________________ प्रकृतमें उपयोगी पौराणिक कथाएँ . 217 और वहाँ गुरुरत नामके मुनिके दर्शन कर तथा जैनधर्मका उपदेश सुनकर उनके पास दीक्षित हो स्वयं मुनि हो गये / मुनि होनेके बाद उन्होंने गुरुतर तपस्याके साथ चिरकाल तक आगम साहित्यका अभ्यास किया / अनन्तर विहार करते हुए वे पुनः राजगृही पहुँचे / वहाँ एक दिन पक्षोपवासके बाद भिक्षा के लिए चारिका करते हुए सम्भूत मुनिकी सुशर्मा पुरोहितसे मेट हो जाने पर पुरोहितने उन्हें मारनेका विचार किया। यह देख कर सम्भूत मुनि वेगसे दौड़ने लगा। फलस्वरूप उसके मुखसे प्रखर तेजसे युक्त अग्नि प्रकट हुई। सौभाग्यकी बात कि यह बात उसके बड़े भाई चित्त नामके मुनिको तत्काल विदित हो गई, अतः उसने आकर उसे शान्त कर दिया / अन्तमें सम्भूत मुनि निदान करके सौधर्म स्वर्गमें देव होकर अन्तमें ब्रह्मदत्त नामका चक्रवर्ती हुआ और उसका बड़ा भाई यथायोग्य गतिको प्राप्त हुआ। 1. बृहत्कथाकोश कथा 106 /