प्प)लगच्छे श्रीमोमचंद्रसूरिपट्टे श्रीउदयदेवमूरिभिः॥ जालहरवास्तव्य ॥ श्री॥
॥ सं० १५ ११ वर्षे माधवदि ३ बुधे श्रीहारिजगच्छे उपकेशज्ञातीय व्यव [ ० ] लुणा भा० धारू पुत्र शवउ भा० सोनल सुत भूभवन पितृव्य चांपा । कर्ममी संग्रामसी ईसरनिमित्तं श्रीशीतनाथवि प्र० भ० श्रीमहेस(श्व )रसूरिभिः
(२६७) सं० १५११ वर्षे माघ वदि ५ शुक्रे श्रीश्रीमाल ज्ञा० मं० लुभा सु० मं० देपाल भा० देलखणदे सु. हीराकेन भा० हंसू सु० गांगादिकुटं (टुं) बयुतेन स्वपितृमातृश्रेयोर्थ श्रीआहिनाथादिचतुर्विंशतिपट्टः श्रीपूर्णिया पक्षे श्रीगुणसमुद्रसूरिणामुपदेशेन कारितः प्रतिष्ठितश्च विधिना । बासपाग्रामे शुभं भवतु
संवत (त्) १५११ वर्षे वैशाष (ख) शुदि ५ गुगै श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० महिणा भा० दऊ सु० धनाभानाभ्यां पितृमातृश्रेयोर्थ श्रीमा( शी)तलनाथबिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि )तं श्रीमुनिचंद्रमूरिभिः ॥ व डूवाडावास्तव्य । श्री (૨૬૫) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૬) શહેરના મોટા દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૭) લીંબડીના જૂના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (२९८) भावना पार्श्वनाथना महिनी धातुभूतिना सेम
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भाग १३.
( २६८) ॥९॥ संवत् १५१ १ वर्षे वैशाख वदि ५ शनै( नौ ) श्रीमोढज्ञातीय मं० भीमा भार्या मनू सुत मं० गोराकेन सुत भोला महिराजयुतेन स्वपितुः श्रेयोर्थ(4) श्रीनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं विद्याधर गच्छेश श्रीविजयप्रभसूरिभिः ॥
(२७०) संवत् १५११ वर्षे ज्येष्ठ वदि ९ रखौ श्रीश्रीमालज्ञातीय मं० वराद मा० वील्हणदे पितृगतृश्रेयसें सुत मारेण श्रीसुविधिनायविं कारितं श्रीपूर्णिमापक्षे भीमपल्लिय भ० श्रीजयचन्द्रसूरि(री)णामुपदेशेन प्रतिष्ठितम् । श्री.
(२७१ ) ___ सं० १५११ वर्षे ज्येष्ट(ठ) वदि ९ रखो श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० विरूआ भा० साधू पु [ • ]वासण मेहासह (हि)तेन स्वपितुन(नि,मितं (तं) आत्मश्रेयो) श्रीअजितनाथवि कारितं प्र० श्रीपिष्प(प)लछे(च्छे) श्रीश्रीविजयदेवमूरिभिः
(२७२) सं० १५१२ वर्षे कार्तिक सु० १ रवौ श्रीभावडारगच्छे श्रीपोरवाड ज्ञा० मं० विमल स० म० मांकड भा० धारू पु० पोपाराघवाभ्यां राघवकेन श्रीशान्तिनाथबिं० आत्मश्रे० कारित(तं) प्र० श्रीकालिकाचार्य भ० श्रीवीरसूरिभिः ॥
(૨૬૮) ઉદેપુરના ગોડીજીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૭૦) મહેસાણાના મહાવીરસ્વામિના મંદિરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (૨૭) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૨૭૨) ઉદેપુરના શ્રીગેડીઝના ભંડારની ધાતુમત્તિને લેખ.
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પ્રાચીન લેખ સમ
( २७३ )
संवत (तू) १५१२ वर्षे मार्ग्रसिर (मार्गशीर्ष) सुदि १५ सोमे श्रीभावडारगछे (च्छे ) । श्रीओसवाल ज्ञा० आसुत्रा गो० श्रे राणा मा० रामति पु० नगा भा० नामलदे पु० वडूया रहीया हमीरयुतेन स्वपित्रोः श्रे० श्रीश्रेयांस०ि का० प्र० श्री वीरसूरिभिः
गछ (च्छ ) नायक
( २७४ )
सं० १५१२ बर्षे मार्ग (गर्ग) वदि २ बुधे वाडिजवास्तव्य भा० मूलू भा० धनी पुत्र गोयद पेथा गोयद मा० हूली पेथा मा० नाथी सकल कुटुंब सहितेन स्वश्रेयसे श्री कुंथुनाथवित्रं कारितं श्रीद्विवंदनीकगच्चे वृद्धशाखायां भ० श्री सिद्धसूरिभिः [ ] प्रतिष्ठितं ॥ श्रीरस्तु
॥ छ ॥
( २७५ )
सं० १५१२ वर्षे पो ( पौष वदि ९ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्यव[०] सेगा स० ........ . णेन भा० अधकूनिमित्त (त्तं) कुटं (टुं ) - बश्रेयोर्थं श्रीश्रीश्रीश्री अजित ।। नाथमुख्यपं ....॥ व० कारि० श्रीपू० भ० श्रीराजतिलकसुराणामुपदेशेन प्रतिष्टि ( ष्ठि )तं ॥
( २७६ )
संवत् १५ ० १२ (१५१२) वर्षे माह सुदि ५ सोमे श्रीश्रीमालन्या (ज्ञा )वीय सं० धरणा भा० धर्मादे तयोः सुत सं० सूटा भोटा सं० जांटा भवा लाला तेषां मध्ये सूटा भार्या धर्मिणि तया स्वपतिश्रेयोर्थं श्रीशीतलनाथवित्र का० प्र० श्री शीलरत्नसूरिभिः
(૨૭૩) જામનગરના શ્રી આ નાથજીના દેરાસરની ધાતુમૃત્તિના લેખ. (૨૭૪) ઉદેપુરના શ્રી ગેાડીજીના ભંડારની ધાતુમત્તિના લેખ. (૨૫) જામનગરના શ્રીઆદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુકૂત્તિના લેખ. (૨૭૬) લીંચના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિના લેખ.
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भाग १
.
( २७७ )
सं० १५१२ वर्षे फागुण सुदि ८ शनौ श्रीमालज्ञातीय मं० कान्हा भार्या राजु सु० सिंघराज मं० विरूयाकेन पितृमातृभ्रातृश्रेयोथ कुंथ(थु)नायचतुर्विंशतिजिनपट्ट[:] कारित[:] । प्रतिष्टि(ठि)त[:] श्रीपू० भ० गुणसुंदरसूरिभिः ॥ ७४
(२७८ )
संवत् १५१२ वर्षे वैशाष(ख) शुदि ३ बुधे अ(उ)पकेशज्ञातीय व्य० पता भार्या नाणू सुत गांगाकेन पितृपितृव्यभ्रातृसर्वपूर्वजश्रेयोर्थ श्रीनमिनायबिवं कारा० प्रतिष्टि(ष्ठि)तं संडेरगच्छे भ० श्री श्री ॥ श्रीशांतिसूरिपट्टे श्रीशालिसूरिभिः] प्रतिष्टि(ष्ठि)तं नायकावास्तव्य
( २७४)
स० १५१२ वर्षे जेष्ट(ज्येष्ठ) शुदि ५ दिने प्रागवारज्ञा० मं० सानण भा० तिलक सुत छूटाकस्तस्य स्वसा वारूनाम एतेषां भ्रा० गदाकेन श्रीपार्श्वनाथर्विवं कारितं वर्द्ध(वृद्ध) तपापक्षे भट्टा० श्रीरत्नसिंहसूरिभिः प्रतिष्टि(ष्ठि)तं ॥
(૨૭૭) ઘેઘાના શ્રી સુવિધિનાથના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૨૭૮) જામનગરના રાજસીશાહના શ્રી શાંતિનાથજીના દેરાસરની
ધાતુમત્તિને લેખ. (२७८) सीया (भावना ) ना सरना धातुभूत्तिना मेम.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
॥ २० १५१२ वर्षे प्रागृ[.] ज्ञातीय श्रे० आसपाल भा० पभू पुत्र धना भा० चमकू पुत्र माधवेन भा० वाल्ही भ्रातृ देवराज मा० रामति देपालादियुतेन श्रीसुमतिबिंबं का० प्र० तपागच्छेश श्रीसोमसुंदरसूरि श्रीमुनिसुंदरसूरि श्रीजयचंद्रसूरिशिष्य श्रीरत्नशेखरसूरिभिः ॥ ॥ श्रीः
(२८१ ) ॥ सं०] १५१३ पौष शुदि ७ उकेशवंशे विमलगोत्रे सं० नरसिंहीगन सा० झंझणेन श्रीकुंथुबिंब का० प्र० ब्रह्म --(ह्माणग०) उदयप्रभसूरि तथा भट्टारकश्रीपूर्णचंद्रसूरिपट्टे श्री हेमहंसमृरिभिः
(२८२ ) ॥ सं० १५१३ वर्षे पो(पौ) • शु० १० बुधे श्रीमालज्ञातीय म० महिपा मा० धारू पुत्र म० कान्हाकेन भा० सुहासिणि रमकू सुंत श्रे० डुंडा धर्मण टीला राजा भोजा व० हीरू हांसी वनी पौत्र राणामांडणादिकुटुवयुतेन स्वश्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतविंबं कारितं प्रतिष्ठितं तपा० श्रीरत्नशेखरसूरिभिः
( २८३ ) सं० १९१३ वर्षे पौष वदि ५ खौ श्रीश्रीमालज्ञातीय पारीक्ष धर्मसी(सिं)ह भा० जासलदे पुत्र राघव वयरू मोकलै एत[:] पितृमातृश्रेयोर्थ श्रीसुविधिनायवित्र का० प्रति० नागेंद्रगच्छे श्रीपद्माणंदसूरिपट्टे श्रीविनयप्रभसूरिभिः ॥
(૨૮૦) પાલીતાણાના માધવલાલ બાબૂના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૨૮૧) ઉદેપુરના શ્રી શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૨૮૨) પુનાના શ્રી આદિનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૨૮૩) માંડલને શ્રી પાર્શ્વનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ,
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माम १ पो. ( २८४ )
॥ संवत् १५१३ वर्षे पो(पौ)ष वदि ५ रखौ श्रीश्रीमालज्ञातीय व्यव[0] कर्मा भार्या कर्मादे सुत कान्हाकेन पितृमातृन(नि)मितीत्त) स्वआत्मश्रेयसे श्रीनमिनावि कारितं प्रति० चैत्रगच्छे धारणपद्रिय श्रीलक्ष्मीदेवसूरिभिः ।।
( २८५ )
॥ सं० १५१३ माघ वदि २ शुक्र श्रीउएसवंशे व्य० गीदा मा० रतनू पुत्र व्य० हापा सुश्रावकेण भार्या भावडि । भ्रातृ मांडण लुणासहितेन श्रीअंचलगच्छे गच्छगुरुश्रीजयकेसरिसूरिउपदेशेन श्रीअभिनंदनम्वामिविवि स्वश्रेयसे कारितं प्रतिष्टि(ष्ठितं श्रीसंघेन चिरं नंदतु ॥ श्रीः ॥
( २८६ )
॥ सं० १५ १३ वर्षे मा - - शुक्र श्रीउएसवंशे सा० लाहन भा० हीरादे पु० जीवद मा० सीतादे पु० समधर भा० सहजलदे पु [त्र] सा० बाटा सुश्रावकेण भार्या धनी वृद्धभ्रातृ धमासहितेन श्रीअंचळगच्छे श्रीजयकेसरिसूरिउपदेशेन पर्वपूर्वनप्रीतये श्रीविमलनाथविवि का० प्रति० संघेन ॥ श्रीः ॥
(૮૪) અમરેલીના સંભવજનના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૮૫) જામનગરના શ્રી આદિનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિના લેખ. (२.५) पाना भारती धातुभूतिना दोन.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(२८७) संवत् १५१३ वर्षे चैत्र शुदि ५ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० अमीया मा० रत्नू तयोः सुताः देवराज जेसा वांगा भार्या तेजू तयोः सुतौ होदाशिवाकाभ्यां स्वपितृश्रेयोर्थ श्रीकुंथ(थु)नाथविविं कारितं प्रतिष्टि(ठितं श्रीआगमगच्छे श्रीआणंदप्रभमूरिभिः । चोटीलावास्तव्य ॥ श्रीः
(२८८ ) ॥ सं० १५१३ व० चैत्र सु० ६ गुरौ उपकेश....... सा० सल्हराज पु० सा कान्हा भा। कलसिदे पु० धना भा[.] घणश्री पु० चोषा(खा)यु० शीतलनाथविवि का० प्र० धर्मयो० ग० श्रीसाधुरत्नसूरिभिः
( २८८) ___ सं० १५१३ वर्षे वैशाप ख) शु[०] ३ गुरूं(रौ) श्रीजीर्णगढवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० जोगा भार्या हांसू सुत श्रे० ढूंढा भार्या वीरू सुत श्रे. गोव्यंद भार्या अमकू भात्रि (भ्रातृ) श्रेष्टि(ष्ठि) गोपाल भार्या अधकूप्रमुप(ख) कुटं(टुं)बनु(यु)तेन स्वश्रेयसे श्रीशांतिनाथव्यं बि)वं कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीपीप(प्प)लगच्छे श्रीरत्नसेष(शेखोरसूरिभिः
(૨૮૭) ઘાના જીરાવલા પાર્શ્વનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૮૮) ઉદેપુરના શ્રીશિતલનાથજીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૮) જામનગરના રાજસીશાહના શ્રી શાંતિનાથજીના દેરાસરની
ધાતુમત્તિને લેખ.
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ભાગ ૧ લે.
(२८०) सं० १५१३ वर्षे वैशाष(ख) सुदि १० श्रीश्रीमालज्ञातीय मं० लंका सुत पदमा भार्या लुणी सुत मंडलाकेन मातृपितृश्रेयार्थ श्रीसुमतिनायबिंब का० श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीकमलप्रभसूरि(री)णामुपदेशेन प्रतिष्टि (ष्ठि) तं ॥ दीघडिया वास्तव्य ॥
(२८१ ) । सं० १५१३ वर्षे वैशाप (ख) मासे श्रीओएस ज्ञा०सा वीसा मा० वालहदे सु० सा० झांझणरतनाभ्यां भा० झटकादे पु० अमरादिकुटुंबमहिताभ्यां श्रीअंचलगच्छेश श्रीजयकेशरिसूरिगिरा श्रीमुनिसु. व्रतस्वामीविवं स्वश्रेयसे कारि० प्र० श्रीसंघेन । श्रीः श्रीः ।
( २८२ ) ॥ सं० १५१३ वर्षे ज्येष्ट (छ) सुदि ३ गुरौ प्राग्वाटज्ञातीय मं० अर्जन भा० अहिवद सु० मं० पेथा भा० रामति सुत हरदासेन स्वश्रेयसे आगमगच्छे श्रीदेवरत्नसूरीणामुपदेशेन श्रीश्रेयांसबिंब कारितं प्रतिष्टा(ष्ठा)पितं च ॥
(२८3) संवत् १५१३ वर्षे येष्ट (ज्येष्ठ) शु० ९ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० मालदे सुत केल्हा भार्या हपू () सुत माणिक भार्या माणिकिदेश्रेयसे सुत लष (ख) राजादियुतेन श्रीसुमतिनाथबिंब कारितं प्र. तपा श्रीरत्नशेखरसूरिभिः । पत्तनवास्तव्य । श्रीः ।
(૨૮૦) લીંબડીના મોટા મંદિરની ધાતુમુર્તિને લેબ. (૨૧) માંડલના શ્રી પાર્શ્વનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૨) વીરમગામના શ્રી શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિનો લેખ (૨૩) માંડલના શ્રીવાસુપૂજ્ય સ્વામીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(२९४) संवत् १५१३ वर्षे आषाढ शु० ५ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० पर्वत भार्या अमरी सुत नरसिंह भार्या सांपूनाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीकुंथ(\)नाथविवि कारित प्रतिष्टि(ष्ठि)त तपागच्छनायक श्रीसोमसुंदरसूरिशष्य (शिष्य) श्रीरतन(रत्न)शेष(ख)रमूरिभिः ॥ श्रीपत्तनवास्तव्य शुभं भवतु ॥ श्री॥
(२६५)
॥ सं० १५१४ वर्षे फागुण सुदि १० सोमे उपकेश व्य० सा० कर्मसी भा० रूपिणि पु० अमरा पुत्री साधू तया स्वश्रेयसे श्रीकुंथ(थु)नाथवि कारितं । प्रतिष्टि(ष्ठितं उपकेशगच्छे कुक(ककु)दाचायसं० श्रीककसूरिभिः ॥ सुरपत्तन ॥
(२८६ ) संवत् १५१४ वर्षे वैशाष(ख) शुदि ५ गुरू(रौ) श्रीश्रीमाल. ज्ञातीय भंघाणिया श्रे० मांडण भार्या मीणु सुनुनू चांपा भार्या कीडी पुत्र धनाकेन पितृमातृश्रेयोऽथ श्रीपद्मप्रभचतुर्विशति[:] कारापित(तः) प्रतिष्ट (ष्ठितः) श्रीनागेंद्रग-छे श्रीश्रीगुणसागरसूरिपट्टे श्रीगुणसमुद्रसुरिभिः] ॥ घोघानगरे प्रसध(सिद्ध)नाम सांडा ।। श्रीश्री ॥ भार्या मुक्तादे सुत वच्छा जंबा ॥
(૨૪) હરખજીનામુવાડાના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (२६५) मनाना श्रीशांतिनाथ ( भानशासन ) रास
રની ધાતુમૂર્તાિના લેખ. (૨૮૬) ઘોઘાના શ્રી શાંતિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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८७
लाग १ से.
