Book Title: Shravak Samayik Pratikraman Sutra
Author(s): Parshwa Mehta
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 137
________________ 10. निविगइयं-सूत्र (नीवी) निव्विगइयं पच्चक्खामि, अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, लेवालेवेणं, गिहिसंसट्टेणं, उक्खित्तविवेगेणं, पडुच्चमक्खिएणं, (पारिट्ठावणियागारेणं), महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि। प्रत्याख्यान पारने का सूत्र उग्गए सूरे....... (जो प्रत्याख्यान किया हो उसका नाम लेना) पच्चक्खाणं कयं, तं पच्चक्खाणं सम्मं काएणं न फासियं, न पालियं, न तीरियं, न किट्टियं, न सोहियं, न आराहियं, तस्स मिच्छा मि दुक्कडं। םםם {135) श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र

Loading...

Page Navigation
1 ... 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146