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2. दूजा स्थूल मृषावाद विरमण व्रत के विषय में जो कोई
अतिचार लगा हो तो आलोउं-1. सहसाकार से किसी के प्रति कूड़ा आल (झूठा दोष) दिया हो, 2. एकान्त में गुप्त बातचीत करते हुए व्यक्तियों पर झूठा आरोप लगाया हो, 3. अपनी स्त्री का मर्म प्रकाशित किया हो', 4. मृषा उपदेश दिया हो, 5. कूड़ा लेख लिखा हो, इन अतिचारों में से मुझे कोई दिवस सम्बन्धी अतिचार लगा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं। तीजा स्थूल अदत्तादान विरमण व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोउं-1. चोर की चुराई हुई वस्तु ली हो, 2. चोर को सहायता दी हो, 3. राज्य के विरुद्ध काम किया हो, 4. कूड़ा तोल कूड़ा माप किया हो, 5. वस्तु में भेल संभेल किया हो, इन अतिचारों में से मुझे कोई दिवस सम्बन्धी अतिचार लगा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं। चौथा स्थूल स्वदार संतोष परदार विवर्जन रूप मैथुन विरमण व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोउं-1. इत्तरियपरिग्गहिया' से गमन किया हो, 2. अपरिग्गहिया से गमन किया हो, 3. अनंग क्रीड़ा की हो, 4. पराये का विवाह नाता कराया हो, 5. काम भोग की तीव्र अभिलाषा की हो, इन अतिचारों में से मुझे कोई दिवस
सम्बन्धी अतिचार लगा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं । 1. स्त्रियाँ अपने पुरुष का मर्म प्रकाशित किया हो, बोलें। 2. स्त्रियाँ-स्वपति संतोष, परपुरुष विवर्जन बोलें। 3. इत्तरियपरिग्गहिया के स्थान पर स्त्रियाँ इत्तरियपरिग्गहिय तथा अपरिग्गहिया के स्थान पर अपरिग्गहिय बोलें।
{13} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र