( २८७ )
॥ सं० १९१५ वर्षे मार्य (गर्ग) सु० १० गु[ रौ ] ऊ० ज्ञा० प ( ख ) टवडगोत्रे सा० जड़ता भा० जावाकेन भा० धाइजु ० युतेन) पितृपुण्यार्थ श्रीसुमतिनाथबिंविं का० प्र० धर्मघोषगच्छे श्रीमद् तिलकसूरिभिः
( २८८ )
सं० १९१५ वर्षे माघ सुदि १ शुक्रे श्रीब्रह्माणगच्छे प्राग्वाट ज्ञा० श्रे० सूंटा भा० लाष ( ख ) णदे सु० डूंगर भा० चांपू जीव (वि) तस्वाभिर्बिबिं कारितं आत्मश्रेयोर्थ श्रीनेमिनाथ का० प्र. बुधि (द्धि) सागरसूरिपट्टे श्री विमलसूरिभि [:] वषिलाग ।
( २८८ )
सं० १९९५ ब० माघ सुदि १ शुक्रे श्रीश्रीमाल ज्ञा० पितृ मोपा मातृ (तृ) सासू सुत महिपाकेन श्रीशांतिनाथ बिंबं का ( ० ) पूणिमापक्षे श्री साधुरत्नसुरिभिः सांबुरीग्रामे ||
( 300 )
संवत (तु) १५१५ वर्षे मा० सुदि १ शुक्रे श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमाल ज्ञा० ० वुथा भा० वाकु सु० केल्हा भा० कुतिगदेसहितेन आत्मश्रेयोर्थं श्रीमुनिसुव्रतबिंब (बं) का० प्र० श्रीबुधि (द्धि) सागरसूरिपट्टे श्री विमलप्रभसूरि (भिः) चूडाग्रामे
(૨૯૭) ઉદેપુરના શ્રી ગાડીજીના ભંડારની ધાતુમૃત્તિના લેખ. (૨૯૮) વઢવાણ શહેરના મંદિરની ધાતુમુત્તિના લેખ. (૨૯૯) જૂનાગઢના શ્રી મહાવીરસ્વામીના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિના લેખ. (૩૦૦) માધાના શ્રીનવખડા પાર્શ્વનાથ દેરાસરની ધાતુમૂર્ત્તિના લેખ.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ,
(३०१) ॥ सं० १५१५ वर्षे माघ शुदि ७ दिने प्राम्बाटज्ञाति(तीय) सं० बयरसी भा० जईतू सुत सं० नरगा तेन भा० भरमादे सुत वर्धमान भ्रातृ सं० शिवराज भा० कर्मादे सुत वसुपालादिकुटुंबयुतेन मातृश्रेयोर्थ श्रीअनंतनाथवि कारितं । प्रतिष्ठितं तपागच्छनायकश्रीरत्नशेखरसूरिभिः श्रीरस्तु गंधारवासिना ।
(३०२) सं० १५१५ वर्षे माघ शुदि १४ बुधे श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० गदा भा० मांकु सु० सिवसी भा० प्रीमी पि० वस्ता डूंगर एतैः नमित्त ( निमित्तं ) आत्मश्रेयोर्थ श्रीश्रेयांसनाथबिंबं का० श्रीपूर्णिणमापक्षे श्रीकमलप्रभसूरिभिः ॥ प्रतिष्टि(ष्ठिीतं ॥ विधिभिः॥
__(303) सं० १५१५ वर्षे फागुण शुदि ५ गुरू(रौ) उपकेशज्ञा० - - बाघा भार्या वल्हादे पुत्र सिंघा भा० रांभलदे पुत्र गंगदासनितेन पूर्वजपुण्यार्थ आत्मश्रेयसे श्रीकुंथुनाथवि का० प्रति० जीरापल्लीयगच्छे भ० श्रीउदयचंद्रसूरिभिः ॥ आस्यापुलीयः ॥
(3०४) ॥ संवत( त् ) १५१५ वर्षे फा० सुदि १२ बुधे श्रीश्रीवंशःशे) व्य० कउडिशाखायां श्रे० वीरधवल पु० ठाकुरसी........देवर पु० गांगासाहतया श्रीअंचलगच्छगुरुश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन स्वश्रेयसे श्रीकुथुनाथबिंबं कारितं प्रतिष्टि(ष्टि)तं श्रीसंघेन ॥
(३०१) नाना श्रीमाहिनायना महिनी धातुभूतिना प. (૩૦૨) ધંધાના શ્રીચંદ્રપ્રભુના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૩૦૩) અમરેલીના શ્રીસંભવજિનના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૩૦૪) માંડલના શ્રી પાર્શ્વનાથજીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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ભાગ ૧ છે.
( 3०५) ॥ संवत् १५१७ वर्षे मात्र सुदि १० बुधे श्रीकोरंटगच्छे उपकेशज्ञातीय काला परमारशाखायां श्राविका स्तूनाम्न्या आत्मश्रेयसे श्रीसुमतिनाथवि कारितं प्रतिष्टि(ष्ठितं श्रीकक्कसूरिपट्टे श्रीसावदेवमूरिभिः ॥ वरीआनगर वास्तव्य ॥
(30 ) ॥ सं० १५१७ वर्षे माघ शुदि १० बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्यव[ ०]रतना भा० रतनादे पुत्र पोनाकेन पितृमातृपुण्यार्थ आत्मश्रेयसे श्रीधर्मनाथवि कारितं प्रतिष्टि(ठि)तं पिष्पलगच्छे भ० श्रीगुणदेवसूरिपट्टे श्रीचंद्रप्रभमूरिभिः ॥ भावहिर वास्तव्य.
(3०७) ।। संवत् १५१७ वर्षे माघ वदि. ८ सोमे श्रीप्राग्वाटज्ञातीय श्रे० सांगा भार्या मटकू तयो[:] पुत्री संपूरीनाान्या आत्मश्रेयसे श्रीसुमतिनाथबिंब कारापितं प्र० वृद्धतपापक्षे भ० श्रीजिनरत्नमृरिभिः ॥
( 3०८) ॥ सं. १५१७ वर्षे माघ वदि ८ सोमे उपकेशज्ञातीय लघु. श्रेष्टि(ष्ठि) गोत्रे महाजन शापा(खा)यां म० मा पु० म० कर्मण पु० म० साल्हा भा० सलप(ख)ण पु० म० सहनाकेन स्वमातृपित्रोः पुण्यार्य श्रीचंद्रप्रभविंचं प्रतिष्ठिनं उपकेशगच्छे कुकदाचार्यसताने श्रीककसूरिभिः ॥
(૩૦૫) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂત્તિને લેખ. (3०९) बोधाना धावाणा २ सरनी चातुत्तिना म. (૩૦૭) રાધનપુરના શ્રીશાતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ લેખ. (3०८) पुनाना २२वासना महि. धातुभूतिना लेप.
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८०
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(3ee) संवत् १५१७ वर्षे फागुण सुदि १० शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञाती० महं सायर भार्या घेटी सुत जगाजयताभ्यां पितृमातृश्रियोर्थ श्रीधर्मनाथबि कारापितं प्रति० पिष्फलगच्छे भ० श्रीअभयचंद्रसूरिभिः॥ जाल्योधरवास्तव्य ॥ सर्वसा....स ॥
(3१०) सं० १५१७ वर्षे फा० शु० ११ शनौ सीणुरावासि प्राग्वाट व्य० चूंडा भा० गउरी पुत्र स० देलाकेन मा० रुपिणि पुत्र गरुआदिकुटुम्बयुतेन निजश्रेयसे श्रीविमलनाथमूलनायकबिंबालंकृतश्चतुर्विंशतिपट्टः का० प्र० तपागच्छे श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥
(3११ ) सं० १५१७ वर्षे वैशाख सुदि ३ सोमे श्रीश्रीवंशे श्रे० मांडण भा. चांपू पु० लाषा(खा)केन भा० सोभागिणि पु० साधारणसहितेन लघुभ्रातृषी(खी)मप्सी पुण्यार्थं श्रीअंचलगच्छाधिपश्रीजयकेसरिसूरोणामुपदेशेन श्रीसंभवनाथबिंब कारितं प्र० श्रीसंघेन ॥
(१२) संवत् १९१७ वर्षे वैशाष(ख) सुदि ३ सोमे उ(ओ)सवाल ज्ञातीय लघुसंतानीय श्रे० वीघा भा० वीझलदे पु[.] नादा भा०.... भोजायुतेन भ्रातृ सादानिम(मित्तं श्रीपार्श्वनाथबि कारापितं विवंदणी(नि)कगच्छे भ० श्रीसिद्धसूरिभिः प्रतिष्टि(ष्ठि)तं ॥
(૭૦૦) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂત્તિને લેખ (૧૦) ઉદેપુરના શ્રી શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૧૧) માંડલના શ્રીશાતિનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૩૧૨) વઢવાણ શહેરના મંદિરની ધાતુમૂત્તિનો લેખ.
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भाग १ . (33)
सं० १५१७ वर्षे वैशाष(ख) शुदि ३ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० गला मा० दरपू सुन रामाषी(खी)माभ्यां पितृमातृ सर्व पूर्वजनिमित्तं आत्मश्रेयसे श्रीसुविधिनाथपंचतीर्थी कारिता प्र० पिष्पलगच्छे भ. श्रीगुणरत्नसूरि-उपदेशेन श्रीगुणसागरसूरिभिः सिंघासर ॥ उचडी ॥
( 31४ )
संवत् १५१७ वर्षे वैशाष(ख) शुदि १२ भौमे श्रीश्रीमालज्ञातीय महं हीरा मा० हीरादे सुत वरदे भा० चांगू सुत गांगच(भ) सीहा गेला स्वपितृमातृभ्रातृश्रेयो) श्रीविमलनाथबिंब कारापितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीपूणिमापक्षे श्रीजयप्रभमूरिभिः ।। आद्रीयाणावास्तव्य । अधुना अजमेरवास्तव्य ।
( 3१५)
संवत् १५१७ वर्षे ज्येष्ट(ष्ठ) सुदि ५ गुरू(रौ) श्रीमालज्ञातीय लाडूलींचात्मन श्रे० परवत भार्या रूडी सुत वेला समधरेन मार्यापुत्रयुतेन पित्रोः निमित्तं आत्मश्रेयसे श्रीकुंथुनाथजीवितस्वामिबिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)त चैत्रगच्छे धारणपद्रीय भ० श्रीलक्ष्मीदेवमूरिभिः ।। समोवास्तव्य श्रीवृद्धिसंतान सुखं च स्ते ४ ॥
(૧૩) લીંબડીના હેટા મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૧૪) જામનગરના શ્રી આદિનાથના દેરાસરની ધાતુમૂત્તિનો લેખ. (31५) मछुपाना २११२नी धातुभूतिना मेम.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(38) सं० १५१७ वर्षे ज्येष्ट(छ) सुदि ५ गुरु(रौ) श्रीश्रीमालज्ञातीय लाडूषी(खी)मा सु० देवा भार्या भोली सुत मांडणेन पित्रो निमित्तं आत्मश्रेयसे श्रीसुमतिनाविव का० प्रति० चैत्रगच्छे धारणप्रद्रीय भ० श्रीलक्ष्मीदेवमूरिभिः ॥ समीधास्तव्य [:] श्रियः ।
(१७) सं० १९१७ वर्षे आषाढ सुदि १० बुधे ऊकेशवंशे लुंकडगोत्रे सा० गूजर पु० सा० देवरान पु० चासा पु० सा० समधरेण स्वमातृचांईपुण्यार्थं श्रीकुथुनायवि कारितं प्रति० श्रीखरतरगच्छे श्रीविवेकरत्नमूरिभिः
(3१८) संवत् १५१८ वर्षे माघ सु०दि (सुदि) ६ बुधे श्रीब्रह्माण] गच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० तिहिणा भार्या कम्मी तत्पुत्र सुहसाकेन पितृमातृश्रेय (यो)थं आत्मश्रेयसे श्रीकुंथनाथवि कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीवीरमूरिभ्यः(भिः) भेहावसुवास्तव्यः ॥
( 31८) ॥ सं० १५१८ वर्षे वैशाष(ख) शु० १३ सखारीवासि प्रा० सं० जावड भा० वारू सुत हरदासेन भा० गोमति भ्रातृदेवा भा० धर्मणियुतेन श्रेयो) श्रीसुमतिवि[ 0] का० प्र० तपा श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥
(૩૧૬) રાધનપુરના શ્રી શાંતિનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૧૭) પાલીતાણાના માધવલાલ બાબૂના દેરાસરની ધાતુમૂરિનો લેખ. (૩૧૮) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૩૧૮) પાલીતાણાના માધવલાલ બાબુના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિનલેખ.
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भाग १
( 3२०) संवत् १५१८ वर्षे वैशाष(ख) वदि १ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्टि तीकम भार्या मेघू पितृमातृश्रेयसे सुत वीरपालेन भार्या हर्पू(खू ) पुत्र गेला प्रभृतिसमस्तकुटंवयुतेन श्रीविमलनाथमुख्यचतुर्विंशतिपट्टः कारितः श्रीपूर्णिणमापक्षे भीमपल्लीय भ० श्रीपासचंद्रसूरिपट्टे भ० श्रीजयचंद्रसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्टि (ष्ठि)तः
( ३२१)
संवत् १५१८ वर्षे वैशाष(ख) वदि १ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० वीकम भा० नेघू सु० हरपाल भा० कपूरदेनाम्न्या स्वभर्तुः श्रेयसे श्रीनामिनाथ मुख्य पंचतीर्थी कारिता श्रीपूर्णिमापक्षे भीमपल्लीय भ० श्रीपासचंद्रसूरिपट्टे भ० श्रीजयचंद्रसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्टि(ष्ठि)तं विधिना घोघा वास्तव्य ॥
( 3२२ )
___ सं० १५१८ वर्षे ज्येष्ट(ठ) शुदि २ शनौ श्रीश्रीमाल । सा० मदन भा० मूंजी सु० २ गणा वणायग गणा भा० धनी सु० आणंदनी २।वणायग भा० अरधू सु० कीका मजाकेन कुटुंबस्य श्रेयोर्थ श्रीशीतलनाथवि कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं पूर्णिमापक्षे श्रीसागरतिलकसरिभिः बोरसिद्धि वास्तव्य ॥
(૩૨૯) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમુર્તિનો લેખ. (૨૧) ઘોઘાના શ્રીશાંતિનાથના દેરાસરની ધાતુપુત્તિનો લેખ. (૩૨૨) શ્રીકતારગામના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
( 323
१५१८ वर्षे ज्येष्ट (ष्ठ) सु० ३ शनौ श्रीश्रीमालज्ञातीय सं० देपाल भा० हवकू सुत जीवाभिधेन भा० डींधू सुत सं० लखराज प्रमुख कुटं (टुं ) बयुतेत श्रीशीतलनाथत्रिवं कारितं प्रतिष्टि (ष्ठि) तं श्रीवृद्धतपापक्षे श्री उदयवल्लभसूरिभिः ॥
૯૪
( ३२४ )
सं० १५१८ ज्ये० व० ९ शनौ श्रीनागेंद्रगच्छे भ० श्रीगुणसागरसूरि श्रेयोर्थ श्रीगुणसमुद्रसूरि प्रतिष्टि (ष्ठित (तं) । श्री ............. श्रीगुणदेवसूरिभिः..........
( ३२५ )
सं० १५१८ वर्षे ज्येष्ट (ष्ठ) वदि १० खौ श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० पघा भा० पत्रापदे सु० समरा-सुराभ्यां सु० वेलायुताभ्यां मातृपितृश्रेयोर्थं श्रीकुंथुनाथवित्रं पूणिमापक्षे श्रीगुणधीर सूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्टि (ष्ठितं च विधिना आडीसरवास्तव्य [ : ]
( ३२६ )
@
॥ सं० १५१८ वर्षे आषाढ सुदि ३ गुरौ श्रीमालज्ञातीय मं गोधा सु० सांगा भा० लाडी सु० सहिसाकेन भ्रा० धूधा वजीया वानर सोमा सहिसा भा० सावलदे सु० हीरायुतेन मातृपितृश्रेयसे कुथुंनाथवि पूर्णिमा० श्री गुणधीर सूरीणामुपदेशेन का प्रति० विधिना ॥
(૩૨૩) જામનગરના વČમાનશાહના શ્રીશ્રાંતિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્ત્તિા લેખ.
(૨૪) ધેાધાના શ્રીનવખંડા પાર્શ્વનાથના દેરાસરની મ્હાટી ધાતુમૂર્ત્તિના લેખ.
(૩૨૫) જામનગરના શ્રીતેમનાયજીના દેરાસરની ધાતુકૂત્તિના લેખ. (૩૨) રાધનપુરના શ્રીશાંતિનાથના દેરાસરની ધાતુકૂત્તિના લેખ.
