________________ 320 वर्ण, जाति और धर्म कम्मभूमियस्से त्ति वुत्ते पण्णरसकम्मभूमोसु मज्झिमखंडसमुपण्णस्स गहणं कायव्वं / को अकम्मभूमिओ णाम ? भरहेरावयविदेहेसु विणीदसण्णिदमज्झिमखंडं मोत्तण सेसपंचखंडणिवासी मणुओ एत्थाकम्मभूमिओ त्ति विवक्खिओ, तेसु धम्मकम्मपवुत्तीए असंभवेण तब्भावोववत्तीदो / जइ एवं कुदो तत्थ संजमग्गहणसंभवो ति णासंकणिज्ज, दिसाविजयपयट्टचक्कवट्टीखंधावारेण सह मज्झिमखंडमागयाणं मिलेच्छरायाणं तत्थं चक्कवट्टिआदीहि सहजादवेवाहियसंबंधाणं संजमपडिवत्तीए विरोहाभावादो। अथवा तत्कन्यकानां चक्रवर्त्यादिपरिणोतानां गर्भेषूत्पनमातृपक्षापेक्षया स्वयमकर्मभूमिजा इतीह विवक्षिताः। ततो न किञ्चिद्विप्रतिषिद्धम्, तथाजातीयकानां दीक्षाहरवे प्रतिषेधाभावादिति / ___ 'कम्मभूमियस्स' ऐसा कहनेपर पन्द्रह कर्मभूमियोंके बीचके खण्डोंमें उत्पन्न हुए जीवका ग्रहण करना चाहिए। शंका--अकर्मभूमिज कौन है ? समाधान—भरत, ऐरावत और विदेह क्षेत्रोंमें विनीत संज्ञावाले मध्यम खण्डको छोड़कर शेष पाँच खण्डोंमें निवास करनेवाला मनुष्य यहाँ पर 'अकर्मभूमिज' इस पद द्वारा विवक्षित है, क्योंकि इन खण्डोंमें धर्मकर्मकी प्रवृत्ति सम्भव न होनेसे उक्त अर्थ घटित हो जाता है / __ शंका-यदि ऐसा है तो वहाँ पर संयमका ग्रहण करना कैसे सम्भव है ? ___ समाधान-ऐसी आशंका करना ठीक नहीं है, क्योंकि चारों दिशाओं को विजय करते समय चक्रवर्तीकी सेनाके साथ जो म्लेच्छ राजा मध्यम खण्डमें आ गये हैं और जिनका चक्रवर्ती श्रादिके साथ विवाह सम्बन्ध हो गया है उनके संयमको स्वीकार करनेमें कोई विरोध नहीं आता / अथवा उनकी जिन कन्याओंको चक्रवर्ती आदि व्याह लेते हैं उनके गर्भसे उत्पन्न हुए बालक मातृपक्षकी अपेक्षा स्वयं अकर्मभूमिज रूपसे ही यहाँपर