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।। अहॅनमः ।। १ परम पूज्या गुरुवर्या श्रीमती विवेकश्रीजी ___महाराज साहिबा के पुनीत
कर कमलों में
सप्रेम सविनय !
सादर
सप्रेम
समपण
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ADDITISHNIRHI
जिनका गुण गौरव सुना, जिनका लूं नित नाम । उन गुरु के पद-पद्म में पहिले करू प्रणाम ॥ जिनका पहिले ध्यान धर, पूर्ण किया यह नेक । उनही को अर्पण करू, दें वे मुझे विवेक ॥ मैं हूं इक लघु बालिका, गुरु चरनन की धूल । करो दया गुरुदेव सब, मिट जावें भव शूल ॥
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सद्गुरुपद धूली
बुद्धिश्री
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