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भाग १..
( 3२७ ) ॥ सं० १५१८ वीरमगामे प्राग्वाट व्य० पदम मा० घरघति पुत्र हरदासेन मा० सोहा प्रमुख कुटुंबयुतेन श्रीआदिनाथवि कारितं प्र० तपा] श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥
(२८) ___ सं० १५१९ वर्षे कार्तिक वदि १ सोमे श्रीमालज्ञातीय श्रे० धणपाल भा० चांपू पु० खेता पाता नगा से० हितेन पितानिमित्तं अरुनाथबिंब कारितं श्रीनागेंद्रगच्छे प्रतिष्ठितं श्रीशुणसमुद्रसूरिभिः ॥ श्रीपुणसुरावास्तव्यः ॥
( 3२८ ) सं० १५१९ वर्षे कार्तिक वदि ५ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य ० पदमा सुत व्य० तडीया भार्या पाल्ह सु० कर्मसीहेन भा० सहजसहितेन पितृमातृआत्मा(त्म)श्र०(श्रे) श्रीशांतिनाथबिंबं का० श्रीपू० प्रधानशापा(खा)यां भद्रा(ट्टा) [ • ] श्रीजयप्रभसूरोणामुपदेशेन प्रतिष्टि(ष्ठि)तं ॥ श्रीः॥
(330) सं० १५१९ वर्षे माघ शुदि ३ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० मंडलिक भा० माल्हणदे सु० परवत भा० अमरी तथा स्वभर्तृश्रेयसे श्रीवासुपूज्यनाथविचं आगमगच्छे श्रीहेमरत्नसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं च विधिना ॥
(२२७) ५0ना मरिनी धातुमतिना २५. (૨૮) કતારગામના મોટા મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૩૮) લીંબડીના ડેટા મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૭૦૦) જામનગરના રાજશીશાહના શ્રી શાંતિનાથજીના દેરાસરની
ધાતુશ્રુત્તિને લેખ.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(232)
सं० १५१९ वर्षे म(मा)घ सु० ४ खौ श्रीश्रीमालज्ञातीय स० हापा भा० वील्हणदेश्रेयोथै सं० जेईआ केल्हा काला गोगनम्रपने(न) (१) सकुटंवे[न] श्रीधर्मनाथमुख्यश्चतुर्विशतिपटः(ः) कारितः श्रीपू० श्रीसाध(धु)रत्नसूरिपट्टे श्रीसाधुसुंदरसूरीणामुपदेशेन श्रीसंघेन प्र० विधिना व(ब)जाणा.
( ३३२ ) सं० १९१९ वर्षे माघ सुदि १५ गुरु(रौ) श्रीश्रीमालज्ञातीय व्यव[] गहगा भार्या वाहली आत्मश्रेयोर्थ जीवतरवामि श्रीअजितनाथप्रमुखपंचतीर्थीबिंब कारितं श्रीपूर्णिणमापक्षे श्रीमुनितिलकसूरिपट्टे श्रीराजतिलकसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्टि(ष्ठितं ॥ जांबू वास्तव्य ॥
संवत् १५१९ वर्षे माघ वदि ९ शनौ श्रीउएमवंशे लालणशापा(खा)यां सा० सायर भा० पोमादे पु० धिरीयाकेन भा० हीरू भ्रातृ धीरण पु० अनासहितेन श्रीअंचलगच्छे श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन स्वश्रेयसे श्रीविमलनाथवि कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीसंघेन श्री ॥
(૩૫) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂત્તિને લેખ. (૩૨) પાલીતાણાના માધવલાલ બાબુના દેરાસરની ધાતુમુક્તિનો લેખ. (૩૩૩) જામનઅરના વર્ધમાનશાહના શ્રી શાંતિનાથજીના દેરાસરની
ધાતુમત્તિને લેખ.
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भाग ३ सी.
( 33४ ) संवत् १५१९ वर्षे वेशाष(ख) व ११ शुक्रे । श्रीश्रीमालज्ञातौ दो० राजसी भा० रत्नादे पु० दो० सुहडा मा० मेघू पु० दो० पदमसी भा० पदतलदे तथा भ्रातृ दो० जयतसी कुरसी स० श्वास्व)श्रे० श्रीसंभवनाथबिप(बं) का० प्रति० श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीगुणसमुद्रमरिभिः ॥ श्रीः ॥
( 33५)
सं० १५१९ वर्षे वैशाख व० ११ शुक्रे ओशवाल ज्ञातीय पटवड गोत्रे सा० कान्हड भा० लष(ख) माई पु० साह सहदे भार्या बई सोभादेव्या आत्मश्रेयसे श्रीसंभवनाथवि कारितं श्रीधर्मघोषगच्छे प्र० श्रीसाधुरत्नसूरिभिः ॥ श्री ॥
( 35 )
सं० १५१९ वै० व० ११ गोलग्रामे प्रा० श्रे० अमीपाल भा० आणदे पुत्र्या श्रे० मना-मरगदि सुत समधर भार्यया सुहासिणिनाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीकुंथुनाथवि का० प्र० तपागच्छे श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ श्रीः ।।
(૩૩૪) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૩૩૫) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુપ્રતિમાને લેખ. (33९) ५४ीन महिनी धातुभूतिना येम.
૧૩
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(३७) संवत् १५१९ वर्षे वैशाष(ख) बु(व)दि ११ शुके श्रीमालज्ञातीय श्रेष्टि(ष्ठि) सरवण भार्या श(स) हजलदे सुत सोमा भार्या तनू सुत सीहा श(स)मरा रयणायर कीका य(यु)तेन पितृमातृश्रेयोर्थ श्रीचंद्रप्रभस्वामिचतुर्विंशतिपट्ट[:] कारित(तः) श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीसाधुरत्नसूरिपट्टे श्रीसाधुसुंदरसूरोणामुपदेशेन प्रतिष्टि(ष्ठि)तः विधिना राणपुरवास्तव्य
( 33८ ) संवत् १५१९ वर्षे ज्येष्ट(छ) सुदि ९ शुक्रे श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्टि ष्ठि) डाहा(ह्या) भार्या कमलादे सुत झांझण नरसिंहराज नगराज सहितैः पितृपूर्वजश्रे० श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिं० प्र० श्रीविमलसूरिभिः सलष(ख)णपुरे.
(386) ___ सं० १५१९ वर्षे जेष्ट(ज्येष्ठ) शुदि ९ शुक्रे श्रीब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीमाळज्ञातीय श्रेष्टि(ष्ठि) अर्जन मार्या लाडी सुत शाणा मार्या वारू सुत कर्मणभोजाभ्यां मातृपितृश्रेयसे श्रीनमिनाथमुख्यचतुर्विशतिपट्ट[:] कारापितः प्र० श्रीविमलसूरिभिः] मांकानांमवास्तव्य ॥
( 3४०) संवत (त्) १५१९ वर्षे ज्य(ज्ये)ष्ट (छ) वदि ४ दिने उकेशवंशे श्रेष्टि(ष्ठि)गोत्रे सा हूंफा भार्या सीतू पुत्र हापा भा० तेजू पुत्र सा० देवदत्तन स्वश्रेयोर्थ श्रीआदिनाथबि कारितं । प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीखरतरगच्छेश्वर श्रीजिनभद्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः।। ॥ श्रीः ॥
(૩૭) ઘેલાના શ્રીનવખંડા પાર્શ્વનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૩૮) પુનાના પરવાના મંદિરની ધાતુમૂત્તિને લેખ. (૩૩૮) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (३४.) Hisना श्रीशांतिनाथना महिरनी पातुभूत्तिनाबम.
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ભાગ ૧ લે.
(४१) सं० १५१९ वर्षे ज्येष्ट(ठ) व० ७ बुधे श्रीश्रीमाल ज्ञा० दो० आसा भा० लहकू श्रेयसे सुत महगकेन भा० माणिकिसहितेनात्मश्रेयोथै श्रीसुमतिनाथवि० का० प्र० विष्फ(प्प)ल गच्छे म० श्रीविजयदेवसूरि उप० श्रीसालिभद्रसूरिभिः ॥ गोबहल ग्रामे ॥
( ३४२ )
सं० १५२० वर्षे मार्ग(ग०) व० ५ ऊकेश ज्ञा० सा० तोल्हा भार्या वानृपुत्र्या भ० जेसा भा० रत्नाई पु० साधू भार्यया रंगू नाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीसुमतिबिंचालंकृतः चतुर्विशतिपट्टः का० प्र० श्रीमुनिसुंदरसूरिपट्टे श्रीरत्नशेखरसूरि तत्पट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः मंडपदुप्रै (गगें)।
( ३४७)
सं० १५२० वर्षे माघ वदि ११ बुधे श्रीमालज्ञातीयपितृ व्य० आसिगश्रेयसे सुततेजाकेन भ्रातृवयना राजा सह..................र्थ श्रीमहावीरबिंब कारापितं प्रतिष्टि(ष्ठिीतं श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीभवनानंदसूरिशिष्यैः श्रीपद्मचंद्रसूरिभिः ॥
(૩૪૧) અમરેલીના શ્રી સંભવજિનના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (३४२) दीयाना सरना धातुभूति ना देण. (૩૪૩) જામનગરના શ્રીઋષભદેવજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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१००
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
( 3४४ ) सं० १५२० वर्षे चैत्र शुदि ८ शुक्रे । श्रीश्रीमालज्ञातीय महं[ 0] सहद सुत महं[0] देईया भार्या देल्हणदे सुत प्र० साजण मं० (म०) जुठा म० नारद सह(हि)तेन पितृव्य सहजाम(नि)मित्त(त्तं) आत्मश्र(श्रे)योर्थ(\) श्रीकुंथनाथचिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठितं विध(धि)पक्षे श्रीजयकेसरमूरिभिः ॥
( 3४५)
सं. १५२० वर्षे चैत्र व० ८ शुक्रे झंझूवाटके श्री २ माल (श्रीश्रीमाल) ज्ञा० श्रे० गोवल भा० पूंजी सुत चुहष भा० चाहिणदे सुत पातउ वनउ पाता भार्या रमकू सहितेन श्रे० पाताकेन आत्मश्रेयसे पूर्वजन(नि)मित(तं) श्रीशीतलनाथवि कारि० प्रति० श्रीआगमगच्छे भट्टारक..........
( 3४६ )
सं० १५२० वर्षे चैत्र व० ८ शुक्रे आद्रीयाणा ग्रा० श्री २ माल(श्रीश्रीमाल) ज्ञा० मल्हण गो० श्रे० रतना भा० हीमी सु० सिवउ भा० षो(खो)नी सु० देधरेण भा० देल्हणदे सु० हरपा(खा) सहितेन निजि(ज)पूर्वजश्रेयोर्थ श्रीविमलनाथ बिं० कारि० प्रति० श्रीचैत्रगच्छे चांद्रसमीय श्रीमलयचंद्रसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ (૩૪૪) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૩૪૫) વિરમગામના શ્રી શાંતિનાથજીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૩૪૫) રાધનપુરના શ્રી શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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१०१
भाग १ .
( ३४७ ) ॥ संवत् १५२० वर्षे चैत्र वदि ८ शुक्रे राइआ गोत्रे नागर ज्ञातीय । श्रेष्टि(ष्ठि) देवा भार्या दूसी पुत्र साह माधवा साह मुकंद सा० राजा सा० वयजाभ्यः स्वमातृ-पितृश्रेयोर्थ श्रीसुमतिनाथबिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीमलधारिगच्छे श्रीगुणसुंदरसूरिभिः ॥
( 3४८ )
सं० १५२० वर्षे वैशाष(ख) सु० ३ सोमे उपकेश ज्ञा० महं [0] कालू भा० अरधू पु० ३ जावड रता करमसीसमांति मि० (2) श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिंबं कारापितं उपकेश ग० श्रीककसरिभिः सत्यपुर वास्तव्य ॥
( ३४८)
॥ संवत् १५२० वर्षे वैशाष(ख) सुदि ३ सोमे श्रीश्रीमाल ज्ञातीय बेट वास्तव्य महं [0] भीमा सु [ मं० गोदा मं. कान्हा मं० धर्मसी भार्या अरघू ] महं [0] राणा भार्या रत्नादे सुत ३ प्र० मं० धर्माती सुत मं [.] परबत लाला मं० लष(ख)मणसहितेन । श्रीअंचलगच्छाधीश्वर श्री श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन ॥ श्रीसीतलनाथबिंबा(बिंबम)कारि ॥ श्रीवित श्रीसंघेन ॥
(૩૪૭) રાધનપુરના શ્રી શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૩૪૮) ઉદેપુરના શ્રીગોડીજીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિના લેખ. (૩૪૮) કોળીયાકના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ.
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૧૦૨
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
( ५०) संवत् १५२० वर्षे वैशाष(ख) सुदि ५ बुधे श्रीश्रीवंशे मं० जावड भार्या पोमी पुत्र मं० वनाकेन भार्या रामति सहितेन स्वश्रेयोर्थ श्रीश्रीश्रीअंचलगच्छेश्वर श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीशांतिनाथवि कारित प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन.
( 31 ) संवत् १५२० वर्षे वैशाष(ख) सुदि ५ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० धारा भा० धांधलदे सुत करणाकेन मा० कामलदे सहितेन पि० मा० श्रे० श्रीजीवितस्वामिपंच० श्रीनमिनाथवि० का० प्र० श्रीपिप्पलगच्छे श्रीउदयदेवसूरिपट्टे श्रीरत्नदेवसूरिभिः ॥ दीघसिरिवास्तव्यः ॥
( 3५२) सं० १५२० वर्षे ज्येष्ट(ष्ठ) शु० ४ गुरु प्राम्बाट ज्ञा० श्रे० रत्नाभार्या अमकु नाम्न्या स्वश्रेयोर्थ श्रीकुंथनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः
( 343 ) सं० १५२० वर्षे डीसावाल मं० तिरिया भा० करणू प(पु)त्र्या श्रा० हत्रीनाम्न्या सु० (ख)ता भा० देई ५० गणिया भा० कीकीकृत श्रीनमिनाथबिंबं का० प्र० तपागच्छे श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ (૫૦) ચિત્તોડ ગામના મોટા ઋષભદેવના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ લેખ. (૩૫૧) ઘેલાના શ્રીનવખંડા પાર્શ્વનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (૩૫૨) પુનાના પિરવાલના મંદિરની ધાતુમૂત્તિને લેખ. (૫૩) જામનગરના શ્રી મુનિસુવ્રતસ્વામીજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિન
म.
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भाग .
१० (७५४ ) सं० १५२१ वर्षे माहा सु० ७ शुक्र श्रीसंडेरगच्छे श्रीजि(य)शोभद्रसूरिसंताने ऊ० कछारागोत्रे गो० षी(खी)मज सा० मायर मा० सोनी ॥ पु० कूपा भा० चाहू पुत्र नोता सहितेन स्वश्रेयसे श्रीधर्मनाथवि कारितं प्रतिष्टि(ष्ठितं श्रीसंडेरगच्छे श्रीशालिसूरिभिः] श्री ॥
( 3५५)
सं० १९२१ वर्षे माव शुदि १३ प्राग्वाट श्रे० हीरा भार्या चारु सुत श्रे० धनाकेन मा० सोनाइ भ्रातृ वत्रादियुतेन स्व-श्रया(श्रेयोर्थ ) श्रीशीतलनाथविबं का० प्र० तपा श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीसोमदेवसूरियुतैः ॥ अहम्मदावादनगर.
( 38 )
॥ संवत १५२१ वर्षे माघ वदि ५ दिने वार शुक्रे ॥ प्राग्वाट ज्ञाति [य०] सा० रामप्ती भा० कामी पुत्र सा० भादाकेन भा० लक्ष्मी भ्रा० आना देवणप्रमुखकुटु(टुं)बयुतेन श्रीसुविधिनाथवित्रं कारित । प्र० श्रीतपागच्छनायक प्रमुश्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ।। कायथा ग्रामे ॥ शुभं भवतु संघस्य ॥
(૫૪) ઉદયપુરના શ્રીગોડીજીના મંદિરની ધાતુમૂર્તાિનો લેખ. (૩૫૫) નહાનાવડેદરાના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૩૫) લીંચના મંદિરની ધાતુમૂત્તિને લેખ.
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१०४
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
( 3५७ )
संवत(त्) १५२१ वर्षे वैशाष(ख) शुदि ६ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय दो० गोपाल भा० सरवी सु० पोमाकेन भा० झमकूश्रियोऽर्थ श्रीश्रीसुमतिनाथवि कारितं श्रीपूणि० पक्षे भ० श्रीसागरतिलकसूरिपट्टे भ० श्रीगुणतिलकसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्टि(ष्ठि)तं ॥
(3५८ )
सं० १५२१ वर्षे वैशा० शु० १० रवौ प्राग्वाटज्ञातीय श्रे पूना भा० रत्नू नाम्न्या सुत काना जिनदासादिकुटुंबयुतया श्रीसुमतिनाथचिंबं कारितं प्र० तपा श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः । धीणूजयामे
( 3५८)
संवत् १५२१ वर्षे वैशाष(ख) सुदि १० दिने श्रीमालज्ञातीय । श्रीठाकुरागोत्रे सं० देल्हा पुत्र सं० गुणराजमार्या चांपलदे पुत्र सं० देवराज सं० देवदत्त भार्या माणिकदे पुण्यार्थं भ्रातृव्य सा० सोनपाल तदनु सा० पासा सा आसा सा० सीपादिभिः श्रा० गउरी पुत्री पुण्यार्थ श्रीशांतिनाथविबं कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीखरतरगच्छे । श्रीजिनभद्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः ॥ श्री ॥
(૫૭) પાલીતાણાના માધવલાલબાબુના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૩૫૮) પૂનાના શ્રી આદિનાથના મંદિરની ધાતુમુર્તિને લેખ. (3५४) सीन मरिनी चातुभत्तिना मेम.
