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प्र. 14. तिक्खुत्तो के पाठ का क्या प्रयोजन है? उत्तर यह गुरुवन्दन सूत्र है। आध्यात्मिक साधना में गुरु का पद
सबसे ऊँचा है। संसार के प्राणिमात्र के मन में रहे हए अज्ञान अन्धकार को दूर करके ज्ञानरूपी प्रकाश फैलाने वाले गुरू हैं। मुक्ति के मार्ग पर गुरु ही ले जाते हैं। ऐसे गुरूदेव की विनयपूर्वक
वन्दना करना ही इस पाठ का प्रयोजन है। प्र. 15. तिक्खुत्तो के पाठ का दूसरा नाम क्या है? उत्तर तिक्खुत्तो के पाठ का दूसरा नाम गुरुवन्दन सूत्र है। प्र. 16. तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना क्यों करते हैं? उत्तर भगवती सूत्र 3/1 में भी उल्लेख है कि बलिचंचा राजधानी
के अनेक असुरों, देवों तथा देवियों ने तामली तापस की तिक्खुत्तो के पाठ से आवर्तन देते हुए तीन बार वन्दना की। भगवती सूत्र 12/1 में उल्लेख है कि श्रमणोपासक शंखजी व पुष्कलीजी ने, भगवान महावीर को तीन बार आदक्षिणाप्रदक्षिणा पूर्वक वन्दना की। इनसे स्पष्ट है कि तीन बार वन्दना करने की प्राचीन परम्परा रही है, जन-सामान्य में यही विधि प्रचलित रही है। इसके साथ ही हमारे गुरु भगवन्त सम्यग्ज्ञान, सम्यग्दर्शन तथा सम्यक् चारित्र इन तीन रत्नों के धारक होते हैं। उन तीन रत्नों के प्रति आदर-बहुमान प्रकट करने तथा वे तीन रत्न हमारे जीवन में भी प्रकट हो, इसलिए भी तीन बार वन्दना की जाती है।
1911 श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र