Book Title: Shravak Samayik Pratikraman Sutra
Author(s): Parshwa Mehta
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal
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________________ पौषध की विधि पौषध व्रत ग्रहण करने का पाठ (अ) प्रतिपूर्ण पौषध (अष्ट प्रहर पौषध)-प्रतिपूर्ण पौषध व्रत पच्चक्खामि-सव्वं असण, पाणं, खाइम, साइमं का पच्चक्खाण, अबंभ सेवन का पच्चक्खाण, अमुकमणि-सुवर्ण का पच्चक्खाण, माला-वण्णग-विलेवण का पच्चक्खाण, सत्थमूसलादिक सावज्जजोग सेवन का पच्चक्खाण, जाव अहोरत्तं पज्जुवासामि दविह-तिविहेणं न करेमि, न कारवेमि, मणसा वयसा, कायसा, तस्स भंते! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि। (ब) ग्यारहवाँ पौषध-ग्यारहवाँ पौषध व्रत पच्चक्खामि-सव्वं असणं, पाणं, खाइम, साइमं का पच्चक्खाण, अबंभ सेवन का पच्चक्खाण, अमुकमणि-सुवर्ण का पच्चक्खाण, माला-वण्णगविलेवण का पच्चक्खाण, सत्थमूसलादिक सावज्ज-जोग सेवन का पच्चक्खाण सूर्योदय तक, पज्जुवासामि विहं-तिविहेणं न करेमि, न कारवेमि, मणसा, वयसा, कायसा, तस्स भंते! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि। (स) दसवाँ पौषध-दसवाँ पौषध व्रत असणं, पाणं, खाइमं, साइमं का पच्चक्खाण। द्रव्य से-सर्व सावद्य योगों का त्याग, क्षेत्र सेसम्पूर्ण लोक में, काल से-सूर्योदय तक, भाव से-दो करण तीन योग से, उपयोग सहित तस्स भंते! पडिक्कमामि, निंदामि, गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि। पौषध व्रत पारने का पाठप्रतिपूर्ण पौषध/ग्यारहवाँ पौषध/दसवाँ पौषध व्रत के विषय में (136) श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र

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