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ભાગ ૧ લે. ( 3६०)
संवत(त्) १५२२ वर्षे मार्ग(ग) [शीर्ष] सुदि ५ गुरु(रौ) श्रीश्रीमाल० श्रेष्टि काल्ह भा० मांजू सुत पोवाकेन पितृमातृश्रयोथै भ्रा० सोलाश्रेयसे श्रीपद्मप्रभस्वामिवि० प्रति० ब्रह्माणगच्छे श्रीश्रीवीरमूरिभिः ॥ वणूद्रवास्तव्यः
(११)
सं० १५२२ वर्षे पो(पौ). व० १ गुरौ कर्केरावासि उकेश व्य० जेसा मा० जसमादे सुत व्य० वस्ता भार्यया वींझलदे नाम्न्या पुत्र व्य० भीम गोपाल हरदास पौत्र कर्मसी नरसिंह थावर रूपा प्रमुख कुटुंबयुतया निजश्रेयसे श्रीशं(सं)भवबिंबं का० प्र० तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरि-सोमदेवसूरिभिः श्रेयं(यः) श्री
( 38२)
सं० १५२२ वर्षे माह सुदि ९ शनौ श्रीहुँबडज्ञातीय ष(ख)यरजगोत्रे दोसी धर्मा भार्या कपूरादे सुत दोसी राजाकेन भा० जीविणि भ्रात्रि(तृ) दो० सलिग भार्या लषी(खी) कुटं(टुंब सहितेन आत्मश्रि(श्रे) योथै श्रीसुमतिनाथबिंब कारितं प्रति० श्रीवृहत्तपापक्षे श्रीजिनरत्नसूरिभिः ॥ प्रांइतीजे(ज) वास्तव्य[:]
(३९०) घाधाना श्रीन पार्थ नायना |सी धातुभूतिना म. (૩૬૧) ઉદેપુરના શ્રીગેડીજીના મંદિરની ધાતુમૂત્તિને લેખ. (३९२) प्रांतीना माहिती धातुभूतिना म. ૧૪
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૧૦૬
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(33)
॥ सं० १५२२ माघ शु० १३ प्राग्वाट व्य० लूणा भा० लूणादे पुत्र व्य० वइरा का० प्र० श्रीलक्ष्मीसागर सूरिभिः] श्रीअंब(बि)का.
सं० १५२२ वर्षे माघ वदि ५ सुभवासरे श्रीउसवंशे भाटीआगोत्रे सा० पूना सुत साह जइता मा० श्रा० सुहासिणि पुत्ररत्नेन । भाटीआ सा पहिराजेन भा० प्रेमलदे पु० सा धर्मसी सहितेन स्वपुण्यार्थं श्रीशीतलनाथविवं का० प्र० श्रीष(ख)रतरगच्छे श्रीजिनवर्द्धनसुरि श्रीजिनचंद्रमूरि श्रीजिनसागरमूरिपट्टे श्रीजिनसुंदरमूरिपट्टे श्रीजिनहर्षसूरिभिः
( 3६५)
॥ सं० १५२२ वर्षे फागुण शुदि ३ सोमे डहरवाला वास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० गोगन भार्या कउतिगदे सुत श्रे० आसा भार्या सांकुं सुश्राविकया सुत श्रे० कडूआ चीबा चांगा प्रमुखकुटुंबसहितया आत्मनः कुटुंबस्य च श्रेयोर्थ श्रीअंचलगच्छेश श्रीजयकेसरिसूरोणामुपदेशेन श्रीकुंथुनाथचतुर्विंशति पट्टः कारितः प्रतिष्टि(ष्ठि)तः श्रीसंघेन ॥श्री
(૩૬૩) માંડલના શ્રી પાર્શ્વનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (३९४) ५ना शसनी धातुभूतिना म. (૩૬૫) લીંબડીના જુના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ
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१७
ભાગ ૧ લો.
( 8 ) सं० १५२२ वर्षे श्रीश्रीमालज्ञाती० श्रे० सादा भार्या चांपू सु० डूंगर भार्या रही सु० मांडण मेवउ सिंधु एतैः] स्वपूर्वजपितृव्यभ्रातृ आत्मश्रेयो) श्रीधर्मनाथवित्र कारितं प्र० चैत्रगच्छे धारणपद्रीय भ० श्रीलक्ष्मीदेवमूरिभिः ॥ सिरीयाद्रवास्तव्यः ॥
( 3६७ ) सं० १९२३ वर्षे माघ शु० ६ रखौ रेवती नक्षत्रे प्राग्वाट०श्रे० घेघा भा० झमल सुत श्रे० रीडा भार्या श्रे० सोमा भार्या ॥ लाछलदे पुत्री हल नाम्न्या स्वश्रेयसे श्रीआदिनथाबिंब । का०प्र० तपा श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः । अणीयाग्रामे
( ८) संवत् १९२३ वर्षे माह सुदि ६ रवौ श्रीश्रीमालज्ञातीय सा० भईअल भा० मेधूं सु० साईयाकेन भार्या अधू सुत चांगायांगायुतेन आत्मश्रेयसे श्रीसुमतिनाथबिंब(ब)कारापितं प्रति० श्रीपू० श्रीगुणसुंदरसूरीणामुपदेशेन विधिना श्रे. । घे. ॥ वाणाज्ञानकलप्स प्र ।।
( 36 ) । सं० १५२३ वर्षे माघ वदि १० गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीय मं० गोपा भार्या वयजलदे सुत सारंगदेवाभ्यां सपरिकरराभ्यां निजपितृमातृपुण्यार्थ आत्मश्रेयसे श्रीकुंथनाथपंचतीर्थी कारापिता प्र० पिष्फलगग्छे श्रीगुणदेवसूरिपट्टे श्रीचंद्रप्रभसूरिभिः राणपुरवास्तव्यः (૩૬) જામનગરના રાજશીશાહના શ્રી શાંતિનાથજીના દેરાસરની
धातुभूतिना सेम. (૩૭) ઉદયપુરના શ્રી શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિનો લેખ. (૩૬૮) સુરતના શ્રીનવાપુરના શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિના લેખ. (૩૬૮) જામનગરના શ્રી આદિનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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૧૦૮
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ. ( 300 )
सं० १५२३ वर्षे फागुण वदि ४ सोमे प्राग्वाट ज्ञा० मं० सदा भार्या सारू सुत मं० भोजा भा० साधूनाम्न्या स्वश्रेयसे श्री कुंथनाथबिनं श्री आगमगच्छेश श्री देवरत्नसूरिगुरूपदेशेन कारितं प्रतिष्टि (ष्ठितं शुभं भवतु ॥ श्रीः ॥
( ३७१ )
॥ सं० १९२३ वैशा० शुदि ४ बुधे श्रीकोरंटगछे श्रीननाचार्य संताने । उसवंशे महाजनी गो० श्रे० मना भा० ० नरवदेन भा० वाहू पु० जिणदास युतेन स्वश्रेयसे वि० का० प्र० श्रीककसूरिपट्टे श्रीसालदेवसूरिभिः
मीणलदे पु० श्रीश्रेयांस जिन
( ३७२ )
सो ०
॥ सं० १५२३ वर्ष वैशाष (ख) शुदि १३ दिने ऊकेशवंशे १० जइता भा० जइतलदे पुत्र सो० मदनेन भा० रही भ्रा० अमरा स्व० पड्या गणपति प्र० कुटुंबयुतेन श्रीविमलनाथबिंबं कारितं प्र० तपागच्छाधिराज श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः । अहम्मदावाद नगरे || श्रीः ।
(૩૭૦) ધેાધાના જીલ્લાવાળા દેરાસરની ધાતુમૃત્તિના લેખ.
(૩૭૧) સૂરતના દેસાઇપાળના ડાકાભાઇ મુલચંદના ધરમ'દિરની ધાતુમુત્તિના લેખ.
(૩૭૨) જામનગરના શ્રીઆદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુકૂત્તિના લેખ.
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ભાગ ૧ લો. ( 33 )
॥सं० १५२३ वैशाख शु० ५ बुधे श्रीकोरंटगच्छे श्रीननाचार्य संताने श्री उ० ज्ञा० मंकूआणागोत्रे श्रे० गोसल भा० चांपू पु० श्रे० चांपा मा० मदी(ही) पुत्राभ्यां नाथा-कर्मसीहाभ्यां श्रेयसे श्रीश्रेयांसजिनबिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीककसरिपट्टे पूज्य श्रीपा(भा) वदेवमूरि[भिः] श्रीः ॥
( 3७४ )
सं० १५२३ वर्षे वै० शु० ६ दिने प्राग्वाट श्रा० वासड भा० टबकू सु० श्रे० हरपतिना भा० दूसी सु० झांला रता झांझण झांटादि कुटुंबयुतेन निजश्रेयसे श्रीशांतिनाथयुतश्रीचतुर्विंशतिजिनपट्टाः] कारितः। प्रतिष्ठितः श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टालंकार-तपागच्छेद्र(न्द्र) श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः
( ३७५)
सं० १५२३ वर्षे वैशाष(ख) शुदि १३ गुरौ श्री वीबीपुरवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय व्य० भूभव भार्या लली सुत व्य० शिवाकेन भार्या टबी व्य० वझामुख्यप्तमस्तपुत्र युतेन आत्मश्रेयसे श्रीकुंथ(थु)नाथबिंब कारापितं प्रतिष्टि(ष्ठितं श्रीद्धतपापक्षे श्रीज्ञानसागरसूरिभिः ॥
(૩૭૩) લીંબડીના મોટા દેરાસરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (३७४) सीन महिनी घातुमतिना . (૩૭૫) માંડલના શ્રી પાર્શ્વનાથના મંદિરની ધાતુત્તિને લેખ.
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૧૧૦
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
( ३७ )
संवत् १५२३ वर्षे वैशाख वदि १ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा० गांधी जावड भा० गुरी सुत धना द्वि भा० हर्षादे नाम्न्या सु० शंकर श्रीदत्तसहितया स्त्रपुण्यार्थं जीवितस्वामि श्री शीतलनाथचित्र का० पूर्णिमापक्षे भीमपल्लीय श्रीपासचंद्रसूरिपट्टे श्रीजयचंद्रसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्टि (ष्ठि) तं श्रीपत्तन वास्तव्य ||
( ३७७ )
॥ संवत् १५२३ वर्षे वैशाख वदि ४ गुरौ श्रीओएस (उपकेश) वंशे ॥ सा० सायर भा० सिरीयादे पुत्र सा० महिराजेन भा० सोनाई पुत्र घणपति हला पौत्र कुंरपालयुतेन पत्नी श्रेयोर्य श्रीअंचलगच्छेश्वर श्रीजय केसरिमूरीणामुपदेशेन श्रीवासुपूज्यवित्रं कारितं प्रतिष्टि (ष्ठि) तं श्रीसंघेन पत्तने ॥
( ३७८ )
।। संवत् १५२३ वर्षे वैशाख वदि ४ गुरौ श्रीओऐस वंशे ॥ दो० बडूआ भार्या मेघू पु० जटा सुश्रावकेण भा० जाणदे भा(भ्रातृ जइता पुत्र पूंनासहितेन स्वश्रेयसे श्री अंचलगच्छेश्वर श्रीजयके सरिसूरीणामुपदेशेन श्रीकुंथुनाथर्विषं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीसंघेन पत्तने ॥
(૩૭૬) માંડલના શ્રોશાંતિનાથના મદિરની ધાતુકૂત્તિના લેખ. (३७७) सींचना भहिरनी धातुभूतिनो क्षे.
(૩૭૮) માંડલના શ્રીઢાંતિનાથના મંદિરની ધાતુકૂત્તિના લેખ.
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नाम १ यो.
૧૧૧ ( 3७८) संवत् १९२३ वर्षे वैशाख वदि ७ रवौ सीहुंज वास्तव्य प्राग्वाट ज्ञातीय श्रेष्टि(ष्ठि) बाला भा० मानू सुतश्रेष्टि(ष्ठि)समधरेण भा० जासी भा० धर्मादे सुता लाली प्रम(मु)खकुटं(९)बयुतेन स्वश्रेयसे श्रीस(सु)म. तिनाथचतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीरत्नसे(शे,खरसूरिपटे श्रीगच्छनायक श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ श्रीः॥
(3८०) संवत् १५२४ वर्षे फागुण सुदि ७ बुधे श्रीमालज्ञातीय श्रीपल्हवडगोत्रे........सुतेन.......श्रीपालकुमरपाल यु० पूर्ववालियपुण्यार्थ श्रीकुंथनाथवि कारितं श्री० श्रीरत्नाकरसूरिपट्टे प्र० श्रीमरुपभसूरिभिः
( 36 ) संवत १५२४ वर्षे चैत्र वदि ५ भूमे श्रीश्रीमालीज्ञा० सा० सोईया भा० वाजुकेन पु० पूजा भीमायुतेन आत्मश्रेयोर्थ श्रीसंभवनाथवि कारापितं प्र० श्री पू० प्र० श्रीगुणसुंदरसूरिणामुपदेशेन.
( 3८२) ॥ संवत् १५२४ वर्षे वैशाष वदि २ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय ठक(क)र सामल सुत नाना भा० वीरू सुत भीमा सहदेवाभ्यां पितृमातृश्रेयोथै पितृव्य पररत न(नि,मित्तं श्रीपार्श्वनाथमुष्य(ख्य) चतुर्विंशतिपट्टः कारापित(तः) पिप्लगच्छे । भ० श्रीउदयदेवसूरिपट्टे श्रीरत्नदेवसूरिभिः ॥ दाठावास्तव्यः ॥ (૩૭૮) પાલીતાણુ માધવલાલબાબૂના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (૩૮૦) પૂનાના શ્રી આદિનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૩૮૧) કતાર ગામના મોટા મંદિરની ધાતુમૂર્તિને ફેંખ (૮૨) ઘેલાના શ્રીનવખંડાપાશ્વનાથના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ.
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૧૧૨
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ,
( 3८3)
॥ संवत् १९२४ वर्षे वैशाष(ख) वदि २ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा० ठक(क)र डूंगर सुत गोविंद भा० नाथी श्रेयसे पुत्र हाबामांकाभ्यां पि. भ्रातृ चांपां न(नि)मित्तं च श्रीअभिनंदनपंचतीथीयर्थी) कारित(ता) प्र० श्रीपिष्फलगच्छे श्रीगुणरत्नसुरिपट्ट(ट्टे) श्रीगुणसागरसूरिभिः ॥ गहूआनगरे
( 3८४ )
॥ सं० १५२४ वर्षे जेष्ट(ज्येष्ठ) शुदि ५ ऊ० सा० लाबा भा० लखमादे सा० गुणराज धर्मपुत्री श्रा० धारु नाम्न्या श्रीसुविधिनाथवि कारितं प्र० तपागच्छनायक श्रीसोमसुंदरसूरि संताने श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ सा० गुणराज सुत सा० काल सा० सदराज ।।
( ३८५)
सं० १५२४ वर्षे ज्य(ज्ये). सु० ९ सोमे श्रीश्रीवंशे सं० समधर भार्या जीविणि सुता वाली पि० हेमा युतया पितृमातृश्रेयसे अंचलगच्छ(च्छे) श्रीजयकेसरीसूरीणामुपदेसे(शे)न श्रीसुविधिनाथवि का० प्रति० श्रीसंघ(घेन)
(૮૩) ઘેઘાના શ્રીનવખંડાપાર્શ્વનાથના દેરાસરની ધાતુમૂત્તિનો લેખ. (૩૮૪) જયપુરના શ્રીબાંઠીયાના મંદિરનો ધાતુમત્તિને લેખ. (૩૮૫) ઉદયપુરના શ્રીગેડીજીના મંદિરની ધાતુત્તિને લેખ.
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ભાગ ૧ લો.
૧૧૩
(३८६)
॥ संवत् १५२४ वर्षे आषाढ सुदि १० शुक्रे ॥ श्रीश्रीवंशे ।। मं० सांगण भा० सोहागदे पुत्र म० वीरधवल भा० गुरी पुत्र खेतसी जन्य नाम्ना जूठाकेन भा० जयतलदे भ्रातृ काला चउधा भ्रातृपुत्र भोजा देवसी धीराप्रमुखसमस्तकुटुंबसहितेन पितृश्रेयोर्थ श्रीअंचलगच्छेश्वरश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीनमिनाथचतुर्विशतिपट्टः कारित. प्रतिष्टि(ष्ठि)तः श्रीश्रीसंघेन श्रीहुदडाग्रामे ॥ श्री
( 3८७ )
सं० १५२५ वर्षे भागसर सुदि १० शुक्रे मूंडहटासमीपे नोबडासणग्राम वास्तव्य पा(खां)टहडगोत्रे सा० ४ रणिंग । पु० पूंना भार्या हाजू० पु० रसहजा सागा सढना भार्या कोरे सुत पानासहितेन श्रीकुंथुनाथवि कारित प्र० श्रीकोरंटा तपागच्छे श्रीसर्वदेवसूरिभिः पं० तपोरत्नउपदेशेन.
