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तिक्खुत्तो आयाहिणं
पयाहिणं करेमि
वंदामि
नम॑सामि
सक्कारेमि
सम्माणेमि
कल्लाणं
मंगलं
देवयं
चेइयं
पज्जुवासामि मत्थएण
वंदामि
सामायिक सूत्र- अर्थ
गुरु वन्दना सूत्र
तीन बार ।
स्वयं के दाहिनी ओर (अपने दोनों हाथों को जोड़कर मस्तक पर रखकर अपने स्वयं के दाहिने (Right) कान की ओर से ले जाते गले के पास से बायें कान की ओर ऊपर ले जाकर पुन: मस्तक के बीच में लाना, आवर्तन है।
प्रदक्षिणा ।
करता हूँ।
वन्दना ( गुणगान स्तुति) करता हूँ। नमस्कार करता हूँ। (यहाँ पर माथा जमीन
पर लगायें)
सत्कार करता हूँ। सम्मान देता हूँ (क्योंकि)
आप कल्याण रूप हैं ।
आप मंगल रूप हैं।
आप धर्ममय देव रूप हैं।
ज्ञानवान अर्थात् ज्ञान से शिष्यों के चित्त को प्रसन्न करने वाले हो । (इसलिए) (मैं) आपकी उपासना करता हूँ, (व) मस्तक झुकाकर ।
वन्दना (नमस्कार) करता हूँ।
{46} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र