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संघाइया
इकट्ठे किये हों। संघट्टिया
पीड़ा पहुँचे जैसे गाढ़े छुए हों। परियाविया
परिताप (कष्ट) पहुँचाया हो। किलामिया
खेद उपजाया हो। उद्दविया
हैरान किया हो। ठाणाओ ठाणं संकामिया एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखे हों। जीवियाओ ववरोविया जीवन (प्राणों) से रहित किया हो। तस्स मिच्छा मि दुक्कडं वह मेरा पाप मिथ्या हो (निष्फल हो)।
आत्मशुद्धिसूत्र
उस (दूषित आत्मा) को। उत्तरीकरणेणं
उत्कृष्ट (शुद्ध) बनाने के लिए। पायच्छित्तकरणेणं प्रायश्चित्त करने के लिए। विसोहिकरणेणं विशेष शुद्धि करने के लिए। विसल्लीकरणेणं
शल्य रहित करने के लिए। पावाणं कम्माणं
पाप कर्मों का। निग्घायणट्ठाए
नाश करने के लिए। ठामि काउस्सग्गं
कायोत्सर्ग करता हूँ। अर्थात् शरीर से ममता हटाता हूँ-काया के व्यापारों का त्याग करता
अन्नत्थ ऊससिएणं नीससिएणं
इन निम्नोक्त क्रियाओं को छोड़कर । (ऊँचा) श्वास लेने से।
(नीचा) श्वास छोड़ने से। {49} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र