(3८८ )
॥ संवत् १५२५ वर्षे पौष वदि ५ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय म० पोपट भार्या पामादे सुत म० गोताकेन भा० महिन्युयुतेन स्वश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथविंबं आगमगच्छे श्रीदेवरत्नसूरिगुरूपदेशेन कारित प्रतिष्टि(ष्ठि)तं च........
(૩૮૬) ઘોઘાના શ્રીસુવિધિનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૮૭) વીસનગરના શ્રી શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂત્તિને લેખ. (३८८) सीडीना रासरनी चातुभूतिना सेय. ૧૫.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
( ३८८ )
॥ सं० १५२५ वर्षे पोस (पौष) वदि ५ भूमे श्रीश्रीमालज्ञा • सहीया सा० वा ( ? ) धू भा० कपूरी सा० मणोर भा० रनूपज्ञार्थ (?) १० सा० भोजाकेन || श्री आदिनाथ || बिंबं कारितं । प्रतिष्टि (ष्ठि) तं श्री पींपलीयागच्छे श्रीरत्न || देवसूरिभिः ॥ श्री ॥ संघेन ।
૧૧૪
( ३८० )
॥ सं० १५२५ वर्षे पोस (पौष) वदि ११ सोमे श्रीश्रीमाळज्ञातीय दो० गोपाल भा० सखी सुत दो० मेघाकेन भा० चपाई प्रमुख कुटं (टुं) बयुतेन स्वश्रेयसे श्रीचंद्रप्रभस्वामिबिनं सद्गुरुणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्टि (ष्ठितं च विधिना ॥ श्रीः ॥
( 3 )
॥ सं० १५२५ वर्षे माघ सुदि ९ खौ श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य[ ० ] -मो भार्या कस्मीरदे सुत षे (खे) ताकेन पितृव्य सरमा भार्या विमली निमित्तं आत्मश्रेयोर्थंच श्रीनमिनाथ बिंबं कारापितं श्री पू० श्रीकमलप्रभसूरिणा प्रतिष्टि (ष्ठि) तं
( ३८२ )
संवत् १५२५ वर्षे फागुण शु० ७ शनौ उपकेशज्ञातीय श्रीनाहरगोत्रे सा० देवराजसंताने सा० लोला पुत्र साह सोनपालेन भार्या गोरी पुत्र बूवासहितेन स्वपुण्याय श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीरुद्रपल्लगच्छे श्री जिन राजसूरिपट्टे श्रीजिनोदयसूरिभिः
(૩૮૯) વઢવાણ શહેરના દેરાસરની ધાતુકૂત્તિના લેખ. (૩૯૦) માંડલના શ્રીઋષભદેવના મંદિરની ધાતુમૃત્તિના લેખ. (૩૮) ગડકણુના દેરાસરની ધાતુકૂત્તિના લેખ. (૩૯ર) રેડાના મંદિરની ધાતુકૂત્તિ'ના લેખ.
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नाम १ .
११५
(363) सं० १५२६ वर्षे फागुण सुदि ७ शनौ अहंमदावादस्थाने श्री. ज्ञा० दो० धर्मा मा० रांभू पु० जीवा ईसर समधर मांजु दो० जीवा मार्या जसमादे स्वभर्तृश्रेयोर्थ श्रीअनितनायविंबं कल पूर्णिमापक्षे श्रीधर्मशेखरसूरिपट्टे प्रतिष्टि(ति)तं श्रीविशालराजसूरीणां उपदेशेन।
( 3&४ ) सं० १५२५ वर्षे फागुण सुदि ९ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय ठ. लींबा मा० बाली सु० मूलकेन पितृमातृश्रेयोर्थ श्रीसुविधिनाथबिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं महूकरगछे नवांगवृतिकारक श्रीधनप्रभसूरिभिः महानगरे ॥
( ५ ) ॥ संवत १९२५ वर्षे चैत्र सुदि ३ गुरू(रौ) श्रीमालज्ञातीय मंत्रि सामा भा० रूडी(टी) सु० जेसिंग भा० जसमादे मातृपितृश्रेयो) आत्मश्रेयसे श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं प्रतिष्टि(ष्ठितं श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीगुणदेवसूरिभिः॥
( 36 ) सं.० १५२५ वर्षे वैशाख वदि १ गु० श्री श्रीमालज्ञा० ठ० फोकट भा० गोइ सु० श्रीमतिकेन भा० देमति तथा भा० भूपति प्रमुख कुटं(टुंब युतेन श्रीअजितनाथबिंब कारितं प्रति० श्रीसूरिभिः श्रीगंधार वास्तव्य
(૩૯૭) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુપ્રતિમાને લેખ. (૩૯૪) મહુવાના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૩૫) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૩૮૬) સૂરત નવાપુરાના શ્રી શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમર્તિને લેખ.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ,
( ७) ॥ संवत् १९२५ वर्षे वैशाख वदि ११ रवौ उशवालज्ञातीय प(खोटवडगोत्रे सा० समरा भा० रतना पुत्र सा० धनपालेन अंबिका का.................
(3८ ) ॥ स्वस्ति सं० १५२५ वै० व० ११ रखौ अहंमदनगरे श्रीश्रीमाल वखा० रत्ना भा० रत्नादे सुत वखा० कमा मा० कामलदे युतेन ॥ स्व तथा स्वकुटं(टुं)व तथा पुत्र पौत्रश्रेयसे श्रीनमिनाथवि का० प्र० ० तपा० श्रीज्ञानसागरसूरिभिः ॥ शुभं ॥
(34) सं० १५२५ वर्षे ज्येष्ठ वदि १ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रेष्टि(ष्ठि) षो(खो)ना मा० लाळू पु० हाजाकेन भा० हांसलदे भ्रातृ कीया भा० कामलदे सहितेन स्वपितृमातृपितृव्य मेलाश्रियोथ श्रीआदिनाथवि कारितं प्रः श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीकमलचंद्रसुरिपट्टे श्रीहेमरत्नसूरि....[भिः]
(४०० ) सं० १५२५ वर्षे आषाढ शु० ३ सोमे श्रीश्रीमा........न्या सहितेन मातृ निमित्तं पितृव्यजीवितस्वामिवि० का० प्र० श्रीनागेंद्रग० श्रीगुणसमुद्रसूरिपट्टे श्रीगुणदेवसूरिभिः ॥ उपलीआसर । वास्तव्य।
(૩૭) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૩૮૮) પાટડીના દેરાસરની ધાતુમતિને લેખ.
(૩૮) જામનગરના રાજશી શેઠના શ્રી શાંતિનાથજીના દેરાસરના ધાતુમૂર્તિને લેખ.
(૪૦) રાધનપુરના શ્રી શાંતિનાથના મંદિરની ધાર્વિને લેખ.
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ભાગ ૧ લે.
११७
(४०१)
संवत् १९२५ वर्षे आसा(षा)ढ शुदि ३ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा० मं० लखमण सुत मं० चउथा भा० संभलदे सुत हरीआकेन भा० रही भ्रातृ माला वना कुट(९)चयुतेन स्वमातृश्रेयोर्थ श्रीअंचलगच्छे श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीआदिनाथवि का० प्र० श्रीसंघेन ॥श्री।।
॥ सं० १५२५ वर्षे आषाढ सुदि ९ शनौ ऊपकेशज्ञा० सा० सामल भा० सारू पु० देधर मांजा चाईया मांजा भा० मल्ही पु० सोमा सहि० समस्त भ्रातृयु० पितृव्य भ्रातृ हेमा मा० सोहतीपुण्यार्थं श्रीसुमतिनाथबिंबं कारापितं प्र० बृहद्गच्छे बोकडीयावट० श्रीधमचंद्रमुरिपट्टे श्रीमलयचंद्रमूरिभिः ॥ शुभं ऋद्धि भूयात त्) पत्तनवासि
(४०
)
सं० १५२६ वर्षे श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० सीहाकेन भा० मटक सु० धरम करमु देवसी सोमसीयुतेन श्रीकुंथ(थु)नाथादिपंचतीथी(र्थी) स्वजायाश्रेयसे कारि० प्रति० श्रीअमररत्नसूरिभिः ॥ आगमगच्छे ।। सोलग्रामवास्तव्यः ॥
(४०१) तामाभना मोटा शसनी धातुभूतिना म. (૪૦૨) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૪૦૩) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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૧૧૮
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
( ४०४ ) ॥ संवत् १५२६ वर्षे पो(पौ)ष वदि १ सोमे उपकेशज्ञातीय सा० लाषा(खा) भार्या लाप(ख)णदे पुत्र सा० चाहड सा० हांसा साह मिंघराज स्वपुण्यार्थं श्रीपार्श्वनाथवि का० प्र० तपागच्छे श्रीलि(लक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥
(४०५) संवत् १५२७ वर्षे कार्तिक वदि ९ शनौ धंधकपुर वास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय सं० मांडण भा० वा० मेलादे सुत सं० सहसा मा० डाही एताभ्यां सुत कुंरा भा० कुतिगदेश्रेयोर्थ श्रीसंभवनाथादिपंचतीथी(र्थी) आगम(ग)च्छेश अमररत्नसूरि गुरूपदेशेन कारिता प्रतिष्टि(ष्ठि)ता च
(४०६ ) संवत् १५२७ वर्षे पो(पौ)ष वदि १ सोमे श्रीश्रीमालज्ञाति(ती)य दोसी वस्ता सुत दोसी पर्वत भार्या पोपटी पुत्र वज्रांगत भार्या पहुति सुत तेजपाल सहितेन पितृनिमितं श्रीसंभवनाथविबं कारितं प्रतिष्ठितं सिड्रानीगच्छे भट्टारक श्रीसोमचंद्रसूरिभिः श्रीपत्तनवास्तव्य ।
(४०७ ) सं० १५२७ वर्षे माघ वदि ५ गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० कर्मण भा० कर्मादे सुत मांडण भा० झाडूसहितेन स्वपितृमातृश्रेयोर्थ श्रीवासुपूज्यविबं कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीनागेंद्रगच्छे श्रीकमलचंद्रसूरिभिः ॥ श्रीरस्तु ॥
(૪૦૪) માંડલના શ્રી શાંતિનાથના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૪૦૫) ધંધાના શ્રીસુવિાધનાથજીના દેરાસરની ધાતુભૂત્તિને લેખ. (૪૦૬) વડનગરના મોટા આદીશ્વરના મંદિરની ધાતુમૂત્તિનો લેખ. (૪૦૭) લીંબડીના જુના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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ભાગ ૧ લો.
૧૧૯
(४०८ )
॥ सं० १५२७ वर्षे वैशाष(ख) शुदि १० सोमे श्रीगंधारवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय ठ० महिराज भा० लालू सुत ठ० सहसा भा० वाली ठ० सालिग भा० आसी ठ० श्रीराज भा० हंसाई । ठ. सहिसा सुत धनदत्त भा० हषाई एतैरात्मश्रयोथै श्रीआदिनाथविच कारितं प्रतिष्टि(छि)तं श्रीद्धतपापक्ष । श्रीविजयरत्नसूरिभिः ॥ श्रीः ॥
( ४०८ )
संवत् १९२७ वर्षे वैशाष(ख) वदि ६ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय मं० तेजा भा० तेजलदे सु० जगा भा० चमकूकेन सु० टीडा भा० मटकू स्वआत्मश्रियो) श्रीधर्मनाथवि कारित प्र० आगमगच्छे श्रीआणंदप्रभसूरिभि[:] रनलावास्तव्य
(४१० )
॥ संवत् १५२७ वर्षे वैखाष(ख) वदि ६ शुक्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय पितामह नलापिनसी पितृ धोका मातृ....श्रेयोर्थ सु० सीहाकेन श्रीअभिनंदनस्वामिबिंबं कारापितं श्रीपूर्णिमापक्षीय श्रीसाधुसुंदरसूरीणामुपदेशेन प्रतिष्टि(ष्ठितं संघवी जइतायतेन काठा
(૪૦૮) પાલીતાણાના નરશી નાથાના દેરાસરની વીશી ધાતુમૂર્તિને
म. (૪૦) ઘોઘાના શ્રીનવખંડાપાશ્વનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૪૧૦) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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१२०
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(४११) सं० १५२७ वर्षे वैशाष(ख) वदि ११ बुधे ऊपकेशज्ञातीय मंत्रि डुंगर भार्या वानू सुत बईजाकेन श्रीविमलनाथविवं कारितं श्रीपुनमीयागच्छे सूरीणामुपदेशेन प्रतिष्टि(ष्ठि)तविधिना । दांत्रेटीय ॥ वास्तव्यः ॥
( ४१२ ) सं० १५२७ वर्षे वैशाष(ख) वदि ? १ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० छांछा भा० लाप(ख)णदे सुत सूरा भा० माकू सुत लष(ख)मण भोजा गेला एतैः श्रीकुंथ(थु)नाथविवं का० श्रीपूर्णिमापक्षीय श्रीसाध(धु)सुंदरसूरीणामुपदेसे(शे)न प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीसंघेन ॥ कोचाडावास्तव्य ॥
(४१3 ) सं० १५२८ वर्षे पोस(पौष) शुदि ३ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० रत्ना भा० वीनू सु० जीवा भार्या काउं मातृपितृश्रेयसे श्रीधर्मनाथादिपंचतीर्थी कारिता अमररत्नसूरिगुरूणामुपदेशेन ॥ वा० आद्रियाणा आगमगच्छे ॥
। संवत १५२८ वर्षे चैत्र वदि १ गुरौ श्रीश्रीम० श्रे० धरणा मा० मरगदि सु० वीत्रा हेमापूर्वजिमि० आत्मश्रयोथै श्रीश्रीः । धर्मनाथवि का० प्रति चैत्रगच्छे । धारणपद्रीय भा० श्रीज्ञाम(न). देवसूरि तेद्रोसणलिवास्तव्य
(૪૧૧) વડોદરા (નાના)ના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ (૪૧૨) માંડલના શ્રી પાર્શ્વનાથના મંદિરની ધાતુમૂત્તિને લેખ. (૪૧) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂત્તિને લેખ. (૪૧૪) જામનગરના આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુશ્રુત્તિને લેખ.
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१२१
माम यो. ( ४१५)
संव० १५२८ वर्षे वेशाख सुदि ३ शनौ श्रीश्रीमाल० श्रे० जगसी भा० जाल्हणदे सु० गेला गांगा देवराज सहित[:] पितृव्य देवसी नि० आत्मश्रे० श्रीकुंथनाथ विंबं का० प्र० पिप्पलगच्छे भ० श्रीविजयदेवमूरिपट्टे श्रीसालिभद्रसूरिभिः ॥
( ४१६)
___ सं० १५२८ वर्षे वैशाष(ख) विदि(वदि) सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय सं० सामल भार्या वान्ह सुत सं० हासाकेन भार्या वीजू द्वितीय भार्या सहिजलदे सुत समधर कीका युतेन श्रीचंद्रप्रभ-चतुर्विशतिपट्ट[:] कारितः प्र० पिप्पलगच्छे तलवजीय श्रीगुणरत्नमरिपट्टे पू० श्रीगुणसागरसूरिभिः घोघा वास्तव्य श्रीः
( ४१७ )
सं० १५२८ वर्षे माव वदि ५ बुधे श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० नरसिंह भा० रुडी मवकू सुत आना-पांचाभ्यां भार्या धरणू होनू पितृमातृश्रेयोर्थ श्रीवासुपूज्यबिंब का० प्र० श्रीवीरमूरिभिः रोहीसा वास्तव्यः ।
(૪૧૫) જામનગરના વર્ધમાનશાહના શ્રી શાંતિનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ.
(૪૧૬) ધંધાના શ્રી ચંદ્રપ્રભુના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (४१७) सायना मारिनी धातुभूतिना बेम.
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૧૨૨
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(४८)
संवत् ११२८ वर्षे माघ व० ५ गुरौ ओसवालज्ञातीय प्रा० देवपी भार्या गांगी सु० सा० देवदत्त भा० देवलदे सुकर्मण धर्माण वस्ता कुटुंचयुतेन स्वमातृ ०] जीवितस्वामिश्रीशीतलनाथवि० का० प्र० हारीजगच्छे श्रीमहेश्वरमूरिभिः ।।
( ४१८)
॥ १५२८ चैत्र वदि १० गुरौ श्रीउएसवंशे मीठडीशाखीय सो० हेमा मा० हमीरदे पु० सो• जावड सुश्रावकेण मा० जसमादे पूरी पु० गुणराज-हरखा-श्रीराम-सिंहराज-सोनपाल-पौत्र पूनामहिपाल-कूरपाल-सहितेन ज्येष्ठपत्नी पुण्यार्थ श्रीअंचलगच्छे श्रीजयकेसरिसूरि उप० श्रीसंभवनाथवि का० प्रति० श्रीसंघेन श्रीः
( ४२० )
सं० १९२९ वर्षे माघ शु० २ गुरौ श्रीमालिज्ञा० म० हाथा मा० भाषणदे सु० काला भा० राज् सु० जइता जीवाकेन मातृपितृ श्रेयोथै श्रीधर्मनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृद्धतपापक्षे भ० श्रीजिनरत्नमूरिभिः
(૪૧૮) રાધનપુરના શ્રી શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂત્તિનો લેખ.
