________________ 404 वर्ण, जाति और धर्म चरित्रग्रहण मीमांसा अधो सत्तमाए पुढवीए णेरइया णिरयादो गेरइया उध्वट्टिदसमाणा कदि गदीओ आगच्छंति // 203 // एक्कं हि चेव तिरिक्खगदिमागच्छंति त्ति // 204 // तिरिक्खेसु उववण्णल्लया तिरिक्खा छण्णो उप्पाएंतिआभिणिबोहियणाणं णो उप्षाएंति सुदणाणं णो उप्पाएंति ओहिणाणं णो उप्पाएंति सम्मामिच्छत्तं णो उप्पाएंति सम्मत्तं णो उप्पाएंति संजमासंजमं णो उप्पाएंति // 205 // . नीचेकी सातवीं पृथिवीके नारकी नरकसे निकल कर. कितनी गतियोंको प्राप्त होते हैं // 203 // एक मात्र तिर्यञ्चगतिको प्राप्त होते हैं // 204 // तिर्यञ्चोंमें उत्पन्न हो कर वे इन छहको नहीं उत्पन्न करते हैं-आभिनिबोधिकज्ञानको नहीं उत्पन्न करते हैं, श्रुतज्ञानको नहीं उत्पन्न करते हैं, अवधिज्ञानको नहीं उत्पन्न करते हैं, सम्यग्मिथ्यात्वको नहीं उत्पन्न करते हैं, सम्यक्त्वको नहीं उत्पन्न करते हैं और संयमासंयमको नहीं उत्पन्न करते हैं // 205 // छठ्ठीए पुढवीए णेरइया गिरयादो गेरइया उच्चट्टिदसमाणा कदि गदीओ आगच्छंति // 206 // दुवे गदीओ आगच्छंति-तिरिक्खगदि मणुसगदि चेव // 207 // तिरिक्खमणुस्सेसु उववण्णलया तिरिक्खा मणुसा केई छ उप्पाएंति-केई आभिणिबोहियणाणमुप्पाएंति केई सुदणाणमुप्पाएंति केइमोहिणाणमुप्पाएंति केइं सम्मामिच्छत्तमुप्पाएंति केई सम्मत्तमुप्पाएंति केइं संजमासंजममुप्पाएंति // 20 // ___ छठी पृथिवीके नारकी नरकसे निकल कर कितनी गतियोंको प्राप्त होते हैं // 206 // तिर्यञ्चगति और मनुष्यगति इन दो गतियोंको प्राप्त होते हैं // 207 // नरकसे आकर तिर्यञ्चगति और मनुष्यगतिमें उत्पन्न हुए कोई . तिर्यञ्च और मनुष्य छहको उत्पन्न करते हैं-कोई आभिनिबोधिकज्ञानको उत्पन्न करते हैं, कोई श्रुतज्ञानको उत्पन्न करते हैं, कोई अवधिज्ञानको