Book Title: Shravak Samayik Pratikraman Sutra
Author(s): Parshwa Mehta
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 142
________________ प्रकाशकीय 'श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र' पुस्तक का तेईसवाँ संस्करण प्रकाशित करते हुए हमको अतीव प्रसन्नता हो रही है। प्रस्तुत पुस्तक में सामायिक व प्रतिक्रमण के पाठ विधि तथा अर्थ सहित दिये गये हैं। आगम के भाव समझने में अर्थ बहूपयोगी होता है। अतः प्रस्तुत सूत्र का भी हिन्दी अर्थ पुस्तक के पीछे दिया जा रहा है। प्रतिक्रमण की विधि प्रतिक्रमण के अन्त में आवश्यकों के अनुसार क्रमश: दी गई है, जिससे विधि का क्रम सरल व सुविधाजनक लगे / सामायिक और प्रतिक्रमण से सम्बन्धित 143 प्रश्नोत्तर भी दिये गये हैं जिससे पुस्तक की विशेषता बढ़ गई है। सामायिक समभाव की साधना है जो अनुकूल व प्रतिकूल विषयों में सम रहने की प्रेरणा देती है। प्रतिक्रमण (आवश्यक सूत्र) के माध्यम से हम व्रतों में हुई स्खलना का चिन्तन कर उसे दूर करने का प्रयास करते हैं तथा भविष्य में दोषों की पुनरावृत्ति न हो इस हेतु भी प्रतिज्ञाबद्ध होते हैं। अत: जीवन के लिए दोनों ही क्रियाएँ आवश्यक हैं।

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