(૪૧૮) સૂરતના નગરશેઠની પોળના શ્રીગોડી પાર્શ્વનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
(४२०) यूनाना श्रीमानायना माहिती धातुभूत्तिा सेय.
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ભાગ ૧ લે.
૧૨૩ (४२१ ) ॥ संवत् १९२९ वर्षे फागुण सुदि २ शुक्रे ॥ श्रीश्रीवंशे ॥मं० वेला भार्या मांजू पुत्र मं० साविगसुश्रावकेण भार्या मान्ही सुत जूठा सहितेन निजश्रेयोर्य श्रीअंचलगच्छेश श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीकुंथुनाथवि कारिदं प्रतिष्टि(ष्ठिीतं संघेन ॥श्रीः।।
( ४२२ ) ॥ सं० १५२९ वर्ष फा० व० ३ सोमे प्राग्वाट दो० भोटा भा० मांजू पु० वासण मा० जीविणिनाम्न्या देवर दो० सोढा । कर्मसीसुत गोरा । वीरादियुतया स्वश्रेयसे श्रीधर्मनायवि का० प्र० तपागच्छेश श्रीरत्नशेखरमूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ठ।।
(४२३) ॥ संवत् १५२९ वर्षे येठ(ज्येष्ठ) सु० ८ शुक्रे उशवालज्ञा० ता(ना ?)हिगोत्रे सा० मूल भा० लुणादे द्वि० सुहागदे पु० सा० भाष(ख)र भा० तीली पु., रणधीर ना हमीर हाधीया श्रेयोर्थ श्रीसुवध(विधि)नाथ ब०(वि०) का० प्र० खरतरगच्छे श्रीजिनहर्षसूरिभिः
(४२४ ) ॥ सं० १५२९ वर्षे जेष्ट(ज्येष्ठ) व० ६ श्रीश्रीमालज्ञा० दो० सूरा भा० अ—(खू) श्रेयोथै सो० वेला भा० तेजू पुत्रपासाकेन भ्रातृ करणसीयुतेन स्वश्रेयसे श्रीश्रेयांसनायविवं का० प्र० तपागच्छे श्री [ज्ञा] नसागरसूरिभिः घोघावास्तव्य.
(૪૧) રાધનપુરના શ્રી શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૪૨) ઘેઘાના શ્રીનવખંડા પાર્શ્વનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૨૩) ઉદયપુરના શોશીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૪૨૪) ધંધાના શ્રીનવખંડા પાર્શ્વનાથના દેરાસરના ધાતુમૂર્તિને લેખ,
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પ્રાચીન લેખ સગ્રહ.
( ४१५ )
॥ [] ० ॥ संवत १५२९ वर्षे आषाढादि ३० वर्षे (र्षे ) महावदि १३ सोमे श्रीउसवालज्ञातीय सा० गोगन भार्या राजू तत्पुत्र सा० मदनभाया (र्या) कूतिगदे कुटं (टुं) बश्रेयोर्थ श्री आदिनाथचिव कारितं प्रति......
૧૨૪
( ४२६ )
॥ सं० १५३० वर्षे पो (पौ ) प वदि २ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीयः श्रेष्टि (ष्ठि) तेजा भार्या कपूरी सुत महिराज पदमा जागा वधा पातैः स्वपूर्विन श्रेयोर्थ श्रीशीतलनाथविं कारापितं प्रतिष्टि (ष्ठितं श्रीसूरिभिः ।। माडल शीतापुरवास्तव्य श्री ॥ श्री ॥
( ४२७ )
सं० १५३० वर्षे पोस (पौष) वदि २ बुधे श्रीश्रीमालज्ञातीय .... लाला मा० मलषू सु० गहिगागाईयाभ्यां पितृमातृ ( 2 ) यसे श्रीनेमि - नाथत्रिंबंकारितं श्रीपू[र्णि]मापक्षीय श्री साधुस ( सुं) दरसुरीण (णा)मुपद (दे )श (शे) न प्र० धिन्यरन डिवास्तव्य
( ४२८ )
पो
संवत् १५३० वर्षे (पौ ) प वदि ६ रखौ श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० देपाल मा० हरपू सुत भूभाकेन मा० माल्हणदे हे दान (नि) मित्तं सुवसहितेन स्वये (श्रे) यस (से) श्रीवासुवा पूज्यचित्रं क० (का०) श्रीचे ( चै)गछे (च्छे ) श्रीज्ञानदेवसूरिभिः प्रतिष्टित (ष्ठितं ) त... ज्य० गाम
....
(૪૨૫) ધેાધાના શ્રીનવખડા પાર્શ્વનાથના દેરાસરની ધાતુભૂત્તિના લેખ. (૪૨૬) ગડકર્ણીના મદિરની ધાતુકૂત્તિના લેખ.
(૨૭) જામનગરના શ્રીમાદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુકૂત્તિના લેખ. (૪૮) જામનગરના શ્રીગ્માદિનાયજીના દેરાસરની ધાતુ ત્તના લેખ.
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૧૨૫
भाग १ बी.
( ४२८ )
॥ संवत् १५३० वर्षे पौष वदि ६ खौ श्रीश्रीमालज्ञा ० ० गेला भा० पूरी सु० रत्नाकेन भा० रूपिणि द्वि० भा० कीरूसहितेन स्वपितृ पूर्वजन (नि) मितं (तं) आत्मश्रेयोर्थ श्रीवासपूज्यविधं का० प्र० चैत्रगच्छे सलप ( ख ) णपरा भ० श्रीज्ञानदेवसूरिभिः || मोरवाडायामे ॥
( ४३० )
सं० १५३० वर्षे मात्र वदि (संवत १५३०) २ शुक्रे श्रीश्रीमालीज्ञा० दो० भोजा भा० लीलादे सु० हर्षा भा० हर्षादे सहितेन आत्मपुण्यार्थ श्रीमुनिसुव्रतबिंबं का० प्र० श्रीपूणिमापक्षे श्रीधर्मशेष (ख) रसूरीणां पट्टे श्री श्रीविशालराजमृरीणामुपदेशेन विधि..... ( ४१ )
॥ सं० १५३० वर्षे फागुण सुदि ७ बुधे श्रीश्रीमा० मं० वेला भा० वील्हणदे पु० महिराज भा० रतुश्राविकया स्वभर्तृश्रे० श्रीसुमतिनाथर्वि० का ० ० ( प्र०) पूर्णिमा० श्री साधुसुंदरसूरीणा
मुपदेशेन सूरिभिः ।
( ४३२ )
॥ संवत् १५३० वर्षे फागण शुदि ८ बुधे श्रीउसवालज्ञातीय सा० दाचा भार्या देमाई सुत सा० वेता सा. श्रीपाल देपाल सा. षे (खे)ता भार्या रंगाईनाम्न्या स्वश्रेयोर्थ श्री आदिनाथवि कारा० प्रतिष्ट(ष्ठितं श्रीअंचलगच्छे || श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन ||
(૪૨૯) એમનગરના શ્રીઆદિનાથજીના દેરાસરનો ધાતુકૂત્તિÀા લેખ (૪૩૦) હિંમ્મતનગરના મ્હોટા મ ંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિ તે લેખ. (૪૩૧) જામનગરના શ્રીઆદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુકૂત્તિના લેખ. (૪૩૨) જામનગરના શ્રીઆદિનાયજીના દેરાસરની ધાતુકૂત્તિના લેખ.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(४३३)
संवत् १५३० वर्षे वैशाख सुदि १० सोम श्रीगंधारवास्तव्य श्रीश्रीमालज्ञातीय सा० पर्वत भार्या कीवाइ सुत सा० हाजाकेन भा० सूर्सवदे युतेन श्रीपार्श्वनाथबिंब कारितं । प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीवृद्धतपापक्षे । भट्टा० । श्रीउरप(?)सागरसूरिभिः श्रीशीलसागरसूरि । उपा० उदयमंडनगणिउपदेशात् श्रीरंत्रैः(?) शुभं भवतु ॥
(४४४ )
संवत् १५३१ वर्षे माघ वदि ८ सोमे श्रीऊएसवंशे ॥ सा. मेघा भार्या मेलादे पुत्र सा० जुठा सुश्रावकेण भार्या रुपाई पूतलिपुत्र विद्याधर भातृ श्रीदत्त वर्द्धमान सहितेन मातृः पुण्यार्थं । श्रीअंचलगच्छेश्वर श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन मुनिसुव्रतस्वामिबिंब कारितं प्रतिष्ठितं संघेन
(४५)
॥ संवत् १५३१ वर्षे माघ वदि ८ सोमे श्रीश्रीमालज्ञातीय सा० राजा भा० राजलदे सु० सं० साह गिरुया भार्या रजाई तया सु० पासा जीवायुतया स्वश्रेयसे श्रीसुविधिनाथवि श्रीआगमगच्छे श्रीजयानंदसूरिपट्टे श्रीदेवरत्नसूरि गुरुउपदेशेन कारितं प्रतिष्टा(ष्ठा). पितं च ॥ शुभं भवतु ॥ श्रीस्तंभतीर्थं
(૪૩૩) સુરતના નવાપુરાના શાંતિનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૪૩૪) કતારગામના મોટા મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૪૩૫) પાલીતાણાના માધવલાલબાબના દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ.
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ભાગ ૧ મેા.
( ४३९ )
सं० १५३१ वर्षे फागु[०] सु० ८ ( सनौ ?) उप० ज्ञा० ईटोदरा गो० सा० गोपा भा० मांनू पु० माला पेढा रतना माला भा० झबू पु० भादा सहितेन आत्मश्रेयसे श्रीसुमतिनाथवित्रं का ० प्रति० श्रीचैत्रगच्छे श्री सोमकीर्तिसूरिपट्टे आ० श्रीवीरचंद्रसूरिभिः ॥
( ४३७ )
૧૨૭
सं० १९३१ वर्षे चैत्र वदि ८ बुधे वंदेरो वास्तव्य ओसवाल सापहापाना० हरखमदे सुत रामहाकेन भार्या सीतादे सु० वेला महाराज हंसराज प्रमुख कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे अनन्तबिंबं का० प्र० श्रीखरतरगच्छे म० जिनचन्द्रसूरिभिः ॥
( ४३८ )
॥ सं० १५३१ वर्षे वैशाष ( ख ) वदि १९ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा सा० साझण भा० माजू सु० सा० साउ भ्रातृ भाउ मार्या हांसी नाम्न्या स्वश्रेयसे || श्रीश्रेयांसनाथादिचतुर्विंशतिपट्टः पूणिमापक्षे श्रीगुणसमृद्रसूरिपट्टे श्रीपुण्यरत्नसूरीणामुपदेशेन कारितः प्रतिष्टि(ष्ठि)तः........॥
(૪૩૬) ઉડ્ડયપુરના શ્રીશીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૃત્તિના લેખ, (૪૩૭) જયપુરના ખાંડિયાના મદિરની ધાતુકૂત્તિના લેખ. (૪૭૮) માંડલના ઋષભદેવના મંદિરની ધાતુસ્મૃત્તિના લેખ
O
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૧૨૮
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(४४८)
सं० १५३१ वर्षे वैशाष(ख) वदि ११ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा व्य० जेप्ता मा० कपूरी सु० ५० वस्ताकेन भार्या गांगी सु० हर्षा भा०
अजी प्र० सतस्तकुटंटुं)वसहितेन भा० सनषतिश्रेयसे श्रीविमलनाथविवं पूर्णिमामक्षे श्रीपुण्यरत्नसूरीणामुप० कारितं प्रति० विधिना अहम्मदावादनगरे ॥
( ४४०)
____ सं० १५३१ वर्षे वै० वदि ११ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा० व्य० जेसा भा० कपूरी सु० ५० वस्ताकेन भा० गांगी सु० हर्षा भा० प्रभृ० समस्त कुटंटुं)वयुतेन भार्या रही श्रेयोर्थ श्रीसंभवनाथविं श्रीपूर्णिमा० श्रीगुणसमुद्रसूरि पट्टे श्रीपुण्यरत्नसूरीणामुप० कारितं प्रतिष्ठितं च विधिना ॥ श्रीअहम्मदावादे
(४४१ )
॥ सं० १५३१ वर्षे वैशाष(ख) वदि ११ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा० सा० गोआ मा० भाऊ सु० सा० साजण मा० मंदोअरि सु० सा० लटकण भार्या कर्माईपुत्र्या सा० श्रीपतिपत्न्या ब० सोभागिणिनाम्न्या स्वमातृश्रेयसे श्रीचंद्रप्रभादिचतु० पट्टः पूर्णिण० श्रीपुण्यरत्नसूरीणामुप० कारितः प्र० विधिना.
(૪૪) હરખજીના મુવાડાના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૪૩) જામનગરના શ્રી મુનિસુવ્રતસ્વામિના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિનો
सेम. (૪૪૧) તલાજાના શ્રી શાંતિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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ભાગ ૧ લો.
૧૨૯ ( ४४१) सं० १५३१ वर्षे श्रीअंचलगच्छेश श्रीजयकेसरिसूरीणामुफदेशेन श्रीश्रीमालज्ञातीय दो भोटा भा० रत्नू पु० वीरा मा० वानू पु० लषा(खा)सुश्रावकेण भगिनीवमकूसहितेन श्रीशांतिनाथवि स्वश्रेयोर्थ कारितं श्रीसंघप्रतिष्ठित
(४४३) संवत् १५३२ वर्षे चैत्र सु० ४ शुके श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे पवा भा० शाणी सु० धर्मसी भा० धर्मिणि पितृमातृपुण्यार्थ आत्मश्रेयसि श्रीश्रीशीतलनाथचतुर्विशतिपट्टः कारित(तः) प्र० श्रीपिष्फलग० भ० श्रीचंद्रप्रभमूरिभिः लोलीआणा वास्तव्यः ॥
(४४४ ) ॥ संवत् १५३२ वर्षे वैशाख शुदि १० शुक्रे श्रीश्रीवंशे ॥ श्रे० नरपति भार्या नीणादे सुत श्रे० भावड भार्या झबू सुश्राविकया स्वश्रेयो) श्रीअंचलगच्छेश श्रीजयकेशरिसरीणामुपदेशेन श्रीमुनिसुव्रतस्वामिबिंचं कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीसंघेन
(४४५) ॥ सं० १५३२ वर्षे वैशाष(ख) वदि १३ सोमे उसवा० ज्ञातीय पुत्र(पुत्र)सा० आल्हा भा० आल्हणदे पु० भाडा नाथू नाल्हा ताल्हा जा० (8) कपूरदे० पु० गेहापूर्वज पुण्यार्थं आत्मश्रे० श्रीनेमिनाथविंचं का० श्रीज्ञानकीयगच्छे पं० श्रीधनस्व(नेश्वर?)मूरिभिः
(૪૪૨) પાલીતાણા ગામના મોટા દેરાસરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (૪૪૩) ઘેધાના (શ્રી પાર્શ્વનાથ મૂળ નાયકવાળા ) જીલ્લાવાળા
દેરાસરની ધાતુમત્તિને લેખ. (४४४) सीडीना मौर। भरिनी चातुभूतिना सेम. (४४५) पनाना सोसावाना मारिनी धातुभूतिना म.
१७
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૧૦૦
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(४४९)
सं० १५३२ वर्षे वैशाष(ख) मासे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० जेसा भा० हसु० ३ शिवा देवा हाडाकेन भार्या जानूं सु० २ रंगा-मेहादि कुट(९)वयुतेन श्रीश्रीअभिनंदनस्वाभ्यादिपंचतीर्थी आगमगच्छेश श्रीअमररत्नहरिगुरूपदेशेन कारिता प्रतिष्टि(ष्ठि)ता च विधिना तिलिसाणावास्तव्यः ॥
( ४४७ )
॥सं० १५३२ वर्षे ज्येष्ट(छ)शुदि ३ दिने श्रीश्रीमालज्ञा० मं० सहसा भा० कम्मिणि सु० सिंघाकेन मा० कुंअरि सु० बाछा प्रभृति युति(ते)न । श्रीश्रेयांसनाथविन(ब) कारितं प्रतिष्टि(ष्ठितं । श्रीपूर्णिमा प[.] भ० श्रीविद्यासुंदरसूरीणामुपदेशेन । घोघा वास्तव्य
॥ संवत् १५३३ वर्षे मान(गर्ग)सिर सुदि ६ शुके उपकेशज्ञातौ षटवड गोत्रीय साह लष(ख)पण भार्या लष(ख)मसिरी पुत्र सं० भोजा भार्या लाछि पुत्र सा० मुघा (?) २ ॥० सुधर्मयुतेन । स्वपुण्यार्थ श्रीशांतिनाथवि कारितं प्रतिष्ठितं हरसउरगच्छे भ० श्रीगुणसुंदरसूरिपट्टे भ७ श्रीगुणनिधानसूरिभिः ॥ शुभं० ॥
(૪૪૬) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસર ની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૪૪૭) તલાજાના પહાડ ઉપરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૪૪૮) ઉદયપુરના શેઠના બાગના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ,
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भाग १ . (४४८ )
॥ सं० १५३३ वर्षे माघ शुदि ६ सोमे श्रीउकेशवंशे संखवाल गोत्रे सा० ऊता भा० हळू पुत्र सा० वरजांग सुश्रावकेण भा० कमी पु० सदारंग सारंग युतेन श्रीवासुपूज्यबिंब का० प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः
( ४५०)
॥ संवत् १५३३ वर्षे माघ सुदि ६ सोमे ॥ श्रीउएसवंशे ॥ व्यव[0] साहिसा भार्या सहिजलदे अपर भार्या सिरीयादे पुत्र व्य० राउल सुश्रावकेण भार्या अरधू पुत्र व्य० आसा काला थिरपाल पौत्र ईबा आचंदसहितेन पत्नी ॥ अरधू पुण्यार्थ श्रीअंचलगच्छेश श्रीजयकेसरीसूरीणामुपदेशेन श्रीसुविधिनाथर्वि
( ४५१ )
संवत् ११३३ वर्ष माघ सुदि १६ भोम(मे) श्रीप्राग्वाटे(ट) ज्ञातीय सा० नाऊ भा० हांसी पुत्र सा० ठाकुरसी सा० वरसिंघ भ्रातृ सा. चांजाकेन भा० सोमी पुत्र सा० जीणासहितेन श्रीअंचलगच्छेश श्रीश्रीश्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीनमिनाथबिंब कारितं प्र० श्रीसंघेन माहीग्रामे ॥श्री श्री॥
(૪૪૮) જયપુરમાં બાંઠિયાના મંદિરની ધાતુમૂત્તિનો લેખ (૫૦) પાટડીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લોખ (૪૫૧) ઉદયપુરના શ્રી શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિનો ખ.
