Book Title: Shravak Samayik Pratikraman Sutra
Author(s): Parshwa Mehta
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 120
________________ 3. ब्रह्मचर्य पालन में सहजता आती है। 4. अधिक रात्रि तक व्यापार आदि न करके जल्दी घर आने से परिग्रह-आसक्ति में कमी आती है। 5. भोजन में काम आने वाले द्रव्यों की मर्यादा सीमित हो जाती है। दिन में भोजन बनाने की अनुकूलता होने पर भी लोग रात्रि में भोजन बनाते हैं, किन्तु रात्रि-भोजन-त्याग से रात्रि में होने वाली हिंसा का अनर्थदण्ड रुक जाता है। 7. सायंकालीन सामायिक-प्रतिक्रमण आदि का भी अवसर प्राप्त हो सकता है। घर में महिलाओं को भी सामायिक स्वाध्याय आदि का अवसर मिल सकता है। 8. उपवास आदि करने में भी अधिक बाधा नहीं आती, भूख-सहन करने की आदत बनती है, जिससे अवसर आने पर उपवास-पौषध आदि भी किया जा सकता है। 9. सायंकाल के समय सहज ही सन्त-सतियों के आतिथ्य सत्कार (गौचरी बहराना) का भी लाभ मिल सकता है। प्र. 62. रात्रि-भोजन करने से क्या-क्या हानियाँ हैं ? उत्तर रात्रि-भोजन करने से मुख्य हानि तो भगवान की आज्ञा का उल्लंघन है। इसके साथ ही बुद्धि का विनाश, जलोदर रोग होना, वमन, कोढ़, स्वर भंग, निद्रा न आना, आयु घटना, पेट की बीमारियाँ आदि अनेक शारीरिक हानियाँ होती हैं। प्र. 63. रात्रि-भोजन-त्याग से क्या लाभ हैं ? उत्तर रात्रि-भोजन-त्याग से निम्न प्रमुख लाभ होते हैं (118) श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सत्र

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