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सिद्ध हो गये हैं और वे सुखरूप सिद्धालय में विराजमान हैं। वे
अशरीरी होने से उपदेश आदि की प्रवृत्ति नहीं करते। प्र. 10. सिद्ध मुक्त हैं, फिर भी सिद्धों के पहले अरिहन्तों को
नमस्कार क्यों किया गया? उत्तर अरिहन्त धर्म को प्रकट कर मोक्ष की राह दिखाने वाले और
सिद्धों की पहचान कराने वाले हैं। अरिहन्त सशरीरी हैं और सिद्ध अशरीरी। परम उपकारी होने के कारण सिद्धों के पहले
अरिहन्तों को नमस्कार किया गया है। प्र. 11.
आचार्य किसे कहते हैं? उत्तर चतुर्विध संघ के वे श्रमण, जो संघ के नायक होते हैं और जो
स्वयं पंचाचार का पालन करते हुए साधु-संघ में भी आचार पलवाते हैं, उन्हें आचार्य कहते हैं। ये 36 गुणों के धारक
होते हैं। प्र. 12. उपाध्याय किसे कहते हैं? उत्तर वे श्रमण, जो स्वयं शास्त्रों का अध्ययन करते हैं और दूसरों
को अध्ययन करवाते हैं, उन्हें उपाध्याय कहते हैं। ये 25
गुणों के धारक होते हैं। प्र. 13. साधु किसे कहते हैं? उत्तर गृहस्थ धर्म का त्याग कर जो पाँच महाव्रत-1. अहिंसा, 2.
सत्य, 3. अचौर्य, 4. ब्रह्मचर्य और 5. अपरिग्रह को पालते हैं एवं शास्त्रों में बतलाये गये समस्त आचार सम्बन्धी नियमों का पालन करते हैं, उन्हें साधु कहते हैं। ये 27 गुणों के धारक होते हैं।
{90) श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र