Book Title: Shravak Samayik Pratikraman Sutra
Author(s): Parshwa Mehta
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 108
________________ उत्तर प्र. 17. उत्तर प्र. 18. उत्तर दूसरा आवश्यक-लोगस्स-देव का। तीसरा आवश्यक-इच्छामि खमासमणो-गुरु का। शेष चार आवश्यक-सामायिक, प्रतिक्रमण, कायोत्सर्ग व प्रत्याख्यान धर्म के हैं। अकल्पनीय व अकरणीय में क्या अन्तर है? सावध भाषा बोलना आदि प्रवृत्तियाँ "अकल्पनीय" हैं तथा अयोग्य सावद्य आचरण करना "अकरणीय" हैं। इस प्रकार अकल्पनीय में अकरणीय का समावेश हो सकता है, पर अकल्पनीय का समावेश अकरणीय में नहीं होता। आगम किसे कहते हैं? जो आप्त अर्थात् सर्वज्ञों की वाणी हो, उसे आगम कहते हैं। आगम आप्त पुरुषों द्वारा कथित, गणधरों द्वारा ग्रथित तथा मुनियों द्वारा आचरित होते हैं। आगम कितने प्रकार के व कौन-कौन से हैं? आगम तीन प्रकार के हैं-(1) सुत्तागमे (सूत्रागम) (2) अत्थागमे (अर्थागम) (3) तदुभयागमे (तदुभयागम)। सूत्रागम किसे कहते हैं ? तीर्थकर भगवन्तों ने अपने श्रीमुख से जो भाव फरमाए, उन्हें सुनकर गणधर भगवन्तों ने जिन आचारांग आदि आगमों की रचना की, उस सूत्र रूप आगम को 'सूत्रागम' कहते हैं। अर्थागम किसे कहते हैं ? तीर्थङ्कर परमात्मा ने अपने श्रीमुख से जो भाव प्रकट किये, उस भाव रूप आगम को 'अर्थागम' कहते हैं। अथवा सूत्रों के {106) श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र प्र. 19. उत्तर प्र. 20. उत्तर प्र. 21. उत्तर

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