Book Title: Shreechandra Charitra
Author(s): Purvacharya
Publisher: Jinharisagarsuri Jain Gyanbhandar

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Page 12
________________ -----------------------------------0-0-0-0-0 ।। अहॅनमः ।। १ परम पूज्या गुरुवर्या श्रीमती विवेकश्रीजी ___महाराज साहिबा के पुनीत कर कमलों में सप्रेम सविनय ! सादर सप्रेम समपण - ADDITISHNIRHI जिनका गुण गौरव सुना, जिनका लूं नित नाम । उन गुरु के पद-पद्म में पहिले करू प्रणाम ॥ जिनका पहिले ध्यान धर, पूर्ण किया यह नेक । उनही को अर्पण करू, दें वे मुझे विवेक ॥ मैं हूं इक लघु बालिका, गुरु चरनन की धूल । करो दया गुरुदेव सब, मिट जावें भव शूल ॥ ------------------------------------------------- . सद्गुरुपद धूली बुद्धिश्री [ --------------------------------------------------

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