Book Title: Tandul Vaicharikam
Author(s): Vimal Gani
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 144
________________ चतुः शरणे ॥ ७० ॥ Jain Education पहरिसरोमंचपर्वचकंचुअंचियतणू भणति ॥ ४१ ॥ पवरसुकएहि पत्तं पत्तेहिवि नवरि केहिवि न पत्तं । तं केवलिपन्नत्तं धम्मं सरणं पवन्नोऽहं ॥ ४२ ॥ पत्तेण अपत्त्रेण य पत्ताणि अ जेण नरसुरसुहाणि । मुकखसुहं पुण पत्तेण नवरि धम्मो स मे सरणं ॥ ४३ ॥ निलिअकलुसकम्मो कयसुहजम्मो खलीकयअहम्मो । पमुहपरिणामरम्मो सरणं मे होउ जिणधम्मो ॥ ४४ ॥ कालत्तएवि न मयं जम्मणजरमरणवाहिसयसमयं । अमयं व बहुमयं जिणमयं च धम्मं पवन्नोऽहं ॥ ४५ ॥ पसमिअकामपमोहं दिट्ठादिट्ठेसु न कलिअविरोहं । सिवसुखफलयममोहं धम्मं सरणं पवन्नोऽहं ॥ ४६ ॥ नरयगइगमणरोहं गुणसंदोहं पवाइनिकखोऽहं । निहणियवम्महजोहं धम्मं सरणं पवन्नोऽहं ॥ ४७ ॥ भासुरसुवन्नसुंदररयणालंकारगारवमहग्धं । For Private & Personal Use Only जिनधर्म स्य शरणं गा. ४१४८ 11:00 11 jainelibrary.org

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