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को भी तिरने हेतु जिनेश्वर भगवान द्वारा प्ररूपित धर्म का
उपदेश देते हैं, वे साधु ही सुगुरु हैं। प्र. 29. सच्चा धर्म कौनसा है? उत्तर आत्मा को दुर्गति से बचाकर मोक्ष की ओर ले जाने वाले
विशुद्ध मार्ग को सुधर्म कहते हैं। जिनेश्वर भगवान द्वारा प्ररूपित अहिंसा, संयम और तप का समन्वित रूप सच्चा धर्म है। जीवात्मा द्वारा सम्यग्ज्ञान, दर्शन, चारित्र आदि निजगुणों का
आराधन करना भी सच्चा धर्म है। प्र. 30. मिथ्यात्व किसे कहते हैं ? उत्तर मोह के उदय से तत्त्वों की सही श्रद्धा नहीं होना या विपरीत श्रद्धा
होना मिथ्यात्व है। अथवा देव-गुरु-धर्म एवं आत्म-स्वरूप
सम्बन्धी विपरीत श्रद्धान होना 'मिथ्यात्व' कहलाता है। प्र. 31. जिन वचन में शंका क्यों होती है, उसे कैसे दूर करना
चाहिए? उत्तर
श्री जिन वचन में कई स्थानों पर सूक्ष्म तत्त्वों का विवेचन हुआ है। कई स्थानों पर नय और निक्षेप के आधार पर वर्णन हुआ है। वह हमारी स्थूल बुद्धि से समझ में नहीं आता, इस कारण शंकाएँ हो जाती हैं। अत: हमें अरिहन्त भगवान के केवल ज्ञान व वीतरागता का विचार करके तथा अपनी बुद्धि की मंदता का विचार करके, गुरुजनों आदि से समाधान प्राप्त कर ऐसी
शंकाओं को दूर करना चाहिए। प्र. 32. पाप किसे कहते हैं? उत्तर जो आत्मा को मलिन करे, उसे पाप कहते हैं। जो अशुभ योग
से सुख पूर्वक बाँधा जाता है और दु:खपूर्वक भोगा जाता है,
{109) श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र