Book Title: Shravak Samayik Pratikraman Sutra
Author(s): Parshwa Mehta
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 139
________________ जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोउं-1. पौषध में शय्या संथारा न देखा हो या अच्छी तरह से न देखा हो, 2. प्रमार्जन न किया हो या अच्छी तरह से न किया हो, 3. उच्चार पासवण की भूमि को न देखी हो अथवा अच्छी तरह से न देखी हो, 4. पूँजी न हो या अच्छी तरह से न पूँजी हो, 5. उपवास युक्त पौषध का सम्यक् प्रकार से पालन न किया हो, इन अतिचारों में से मुझे कोई दिवस संबंधी अतिचार लगा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं। अन्त में तीन नवकार मंत्र बोलना चाहिए। पौषध व्रत ग्रहण करने की विधि तिक्खुत्तो का पाठ तीन बार, नवकार मन्त्र, इच्छाकारेणं, तस्सउत्तरी, एक इच्छकारेणं का काउस्सग्ग, काउस्सग्ग शुद्धि का पाठ, एक लोगस्स, पौषध ग्रहण करने का पाठ, दो नमोत्थु णं। पौषध व्रत पारने की विधि सामायिक पारने के समान ही क्रम से सभी पाठ बोलना। जैसेनवकार मन्त्र, इच्छाकारेणं, तस्सउत्तरी, एक लोगस्स का काउस्सग्ग, काउस्सग्ग शुद्धि का पाठ, एक लोगस्स, दो नमोत्थु णं, पौषध व्रत पारने का पाठ, तीन नवकार मन्त्र। पौषध के दोष पौषध व्रत की विशुद्ध आराधना करने हेतु निम्नांकित 18 दोषों से बचना अनिवार्य हैं1. पौषध के निमित्त लूंस-ठूस कर आहार करे। 2. पौषध के निमित्त पहली रात्रि में मैथुन सेवे। 3. पौषध के निमित्त नख, केश आदि का संस्कार करे। {137} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र

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