Book Title: Shravak Samayik Pratikraman Sutra
Author(s): Parshwa Mehta
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 95
________________ प्र. 19. उत्तर 1. 2. 3. 4. हम समझ सकते हैं कि जैसे घट्टी चलाने की क्रिया, चरखा घुमाने की क्रिया, रोटी बेलने का क्रम, वाहनों की गति दर्शाने वाला मीटर जिस क्रम से आगे बढ़ता है, ठीक इसी प्रकार आवर्तन हमें अपने ललाट के मध्य से प्रारंभ करते हुए अपने बायें से दाहिनी ओर (Left to Right) ले जाते हुए देने चाहिए। वन्दना करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए? वन्दना करते समय निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिएवन्दना गुरुदेव के सामने खड़े होकर करना चाहिए। जहाँ तक हो सके उनके पीछे खड़े होकर वन्दना नहीं करना चाहिए। यदि गुरुदेव सामने नहीं हो तो पूर्व दिशा (East) उत्तर दिशा (North) अथवा ईशान कोण (उत्तर पूर्व दिशा के बीच में) (Center of East North) में मुख करके खड़े होकर वन्दना करना चाहिए। आसन से नीचे उतरकर वन्दना करना चाहिए, आसनादि पर खड़े होकर वन्दना नहीं करना चाहिए। गुरुदेव सामने हो अथवा नहीं हो आवर्तन देने का तरीका एक समान ही अर्थात् ललाट के मध्य में दोनों हाथ रखकर अपने स्वयं के बायें से दाहिनी ओर दोनों हाथों को घुमाते हुए आवर्तन देने चाहिए। {93} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र

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