Book Title: Tandul Vaicharikam
Author(s): Vimal Gani
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 61
________________ * ARRANG पक्षे चन्द्रवत् ये धार्मिकाः-धर्मयुक्ताः मनुष्यास्तेषां जीवितं-जीवितकालः सुजीवितं-सुष्टु जीवितं ज्ञातव्यमिति ॥५॥ अथ शतवर्षायुःपुरुषत्य कियंतो युगायनादयो भवन्तीति दर्शयन्नाह___ आउसो ! से जहा नाम ए केइ पुरिसे पहाए कयवलिकम्मे कयकोऊयमंगलपायच्छित्ते सिरसि पहाए कंठेमालाकडे आविद्धमणिमुवन्ने अयसुमहग्यवत्थपरिहिए चंदणोक्किन्नगायसरीरे सरससुरहिगंधगोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते सुइमालावन्नगविलेवणे कप्पियहारद्धहारतिसरयपालंबपलंबमाणे कडिसुत्तयसुकयसोहे पिणद्धगेविजअंगुलिज्जगललियंगयललियकयाभरणे नाणामणिकणगरयणकडगतुडियथंभियभुए अहियरुवसस्सिरीए कुंडलुजोबियाणणे मउडदिन्नसिरए हारुत्थयसुकयरइयवच्छे पालंबपलंबमाणसुकयपडउत्तरिजे मुद्दियापिंगलंगुलिए नाणामणिकणगरयणविमलमहरिहनिउणोवियमिसिमिसंतविरइयसुसिलद्वविसिहलहआविद्धवीरवलए, किं बहुणा ? कप्परुक्खोविव अलंकियविभूसिए सुइपयए भवित्ता अम्मापियरो अभिवाद विजा ॥ तए णं तं पुरिसं अम्मापियरो एवं वइज्जा-जीव पुत्ता ! वाससयंति, तंपियाई तस्स नो बहुयं भवइ, कम्हा ?, वाससयं जीवंतो वीसं जुगाइं जीवइ, वीसई जुगाई जीवंतो दो अयणसयाई जीवइ, दो अयणसयाई जीवंतो छ उउसयाई जीवइ, छ उऊसयाई जीवंतो बारस माससयाई जीवइ, बारस माससयाई जीवंतो चउवीसं पक्खसयाई जीवइ, चउवीसं पक्खसयाई जीवन्तो छत्तीसं राइंदियसहस्साई जीवइ, छत्तीसं राईदियसहस्साई जीवंतो दस असीयाई मुहुत्तसयसहस्साई जीवइ, दस असीयाइं मुहुत्त *********** Jain Education For Private Personal Use Only jainelibrary.org

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