Book Title: Tandul Vaicharikam
Author(s): Vimal Gani
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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तं. वै. प्र.
तन्दुलादिगणना सू.
॥२९॥
सयसहस्साई जीवंतो चत्तारि उस्सासकोडीसए सत्त य कोडीओ अडयालीसं च सयसहस्साई चत्तालीसं च सहस्साई जीवइ, चत्तारि ऊसासकोडीसए जाव चत्तालीसं च ऊसाससहस्साई जीवंतो अद्धतेवीसं तंडुलबाहे भुंजइ ॥ कहमाउसो! अद्धतेवीसं तंदुलवाहे भुंजइ ।, गोयमा! दुब्बलाए खंडियाणं बलियाए छडियाणं खयरमुसलपञ्चायाणं ववगयतुसकणियाणं अखंडाणं अफुडियाणं फलगसरियाणं एक्ककबीयाणं अद्धतेरसपलियाणं पत्थएणं, सेवियणं पत्थए मागहए कल्लं पत्थो सायं पत्थो चउसट्ठी तंदुलसाहस्सीओ मागहओ पत्थओ बिसाहस्सिएणं कवलेणं बत्तीसं कवला पुरिसस्स आहारो अट्ठावीसं इत्थीयाए चउवीसं पंडगस्स, एवामेव आउसो! एयाए गणणाए दो असइओ पसई दो पसईओ सेहआ होइ चत्तारि सेइआ कुलओ चत्तारि कुलया पत्थो चत्तारि पत्था आढगं सट्टीए आढयाण जहण्णए कुंभे असीइए आढयाणं मज्झिमे कुंभे आढयसयं उक्कोसए कुंभे अट्ठेव आढगसयाणि बाहो, एएणं बाहप्पमाणेणं अद्धतेवीसं तंदुलबाहे भुंजइ॥
'आउसो! से जहां' हे आयुष्मन् ! स यथानामको-यत्प्रकारनामा देवदत्तादिनामेत्यर्थः, अथवा 'से' इति सः यथेति दृष्टान्तार्थः नामेति सम्भावनायां ए इति वाक्यालङ्कारे कश्चित् पुरुषः स्नातः-कृतस्नानः स्नानानन्तरं कृतं-निष्पा४दितं बलिकर्म-स्वगृहदेवतानां पूजा येन सः कृतबलिका, तथा कृतानि कौतुकमङ्गलान्येव प्रायश्चित्तार्थ-दुःस्वमादि
विघातार्थमवश्यकरणीयत्वाद्येन स तथा, तत्र कौतुकानि-मषीतिलकादीनि मङ्गलानि तु-सिद्धार्थकदध्यक्षतदूर्वाकरा
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