Book Title: Tandul Vaicharikam
Author(s): Vimal Gani
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
किंपागफलमिव मुहमहुराओ ५३ रित्तमुट्ठीविव बाललोभणिज्जाओ ५४ मंसपेसीगहणमिव सोवद्दवाओ ५५ जलियचुडिलीविव अमुच्चमाणदहणसीलाओ ५६ अरिहमिव दुल्लंघणिजाओ५७ कूडकरिसावणो विव कालविसंवायणसीलाओ ५८ चंडसीलोविव दुक्खरक्खियाओ ५९ अइविसाओ ६. दुगुंछियाओ ६१ दुरुवचा-14 राओ ६२ अगंभीराओ ६३ अविस्ससणिजाओ ६४ अणवत्थियाओ ६५ दुक्खरक्खियाओ ६६ दुक्खपालियाओ ६७ अरइकराओ ६८ कक्कसाओ ६९ दढवेराओ ७० रूवसोहग्गमओमत्ताओ ७१ भुयगगइकुडिलहिययाओ ७२ कंतारगइट्ठाणभूयाओ ७३ कुलसयणमित्तभेयणकारिकाओ ७४ परदोसपरगासियाओ ७५ कयग्घाओ ७६ बलसोहियाओ ७७ एगंतहरणकोलाओ ७९ चंचलाओ ७९ जोइभंडोवरागो विव मुहरागविरागाओ ८० अवियाई ताओ अंतरंगभंगसय ८१ अरज्जुओ पासो ८२ अदारुया अडवी ८३ अणलस्स निलओ ८४ अइक्खा वेयरणी ८५ अणामिया वाही ८६ अविओगो विप्पलाओ ८७ अरु उवसगो ८८ रइवंतो चित्तविन्भमो ८९ सवंगओ दाहो ९० अणब्भया वजासणी ९१ असलिलप्पवाहो ९२ समुद्दरओ ९३
'जाओ चिय इमाओ' इत आरभ्य 'असिब छिजिउं जे'इति पर्यन्तं गद्य, या एव इमाः-वक्ष्यमाणाः स्त्रियः | अनेकैः कविवरसहस्रः विविधपाशप्रतिबद्धैः कामरागमोहैः-मन्मथरागमूढः 'वन्नियाउ'त्ति वर्णिताः शृङ्गारादिवर्णनप्र
कारेणेति 'ताओवि'त्ति ता अपि ईदृश्यः-वक्ष्यमाणस्वरूपा ज्ञातव्याः, तद्यथा-'पगइविसमाओ'त्ति प्रकृत्या-स्वभा४ वेन विषमा-वक्रभावयुक्ताः, आवश्यकोक्तपतिमारिकादिवत् १ "पिय०' प्रियवचनवलयः-मिष्टवाणीमञ्जयः ज्ञातो.
Jain Education
For Private
Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160