Book Title: Tandul Vaicharikam
Author(s): Vimal Gani
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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इति भावः ३, स्त्रीपुरुषनपुंसकलक्षणानि यथा - "यो निर्मृदुत्वमस्थैर्य, मुग्धता चलता स्तनौ । पुंस्कामितेति लिङ्गानि, सप्त स्त्रीत्वे प्रचक्षते ॥ १ ॥ मेहनं खरता दार्थ, शौण्डीर्य श्मश्रु धृष्टता । स्त्रीकामितेति लिङ्गानि सप्त पुंस्त्वे प्रचक्षते ॥ २ ॥ स्तनादिश्मश्रु केशादिभावाभावसमन्वितम् । नपुंसकं बुधाः प्राहुर्मोहानलसुदीपितम् ॥ ३ ॥” इति ॥ अथ तिरश्चां गर्भे भवस्थितिमाह - ' तिरिए 'त्ति तिरश्चां गर्भस्थितिरुत्कृष्टतः अष्टौ वर्षाणि, ततः परं विपत्तिः प्रसवो वेति, जघन्यतः अन्तमुहूर्त्तमाना भवस्थितिरिति ॥ १६ ॥ अथ जीवो गर्भे उत्पद्यमानः किमाहारमाहारयति ततश्च किंस्वरूपो भवतीत्याह -
इमो खलु जीवो अम्मापि संयोगे माउउयं पिउसुक्कं तं तदुभयसंसहं कलसं किञ्चिसं तप्पढमयाए आहारं आहारिता गन्मत्ताए वक्कम (सूत्रं १ ) 'सत्ताहं कललं होई, सत्ताहं होइ अब्बुयं । अब्बुधा जायए पेसी, पेसीओ य घणं भवे ॥ १ ॥ ( १७ ) तो पढमे मासे करिणं पलं जायइ १ बीए मासे पेसी संजायए घणा २ तइए मासे माउए दोहलं जणइ ३ चउत्थे मासे माउए अंगाई पीणेइ ४ पंचमे मासे पंच पिंडियाओ पाणि पायं सिरं चैव निव्वत्तेइ ५ छडे मासे पित्तसोणियं उवचिणेइ ६ सत्तमे मासे सत्त सिरासयाई ७०० पंच पेसीसयाई ५०० नवधमणीओ नवनउईं च रोमकूवसय सहस्साइं निवत्तेइ ९९००००० विणा केसमंसुणा सह केसमंसुणा अट्ठाओ रोमकूवकोडीओ निवत्तेह ३५००००००, अट्ठमे मासे वित्तीकप्पो हवइ ८ ( सू २ )
'इमो खलु'ति यावत् 'वक्कमइ'ति मुत्कलं, अयं जीवः खलु इति निश्चितं मातापित्रोः संयोगे 'माउउयं' ति मातुरोजो जनन्या आर्त्तवं शोणितमित्यर्थः 'पिउसुकंति' पितुः शुक्रं, इह यदिति शेषः 'तं' ति तदाहारं तस्य- गर्भव्युत्क्र
तं. वै. प्र. २
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