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૧૩૨
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(४५२) सं० १९३३ वर्षे वैशाष(ख) सुदि ४ बुधे श्रीमालज्ञातीय मंडलिक भा० माल्हणदे सु० निरीउ भा० पूनीश्रेयो) सु० सामान श्रीअनंतनाथवि कारितं पूनिमगच्छे श्रीसाधुरत्नसुरी(रि)पट्टे श्रीसाधुसुंदरसूरीणामुपदे० प्रति०
(४५3 ) ॥ सं० १९३३ वर्षे वैशाष(ख) सुदि १३ मुराणागोत्र(त्रीय) स० कमलसाह(हेन) बिंब कारापितं श्रीपदमानंदमूरी(रिभिः) [प्र.]
( ४५४ ) सं० १५३३ वर्षे वै० व० ११ दिने मंगलपुरवा० प्राग्वाट ज्ञातीय दो० वरसिंग भा० हळू पुत्र दो० भी(वी)मा भा० सूल्ही सुत दो० सोवा भा० मटू पुत्र कान्हप्रमुखकुटंव(टुंब)युतेन स्वश्रेयोर्थ श्रीसुमतिनाथवि कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं तपागच्छनायक श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ छ ।
(४५५) ॥ सं० १५३३ वर्षे ज्येष्ट(ष्ठ) शुदि १५ सोमे प्राग्वाटज्ञा० गांधी वीरा भा० झाझ सु[.] हेमा मा० हीरादे हर्षादे सुत पहिराजकेन भा० सोही सुत लालादिकुट(टुं)बयुतेन स्वश्रेयोर्थ श्रीशीतलनाथादिचतुर्विंशतिपट्टः कारित(तः) प्रतिष्टितं(तः) तपागच्छेश श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः॥ काकरवास्तव्याः ॥श्री॥
(૪૫૨) જામનગરના કોઠારીના ઘરદેરાસરની ધાતુમૂત્તિના લેખ. (४५३) डीन जना माहिरनी धातुभूतिना म. (૪૫૪) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુતિમાનો લેખ. (૪૫૫) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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ભાગ ૧ છે.
૧૩૩ ( ४५६ ) सं० १५३४ माघ सुदि १३ शुक्रे श्रीउपकेशज्ञातीय वृद्धशाखीय साह निणद भार्या हांसी पु[0] साह पासा भार्या रामति पुत्र साह भखाकेन श्रीसंभवनाथबिंबं का० श्रीकोरंटगच्छे श्रीसावदेवसूरिभिः प्रतिष्ठितं
(४५७ ) सं० १९३४ वर्षे फागुण शुदि ३ गुरु(रौ) नागरज्ञा० श्रे० सादा भा० सरसि सु० हरीयाकेन मा० झाली सु सहिना सारिंग सहितेन आत्मश्रेयोर्थं श्रीचंद्रप्रभस्वामिबि का० प्र० वृद्धतपा प० श्रीजिनरत्नसूरिभिः जाषु(खु)रावास्तव्य ।
(४५८ ) ॥ सं० १५३५ वर्षे मार्ग[0] वदि १२ सांघु(खु)लागोत्रे साह पाहा भा० रइणादे पु[ 0] सा० तेना भा० तेजलदे पु० बलिराज वीसल लोला माणिकादियुतेन श्रीपाश्वनाथबिंब का० प्र० श्रीधर्मघोष ग० श्रीपद्मशेखरसूरिपट्टे श्रीपद्माणंदसूरिभिः
(४५८) ।। संब(व)त् १५।३५ वर्षे । पो(पौ)ष वदि ९ ऊकेशज्ञातीय सा० धना भा० अजू (?) सुत सा० राना भार्या रमादे पुत्र सवा श्रीचंडमांडण भ्रात्रि सा सिरिया सालिंग पासा प्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीसुमतिनाथविवं कारितं प्रतिष्टि(ष्ठितं तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ॥ अहमदावादीया । (૪૫૬) પુનાના આદિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૪૫૭) સૂરતના બાગમાંનું નાનપુરાના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૪૫૮) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૪૫૯) બજાણાના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ.
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૧૩૪
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(४६०)
सं० १५३५ वर्ष फागुण सुदि अस्टमी(अष्टमी)र...उपकेशज्ञा० पितामह लीवा पितृव्य पारा । काला भ्रातृ सिंघा महिराज भ्रातृपुत्र धना पूर्वज पूसां निमित्तं श्रेयसे सा० जेसाकेन श्रीकुंथनाथविवं कारितं ष(ख)रतरगच्छे प्रतिष्टि(ष्ठितं) श्रीजिनचंद्रसरिभिः ॥
( ४६१ )
सं० १५३५ वर्षे मा० शु० ५ गुरौ० डीसा० श्रे० जुठा भा० अमकू सु० मं० भोजाकेन भ्रा० बइ आसू भार्या मचकू सु० नाथादि कुट(९)च श्रे० श्रीशं(सं)भववि का० प्र० तपाग[0] श्रीरत्नशेखरसूरि त० श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः
( ४६२ )
॥ संवत् १५३५ वर्षे आषाढ शुदि १, सोमे श्रीश्रीवंशे ॥ कपर्दशाखायां ॥ श्रे० पूना भार्या पाल्हदे पुत्र श्रे० तीमाकेन मार्या भली पुत्र रंगा भ्रातृव्य धना वना सहितेन स्वश्रेयोर्थ ॥ श्रीअंचलगच्छेश्वरश्रीश्री श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीपद्मप्रभस्वामिबिंब का० प्र० संघेन पालविणिग्रामे ||
(૬૦) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તાિનો લેખ. (४५१) सीडीना जून महिनी धातुभूतिना बेम. (૪૬૨) જામનગરના શ્રીઘર દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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भाग १ से.
( ४१ )
वीसलीया गोत्रे स्याणी पु[ ० ]
सं० १९१५ आषाढ सु० ९ सोमे श्रीश्रीवंशे मं० रणसी मा० ऊबू पुत्र मं० आका सुश्रावकेण भा० सहजा वयजा भीमा षी (खी) मादियुनेन श्रेयोर्थ श्रीअंचलगच्छे श्रीजयकेसर (रि) सरीणामुपदेशेन श्रीवासुपूज्यविनं का० श्रीसंघेन || श्री बेटनगरे ||
प्रतिष्टि (ष्ठि) तं
૧૩૫
( ४६४ )
॥ संवत् १५३५ वर्षे आषाढ शुदि ९ सोमे ॥ श्रीश्रीवंशे || कपर्दशाखायां ॥ श्रे० शेषा भार्या सींगारदे पुत्र श्रे० पी (खी) मा सुश्रावकेण भार्या लपी (खी) पुत्र वासा पौत्र वीरमसहितेन स्वश्रेयोर्थ श्रीअंचलगच्छेश्वर श्रीजय केसरिसूरीणामुपदेशेन श्री आदिनाथविं कारितं प्रतिष्टि (ष्ठितं श्रीसंघेन | धुंधिणिग्रामे श्रीरस्तु ||
( ४६५ )
सं० १५३५ आषाढ) सु० ९ सोमे । श्रीश्रीवंशे वीसलीया गोत्रे मं० जयसिंह मा० जसमादे हर्षू पु [0] मं० सामल सुश्रावकेण भा० माल्ही | भ्रातृ चानादिसहितेन पितृपुण्यार्थी श्री अचल गच्छे श्रीजय केसर (रि) सूरिणामुपदेशेन श्रीकुंथुनाथविवं कारितं प्रतिष्टि (ष्ठितं श्रीसंघेन । श्रीबेटनगरे ||
(૪૬૩) જાનવરના રાજશી શેના શ્રીશાંતિનાથજીના દેરાસરની ધાતુસ્મૃત્તિના લેખ.
(૪૬૪) જાનગરના શ્રીધનાજીના દેરાસરની ધાતુમૃત્તિના લેખ. (૪૬૫) જામનગરના રાજશી શેઠના શ્રીશાંતિનાથજીના દેરાસરની ધાતુભૂત્તિના લેખ.
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
( ४६६ )
॥ संवत् १५३६ वर्षे मार्गसिर वदि १० वाल सपावगोत्र ( त्रे) सातरा भा[०] पसा श्रेयस (से) कारावित (तं ) प्रतिष्टित (ष्ठितं ) श्रेयो (यः)
૧૩૬
सोमवार (रे) । उसिटक्सीडम (३) वारु गांगा शाल (लि) सूरिभ (भिः)
( ४१७ )
। सं० ११३६ वर्षे पो (पौष वदि [-] गुरु (रौ ) श्रीश्रीमाल - ज्ञातीयः श्रेष्टि (ष्ठि) टोई आ भार्या लष्मादे सुत परबत भा० करमा श्रेयोर्थ जीवतस्वामि श्री० नमिनाथबिंबं का० श्री आगमगच्छे श्रीश्रीसिंघदत (त) सूरिभि [ : ] प्र० व ( विधिना काही आणावास्तव्यः
( ४६८ )
सं० १५३६ वर्षे फागुण व[०] ३ दिने श्रीऊकेशवंशे दोसीगोत्रे सा० साल्हा भा० सुहागदे पु० सा० देढाकेन मा० नांटी पु० पी (ख) मा भा० देमाई तत्पुत्र जोगा तेजा पदमसी प्रमुखपरिवारयुतेन श्रीमुनिसुव्रत कारितं प्रतिष्टि (ष्ठितं च श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः ॥
( ४६८ )
संवत् १५३६ वर्षे वैशाख शु० १० बुधे हुंबड ज्ञा० चांपा भा० मरगदि सुत भीमा देवराजाभ्यां श्रीमुनिसुव्रतस्वामिविवं(वि) का० हूं [ ड] गच्छे श्रीसंघदत्तसूरि गु० प्र० श्रीशीलकुंजरगणिभिः || आसूंचा वा० ॥
व्य०
(४६६) सींपडीना लुना हिरनी धातुभूर्त्तिन
(૪૬૭) શીહારના મેાટા મદિરની ધાતુમત્તિના લેખ.
(૪૬૮) જામનગરના શ્રીઆદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુપ્રતિમાના લેખ. (૪૬૯) અમદાવાદ ઝવેરીવાડાના ચામુખજીના દેરાસરની ધાતુભૂત્તિના
सेप.
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________________
भाग
१३७
( ४७०) संवत् ११३६ व० जेष्ट (ज्येष्ठ) शु. ५ रवि(वौ) उप० सोसोदिया गोत्रे सा० देवायत मार्या देवलदे पु० खेता भार्या खेतलदे पुत्र भाष(ख)रयुतेन पुण्यार्ये श्रीनमिनाथवि कारापितं प्रति० संडेरवालगच्छे श्रीशालिमूरिभिः॥
(४७१) ॥ संवत् १५३६ वर्षे आषाढ शुदि ६ श्रीओसवालज्ञातीय सा० पाल्हा भा० बडधू सुत गोयंद भा० गंगादेनाम्न्या आत्मश्रेयसे श्रीकुंथुनाथ त्रिचं कारापितं प्र० श्रीवृद्धतपापक्षे म० श्रीजिनरत्नम्रिभिः ॥ श्री
( ४७२ ) मं० १५३६ वर्षे आषाढ शुदि ८ दिने ॥ श्रीऊकेशवंशे गोलवछागोत्रे सा० साजण भार्या राजलदे पुत्र सा० हमीरेण भ्रातृ रहीयादिसहितेन भ्रातृ जीवा श्रेयोथै श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्रति श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनभद्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिभिः ॥ श्रीः ॥
(४७3 ) सं० १५३७ वर्षे मा[0] शु० २ सोमे डीसावालज्ञा० सा० मूल भा० लाडकि सु० माणिकेन भार्या माणिकदेयुते[न] स्वश्रेयोर्थ श्रीशीतलनाथबिंब का० प्र० तपागच्छे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः॥श्रीः
(४७०) १यपुरना पहियाना महिनी घानुभूत्तिना म. (૪૭૧) ધાના શ્રીસુવિધિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમત્તિને હોખ. (૪૭૨) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (४७४) ५४ सरनी पतुप्रतिमान म,
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૧૩૮
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(४७४) सं० १५३७ वर्षे वै० शु० १० सोमे इलदुर्गवाप्ति प्राग्वाट ज्ञा० सा० भोजा भा० भमादे सुत सा० रत्नाकेन भा० पहुती सुतै । (१) लाषा(खा)वेणादिकुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे सुमतिनाथविबं का० प्र० तपा श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः
(४७५) सं० १५३७ वर्षे वै० शु० १० सोमे इडरवामि ऊकेशगोत्रे जोजाउर सा० सोना भा० सोनलदे सुत । सा० केल्हाकेन मा० पुरी पुत्रादि कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्रीमुनिसुव्रतबिंबं का ० प्र० श्रीरत्नदेवमृरिभिः
(४७६ )
॥ संवत १५३७ वर्षे ज्येष्ठ शुदि २ सोमे श्रीवीरवंशे मं० हापा भार्या हरखू पुत्र मं० ठाकुर सुश्रावकेण भा० कामलि पितृव्य छांछा भार्या वडलु सहितेन पत्नी पुण्यार्थं श्रीअंचलगच्छे श्रीजयकेसरिसूरीणामुपदेशेन श्रीअजितनाथबिंब का० प्र० श्रीसंघेन स्तंभतीर्थे
(४७७ ) सं० १५३९ वर्षे फा० ५० १ काकिलागोत्रे स० सगदा भा० कउलिगदे पु० स० श्रीपाल भा० सिरीआदे पालघ भ्राता सीधरेण श्रीपार्श्वनाथवि का• श्रीपद्मारा(न)दमूरि[भिः] (૪૭૪) પુનાના પિરવાલોના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ (૪૭૫) પુનાના આદિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૪૭૬) સૂરતના દેસાઈપળના સુવિધિનાથના મંદિરની ધાતુમૂરિન લેખ. (૪૭) પુનાને પરવાલાના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ
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ભાગ ૧ લે.
૧૩૯ (४७८ ) ॥ सं० १५३९ वर्षे आषाढ सुदि ६ भावडहरगच्छे प्राग्वाट तीनाविगोत्रे मं० मांकड भा० धारी पु० राघव मा० पूरी पुत्र धरणा भा० जेठी पु० सहसकिरण मांगा मार्या पूतलि मनी पुण्यार्थ श्रीसुमनिनाथबिंब का० प्र० कालिकाचार्यसंताने श्रीमावदेवसूरिभिः ।।
(४७८ ) संवत् १५४१ वर्षे वैशाध(ख) सुदि ४ दिने गुरौ श्रीमालज्ञातीय कोडीयागोत्रे सा० षि(खि)मथर पुत्र सा० सांडाकेन बांधव सा० श्रीपालयुतेन सा० आसाकस्य पुण्यार्थ श्रीवासुपूज्यवि कारापित प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनहर्षमुरिभिः ॥ श्री
( ४८० ) ॥ सं० १५४ १ वर्षे प्राग्वाटज्ञातीय मं० 'देवा भार्या श्रा० रूपिणि पुत्र मं. पुजाकेन भार्या श्रा० चंपाई प्रमुखकुटुंबयुतेन श्रीशं(सं) भवनाथचतुर्वि(वि)शतिपट्टः कारितः प्रतिष्टि(ष्ठि)तः श्रीसोमसुंदरसूरिसंताने श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः ।
(४८१ ) ॥ सं० १५४२ वर्षे फा० व० २ दिन जालउर महादुर्गे भाग्वाटज्ञातीय सा० पोपा मा० पोमादे पुत्र सा० जेसाकेन भा० जसमादे भ्रातृलाषा(खा)दि कुटं(९)वयुतेन स्वश्रेयो) श्रीधर्मनाथविंबं कारितं प्र० तपाश्रीसोमसुंदरसूरि संताने विजयमान श्रीलक्ष्मीसागरमूरिभिः ॥ श्रीरस्तु ॥
(૪૭) ઉદયપુરના શ્રીગેડીજીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને àખ. (૪૭) લીબડીના મોટા મંદિરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (૪૮૦) માંડલના શ્રીશાતિનાથના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (૪૫) ઉદયપુરના શીતલનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિ લેખ,
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પ્રાચીન લેખ સ'ગ્રહ.
