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तं जहा अवज्झाणायरिये
पमावायरिये
हिंसया
पावकम्मोवएसे
एवं आठवाँ अण्डादण्ड
सेवन का पच्चक्खाण
आए वा
राए वा
नाए वा
परिवारे वा
देवे वा
नागेवा
जवा
भूए वा
एत्तिएहिं
आगारेहिं
अण्णत्थ
कंदप्पे
जो इस प्रकार हैं
अपध्यान (आर्त्तध्यान, रौद्रध्यान) का
आचरण करने रूप |
प्रमाद का आचरण करने रूप ।
हिंसा का साधन ।
पापकारी कार्य का उपदेश देने रूप।
इस प्रकार के आठवें व्रत में अनर्थ दंड
का।
सेवन करने का त्याग करता हूँ (सिवाय आठ आगार रखकर के जैसे )
आत्मरक्षा के लिए ।
राजा की आज्ञा से ।
जाति जन के दबाव से ।
परिवार वालों के दबाव से, परिवार वालों
के लिए।
देव के उपसर्ग से ।
नाग के उपद्रव से ।
यक्ष के उपद्रव से ।
भूत के उपद्रव से ।
इस प्रकार के अनर्थ दण्ड का सेवन करना
पड़े तो ।
आगार रखता हूँ।
उपरोक्त आगारों के सिवाय ।
कामविकार पैदा करने वाली कथा की हो
{74} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र