Book Title: Tandul Vaicharikam
Author(s): Vimal Gani
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 69
________________ (७१) चत्तारि य कोडिसया सत्त य कोडिओ हुँति अवराओ । अडयाल सयसहस्सा चत्तालीसं सहस्साई ॥ १७॥ (७२) वाससयाउस्सेए उस्सासा इत्तिया मुणेयवा । पिच्छह आउस्स खयं अहोनिसं झिज्झमा-181 णस्स ॥ १८ ॥ (७३) राइंदिएण तीसं तु मुहुत्ता नव सयाई मासेणं । हायंति पमत्ताणं न य णं अबुहा वियाणंति ॥ १९॥ (७४) तिन्नि सहस्से सगले छच्च सए उडुवरो हरइ आउं । हेमन्ते गिम्हासु य वासासु य होइ नायवं ॥ २०॥ (७५) वाससयं परमाऊ इत्तो पन्नास हरइ निदाए । इत्तो वीसइ हावइ बालत्ते वुडभावे य ॥ २१ ॥ (७६) सीउण्हपंथगमणे खुहापिवासा भयं च सोगे य । नाणाविहा य रोगा हवंति तीसाइ पच्छद्धे ॥ २२॥ (७७) एवं पंचासीई नट्ठा पण्णरसमेव जीवंति । जे हुंति वाससइया न य सुलहा |वाससयजीवा ॥ २३ ॥ (७८) एवं निस्सारे माणुसत्तणे जीविए अहिवडते । न करेह चरणधम्मं पच्छा पच्छाणुताहेहा ॥ २४ ॥ (७९) घुटुंमि सयं मोहे जिणेहिं वरधम्मतित्थमग्गस्स । अत्ताणं च न याणह इह जाया कम्मभूमीए ॥ २५ ॥ (८०) नइवेगसमं चंचलं जीवियं जुवणं च कुसुमसमं । सुक्खं च जमनियत्तं तिनिवि तुरमाणभुजाई ॥ २६ ॥ (८१) एयं खु जरामरणं परिक्खिवह वग्गुरा व मयजूहं । न य णं पिच्छह | 8 तापत्तं संमूढा मोहजालेणं ॥ २७ ॥ (८२) 'ववहार'गाथा, व्यवहारगणितं एतद् दृष्टं-स्थूलन्यायमङ्गीकृत्य कथितं मुनिभिः सूक्ष्म-सूक्ष्मगणितं निश्चयगतं ज्ञातव्यं, यद्येतन्निश्चयगतं भवति तदैतद् व्यवहारगणितं नास्त्येव, अतो विषमा गणना ज्ञातव्येति ॥१॥ अथ पूर्वोक्तं समयादि-18 MAXISHAXSOSAAMISHARA KACAX Jan Education For Private Personel Use Only jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160