( ४८२ )
सं० १५४२ वर्षे चैत्र वदि ८ भौमे श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० गोला द्वि० भा० पुढती सुत अमरा वना कीका श्रे० वनाकेन मा० माणिकदे सुत हरदास देवदास वजा अजा युतेन स्व पूर्विजपितृमातृश्रेयोर्थ श्रीविमलनाथविचं का० श्री आगमगच्छे श्री आनंदप्रभसूरीणां उ ( णामु) पदेशेन प्र० श्रीमुनिरत्नसूरिभिः मूळीवास्तव्यः ।
( ४८३ )
I
॥ संवत् १५४२ वर्षे वैशाष ( ख ) सुदि १३ खौ । श्रीश्रीमाल - ज्ञातीय । संघवी अदा भार्या । नीली । सु । सं । श्रीराज भा || रतनाई नान्या । पु । सं । लषा (खा) । सुत । सब गिरप्रमुखकुटं ( टुं) ब युतया । श्रीविमलनाथ चतुर्विंशतिपट्टः कारितः । पूर्णिमापक्षे || श्रीगुगतिलक सुरिभिः प्रतिष्टि (ष्ठितं ॥ गंधार वास्तव्य
૧૪૦
( ४८४ )
॥ संवत् १५४२ वर्षे वैशाख सुदि १३ खौ ॥ श्रीउएसवंशे || सा० जीवा भार्या कर्माई पुत्र सा० जेठा सुश्रावकेण भार्या रूपाई पुत्र हरिचंद वृद्धभ्रातृ सा अराराजसहितेन वृद्धभार्या वीरूपुण्यार्थे श्रीअंचलगच्छेश्वरश्री सिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन कारितं प्र० श्रीसंघेन अहम्मदावादन गरे
श्रीकुयनाथ बि
(૪૮૨) ધાઘાના શ્રીશાંતિનાથના દેરાસરની ધાતુની મૂર્ત્તિના લેખ, (૪૮૩) ધેાષાના શ્રીશાંતિનાથજીના દેરાસરની ધાતુકૂત્તિના લેખ. (૪૮૪) જામનગરના શ્રીમુનિસુવતસ્વામિના દેરાસરની ધાતુમત્તિના લેખ.
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૧૪૧
भास .. (४८५)
सं० १५४२ वैशाख शुदि शुक्रे उकेश सिंखाडियागोत्रे सं० रेडा सं० सा० उदा भार्या ऊदलदे मा० छाजु श्रीमन जिनदत्त.... युतेन आ० पु० श्रीमुनिसुव्रतबिंबं का० प्र॥ श्रीबृहद्गच्छे श्रीमरुपभमूरिभिः
(४८६)
॥सं० १५४२ वर्षे वइशाप(वैशाख) वदि ५ गुरु(रौं) चांडु गोत्रे श्रीश्रीमालज्ञातीय से० देवा भा० द्रव्वी सुत २ गंदा भा० रंगी गुणपति मा० गुरदे आत्मश्रेयोर्थ श्रीवास(सु)पूज्यबिंब त्या(ब्रह्मा)णगच्छे श्रीम(मुनिचंद्रसूरिभिः प्रतिष्टि(ष्ठितं बहीयलि वास्तव्य ॥
(૪૮૫) જયપુરના શ્રીગાંઠીયાના મંદિરની ધાતુમત્તિને લેખ. (४८५) १९५४५11 EिRI HIdiffai au,
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૧૪૨
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
( ४८७ )
॥ श्री० ॥ ॐ ह्रीँ अ नमः स्वाहा तित्थगरे भगवंते जगजीव वियाणए तिलोयगुरु । जो उ करेइ पमाणं सो उपमाणं सुयघराणं ॥ १ ॥ ण अन्नतित्यपराभवं भवभयाउ निव्विन्नो । गम अडसहस्सेण परिवुडो कत्तिउ सेट्ठी ॥ १ ॥ पव्वइउ मुणिसुव्वयसामिसगामि बारसंगविऊ । बार सुसम परियाउ सोहम्मे सुरवई जाउ ॥ २ ॥ सुग्रिलगिरिंमि सुकोसलेण वग्धीकउवसग्गेण । पत्तं परमं ठाणं कित्तिधरेण वि वरं नाणं ॥ ३ ॥ सुक्कोसलमुनिसुचरियपवित्तसिहरम्मि मुग्रिलगिरिंमि । संपइ चित्तउडख्खे चिरतरबहु वेइ ( ? ) थुनियो || १ || तीर्थेशोऽर्हन् कीर्तिधरः सुकोशलमुनिस्तथा व्याघ्री । सर्वेऽपि संतु सुखदाः श्रीखरतर पुण्यनंदिगणे ||
कीर्त्तिधर
ऋषि मूर्ति.
अर्हन् मूर्ति.
सुकोशल
ऋषि मूर्ति.
वाघण ने
मुनिनुं चित्र.
( आ चारे मूर्तिओ नीचे आ लेख छे:
>
1
॥ श्री ० ० ॥ संवत् १५४३ वर्षे शाके १४०८ प्र० मार्गशीर्ष बदि १३ तिथौ । गुरुदिने । श्रीचित्रकूट महादुर्गे । श्रीरायमल्लराजेंद्रविजयराज्ये । सकल श्रीसंघेन । सतीर्थ (?) श्रीसुकोशलर्षि प्रतिमा कारिता । प्रतिष्ठिता श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनसमुद्रमूरिभिः ॥
(૪૮૭) ચિત્તાઢમઢ, કીર્તિસ્તંભ પાસે ગેામુખકુંડની પાસેના જિનમલ્ટિમાં એક પત્થરની ડાબી બાજુને લેખ.
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ભાગ ૧ યા.
( ४८८ )
संवत् १५४३ वर्षे वैशाख सुदि १ गुरौ गूजरज्ञातीय सा । देवा । भा । देवलदे । पु । दो । पासा । भा तरेधू सुत । सोमदते । लोहुया । पुत्र वयेन स्वपितुः श्रेयसे । श्रीशांतिनाथचिचं कारापितं । प्रथम तपापक्षे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः । प्रतिष्टि (ष्ठितं । गंधारवास्तव्य के । कल्याणं भूयात् ॥
1
( ४८५ )
૧૪૭
सं० १५४३ वर्षे वै० शु० ३ दिन श्रीश्रीमालज्ञा० मं० सांगा भा० हळू पु० आसराज भा० धर्मिणिनाम्न्या सुत तेजपाल गोविंद युतया श्री आदिनाथ०ि का० प्र० श्रीवृद्धतपाप० श्रीउदयसागरसूरिभिः || श्रीगंधारमंदिरे ||
( ४८० )
॥ संवत् १५४४ वर्षे वैशाख शुदि ३ सोमे || श्रीश्रीवंशे || व्य • पत्राम भार्या छूटी अपरभार्या हटू पुत्र व्य० हरीया सुश्रावकेण भा० रुपिणि पु० नाथा मा० सोभागिणियुतेन स्वश्रेयोर्थ श्रीअंचलगच्छे श्रीसिद्धांत सागरसूरीणामुपदेशेन अभिनंदन स्वाभिर्विवं कारितं प्रतिष्टि (ष्ठितं श्रीसंघेन वारांहीग्रामे ||
(૪૮૮) સુરતના બાગમાંના નાનપુરાના મંદિરની ધાતુમૂર્ત્તિા લેખ. (૪૮૯) મહુવાના દેરાસરની ધાતુમૂર્ત્તિના લેખ.
(૪૯૦) જામનગરના કલ્યાણુજી મેરારજીના ધરદેરાસરની ધાતુમૂત્તિના લેખ
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પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(४८१ ) ॥ सं १५४४ वर्षे वैशाष(ख) वदि ५ गुरो(रौ) श्रीश्रीमाल ज्ञातीय वि० आसा भा० राजू सु० मेघा जीवा जोगा मेघा मा० मांन सु० गुणोआसहितेन जीवा भा० माई स्वपितृमातृभ्रातृश्रयोर्थ श्रीसुमतिनाथवि० का० प्र० नागेंद्रगच्छे भ० श्रीहेमरत्नसूरिभिः प्रतिष्टि(ष्ठितं ।
(४८२) ॥ संवत् १५४४ वर्षे ज्येष्ट(ष्ठ) सुदि ९ सोमे श्रीउपकेशवंशे सा० गोइंद भार्या अमरी पुत्र सा० सहिदे भार्या फटकू सुत शिवदत्त सहिदे भ्रातृ धर्मसी पुत्र सहसकिरण शंकर सिवदत्त एतै :] स्वश्रेयसे श्रीशीतलनाथवि कारापितं ॥ प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीसाधुपूर्णिमाप....॥
(४८) ॥ सं० १५४५ वर्षे जेष्ट(ज्येष्ठ) सुदि १२ गुरु(रौ) श्रीसंडेरगच्छे ऊ० वेडालबीया गो० सा. पंचा भा० पूरी पु० महिण भा० माणेकदे पु० झोला गेही भा० मानू पु० जगसी आत्मश्रे० श्रीआदिनाथबिंब का० प्र० श्रीजशोभद्रसूरिसंताने श्रीसालिमूरिभिः ॥
(४८४ ) ॥ सं० १९४७ वर्षे पो(पौ)ष वदि १० बुधे ऊ० ज्ञातीय सा० कोला भा० षी(खी)माइ पु० दीना भा० लाडिकि नाम्न्यादेउर सा० हेमा भा० फदु पु० धरणादियुतया स्वश्रेयसे शांतिनाथबिंचं का प्र० पूर्णिमापक्षे श्रीजयचन्द्रमूरिशिष्येण आ० श्रीजयरत्नसूरिउपदे[०] वडलीग्रामे
(૪૧) જામનગરના શ્રી આદિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૮૨) જામનગરના શ્રી આદિનાથના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૪૮૩) ઉદયપુરના શ્રીગોડીજીના મંદિરની ધાતુમુત્તિને લેખ. (૪૮૪) ઉદયપુર ગોડીજીના મંદિરની બાજુમત્તિને લેખ.
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ભાગ ૧ લો. ( ४४५)
॥ सं० १५४७ वर्षे माघ सुदि १० गुरौ श्रीश्रीमालज्ञातीय व्यव[0] कोता भार्या कस्मीरदे सुत मेहा भार्या माणिकि । तया स्वश्रेयसे श्रीजीवितस्वामि श्रीसुमतिनायविंबं कारितं । चटप्रदीय श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीदेवसुंदरसरीणामुपदेशेन प्र० झंझूवाडा.
(४८१ )
॥ सं० १९४७ माघ सु० १३ रवौ श्रीश्रीमालज्ञा० दो० हाना सु० दो० मांका भा० कपूरी सु. मांडणकेन भ्रातृ कृष्णरामप्रमुखकुटुंब युतेन श्रेयोऽर्थ श्रीशीतलनाथविंबं का० प्र० श्रीआगमगच्छे म० श्रीअमररत्नसूरीणां पट्टे श्रीसूरिभिः
( ४८७ )
स्वस्ति श्री संवत् १५४७ वर्षे माघ सुदि १३ रवी बोरसिद्धि वास्तव्य श्रीश्रीमाल ज्ञाति(तीय) सो० महिरान भा० आसी सुत कमलसी भा० महिराज भा० लीला सुता पूतलीनाम्न्या श्रेयो) श्रीधर्मनाथमुख्यचतुर्विंशतिपट्ट[ः कारितः प्रतिष्टि(ष्ठि)तः पूर्णिमापक्षे भ० श्री गुणरत्नमूरिभिः ॥ श्रीस्तु ।
(૪૫) રાધનપુરના શાન્તિનાથના મંદિરની ધાતુમૂર્તિનો લેખ. (४४९) तारामना ।महिनी घातुभूतिना सेम. (૪૯૭) સાદડીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
૧૦
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१४६
પ્રાચીન લેખ સંગ્રહ.
(४८८ )
॥सं० १९४७ माघशुदि १३ रखौ श्रीमालीज्ञातीय मंत्रि रयणयर मा० सूदी सुत मं० सुरा मा० टबकू सु० मं० भूभवसहितेन श्रीअंचलगच्छे श्रीसिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन श्रीशांतिनाथर्विच कारितं प्रतिष्टि(ष्ठि)तं श्रीसंघेन ।।
(४८)
संवत् १९४७ वर्षे वैशाष (ख) शुदि ३ सोमे कपोल ज्ञा० श्रे० सरवण भा० आसू सुत सं० नाना भा० सं० कउतिगदे नाना निजश्रेयसे श्रीसंभवनाथबिंब का० प्रति० तपा श्रीलक्ष्मीसागरसूरिपट्टे श्रीसुमतिसाधुसूरिभिः ॥
( ५००)
स. १५४७ वर्षे वै० व० ५ श्रीश्रीमालीज्ञातियश्रे० हीरा भा० जीजी सुत मं० देवदाम जाया श्रा० चंपाईनाम्न्या सुत मं. पासा फला रंगा मदनादिकुटुंबयुतया कारितं श्रीनमिनाथवि प्र० तपागच्छे श्रीसोमसुंदरसूरिसंताने श्रीसुमतिसाधुसूरिभिः ॥
(૪૯૮) તલાજાના શ્રી શાંતિનાથજીના દેરાસરની ધાતુમત્તિનો લેખ. (૪૮) સુરત નેમુભાઇની વાડીના મંદિરની ધાતુમૂર્તિને લેખ. (૫૦૦) જામનગરના શ્રી મુનિસુવ્રતસ્વામિના દેરાસરની ધાતુમૂર્તિને લેખ.
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________________ શ્રી જિનશાસના જય હો !!! || શ્રી ગૌતમસ્વામીન નમ: || || શ્રી સુધમસ્વિામીને નમ: II ! Tii > રે જિનશાસનના અણગાર, કલિકાલના શણગારા પૂજ્ય ભગવંતો અને જ્ઞાની પંડિતોએ શ્રુતભક્તિથી પ્રેરાઈને વિવિધ હસ્તલિખિત ગ્રંથો પરથી સંશોધન-સંપાદન કરીને અપૂર્વજહેમતથી ઘણાગ્રંથોનું વર્ષો પૂર્વે સર્જનકરેલછે અને પોતાની શક્તિ, સમય અને દ્રવ્યનો સવ્યય કરીને પુણ્યાનુબંધી પુણ્ય ઉપાર્જન કરેલ છે. કાળના પ્રભાવે જીણી અને લુપ્ત થઈ રહેલા અને અલભ્ય બની જતા મુદ્રિત ગ્રંથો પૈકી પૂજ્ય ગુરુદેવોની પ્રેરણા અને આશીર્વાદથી 5//ww2. સ.૨૦૦૫માં 54 ગ્રંથોનો સેટ ની-૧ તથા સ.૨૦૦૬માં 36 ગ્રંથોનો સેટ ની 2 સ્કેન કરાવીને મર્યાદિત નકલ પ્રીન્ટ કરાવી હતી. જેથી આપણો શ્રુતવારસો બીજા અનેક વર્ષો સુધી ટકી રહે અને અભ્યાસુ મહાત્માઓને ઉપયોગી ગ્રંથો સરળતાથી ઉપલબ્ધ થાય. પૂજ્ય સાધુ-સાધ્વીજી ભગવંતોની પ્રેરણાથી જ્ઞાનખાતાની ઉપજમાંથી તૈયાર કરવામાં આવેલ પુસ્તકોનો સેટ ભિન્ન-ભિન્ના શહેરોમાં આવેલા વિશિષ્ટ ઉત્તમ જ્ઞાનભંડારોની ભેટ મોકલવામાં આવ્યા હતા. આ બધાજપુસ્તકો પૂજ્યગુરુભગવંતોને વિશિષ્ટ અભ્યાસ-સંશોધન માટે ખGUજરુરી છે અને પ્રાયઃ અપ્રાપ્ય છે. અભ્યાસ-સંશોધનાર્થે જરૂરી પુસ્તકો સહેલાઈથી ઉપલબનતીમજ પ્રાચીન મુદ્રિત પુસ્તકોનો ક્યુત વારસો જળવાઇ રહે તે શુભ આશયથી આ ગ્રંથોનો જીર્ણોદ્ધાર કરેલ છે. જુદા જુદા વિષયોના વિશિષ્ટ કક્ષાના પુસ્તકોની જીર્ણોદ્ધાર પૂજ્ય ગુરૂભગવતીની પ્રેરણા અને આશીર્વાદિથી અમો કરી રહ્યા છીએ. તો આશાએ તથા સંશોધના માટેવઘુમાં વઘુઉપયોગ કરીને શ્રુતભક્તિના કાર્યને પ્રોત્સાહન આપશો. લી.શાહ બાબુલાલ સરેમલ વોડાવાળાની વેદના મંદિરો જીર્ણ થતાં આજકાલના સોમપુરા દ્વારા પણ ઊભા કરી શકાશે....! પણ એકાદ ગ્રંથ નષ્ટ થતા બીજા કલિકાલસર્વજ્ઞ કે. મહોપાધ્યાય શ્રી યશોવિજયજી ક્યાંથી લાવીશું...???