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हिरण- सुवण्णप्पमाणाइक्कमे चाँदी सोने के परिमाण का अतिक्रमण
करना ।
धण-धण्णप्पमाणाइक्कमे
धन-धान्य अनाज आदि के परिमाण का अतिक्रमण करना।
दुप्पय-चउप्पयप्पमाणाइक्कमे नौकर, पशु आदि के परिमाण का
अतिक्रमण करना।
कुवियप्पमाणाइक्कमे
उड्ढ
अहो
तिरिय
दिसी
खित बुड्डी सह-अंतरद्धा
उपभोग
परिभोग
विहिंपच्चक्खायमाणे
उल्लणियाविहि
घर की सारी सामग्री की मर्यादा का उल्लंघन किया हो ।
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ऊर्ध्व (ऊँची
अधो (नीची)
तिर्यक् (तिरछी)
दिशा
क्षेत्र वृद्धि (बढ़ाया) की हो।
क्षेत्र परिमाण भूलने से पथ का सन्देह पड़ने से आगे चला हो।
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एक बार भोगा जा सके जैसे अनाज, पानी आदि ।
अनेक बार भोगा जा सके, जैसे वस्त्र, आभूषण आदि।
विधि का ( पदार्थों की जाति का ) त्याग करते हुए ।
अंग पोंछने के वस्त्र (अंगोछा आदि) ।
{70} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र