Book Title: Tandul Vaicharikam
Author(s): Vimal Gani
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 135
________________ नाणाइएहिं सिवसुक्खसाहगा साहुणो सरणं ॥ ३१ ॥ केवलिणो परमोहि विउलमइसुअहरा जिणमयंमि । आयरियउवज्झाया ते सत्वे साहुणो सरणं ।। ३२॥ चउदस दसनवपुवी दुवालसिक्कारसंगिणो जे अ। जिणकप्पअहालंदिअ परिहारविसुद्धिसाहू अ॥ ३३ ॥ खीरासवमहुआसव संभिन्नस्सोअकुट्टबुद्धी अ। चारणवेउविपयाणुसारिणो साहुणो सरणं ॥ ३४ ॥ उज्झिअवयरविरोहा निच्चमदोहा पसंतमुहसोहा । अभिमयगुणसंदोहा हयमोहा साहुणो सरणं ॥ ३५ ॥ खंडिअसिणेहदामा अकामधामा निकामसुहकामा। सुपुरिसमणाभिरामा आयारामा मुणी सरणं ॥३६॥ मिल्हिअविसयकसाया उज्झिअघरघरणिसंगसुहसाया। अकलिअहरिसविसाया साहू सरणं गयपमाया ॥ ३७॥ हिंसाइदोससुन्ना कयकारूण्णा सयंभुरुप्पण्णा। २3%25A5% 25ARISHA Jain Education in For Private Personel Use Only KIw.jainelibrary.org

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